Saturday, February 26, 2011

चंडीगढ़ पर दीदी की ममता



 

 
 
Email
Add caption
  |   
चंडीगढ़। रेलमंत्री ममता बनर्जी ने इस बार बजट में चंडीगढ़ पर खुलकर ममता बरसाई है। दीदी ने शहर को मुंबई के लिए स्पेशल ट्रेन दी है, वहीं गरीब रथ को जयपुर से अजमेर तक बढ़ाकर शहर को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल से जोड़ दिया है। लखनऊ से सहारनपुर के बीच चलने वाली            15011/15012       को चंडीगढ़ तक एक्सटेंड कर दिया गया है। अंबाला से चंडीगढ़ होते हुए चारूड़ टकराला के बीच चलने वाली डीएमयू को हिमाचल के अंब तक चलाने की घोषणा की है!

ट्रेन से सीधे जा सकेंगे गुड़गांव: मुंबई से चंडीगढ़ के बीच चलने वाली ट्रेन साप्ताहिक होगी। यह ट्रेन फुलेरा रींघस (राजस्थान), गुडगांव व कुरुक्षेत्र के रास्ते चंडीगढ़ आएगी और इसी रूट से जाएगी। लखनऊ से सहारनपुर के बीच चलने वाली ट्रेन जिसे चंडीगढ़ तक एक्सटेंड किया गया है, अंबाला, सहारनपुर होते हुए मुरादाबाद, चंदोसी, बरेली होते हुए लखनऊ जाएगी।

मल्टी फंक्शनल कॉम्पलेक्स के साथ बजट होटल भी: ममता ने देशभर के 160 रेलवे स्टेशनों पर मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स के साथ बजट होटल बनाने की घोषणा की है। इनमें चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन भी शामिल है। यह कॉम्पलेक्स इस रीजन में चंडीगढ़ के अतिरिक्त पानीपत और रोहतक में भी बनाए जाएंगे। वहीं चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए ऑटोमेटिक लॉन्ड्री यूनिट लगाने की घोषणा की है।

पुराने सर्वे हुए नहीं, नए की घोषणा: बजट में ममता ने इस बार चंडीगढ़ से राजपुरा के बीच रेलमार्ग का सर्वे करने की घोषणा की है। परवाणू से दाड़लाघाट रेलमार्ग, हिमाचल में जोगिंदर नगर से मंडी के बीच रेलमार्ग का सर्वे कराने की घोषणा भी की गई है। पिछले बजट में चंडीगढ़ से जगाधरी रेलमार्ग के सर्वे की घोषणा की गई थी। इसका सर्वे अभी तक नहीं हुआ है। इस बार के बजट में इसका कोई जिक्र नहीं हुआ। चंडीगढ़-बद्दी रेलमार्ग भी अभी कागजों में ही है।

वर्ल्ड क्लास न बना पाने का दुख: चंडीगढ़ को पिछले तीन साल से वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन बनाने की घोषणा होती रही है। इस बार के बजट में ममता ने घोषित रेलवे स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास न बना पाने पर दुख व्यक्त किया है। अब चंडीगढ़ वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनेगा या दुख की भेंट चढ़ेगा यह तो अगला बजट ही बताएगा। राजद के चंडीगढ़ यूनिट के अध्यक्ष एडवोकेट रविंदर कृष्ण ने कहा कि लालू यादव ने वर्ल्ड क्लास का जो सपना संजोया था, उसे ममता की इस टिप्पणी से धक्का पहुंचा है।

तो चंडीगढ़ को साल में मिलेंगी दो गाड़ियां: ममता ने बजट में घोषणा की है कि जिस स्टेशन या उसके आसपास के क्षेत्र में कोई धरना प्रदर्शन या रेल रोको आंदोलन नहीं होगा, उस स्टेशन को साल में दो नई ट्रेनें दी जाएंगी। इस लिहाज से चंडीगढ़ को हर साल दो नई ट्रेनें मिलने की गुंजाइश बन रही है। चंडीगढ़ में रेलवे स्टेशन के पास धरना-प्रदर्शन नहीं होता, रेल रोकने का तो सवाल ही नहीं है।

सिक्योरिटी के लिए कुछ क्यों नहीं
"ममता बनर्जी को सोचना चाहिए कि वे पश्चिम बंगाल की रेल मंत्री नहीं बल्कि पूरे देश की रेल मंत्री हैं। उनका फोकस बंगाल पर रहा है, असामाजिक तत्वों से सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया। बजट का एक बड़ा हिस्स सिक्योरिटी पर्पज के लिए रखा जाना चाहिए था। चंडीगढ़ से जयपुर और आगे अजमेर तक ट्रेन चलाने से कुछ राहत मिली है पर यह यहां के लोगों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं है।"

Thursday, February 24, 2011

jyotish ya siyasat



विधायकों-मंत्रियों के वेतन में 300 फीसदी तक वृद्धि का प्रस्ताव

नई दिल्ली.दिल्ली सरकार ने मुद्रास्फीति में वृद्धि और राजधानी में रिहायशी की लागत में इजाफे का हवाला देते हुए विधायकों व मंत्रियों के वेतन में 300 फीसदी तक की वृद्धि से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया। जबकि तीन महीने पहले ही केंद्र ऐसे एक प्रस्ताव को ठुकरा चुका है। अब इस नए प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।


प्रस्ताव के अनुसार जो विधायक मौजूदा समय में सभी भत्ते मिलाकर 32,000 रुपए प्रतिमाह का वेतन पाते हैं, उनका वेतन बढ़कर लगभग एक लाख रुपए हो जाएगा। जबकि उनका कुल वेतन मौजूदा 43,000 रुपए मासिक से बढ़कर 1,20,000 रुपए हो जाएगा। वहीं प्रस्ताव के अनुसार मुख्यमंत्री का वेतन मौजूदा 55,000 रुपए से बढ़कर 1,30,000 रुपए हो जाएगा।


बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि हमने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब हम इसे केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजेंगे। सरकार ने केंद्र द्वारा इसी तरह के एक प्रस्ताव को खारिज किए जाने के ठीक तीन महीने बाद यह प्रस्ताव पारित किया है। केंद्र ने प्रस्ताव को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि दिल्ली सरकार द्वारा भेजा गया प्रस्ताव सांसदों को मिलने वाले वेतन और भत्ते से ज्यादा है।


अधिकारियों की मानें तो अगर केंद्र इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देती है तो सरकारी खजाने पर 16.21 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। दोबारा मंजूर किए गए प्रस्ताव में सरकार ने विधायकों को पेट्रोल भत्ता देने और ब्याज रहित कार लोन जैसी बातों को हटा दिया है। इस तरह की सुविधाएं सांसदों को भी हासिल नहीं हैं।


प्रस्ताव में विधायकों के बेसिक वेतन को मौजूदा 6,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए किए जाने की बात कही गई है। जबकि मंत्रियों का बेसिक 10,000 रुपए से बढ़ाकर ३क्,क्क्क् रुपए किए जाने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री के बेसिक को बढ़ाकर 35,000 रुपए किए जाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। यात्रा भत्ते को मौजूदा 4,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए किया गया है।


न्यूनतम मजदूरी में 15 फीसदी की वृद्धि


नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने बुधवार को न्यूनतम मजदूरी की दरों में बढ़ोतरी करने की घोषणा की है। दिल्ली के मंत्रिमंडल ने न्यूनतम मजदूरी कानून, 1948 के तहत मजदूरी की दरों में वृद्धि को मंजूरी दी। सरकार ने दरों में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है, जो दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचित 29 रोजगार सूचियों के लिए है।


दिल्ली सरकार ने पिछली बार एक फरवरी 2010 को न्यूनतम दरों में वृद्धि की थी। पदभार संभालने के बाद पहली बार कैबिनेट में शामिल हुए श्रम मंत्री रमाकांत गोस्वामी ने बताया कि नई दरें एक फरवरी 2011 से लागू होंगी। उन्होंने बताया कि अकुशल मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन 203 रुपए से बढ़ाकर 234 रुपए कर दी गई है।


ऐसे मजदूरों की मासिक मजदूरी में 806 रुपए की बढ़ोतरी हुई है, जो 5,278 रुपए से बढ़कर 6,084 रुपए हो गई है। अर्ध कुशल मजदूरों की दैनिक मजदूरी 225 रुपए से बढ़ाकर 259 रुपए की गई है। उनकी मासिक मजदूरी में 884 रुपए का इजाफा हुआ है, जो 5,840 रुपए से बढ़कर 6,734 रुपए हो गई है।


इसी प्रकार, कुशल मजदूरों की दैनिक मजदूरी 248 रुपए से बढ़ाकर 284 रुपए की गई है। उनकी मासिक मजदूरी में 962 रुपए की बढ़ोतरी हुई है, जो 6,448 रुपए से बढ़कर 7,410 रुपए हो गई है। श्रम मंत्री ने बताया कि क्लर्को और गैर तकनीकी सुपरवाइजरी कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी भी बढ़ाई गई है। मैट्रिक से कम पढ़े लिखे कर्मचारियों की दैनिक मजदूरी 225 रुपए से बढ़ाकर 259 रुपए की गई है।


उनकी मासिक मजदूरी में 884 रुपए का इजाफा होगा, जो 5,840 रुपए से बढ़ाकर 6,734 रुपए हो गई है। मैट्रिक से ज्यादा शिक्षित, लेकिन स्नातक की डिग्री न हासिल करने वाले कर्मचारियों की दैनिक मजदूरी 248 रुपए से बढ़ाकर 285 रुपए की गई है। उनकी मासिक मजदूरी में 962 रुपए का इजाफा हुआ है, जो 6,448 रुपए से बढ़कर 7,410 रुपए हो गई है।


स्नातक और उससे अधिक शिक्षित कर्मचारियों की दैनिक मजदूरी 270 रुपए से बढ़ाकर 310 रुपए कर दी गई है। उनकी मासिक मजदूरी में 1040 रुपए का इजाफा हुआ है, जो 7,020 रुपए से बढ़कर 8,060 रुपए हो गई है।


श्रम मंत्री ने बताया कि अब न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा एक साथ एक महीने में की जाएगी। ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार यह वृद्धि अप्रैल और अक्टूबर महीने में करती है। अब एक साथ वृद्धि करने के लिए राज्य सरकार इस साल अप्रैल मेंन्यूनतम मजदूरी फिर बढ़ाएगीके

मध्य परदेश के.सीएम सहित मंत्रियों की हवाई यात्राओं पर 8.88 करोड़ खर्च

भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य विधानसभा में बुधवार को दो कांग्रेस विधायकों चौधरी राकेश सिंह और पुरूषोत्तम दांगी के लिखित प्रश्नों के अलग-अलग जवाबों में कहा,उनकी हवाई यात्राओं सात करोड़ रूपए से अधिक खर्च हुए हैं।

चौधरी राकेश सिंह ने प्रश्न किया था कि मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में निजी व शासकीय विमानों से अब तक कितनी हवाई यात्राएं की और उसका खर्च कितना आया? इसके जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उनकी यात्राओं पर कुल 7 करोड़ 75 लाख 49 हजार 500 रूपए खर्च हुआ। उन्होंने निजी हवाई यात्राओं के व्यय ब्यौरे में विमान यात्रा पर 2 करोड़ 28 लाख 49 हजार 153 रूपए तथा हेलीकाप्टर से यात्रा पर 5 करोड़ 62 लाख 87 हजार 346 रूपए खर्च होना बताया।

इस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुल शासकीय व निजी विमानों के खर्च ब्यौरे में निजी विमानों व हेलीकाप्टर का खर्च ही कुल खर्च से ज्यादा (7 करोड़ 91 लाख 36 हजार 499 रूपए ) हो गया।

विधायक पुरूषोत्तम दांगी ने अप्रैल 2009 से आज तक अर्थात दो वर्ष की हवाई यात्रा खर्च का ब्यौरा मांगा था। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उनकी हवाई यात्राओं पर 7 करोड़ 61 लाख 10 हजार 635 रूपए खर्च हुआ।

उन्होंने बताया कि शासकीय विमान बी 200 से 1 करोड़ 77 लाख 84 हजार 250 रूपए तथा हेलीकाप्टर बी टी एनपीएस 430 से 46 लाख 20 हजार कुल 2 करोड़ 24 लाख 4 हजार 250 रूपए की हवाई यात्रा की वहीं निजी विमान से 65 लाख 864 रूपए तथा हेलीकाप्टर से 4 करोड़ 79 लाख 77 हजार 510 रूपए की हवाई यात्रा की है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायक पुरूषोत्तम दांगी के प्रश्न पर यह भी बताया कि राज्य के दो दर्जन मंत्रियों की हवाई यात्राओं पर 1 करोड़ 13 लाख 9 हजार 257 रुपए खर्च हुए है।

इन हवाई यात्राओं में कन्हैयालाल अग्रवाल ने 22 लाख 28 हजार 757 रुपए की हवाई यात्रा की, जबकि कैलाश विजयवर्गीय दूसरे नंबर पर रहे, जिन्होंने 15 लाख 27 हजार 750 रुपए की यात्रा की।

अन्य मंत्रियों में लक्ष्मीकांत शर्मा ने 8 लाख 91 हजार 300 रु., बाबूलाल गौर ने 6 लाख 62 हजार रुपये, डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने 8 लाख 40 हजार 750 रुपये, अजय विoAोई ने 7 लाख 7 हजार रु., विजय शाह ने 5 लाख 500 रु., तुकोजीराव पवार ने 4 लाख 73 हजार रु.,गौरीशंकर बिसेन ने 4 लाख 70 हजार 250 रुपए, उमाशंकर गुप्ता ने 4 लाख 37 हजार 250 रुपये, अर्चना चिटनीस ने 3 लाख 31 हजार रु. ,बृजेन्द्र प्रतापसिंह ने 2 लाख 53 हजार 500 रुपय, अनूप मिश्रा ने 2 लाख 33 हजार,750 रु. पारस जैन ने 2 लाख 33 हजार 750 रु., राजेन्द्र शुक्ल ने 2 लाख 17 हजार 750 रु., नानाभाऊ माहोड़े ने 1 लाख 76 हजार रु., नारायण सिंह कुशवाह ने 1 लाख 43000 रु., जयसिंह, मरावी ने 1 लाख 34 हजार 750 रु., जयंत मलैया ने 55 हजार रु., महेन्द्र सिंह हार्डियां ने 44 हजार रु. तथा डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने 33 हजार रुपये खर्च किए

एड्स, मलेरिया से भी ज्यादा जानें ले रहा है 'लाइफस्टाइल'

नई दिल्ली. खान-पान और रहन-सहन का असर सीधे सेहत पर पड़ता दिख रहा है। देश में टीबी, एचआईवी/एड्स या मलेरिया जैसी बीमारियों की जगह लाइफस्टाइल बीमारियों ने ले ली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के मुताबिक देश में सर्वाधिक 19 फीसदी मौतें दिल से जुड़ी बीमारियों की वजह से हो रही हैं। जबकि टीबी से 6 प्रतिशत लोगों की मौत हो रही हैं।


स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि देश में दिल से जुड़ी बीमारियां सर्वाधिक मौतों का कारण बनती जा रही हैं। वहीं टीबी, एचआईवी/एड्स जैसे बीमारी से होने वाली मौतों में कमी आई है।


आजाद ने बताया कि दिल से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम के लिए सरकार एक विशेष योजना चला रही है। नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबीटिज, कार्डियो-वेस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) नामक इस योजना में देश के 70 जिलों में स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएंगे

विकी खुलासा: भारत-पाकिस्‍तान में परमाणु युद्ध का खतरा

नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच अगर मौजूदा तनाव जारी रहा तो पड़ोसी मुल्कों के बीच परमाणु युद्ध की आशंका है, जिसमें लाखों लोग मारे जाएंगे। अमेरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन की 2002 की एक रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव के चलते दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होने की आशंका जताई गई है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध की सूरत में करीब 1.20 करोड़ लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह खुलासा खोजी वेबसाइट विकीलीक्स ने किया है।

इसके मुताबिक एशिया में तनाव लगातार बढ़ रहा है और यह तनाव कभी भी परमाणु युद्ध का रूप ले सकता है। दुनिया के इस हिस्से में युद्ध की आशंका के चलते कई देशों में परमाणु हथियारों और मिसाइलों की खतरनाक होड़ चल रही है और इससे ऐटमी युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

एशिया के जो देश इन दिनों तेजी से ऐटमी हथियार बना रहे हैं, उनमें ईरान, उत्तर कोरिया, सीरिया, पाकिस्तान और चीन शामिल हैं। ऐटमी हथियारों के अलावा ये देश रासायनिक और जैविक (बायोलॉजिकल) हथियारों का विकास भी कर रहे हैं।

गुप्त राजनयिक दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि 2008 में एक परमाणु अप्रसार सम्मेलन में अमेरिका की तरफ से दिए गए बयान में कहा गया था कि दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों और मिसाइलों की होड़ के चलते दुनिया की सबसे घनी आबादी और आर्थिक तौर पर अहम इलाके में युद्ध छिड़ सकता है।

इसी सम्मेलन में मध्य एशियाई और उत्तर कोरिया जैसे देशों में हथियारों की होड़ को लेकर भी चिंता जताई गई थी। विकीलीक्स द्वारा किए गए खुलासे में यह बात भी सामने आई है कि सीरिया और उत्तर कोरिया रासायनिक और जैविक हथियार बना रहे हैं। लेबनान के आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह का समर्थन करने वाला सीरिया रासायनिक हथियारों का विकास कर रहा है। व्यापक विनाश के हथियारों के निर्माण से जुड़ी सीरिया की एक कंपनी ने दिसंबर, 2008 में दो भारतीय कंपनियों से रिएक्टर, हीट एक्सचेंजर और पंप खरीदने की कोशिश कर रही थी, जिसपर अमेरिका ने आपत्ति जताई थी।

अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने भारत स्थित अमेरिकी दूतावास को एक कड़ा संदेश जारी करते हुए निर्देश दिया था कि अमेरिकी राजनयिक भारत से इन सामानों की बिक्री पर रोक लगाने को कहें। राइस ने अपने संदेश में भारत को उस वादे की याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि रासायनकि हथियार बनाने में किसी भी देश को कभी भी मदद नहीं करेंगे। इसी तरह से मार्च, 2008 में अमेरिकी राजनयिकों ने चीन सरकार से उत्तर कोरिया को खतरनाक हथियार बेचने वाली कंपनी की जांच करने को कहा था।

कमजोर प्रधानमंत्री हैं मनमोहन : कुलदीप बिश्नोई.

नारायणगढ़। जनहित कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर नकेल डालने की बजाए आपनी मजबूरी व कमजोरी जगजाहिर कर रहे हैं। इससे साबित होता है कि देश की सत्ता बेहद कमजोर हाथों में है। उन्होंने कहा कांग्रेस ने देश में भ्रष्टाचार व महंगाई को फैला दिया है।

नारायणगढ़ के रेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि जनहित कांग्रेस के टिकट पर चुनकर कांग्रेस को समर्थन देने वाले पांचो विधायक डिस्क्वालीफाई होंगे और इससे हुड्डा सरकार भी गिर जाएगी। उन्होने कहा कि प्रदेश में फैल रहे भ्रष्टाचार व मंहगाई तथा जनता के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर हमारी पार्टी ने सोमवार को कालका से जनहित यात्रा शुरू की है।

यह यात्रा पूरे प्रदेश का दौरा कर दिल्ली में धरना देगी तथा नौ मार्च को हरियाणा के पूर्व सीएम चौ. भजन लाल के नेतृत्व में राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा। हमारा मकसद सत्ता हासिल करना नहीं बल्कि जनता की लड़ाई लड़ना है।

प्रदेश के सीएम पूंजीपत्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण का खेल खेल रहे हैं और यह किसानों के लिए ठीक नहीं है। इस मौके पर पूर्व सांसद धर्मपाल सिंह मलिक, दलबीर, राकेश भडाना, भूम सिंह राणा, संजीव शर्मा, राज कुमार आदि मौजूद थे।

हत्यारे डीएसपी समेत 5 पुलिसकर्मी बर्खास्त

चंडीगढ़। हत्या जैसे संगीन मामलों में सजायाफ्ता पंजाब के पांच पुलिस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बुधवार को एआईजी एमएस छिन्ना ने जवाब दायर कर कहा कि दो डीएसपी और तीन कर्मचारियों को हाईकोर्ट के निर्देशों के मुताबिक 22 फरवरी को बर्खास्त कर दिया गया है।

नौकरी से बर्खास्त कर्मचारियों में दो डीएसपी रविंदर सिंह और राजेंद्र पाल आनंद, एक एएसआई मलविंदर सिंह, दो कांस्टेबल मनजीत सिंह और गुरचरण सिंह शामिल हैं। एआईजी ने कहा कि छठे पुलिसकर्मी कांस्टेबल दलवीर सिंह को पहले ही दस जुलाई 2010 को बर्खास्त किया जा चुका है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।

हाईकोर्ट ने 17 फरवरी को कहा था कि हत्यारे को सरकारी नौकरी में रहने का हक नहीं है। सजा के खिलाफ अपील विचाराधीन रहने का मतलब नौकरी में बहाली नहीं है। हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस के छह पुलिसकर्मियों को नौकरी से बाहर करने के निर्देश भी दिए थे

पंजाब पुलिसकर्मियों की हेल्थ इंश्योरेंस एक अप्रैल से

चंडीगढ़। पंजाब का पुलिस विभाग अपने कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम शुरू करने जा रहा है। यह योजना नए बजट सत्र यानी 1 अप्रैल से शुरू होगी। उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और डीजीपी परमदीप सिंह गिल के बीच मंगलवार को हुई एक बैठक में इस योजना को हरी झंडी दे दी गई।

पुलिस विभाग विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों से कर्मचारियों की हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के लिए बात कर रहा है। जल्द ही टेंडर कॉल किए जाएंगे। हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के नियम व शर्तो को लेकर भी कंपनियों से विचारविमर्श किया जा रहा है।

बंद नहीं होगा मेडिकल भत्ता
पुलिस कर्मियों को मिलने वाला मेडिकल भत्ता कम या बंद नहीं किया जाएगा। हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम का फायदा कर्मचारियों का बीमारी के दौरान इलाज कराने के लिए मिलेगा।

वर्षो से लटका था मामला
विभाग कई वर्षो से कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम शुरू करने पर विचार कर रहा था। वित्त विभाग और पंजाब पुलिस विभाग के इस बारे में कई बार बैठकें हो चुकी थीं। कुछ पहलुओं को लेकर यह मामला काफी समय से लटका हुआ था।

रीइंबर्समेंट के झंझट से मिलेगा छुटकारा
पुलिस कर्मचारियों को बीमारी के इलाज पर खुद खर्चा करना पड़ता है। विभाग इस खर्च की रीइंबर्समेंट करता था। रीइंबर्समेंट के लिए कर्मचारियों को काफी परेशान होना पड़ता है। कई मामले तो ऐसे भी आए हैं, जिनमें रीइंबर्समेंट के लिए कर्मचारियों से रिश्वत मांगी गई थी। कई को रिटायरमेंट के बाद भी रीइंबर्समेंट के लिए धक्के खाने पड़ रहे थे। अब हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम शुरू होने से उन्हें रीइंबर्समेंट कराने के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा।

20 करोड़ का बजट
हेल्थ इंश्योरेंस योजना के लिए राज्य सरकार ने 20 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। यह राशि इंश्योरेंस प्रीमियम भरने और अन्य कार्यो पर खर्च की जाएगी। उप मुख्यमंत्री एवं गृह विभाग के चेयरमैन सुखबीर सिंह बादल के निर्देश पर वित्त विभाग ने 20 करोड़ रुपये पंजाब पुलिस विभाग को दे भी दिए हैं

बाबा रामदेव को दान में नहीं मिला काला धन? दिग्विजय सिंह ने उठाया सवाल

नई दिल्ली. काले धन के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले योग गुरु बाबा रामदेव और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। बाबा रामदेव पर कांग्रेस के हमले थम नहीं रहे हैं। बुधवार को योग गुरु बाबा रामदेव ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि उनके ट्रस्ट को दान में कोई काला धन नहीं मिलता है। यही नहीं, रामदेव ने यहां तक कह डाला है रामदेव कांग्रेस से बड़े देसी ब्रैंड हैं। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में बाबा रामदेव ने कहा, 'ट्रस्ट पतंजलि योगपीठ और दिव्य योग मंदिर का कुल 11 सौ करोड़ का टर्नओवर है। मेरे पास एक-एक पैसे का पूरा हिसाब है। ट्रस्ट को चंदे के जरिए पैसा मिलता है। पैसे का पूरा हिसाब होता है। दान में कोई काला धन नहीं लिया जाता है।'

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर योग गुरु बाबा रामदेव पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबा रामदेव की राजनीति में रुचि बढ़ती जा रही है, इसलिए बेहतर होगा कि वह राजनीतिक पार्टी गठित कर लें और गैर राजनीतिक मंच से राजनीतिक बयानबाजी बंद करें। संसद भवन परिसर में मीडिया से मुखातिब दिग्विजय सिंह ने कहा कि बाबा रामदेव गैर राजनीतिक मंच से राजनीतिक भाषण देना बंद करें और उन्हें जो दान-दक्षिणा मिल रही है, उसे साबित करें कि वह कहीं काला धन तो नहीं है। सिंह ने कहा कि सरकार काले धन को लेकर गंभीर है और केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'बाबा रामदेव केवल कांग्रेस पर ही ध्यान लगाए हुए हैं। दूसरे दलों पर उनका ध्यान नहीं है। उन्हें विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाली दान-दक्षिणा को सत्यापित करना चाहिए।'

वहीं, सोमवार को कानपुर में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा था कि किसी मुहिम को शुरू करने से पहले बाबा रामदेव को यह साबित करना चाहिए कि उनके पास काला धन नहीं है। कांग्रेसी नेता ने कहा कि रामदेव को जांच का सामना करना चाहिए कि उनके पास काला धन है या नहीं। गौरतलब है कि इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेसी सांसद ने रामदेव के योग शिविर में जाकर उन्हें कथित तौर पर गालियां दी थीं।

दूसरी ओर, संत समाज भी अब बाबा रामदेव के खिलाफ खड़ा हो गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बाबा रामदेव की संपत्ति की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करवाने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखने पर विचार कर रहा है। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हट योगी ने बाबा रामदेव पर हमला बोलते हुए कहा, 'एक दशक पहले रामदेव साइकिल पर चलते थे और उनके पास इतना पैसा भी नहीं रहता था कि वे साइकिल का पंचर बनवा सकें। लेकिन आज वे हेलीकॉप्टर में चलते हैं। इसलिए हम उनकी संपत्ति की जांच की मांग करते हैं।'

बाबा रामदेव के आश्रमों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हरिद्वार से दस किलोमीटर की दूरी पर मौजूद आश्रम के अलावा हरियाणा में अरावली की पहाड़ियों के नजदीक और स्कॉटलैंड में रामदेव के आश्रम बन चुके हैं। बाबा रामदेव ने कहा था कि वह आयुर्वेद और योग का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बनाना चाहते हैं जहां इलाज, शोध और अध्यापन किया जाए। बाबा रामदेव ने हाल ही में स्कॉटलैंड में बीस लाख पाउंड स्टर्लिंग में एक टापू खरीदा है। कुंब्रे द्वीप विदेशों में उनके मुख्य केंद्र के तौर पर काम करेगा। इस द्वीप का अधिग्रहण भारतीय मूल के स्कॉटिश दंपती सैम और सुनीता पोद्दार ने सितंबर, 2009 में किया था। इस द्वीप का कामकाज रामदेव के पतंजलि योगपीठ (यूके) ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। रामदेव ने हाल ही में ऐलान किया था कि वे जून में एक राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे। रामदेव इनदिनों देश भर में भारत स्वाभिमान यात्रा कर रहे हैं।

मैं जांच के लिए तैयार, कांग्रेसी अपनी संपत्ति का ब्यौरा दें'

बाबा रामदेव ने कांग्रेस के सवालों पर पलटवार करते हुए आज एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि मैं किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हूं। मैं देशभक्त हूं और देश के लिए किसी भी तरह की जांच का स्वागत करता हूं।


रामदेव ने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता उन्हें बदनाम करने पर उतर आए हैं। लेकिन वो काले धन को भारत लाने के मुद्दे पर पीछे हटने वाले नहीं है। रामदेव ने कांग्रेस नेताओं पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि वो तो अपनी संपत्ति की जांच और घोषणा करने के लिए तैयार हैं लेकिन क्या कांग्रेसी नेता भी अपनी संपत्ति की जांच कराएंगे?


कहां से आया बाबा का पैसा, सीबीआई जांच करेः कांग्रेस


कांग्रेस और योग गुरु स्वामी रामदेव के बीच युद्ध अब तेज होता नजर आ रहा है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा बाबा रामदेव की संपत्ति पर सवाल उठाए जाने के बाद अब कांग्रेस स्वामी रामदेव को उनकी कर्मभूमि उत्तराखंड मे ही घेर रही है।


टिहरी से कांग्रेस के विधायक किशोर उपाध्याय ने बाबा रामदेव की संपत्ति और गतिविधियों की सीबीआई जांच की मांग की है। उत्तराखंड कांग्रेस के नेता अब इस मामले में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखने की तैयारी कर रहे हैं।

भास्कर डॉट कॉम से बात करते हुए श्री उपाध्याय ने बताया कि स्वामी रामदेव ने उत्तराखंड को अपनी कर्मभूमि बना यहां अपना योगआश्रम शुरु किया। उस वक्त जब हमारी सरकार थी तो हमने कहा था कि रामदेव सरकार द्वारा मिल रही रियायतों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अब हालात बद से बदतर हो गए हैं।

बाबा रामदेव पर सवाल दागते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि खुद को योगगुरु कहने वाला रामदेव को राजनीति से क्या मतलब है। बाबा रामदेव अपने आश्रम में मजदूरों का शोषण कर करोड़ों रुपए बना रहे हैं। पंतजलि योगपीठ में काम कर रहे मजदूरों से काम ज्यादा लिया जाता है और वेतन कम दिया जाता है। कई सरकारी डॉक्टर वहां अवैध रूप से काम कर रहे हैं, इन सब बातों की भी जांच होनी चाहिए। जो व्यक्ति देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की बात कर रहा है वो यह भी तो बताएं की उसके अपने आश्रम में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। वो खुद भी कहते हैं कि दान में मिली रकम का वो राजनीतिक दल के निर्माण में इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत स्वाभीमान आंदोलन में उनके ट्रस्ट का पैसा इस्तेमाल होता है। क्या ट्रस्ट के पैसे का राजनीतिक उपयोग किसी भी तरह से जायज है?

उत्तराखंड को हुआ नुकसान

श्री उपाध्याय कहते हैं कि बाबा रामदेव से उत्तराखंड को फायदा पहुंचना चाहिए थे लेकिन उन्होंने तो अपनी हजारों करोड़ की संपत्ति बना ली लेकिन राज्य को नुकसान हुआ है। बाबा आज फाइव स्टार सुविधाओं में रहते हैं। यहां के अन्य साधुओं में भी विलासिता बढ़ रही है। लेकिन जो काम इन्हें गंगा और हिमालय को बचाने के लिए करना चाहिए था वो इन्होंने नहीं किया है। यहां कि पावन धरती को बाबा रामदेव से फायदा पहुंचना चाहिए था लेकिन इसका अपमान और नुकसान ही ज्यादा हुआ है। अब वक्त आ गया है जब बाबा रामदेव को स्वय पर उठ रहे सभी सवालों का जवाब देने चाहिए। उत्तराखंड की धरती पर 33 करोड़ देवी देवता निवास करते हैं। यहां पीरान कलियर की दरगाह है। सिखों का धर्म स्थल हेमकुंड साहिब है। स्वामी रामदेव को इस धरती को और पवित्र करने के लिए प्रयास करने चाहिए। गंगा और हिमलाय को बचाने के लिए अभियान चलाना चाहिए।


योगगुरू का राजनीति से क्या वास्ता

बाबा रामदेव भगवा वस्त्र पहनकर राजनीति कर रहे हैं। इस वस्त्र और बाबाओं का भारत में बहुत सम्मान है। बाबा इसका गलत फायदा उठा धन इकट्ठा कर रहे हैं। या तो संत बने या राजनेता। काले धन के मुद्दे को मुहिम बनाने वाले स्वामी रामदेव को अपने धन का भी तो स्पष्टीकरण देना चाहिए। किसी टीवी कार्यक्रम में वो कहते हैं कि दुनिया के किसी हिस्से में उनके नाम पर कोई संपत्ति दर्ज नहीं है और किसी कार्यक्रम में वो कहते हैं कि उनका एक सम्राज्य है जिसकी कीमत हजारों करोड़ रुपए में है। बाबा रामदेव या तो राजनीति करें या फिर योगा सिखाएं।

सीबीआई करे बाबा की आय के स्त्रोतों की जांच

उपाध्याय कहते हैं कि उत्तराखंड कांग्रेस बाबा रामदेव की संपत्ति और आय के स्त्रोतों की सीबीआई जांच की मांग करेगी। अब वक्त आ गया है जब देश को पता चलना चाहिए कि बाबा रामदेव ने करीब 2 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति कहां से इकट्ठा की।

रामदेव से नहीं डरी है कांग्रेस

यह पूछे जाने पर की क्या कांग्रेस बाबा रामदेव के राजनीति में आने से डर गई है उपाध्याय कहते हैं कि इससे पहले भी कई साधु संत राजनीति में आ चुके हैं। राजनीति में आने का सबको अधिकार है। कांग्रेस को बाबा से कोई डर नहीं है।

रामदेव पर कांग्रेस भाजपा आमने-सामने

नई दिल्ली. बाबा रामदेव से दान की रकम को लेकर सफाई मांगे जाने का मुद्दा अब कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी जंग में तब्दील हो गया है। बुधवार को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी पर आरोप लगाने से पहले बाबा अपनी कमाई के स्रोतों का खुलासा करें। उधर भाजपा ने कालेधन के मुद्दे पर रामदेव के सुर में सुर मिलाते हुए उनका खुलकर बचाव किया।


संसद भवन परिसर में पत्रकारों से चर्चा में दिग्विजय सिंह ने कहा कि योगगुरु की राजनीति में रुचि बढ़ती जा रही है, इसलिए बेहतर होगा कि वे राजनीतिक पार्टी बना लें और गैर-राजनीतिक मंच से राजनीतिक बयानबाजी बंद करें। उन्होंने कहा, रामदेव साबित करें कि उन्हें मिलने वाली दान-दक्षिणा में काला धन नहीं है। सिंह ने कहा कि सरकार काले धन पर गंभीर है और केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने रामदेव पर केवल कांग्रेस पर ही ध्यान देने का आरोप लगाते हुए कहा कि दूसरे दलों पर वे ध्यान नहीं दे रहे। इस बीच भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद अब देशभर में घूमकर राष्ट्रवादी ताकतों के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। हुसैन ने कहा कि रामदेव काले धन पर वही कह रहे हैं जो देश का हर नागरिक महसूस कर रहा है।

Tuesday, February 22, 2011

सरकार की अनदेखी का फायदा उठा रहे हैं भूमाफिया

अम्बाला। कालोनियां नियमित करने की प्रक्रिया 19 महीनों से फाइलों में ही अटकी है जबकि अगस्त 2009 में नोटिफिकेशन जारी करते हुए प्रदेश सरकार ने यह प्रक्रिया तीन महीने में पूरी करने की बात कही थी। करीब 14 महीने तो यह प्रक्रिया प्रशासन की फाइलों में ही उलझी रही। उसके बाद सरकार के पास गई मगर वहां भी मामला अटका पड़ा है। सरकार की यह देरी जहां लोगों पर भारी पड़ रही है वहीं इस स्थिति का फायदा भूमाफिया उठा रहा है। धड़ाधड़ अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। लोगों को यही भरोसा दिलाया जा रहा है कि यह कालोनियां वैध हो जाएंगी। प्रशासन की तरफ से तो इतना भी नहीं किया गया है कि कम से कम उन कालोनियों के नाम सार्वजनिक कर दें जिनको नियमित करने के केस भेजे गए हैं ताकि आम आदमी यूं भूमाफिया की बातों में न आए।

अगस्त 2009 में हुई थी नोटिफिकेशन
प्रदेश मंत्रिमंडल ने अगस्त 2009 की बैठक में निर्णय लिया था कि मानदंड पूरा करने वाली अवैध कालोनियों को वैध किया जाएगा। दरअसल सरकार को मकसद सालों पहले कट चुकी अवैध कालोनियों को नियमित करने का था। अगस्त 2009 में जारी नोटिफिकेशन में तीन महीने के भीतर ऐसी कालोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया जो 50 फीसदी से ज्यादा विकसित हो चुकी हैं। ट्विन सिटी में 200 से ज्यादा अवैध कालोनियां चिहिंत की गई। दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी (टॉप कॉन सर्वे) द्वारा चार बार सर्वे किया गया मगर हर बार गड़बड़ी की गई। आखिर किसी तरह से फाइल सरकार के पास गई मगर अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं हुआ।

ये था पैमाना
ऐसी अनाधिकृत कालोनियां जहां प्लाट के 50 प्रतिशत के अधिक भाग पर निर्माण हो चुका है। जहां अग्निशमन वाहनों समेत मोटर वाहनों की पहुंच के लिए पर्याप्त चौड़ाई वाली सड़के हैं। 30 जून 2009 की कट ऑफ डेट घोषित की गई थी। यानि जो कालोनियां इससे पहले बसी हैं उन्हीं को नियमित करने पर विचार होगा। जो कालोनियां उसके बाद कटी हैं या कट रही हैं, उनके नियमित होने का फिलहाल सवाल ही नहीं। सूत्र बताते हैं कि दोनों शहरों में चिंहित 200 कालोनियों में सर्वे हुआ था मगर इनमें से 100 के आसपास ही कालोनियां पैमाने पर खरी उतर रही थी। कालोनियों नियमित होने की दशा में इनमें सड़क, सीवरेज व स्ट्रीट लाइट समेत अन्य सुविधाएं मिलेंगी।

लोग खुद रहें सावधान
अकसर प्रापर्टी डीलर ग्राहकों को यह कहते हैं कि यह कालोनी नगर निगम की एक्सटेंड लिमिट में है, इसमें कोई दिक्कत नहीं। जबकि एक्सटेंड लिमिट में कालोनी का मतलब यह नहीं कि वो नियमित होगी ही। ऐसे में लोगों को सावधान होना जरूरी है। यदि आप प्लाट खरीदना चाह रहे हैं तो उस कालोनी की वैधता के बारे में नगर निगम या डीटीपी कार्यालय से पूरी जानकारी हासिल कर लें। जनरल पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर कोई सौदा न करें। यदि कोई सेल एग्रीमेंट कर भी रहे हैं तो उसे तहसील में पंजीकृत अवश्य करवाएं। यदि एग्रीमेंट पंजीकृत होता तो विक्रेता के ऊपर कानूनी बाध्यता रहेगी। नहीं तो वह किसी भी वक्त सौदे से मुकर सकता है।

रातोंरात कर दिया निर्माण
हरियाणा अर्बन डवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के कुछ नए सेक्टर जीटी रोड पर टांगरी नदी के आसपास बुहावा, घसीटपुर व शाहपुर के रकबे में प्रस्तावित हैं। 10 दिन पहले ही डिस्ट्रिक्ट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस इलाके की वीडियोग्राफी करवाई थी। ताकि इस एरिया की वर्तमान स्थिति का पता चल सके।

इसी बीच पिछले चार दिनों में यहां करीब 500 गज के एरिया में धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रहा है। शुक्रवार को जहां रविदास जयंती का अवकाश था वहीं शनिवार व रविवार को सरकारी कार्यालयों में छुट्टी रहती है। इसी ‘अवसर’ का फायदा उठाते हुए एक व्यक्ति ने दर्जनों मजदूर लगाकर यहां रात दिन निर्माण कार्य करवाया गया। ताकि अधिग्रहण नोटिफिकेशन से पहले निर्माण पूरा हो जाए। इससे पहले वर्ष 2007 में भी इस क्षेत्र का सर्वे करवाया गया था। अब इस वीडियोग्राफी का मकसद यही थी कि जो जगह हुडा सेक्टरों के लिए प्रस्तावित है, क्या उसमें किसी तरह का निर्माण तो नहीं हुआ। यह वीडियोग्राफी एक रिकार्ड की तरह है कि वर्तमान में इस जमीन की क्या स्थिति है। क्योंकि अकसर अधिग्रहण के वक्त कई कानूनी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। अकसर लोग यह दावा करते हैं कि उनका निर्माण अधिग्रहण की नोटिफिकेशन से पहले का है। दरअसल यहां हुडा के सेक्टर नंबर 41 व 42 प्रस्तावित हैं। जबकि घसीटपुर के पास पहले ही सेक्टर 32 व 33 को डवलप करने का काम चल रहा है

अस्पताल संचालकों पर बच्चा बदलने का आरोप, जमकर हंगामा

लुधियाना। हैबोवाल के निजी अस्पताल में बच्ची के जन्म के साथ ही बवाल शुरू हो गया। मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल संचालकों ने जन्म के बाद बच्च बदल दिया है। परिवार का आरोप है कि उनके यहां लड़का पैदा हुआ था, लेकिन अस्पताल उन्हें लड़की थमा रहा है। परिवार ने अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।

उधर,अस्पताल प्रबंधकों ने आरोपों को निराधार बताया है। उनके अनुसार महिला को प्री मैच्योर बच्ची ही पैदा हुई है। अस्पताल संचालकों के अनुसार अस्पताल में कोई महिला मरीज ही दाखिल नहीं है। ऐसे में बच्चा बदलने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

शिवपुरी चौक, नूरवाला रोड निवासी भारत भूषण के अनुसार उसकी पत्नी शिल्पा का डाक्टरों ने सीजेरियन ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद अस्पताल के कर्मी ने उन्हें बेटा पैदा होने की बधाई दी। डाक्टरों ने बच्चे को प्री मैच्योर बताकर तुरंत डीएमसी अस्पताल ले जाने के लिए कहा। जहां पहुंचकर पता चला कि अस्पताल संचालकों ने उन्हें लड़की थमाई है। शिल्पा की मां नीलम रानी के अनुसार यह अस्पताल की साजिश है।

उधर, अस्पताल की डा.रिंकू कौड़ा के अनुसार शिल्पा को बच्ची ही पैदा हुई है। परिवार अस्पताल का बिल न अदा करने के कारण दबाव बना रहा है। वह बच्ची का डीएनए टेस्ट करवाने के पेशकश कर रहे हैं, लेकिन अब परिवार यह भी नहीं मान रहा है। थाना हैबोवाल के एसएचओ रणधीर सिंह के अनुसार मरीज से शिकायत ले ली गई, लेकिन बाद में समझौता हो गया

राजनीतिक माफिया का केबल नेटवर्क पर कब्जा’.. सुखपाल खैहरा...........

चंडीगढ़। कांग्रेस के विधायक सुखपाल खैहरा ने आरोप लगाया है कि अकाली भाजपा सरकार के दबाव में काम करने वाला फास्टवे केबल क्रिकेट प्रेमियों को वर्ल्ड कप के मैचों को देखने से वंचित कर रहा है। उन्होंने कहा कि ईएसपीएन सॉफ्टवेयर इंडिया प्राइवेट लि. की ओर से जारी बयान में यह आरोप लगाया गया है।

खैहरा ने कहा कि इस बयान ने हमारे लंबे समय से लगाए जा रहे आरोपों को और बल मिला है कि बादल परिवार अपने निजी हितों के लिए केबल नेटवर्क और अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों पर दबाव बना रही है। ईएसपीएन ने कहा, फास्टवे केबल नेटवर्क न केवल क्रिकेट प्रेमियों को विश्व कप के मैचों से वंचित कर रहा है बल्कि कंपनी की ओर हमारा खासा बकाया पड़ा है।

खैहरा ने आरोप लगाया कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके राजनीतिक माफिया ने छोटे केबल ऑप्रेटर्स को इस ट्रेड से बाहर कर दिया है। अब इन चैनलों पर केवल वही टीवी चैनल दिखाए जाते हैं, जो अकाली भाजपा को सूट करते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बादल परिवार का इन चैनलों में बेनामी पैसा भी लगा हुआ है।

विपक्षी पार्टियों के कार्यक्रमों को या तो बिल्कुल ब्लैकआउट कर दिया गया है या फिर गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। खैहरा ने कहा कि आखिर श्री दरबार साहिब से गुरुबाणी का सीधा प्रसारण केवल एक चैनल को क्यों दिया गया है? उन्होंने कहा, जो चैनल बादल सरकार की नीतियों को उजागर करते हैं उन्हें केबल नेटवर्क से बाहर कर दिया जा रहा है। यही कारण है कि कुछ चैनलों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

28 मार्च 2010 को जांच अधिकारी एके मल्होत्रा और नरेंद्र मोदी के बीच सवाल-जवाब का ब्योरा

सवाल : 28 फरवरी 2002 को आप कहां थे?

मोदी : 28 फरवरी 02 की दोपहर मैं शाहीबाग के सर्किट हाउस एनेक्सी में पत्रकारों से मिला था। इस मुलाकात में पत्रकारों को सरकार द्वारा मामले की जांच हेतु जांच आयोग गठित करने की जानकारी दी। साथ ही मीडिया के माध्यम से जनता से शांति-सद्भाव बनाए रखने की अपील भी की। यह बताना भी जरूरी है कि इसी दिन मैंने लोगों से शांति-सद्भाव बनाए रखने की अपील वाला संदेश रिकॉर्ड करवाया था, जो बाद में दूरदर्शन पर लगातार प्रसारित होता रहा।

सवाल : स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो (एसआईबी) की ओर से सरकार को कोई खुफिया सूचना मिली थी ? यदि हां, तो कब-किसने दी?

मोदी: मुझे यह जानकारी थी कि गुजरात से कुछ रामसेवक राम महायज्ञ के लिए अयोध्या जा रहे हैं। हालांकि इनके कार्यक्रम के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। क्योंकि इस संबंध में आवश्यक बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी पुलिस और गृह मंत्रालय की थी।

सवाल : एसआईबी ने कारसेवकों की गतिविधियों के बारे में कोई सूचना दी थी? यदि हां तो कब और किसने दी?

मोदी: एसआईबी की ओर से ऐसी कोई सूचना मिलने की मुझे कोई जानकारी नहीं थी। सूचना दी होगी तो वह संबंधित विभाग के पास होगी।

सवाल : आपने गोधरा कांड की घटना को पूर्वनियोजित करार दिया था और इसके पीछे पाकिस्तान अथवा आईएसआई का हाथ होने की बात कही थी? यदि हां तो किस आधार पर?

मोदी: मैंने कभी भी विधानसभा में ऐसे शब्द नहीं कहे। हालांकि मीडिया ने मेरे समक्ष कुछ प्रश्न उठाए थे। मेरा जवाब था कि जांच पूरी न होने तक कुछ भी कहना संभव नहीं है।

सवाल : मृतकों के शव अहमदाबाद लाने का फैसला किसका था, किस आधार पर लिया गया?

मोदी: कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में मौजूद सभी लोगों ने सामूहिक विचार-विमर्श के अंत में निर्णय लिया था कि पीड़ितों के शव अहमदाबाद लाए जाने चाहिए। मेरा विचार था कि शव अहमदाबाद शहर की सीमा (तत्कालीन) पर स्थित सोला सिविल अस्पताल में रखे जाने चाहिए ताकि तनाव न बढ़े। अधिकांश पीड़ित अहमदाबाद व अन्य गांवों के थे। इस तथ्य को ध्यान में रख कर फैसला किया गया था ताकि पीड़ितों के निकट परिजनों को गोधरा जाने की जरूरत न पड़े क्योंकि गोधरा में कफ्यरू लगाया जा चुका था।

सवाल : गोधरा (पंचमहाल ) की तत्कालीन कलेक्टर जयंती रवि ने शव अहमदाबाद ले जाने पर आपत्ति जताई थी?

मोदी: अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में शव लाने से संबंधित फैसला बैठक में सर्वसहमति से लिया गया था। क्योंकि अधिकांश मृतक अहमदाबाद व आसपास के इलाकों के थे। इतना ही नहीं जयंती रवि का कहना था कि शव तत्काल गोधरा से हटाए जाने चाहिए। क्योंकि उन्हें आशंका थी कि ऐसा नहीं हुआ तो गोधरा में तनाव पैदा हो सकता है।

सवाल : विहिप के तत्कालीन महामंत्री जयदीप पटेल को आप जानते हैं? वे आपको गोधरा में मिले थे? अहमदाबाद के लिए शव हटाए जाते वक्त उन्होंने शवों के साथ मौजूद रहने की अनुमति आपसे मांगी थी?

मोदी: मैं जयदीप पटेल को पहचानता हूं। वे गोधरा में मिले थे, मुझे याद नहीं। शव अहमदाबाद पहुंचाने का फैसला लिए जाने के बाद इन्हें किस तरह पहुंचाया जाए इसका फैसला जिला शासन को करना था। शव कब और किस तरह अहमदाबाद भेजे गए, मुझे इनका ब्योरा मालूम नहीं है। हां, शव जिला प्रशासन, पुलिस और अस्पताल के अधिकारियों के नियंत्रण में थे।

सवाल : 27 फरवरी 2002 को गोधरा से लौटते वक्त आपने गोधरा में ट्रेन को आग लगाए जाने की घटना की प्रतिक्रिया सहित कानून-व्यवस्था के हालात की पुन: समीक्षा की बात कही थी?

मोदी: घर लौटते वक्त मैंने कानून-व्यवस्था के बारे में बैठक बुलाने की बात कही थी। इस बैठक में प्रशासन, गृह मंत्रालय एवं पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने शिरकत की थी।

सवाल : 27 फरवरी 2002 के दिन बैठक कब और कहां हुई? इसमें कौन-कौन हाजिर रहा? बैठक में कौन से मंत्री-विधायक ने भाग लिया था?

मोदी: मेरे आवास पर यह बैठक करीब आधे घंटे की थी। बैठक में तत्कालीन कार्यकारी मुख्य सचिव स्वर्णकांता वर्मा, एसीएस (गृह) अशोक नारायण, डीजीपी के. चक्रवर्ती, अहमदाबाद शहर पुलिस आयुक्त पीसी पांडे, गृह सचिव के. नित्यानंदम, डॉ. पीके शर्मा एवं मेरे अतिरिक्त प्रिंसीपल सेक्रेटरी अनिल मुकीम ने भाग लिया। जहां तक मुझे याद है तत्कालीन एडीजी (इंटेलिजेंस) जी. सी. रायगर मौजूद नहीं थे। तत्कालीन डीसी (इंटेलिजेंस) संजीव भट्ट भी हाजिर नहीं थे। क्योंकि यह उच्च स्तरीय बैठक थी। इस बैठक में मेरी कैबिनेट का कोई साथी सदस्य नहीं था।

गोधरा कांड: घटना होने से लेकर अब तक, कब क्या हुआ

27 फरवरी 2002 – साबरमती एक्सप्रेस सुबह 7.45 पर गोधरा पहुंची। ट्रेन में बड़ी संख्या में कार सेवक थे, जो रामजन्म भूमि आंदोलन में हिस्सा लेकर वापस लौट रहे थे। स्टेशन पर उनका अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों के साथ विवाद हुआ। इसके बाद जब ट्रेन चली तो उसे सिग्लन फालिया के पास चेन खींचकर रोक लिया गया। वहां बड़ी संख्या में मुस्लिम संप्रदाय के लोग जमा थे। उन्होंने ट्रेन पर हमला किया। भीड़ ने महिलाओं के लिए आरक्षित कोच एस-6 में भी आग लगा दी। घटना में 58 हिंदू, जिसमें 23 पुरुष. 15 महिलाएं और 20 बच्चे शामिल थे, मारे गए।28 फरवरी 2002 – वीएचपी और बीजेपी का भारत बंद का आह्वान, गुजरात में व्यापक हिंसा फैली1 मार्च 2002- नरोदा में 70 मुस्लिम जिंदा जलाए गए। कुल 118 लोगों की मौत।2 मार्च 2002 – मरने वालों की संख्या बढ़कर 250 पहुंची। सेना की मदद। बेस्ट बेकरी पर हमला, 12 लोग जिंदा फूंक दिए गए।4 मार्च – मरने वालों की संख्या बढ़कर 535 पहुंची। संप्रदाय विशेष की दुकानों में आग लगाना जारी।
6 मार्च 2002 - राज्य सरकार ने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केजी शाह के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच समिति बनाई।17 मार्च, 2002 – गुलबर्गा सोसायटी पर हमला।4 अप्रैल 2002- तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी। तत्काल रोकें हिंसा।11 अप्रैल 2002 – गोधरा कांड के मुख्य आरोपी अनवर राशिद, मोहम्मद सैय्यद अब्दुल गिरफ्तार। 22 जनवरी 2003 – मामले का मुख्य आरोपी जाबिर बिन्यामिल बेहरा गिरफ्तार। उसने बताया कि घटना के एक दिन पहले एक स्थानीय पेट्रोल पंप से 140 लीटर पेट्रोल खरीदकर रखा गया। उसके अनुसार पूरा षडयंत्र मौलाना हुसैन उमरेजी ने रचा।6 फरवरी 2003 – बेहरा के बयान पर गोधरा के मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना हुसैन उमरेजी गिरफ्तार।
5 मार्च 2004 – सीबीआई ने इस मामले में पहला मामला दर्ज किया। सीबीआई ने जसवंत नाई, गोविंद नाई औऱ नरेश मोरिया की दंगो को लेकर गिरफ्तारी।4 सितंबर 2004, तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक समानांतर जांच समिति यूसी बनर्जी की अध्यक्षता में बनाई।17 जनवरी 2005 – समिति ने अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री को सौंपी और पूरे मामले को दुर्घटना बताया। समिति ने पाया कि आग बाहर से नहीं लगाई गई और यह महज एक दुर्घटना थी।
21 फरवरी 2005 – बेस्ट बेकरी कांड की गवाह जाहिरा शेख ने अपना बयान फिर बदला। आरोप लगे कि उन्होंने पैसा लेकर. बयान बदला है।
14 अप्रैल 2005 – वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आरबी श्रीकुमार ने कहा, सरकार ने मुस्लिमों को मारने की खुली छूट दी थी दंगों के दौरान।13 अक्टूबर 2006 – गुजरात हाई कोर्ट ने यूसी बनर्जी कमेटी को अवैध और असंवैधानिक बताया।
9 मार्च 2007 – मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका में गुजराती कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए नहीं मिला वीसा।18 सितंबर 2008 – जस्टिस नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री को दंगों के आरोप से दोषमुक्त करार दिया।20 फरवरी 2009 – वीएचपी नेता अतुल वैद्य और नाइक सिंह चौधरी ने एसआईटी के सामने आत्म समर्पण किया।25 जुलाई 2009 – गुजरात हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी से पूछताछ करने की अनुमति दी। यह अनुमति गुलबर्गा सोसायटी कांड में मारे गए पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका पर दी गई।
19 सितंबर 2009 – नानावटी आयोग ने मुख्यमंत्री सचिवालय के तीन अधिकारियों से एफिडेविट मांगा, जिसमें उन्हें दंगों के आरोपियों से फोन पर बात करने के बारे में स्पष्टीकरण देना था।
7 दिसंबर 2009 – सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई प्रमुख आरके राघवन की अध्यक्षता में बने विशेष जांच दल की प्रगति पर संतोष जताया।
28 मार्च 2010 – मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एसआईटी के सामने पेश, कई घंटों तक चली पूछताछ। करीब 63 सवाल पूछे गए।19 अगस्त 2010 - सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम की रिपोर्ट पर जांच शुरू की।
3 दिसंबर 2010 - कोर्ट में खुलासा कि एसआईटी की रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को दोषमुक्त करार दिया।19 फरवरी 2011 – 22 फरवरी को हो सकता है गोधरा कांड का निर्णय। प्रशासन ने गोधरा कांड से संबंधित सभी विजुअल्स दिखाने पर अस्थाई रोक लगाई।

गोधरा कांड: साजिश के तहत लगाई गई थी आग, 31 दोषी, 63 बरी

अहमदाबाद. गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को कारसेवकों से भरी साबरमती एक्‍सप्रेस की एस6 बोगी में आग लगाए जाने के मामले में मंगलवार को विशेष अदालत ने पहली बार फैसला सुनाया। इस अग्निकांड में 58 कारसेवकों की मौत हुई थी। विशेष अदालत ने इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया और 63 लोगों को बरी कर दिया। अदालत ने माना कि आग साजिश के तहत लगाई गई थी, न कि यह हादसा था। दोषी करार दिए गए लोगों के लिए सजा का ऐलान 25 फरवरी को किया जाएगा।

इस मामले में मंगलवार को 9 साल में पहली बार फैसला आया। फैसले के मद्देनजर गोधरा, अहमदाबाद और बडोदरा में पुलिस को सतर्क कर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।

हाल के वर्षो में देश के इतिहास में हुए इस सबसे बड़े अपराध के मामले में विशेष अदालत ने मंगलवार को साबरमती केंद्रीय जेल परिसर में अपना फैसला सुनाया। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस6 कोच में आग लगा दी गई थी जिसमें 58 लोगों की मौत हो गयी थी। इस घटना के बाद भड़के दंगों में करीब 1100 लोगों की मृत्यु हो गई और संपत्ति को भारी नुकसान पंहुचा था।

पुलिस उपायुक्त सतीश शर्मा के अनुसार इस फैसले के मद्देनजर जेल परिसर के साथ ही सभी संवेदनशील स्थानों पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के 8000 जवानों के साथ ही, राज्य रिजर्व पुलिस बल की 25 कंपनियां, त्वरित कार्रवाई बल की तीन टुकड़ियां और होमगार्ड के जवानों की तैनाती की गई है।

प्रशासन ने अहमदाबाद और गोधरा में सार्वजनिक प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इसके अलावा मीडिया द्वारा इस घटना से जुड़ी तस्वीरों के प्रकाशन एवं प्रसारण पर रोक है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक यहां स्थित साबरमती सेंट्रल जेल कांप्लेक्स सहित सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा एसआरपी और आरपीएफ की टीम गश्त करेगी। मध्य गुजरात के वडोदरा, पंचमहाल, दाहोद, नर्मदा और भरूच में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

इस केस में कुल 97 आरोपी लंबे समय से जेल में हैं। गोधराकांड की जांच भी विशेष जांच टीम ने की थी।

प्रमुख साजिशकर्ता : मौलवी हुसैन हाजी इब्राहिम उमरजी
प्रमुख कोर टीम : हाजी बिलाल, सलीम जर्दा, शौकत अहेमद चरखा उर्फ लालु(फरार), सलीम पानवाला (फरार), जबीर बिनयामीन बहेरा, अब्दुलरजाक कुरकुरे, अब्दुलरहेमान मेंदा उर्फ बाला, हसन अहेमद चरखा उर्फ लालु, महेमुद खालिद चांद
प्रमुख कोर टीम के सहायक : फारुक अहेमद भाण(फरार), महंमद अहेमद हुसेन उर्फ लतिको, इब्राहिम अहेमद भटकु उर्फ फेटु (फरार)

फैसले से एक दिन पहले मुसलमानों ने रखा विशेष रोज़ा

गोधरा कांड पर फैसले से एक दिन पहले, सोमवार को यहां के मस्जिदों में मुसलमानों ने विशेष रोज़ा रखा। अपने प्रियजनों के लिए दुआएं मांगते हुए हज़ारों लोग धार्मिक स्थलों पर देखे गए। आम आदमी के साथ साथ धार्मिक नेताओं, आरोपियों के रिश्तेदारों ने यह खास व्रत रखा और शाम को पूजा-अर्चना के बाद व्रत खोला। सभी ने यह दुआ की कि फैसला न्यायपूर्ण आए और नौ साल का इन्तज़ार शांतिपूर्वक मंगलवार को खत्म हो जाए।

Saturday, February 19, 2011

डिसमिस होंगे हत्या के दोषी डीएसपी

चंडीगढ़. पंजाब पुलिस विभाग ने वीरवार को हाईकोर्ट द्वारा दो डीएसपी और चार पुलिसकर्मियों को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा के चलते डिसमिस करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।

डीपीजी कार्यालय ने जिन चार पुलिसकर्मियों को डिसमिस करने के लिए संबंधित यूनिटों के प्रमुखों को निर्देश जारी किए हैं, उनमें एएसआई मलविंदर सिंह, कांस्टेबल मनजीत सिंह, कांस्टेबल दलबीर सिंह और कांस्टेबल गुरचरण सिंह शामिल हैं। डीएसपी रविंदर कुमार और राजिंदर पाल सिंह आनंद को शनिवार को नौकरी से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।

इस संबंध में गृह विभाग के प्रखुख सचिव डीएस बैंस ने कहा कि फिलहाल इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार जल्द कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने वीरवार को एक मामले में स्पष्ट किया था कि हत्या और अन्य गंभीर मामलों में दोषी अधिकारियों को सरकारी नौकरी पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसी के चलते चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बैंच ने इन अधिकारियों और कर्मचारियों को डिसमिस करने का आदेश दिया था। अदालत ने डीजीपी से 21 फरवरी को कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।

अमरनाथ यात्रा का ऐलान, यात्रा अवधि घटी

जम्मू। इस साल की अमरनाथ यात्रा की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। यात्रा 29 जून से शुरू होगी। खास बात यह है कि इस बार यात्रा की अवधि को दो से घटा कर डेढ़ महीने का कर दिया गया है। यात्रा 13 अगस्त को समाप्त होगी। शुक्रवार को श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की 20वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता राज्यपाल व अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष एनएन वोहरा ने की।

बैठक में बताया गया कि यात्रा पिछले कई सालों से दो महीने तक चलती रही है। लेकिन देखा गया है कि 30 दिन के भीतर ही 85 फीसदी यात्रा खत्म हो जाती है। यही वजह है कि यात्रा की अवधि इस बार कम रहेगी। याद रहे कि पिछले साल यात्रा 30 जून से शुरू होकर 24 अगस्त को खत्म हुई थी।

बोर्ड ने वर्ष 2010 की यात्रा के मद्देनजर पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए उठाए गए कदमों पर भी संतुष्टि जताई। पिछले वर्ष इसके चलते बालटाल और नूनवान बेस कैंप पर दो सिवरेज प्लांट बनाए गए थे। अध्यक्ष ने कहा कि इन्हें टिकाऊ बनाने की भी जरूरत है।

पिछले वर्ष पर्यावरण से संबंधी एक व्यापक योजना बनाई गई थी। इसमें दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरनमेंट की निदेशक सुनीता नरायण ने काफी योगदान दिया था। यात्रा के दौरान दूर संचार सेवा के पुख्ता बंदोबस्त पर भी विचार किया गया।

यात्रा को लेकर अगले कुछ दिनों में उच्च स्तरीय बैठक होगी। बैठक में बोर्ड के सदस्य श्री श्री रवि शंकर, डॉक्टर कपिला वत्यसन, जी डी शर्मा, सुनीता नारायण, विजय डार, वेद कुमारी घई,ख् बोर्ड के सीईओ आर के गोयल, अतिरिक्त सीईओ सौगत बिश्वास सहित कई अधिकारी मौजूद थे।

हेलिकॉप्टर सेवा सस्ती हुई

इस वर्ष पहलगाम से पंचतरनी तक हेलिकॉप्टर सेवा पिछले वर्ष की तुलना में सस्ती होगी। वर्ष 2009 में इस रूट से सेवा को यात्रा के खत्म होने से दो हफ्ते पहले शुरू किया गया था। वर्ष 2010 में इसका रिस्पांस अच्छा आया।

इसी को देखते हुए इसे इस वर्ष भी चालू रखने का निर्णय लिया गया है। साथ ही पिछले वर्ष की तुलना में रेट कम कर दिए गए हैं। पिछले वर्ष पहले से पंचतरनी तक एक साइड का किराया एडल्ट के लिए 3800 से घटाकर 3495 कर दिया गया है। जबकि 2 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए 1900 से घटाकर 1745 रुपये कर दिया गया है।

बीमा राशि बढ़ी

पिछले वर्ष पंजीकृत यात्री, पोनीवाला, मजदूर, डांडीवाला को बीमा राशि एक लाख रुपये की गई थी। ये इस वर्ष भी जारी रहेगी। पॉनी वालो को उनके जानवर मरने पर दिए जाने वाले 20 हजार के बीमे की राशि इस वर्ष 25 हजार कर दी गई है।

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ बोलने पर बाबा रामदेव को कांग्रेसी सांसद ने दी 'गाली'

पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश). अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेसी सांसद को योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लगातार अभियान चलाना नागवार गुजरा है। यही वजह है कि निनोंग एरिंग ने बाबा रामदेव के योग शिविर में पहुंचकर धमकी दी कि अगर वह भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसे ही बोलेंगे और अभियान चलाएंगे तो उन्हें गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। बाबा रामदेव के एक साथी के हवाले से मीडिया में आई खबरों में आरोप लगाया है कि एरिंग पासीघाट में लगे योग शिविर में आ धमके और रामदेव के खिलाफ असंसदीय भाषा (गाली देना) का इस्तेमाल करने लगे।


हालांकि, इस आरोप पर सांसद निनोंग एरिंग ने सफाई में कहा है कि उन्होनें बाबा रामदेव को अपमानित नहीं किया है। अपनी सफाई में सांसद ने कहा कि समारोह के दौरान बाबा से मेरी बस एक ही बार बात हुई और मुझे बाबा रामदेव के बॉडीगार्ड्स ने धक्का देकर हटा दिया था। इससे पहले बाबा रामदेव ईंटानगर से शुक्रवार दोपहर तवांग पहुंचे। यहां उन्होंने भारत-चीन के बीच १९६२ में हुए युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए सेना के योगदान की तारीफ की। गौरतलब है कि स्वामी रामदेव भ्रष्टाचार के विरोध में राष्ट्रव्यापी भारत स्वाभिमान यात्रा चला रहे हैं। इसके तहत वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केन्द्र सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

ज्यादा देर कुर्सी पर बैठे तो बन जाओगे नामर्द

लुधियाना। जिनको ड्यूटी के दौरान ज्यादा वक्त लगातार कुर्सी पर बैठे रहना पड़ता है, उनको कोलकाता के डा. सुजाय के.गुहा का यह निष्कर्ष पढ़कर चिंता हो सकती है। एंड्रोलोजी सोसायटी आफ इंडिया के प्रेजीडेंट डा. गुहा का कहना है कि सिटिंग जॉब करने वालों में नार्मदी के मामले बढ़ रहे हैं। खासकर कॉल सेंटर में सर्विस करने वालों, कंप्यूटर व सिटिंग जॉब वाले कुछ खास क्षेत्र से जुड़े लोगों के स्पर्म काउंट (वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या) डाउन होने के मामले बढ़ रहे हैं।


डा.गुहा शुक्रवार को डीएमसी अस्पताल में एंड्रोलोजी एंड रिप्रोडक्टिव मेडिसन की तीन दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस में भाग लेने आए थे। उन्होंने बताया कि अंडकोष का तापमान शरीर के तापमान से कम रहना चाहिए, वरना ज्यादा तापमान से शुक्राणु खत्म हो जाएंगे। सिटिंग जॉब्स में लोग ज्यादा देर तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं, जिससे अंडकोष शरीर से सटे रहते हैं और उन तक हवा भी नहीं पहुंच पाती। इससे तापमान बढ़ने से स्पर्म काउंट घटने शुरू हो जाते हैं।


डा.गुहा के मुताबिक कुर्सियों की बनावट भी स्पर्म काउंट पर असर डाल रही है। बेंत की कुर्सियां होती थी, जिसमें वेंटीलेशन पास होती रहती थी। आजकल कुर्सियां व सोफे की बनावट ऐसी है कि उसमें आदमी हिलजुल तक नहीं सकता। ऐसे में अंडकोष का तापमान बढ़ता रहता है। खास बात ये है कि लोगों को सिटिंग जॉब करने वालों को इस बारे में पता ही नहीं है। डा.गुहा ने बताया कि मेडिकल साइंस की कई रिसर्च में यह भी सामने आ चुका है कि टाइट अंडरवियर पहनने वालों में भी स्पर्म काउंट घटने की प्राब्लम ज्यादा है। डा.गुहा के मुताबिक पहले 60 लाख स्पर्म काउंट को सामान्य माना जाता था, लेकिन अब एवरेज 15 से 20 लाख तक की स्पर्म काउंट आते हैं।

शताब्दी में आईएफएस अफसर से मांगा टिकट तो गुस्साए आईपीएस

लुधियाना। नई दिल्ली- अमृतसर शताब्दी एक्सप्रेस में अपनी सास के साथ सफर कर रही एक आईपीएस अफसर की आईएफएस अफसर पत्नी से टिकट मांगना आईपीएस अफसरों को नागवार गुजरा। अफसर ट्रेन पहुंचने से पहले ही टिकट चेकर पर कार्रवाई के लिए फोर्स के साथ रेलवे स्टेशन जा पहुंचे। पुलिस को देखकर टिकट चेकर भी इकट्ठे हो गए। काफी देर तक गर्मा गर्मी होती रही, अंत में मामला बढ़ता देख पुलिस अफसर वापस लौट गए। महिला अधिकारी रूबी जसपाल ने शिकायत पुस्तिका में टिकट चेकर की शिकायत की है। टिकट चेकर ने भी इस मुद्दे पर एसोसिएशन से बात करने की बात कही है।

ये महिला अफसर सी-4 कोच में थी। टिकट चेकर रविंदर सिंह रंधावा के मुताबिक उसने महिला अधिकारी से टिकट पूछी। महिला के पास टिकट नहीं, बल्कि टिकट की स्कैन कॉपी थी। उसने नियमानुसार जुर्माना देने के लिए महिला यात्री को कहा। इसी बात को लेकर विवाद हो गया। ट्रेन के लुधियाना स्टेशन पर पहुंचते ही एडीसीपी सिटी वन हर्ष बंसल भारी पुलिस फोर्स समेत मौके पर पहुंच गए। काफी देर तक दोनों पक्षों में गर्मा गर्मी चलती रही। आखिरकार डिप्टी एसएस व अन्य अधिकारियों ने मामले में बीच बचाव किया।

इस बारे में हर्ष बंसल से बात की गई तो उनका कहना था कि वे किसी भी विवाद में स्टेशन पर नहीं गए थे, एहतियात के तौर पर पुलिस फोर्स के साथ स्टेशन पर जांच के लिए गए थे। टिकट चेकिंग विवाद से मेरा कोई लेना देना नहीं। डिप्टी एसएस लक्ष्मण दास ने पुलिस अफसरों के इस मामले में स्टेशन पर आने की पुष्टि की है

Friday, February 18, 2011

पत्रकारिता हमेशा स्कैंडलों के पीछे ही.........

जाने माने पत्रकार और मुख्य संपादक डॉ. राकेश पुंज कहते हैं कि इसमें कोई संदेह की गुंजाईश नहीं, कि पत्रकारिता स्कैण्डलों के पीछे ज्यादा भाग रही है, भले ही यह समय की जरूरत है, परन्तु इस वजह से अन्य पहलुओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। देश की स्वतंत्रता उपरांत राजनीतिक लोगों का पत्रकारिता में प्रवेश ज्यादा बढऩे की वजह से पत्रकारिता अपने लक्ष्य से अवश्य भटकी है, परन्तु समूचे पत्रकार जगत को इसका दोषी मानना सरासर अन्याय है। अखबारी जगत से जुड़े कुछ लोगों की मजबूरियां होगी, यह तो माना भी जा सकता है, मगर मजबूरियों के आगे हथियार डालना भी तो उचित नहीं, बल्कि मजबूरियों से सम्मानजनक समझौता भी तो हो सकता है। डॉ. राकेश पुंज अनुसार अखबार को निस्पक्ष होना चाहिये, क्योंकि वह समाज का आईना है अत: उसकी जिम्मेवारी बनती है कि वह समाज को रास्ता दिखाये। इतिहास साक्षी है कि पत्रकारों ने दुनिया के इतिहास को बदला है और यही वजह है कि सभी क्षेत्रों से जुड़े लोग पत्रकारों से मार्ग दर्शन लेते हैं। स्वार्थ के लिए पत्रकारिता का लिबादा औढऩा राष्ट्र, समाज व मानवता से अन्याय है। अखबार वही प्रगति करता है, जो समाज की नब्ज पहचानता है। सत्य व निस्पक्ष समाचारों से अखबार की विश्वसनीयता बढ़ती है और जनता का स्नेह, सम्मान भी मिलता है। जागृत समाज को इस संबंध में सतर्क रहना चाहिये, ताकि कोई गलत तत्व पत्रकारिता में घुस कर समाज के आईने पर घूल न जमा जाये। अखबार आज जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। पत्रकार यदि सत्यता और समर्पित भावना से खबरों का प्रकाशन करेंगे, तो पाठक संख्या कारोबार बढऩे के साथ-साथ पाठक विश्वास भी बढ़ेगा, जो कि एक अखबार की जमा पूंजी है। वर्तमान परिस्थितियों की चर्चा करते हुए डॉ.पुंज कहते हैं समाज के नैतिक स्तर गिरने में बदलाव सिर्फ पत्रकारिता ही ला सकती है और उसके लिए पत्रकारों को आगे आना होगा, भले ही उन्हें कुछ खोना पड़े। वह चाहते हैं कि पत्रकार स्कैंडलों के पीछे न भागकर ऐसा दायित्व निभायें, जिससे राष्ट्र समाज व मानवता का कल्याण हो।

बात आस्था की ............................

गुरू गोबिंद सिंह ने वैसाखी पर की थी खालसा पंथ की साजना
साहिब-ए-कमाल, सरबंस बलिदानी, महान योद्धा, उच्च के पीर व कविश्रेष्ठ दशम पातशाह गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में वैसाखी के दिन खालसा पंथ की साजना कर उस दौर के प्रताडि़त भयग्रस्त और भ्रमित समाज को संगठनात्मक व वैचारिक तौर पर एकता की डोर में बांधने का एक ऐसा अद्वितीय कार्य किया, जिस सी मिसाल आज विश्व के किसी इतिहास में ढूंढे नहीं मिलती। खालसा शब्द से बना है खालसा जिसका अर्थ है शुद्ध अर्थात ऐसे लोग जिनका आचरण और जीवनचर्या पाक-साफ हो। गुरु जी फरमाते हैं-खालसा मेरो रुप है खास, खालसे में हौं करों निवास। यह दशम गुरु की अज़ीम शख्सियत का ही करिश्मा था, कि जिसने एक ही दिन में श्रीआनंदपुर साहिब के निकट श्री केसगढ़ साहिब में जुटी लगभग 60 हज़ार लोगों की भीड़ की मानसिकता और जीवनशैली को पूर्णरुपेण क्षण में धराशायी हो गईं और कायरता सूरमताई में बदल गईं। सिक्खों का खालसा में रुपांतरण हुआ। गुरुजी वैसाखी के इस अवसर पर नंगी तलवार लिए जनसमूह के समक्ष आए और कहा कि यह तलवार आज कुरबानी की मांग करती है। भीड़ में सन्नाटा छा गया। तब गुरुजी के फिर गर्जना की और वचन दोहराए। तभी लाहौर के खत्री जाति के भाई दया राम सामने आए और उन्होंने अपना शीश झुका कर गुरुजी के समक्ष पेश कर दिया। गुरुजी दयाराम को एक तंबू के अंदर ले गए और थोड़ी देर बाद खून से सनी तलवार के साथ बाहर आए और एक और बलिदान की मांग की। इस बार हरियाणा के धर्मदास नामक जाट ने खुद को कुरबानी के लिए पेश कर दिया। इसी प्रकार गुजरात के मोहकम चंद, उड़ीसा से आए जगन्नाथ तथा कर्नाटक के साहिब चंद ने हिम्मत दिखाते हुए गुरुजी के चरणों में शीश भेंट करने की पेशकश की। थोड़ी देर बाद गुरुजी उन पांचों को संगत के समक्ष लेकर आए। पांचों सुंदर परिधानों व अस्त्र-शस्त्र से ंसुसज्जित थे। गुरु जी ने स्वयं उन्हें खंडे के पाहुल यानी अमृत का पान कराया और फिर उन्हीं से खुद अमृत छका। गुरुजी ने संगत के समक्ष उन्हें-पंज प्यारों के संबोधन से सम्मानित किया। उन्होंने कहा-खालसा अकाल पुरख की फौज-मतलब खालसा परमात्मा का सैनिक है। उन्होंने ताकीद की कि जो लोग खालसा बनना चाहते हैं, वह अमृत छकें, पुरुष अपने नाम के साथ सिंघ शब्द का इस्तेमाल करें और महिलाएं नाम के पीछे कौर लगाएं, जिसके कारण उनकी जाति का बोध न हो पाए। खालसा की वेषभूषा और स्वरुप ऐसा हो, जिससे उसकी एक अलग पहचान बनें। उन्होंने पांच ककारों केश, कँघा, कड़ा, कृपाण व कच्छा धारण करने की हिदायत दी। उन्होंने संदेश किया-एक पिता एकस के हम बारक-अर्थात सभी मानव एक पिता की संतान हैं, अत: धर्म जात-पात के आधार पर किसी से नफरत न करो। गुरुजी ने वैसाखी के दिन जो संदेश दिया है, आज उसके महत्व को गहरे में समझने-समझाने की जरुरत है। जब हम मानवीय मृल्यों के विभिन्न आयामों तथा विभिन्न पहलुओं का गहन मंथन करें, तो जो सच्चाई सामने आती हैं, वह यह है कि मानवीय मूल्यों को न तो कभी समय तब्दील कर सकता है और न ही समाज। मूल्य तो सनातन सत्य हैं। आज फिर मनुष्य इन मूल्यों का तिरस्कार कर जो अमानवीय कृत्य करने लगा है, उस संदर्भ में आज पुन: वैसाख 1699 की पांच प्यारे साजना के समय धारण किए गए वचन को जागृत करने की परम आवश्यकता है। वैसे समूचे भारत में अलग-अलग रुप में मनाया जाने वाला बैसाखी पर्व ऐसा त्यौहार है, जो वास्तव में धार्मिक पर्व होने के साथ-साथ एक नववर्ष व फसल पर्व भी है। पंजाब में यह अति महत्वपूर्ण त्यौहार है और नानकशाही कैलंडर के शुुरुआत का प्रथम दिन है। इस दिन श्री स्वर्णमंदिर साहिब अमृतसर में भारी संख्या में संगते जुड़ती हैं और दीवान सजते हैं। केरल में इसे विशुकनी और असम में रोगाली बिहू त्यौहार के नाम पर मनाया जाता है। बिहार में इसे वैशाख कहा जाता है और इस दिन सूर्यपूजा की जाती है, तथा हिमाचल में ज्वालादेपी का पूजन किया जाता है। उड़ीसा पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी इसे नववर्ष के रुप में मनाया जाता है। इस दिन तीर्थाटन और गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है। वैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसका एक अलग ज्योतषीय महत्व भी है।
- ------------------------------------------------------------------------------------------

बैसाखी का करिश्मा
------------------------------
करीब तीन सौ साल पहले की बात है, सुनहरी लहरहाती फसलों पर गेहूं के यौवन मोती झिलमिलाते हुए आसमां की ऊंचाईयों को छू रहे थे। गुरू गोबिंद सिंह जी ने गेहूं की भांति यौवन पर पहुंची जीवन लहर को अमर करने के लिए अमृत पिलाया ताकि मौत कभी भी उसको मार न सके। हाथ में तलवार पकड़ाई जिससे वो लोक शक्तियों के विरोधी तत्वों को मौत के घाट उतार सकें। दिन बैसाखी का था, गुरू गोबिंद जी ने प्रतिज्ञा दुहराई कि अब वक्त आ गया है कि, साधारण जानी जाने वाली जाति के लोगों को सिंहासन पर बैठाया जाए और उन्हें सरदार बनाया जाए। बातें वो बनीं जो जनता का पैंगबर चाहता था। मगर, जिन्दगी को इस तरह टिकाव दिया गया कि मुरझाई हुई कलियां खिल उठीं। धर्म का सहारा लेकर समाज को खोखला कर रही ता$कत को जोर से गिराया गया और फिर कलगियों वाले ने सयं सिखों को सिरों पर कलगियां सजाईं। यह सुन्दर रूप देखकर खुद गुरू जी की आत्मा मुस्कुराई और गुण गाने लगी-
खालसा मेरे रूप है खास
खालसे मेहि होउं करूं निवास
गुरू गोबिंद सिंह जी ने खुद खालसे का रूप धारण किया और पांच प्यारों द्वारा अमृत छका। यह गुरू-चेले करिश्मा सचमुच ही वाह-वाह करने योग्य था। ''वाहो-वाहे गुरू गोबिंद सिंह आपे गुरू चेला।" गुरू जी की इच्छा थी कि जिन्दगी भर गुरू गद्दी धरती के सरदार को सौंपी जाये। ऐसा न हो कि धरती के लोग हमेशा आसमान से उतरने वाले पीरों और अवतारों के इंतजार में समय व्यर्थ गवां दें। इसीलिए मनुष्य के अन्दर के भगवान को जगाया। उन्होंने दुनिया के सामने स्पष्ट किया कि मुझे जीती जागती अमर जनता की सेवा पसंद है। मेरे पास जो कुछ भी दौलत है वो खालसे को समर्पित है। मैंने इस खालसा (शक्ति) के जरिये सभी युद्ध जीते और शैतानी ताकतों को हराया। यह कलयुग के महान गुरू गोबिंद सिंह जी के शब्द थे और यही गरीब निवाज सतगुरू जी की वैसाखी का अद्वितीय करिश्मा भी था।
- ---------------------------------------------------------------------------------------------

बहुत ही पवित्र दिवस है गुड फ्राइडे
-----------------------------------------
विश्वभर में रहने वाले करोड़ों ईसाई मतावलम्बी गुड फ्राइड को क्षमा पूर्व के रूप में प्रतिवर्ष बहुत भक्तिभाव के साथ एक दु:खी दिवस के रूप में मानते हैं। इसे पवित्र शुक्रवार, काला शुक्रवार और महान शुक्रवार कहा जाता है। इस दिन ईसाई मत के प्रवत्र्तक ईसा मसीह को निर्दोष होने के बावजूद सूली पर चढ़वा दिया गया था। इसके लिए दोषी शासक वर्ग को उन्होंने क्षमता कर देना क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं। विश्व इतिहास में क्षमा करने का इससे बड़ा अनुकरणीय कोई अन्य उदाहरण नहीं मिलता। ईसा मसीह का जन्म उस समय हुआ जब यहूदियों पर रोमन सम्राट टाइब्रेरियस सीजर का प्रभुत्तव था। यहूदी जनता मोजेज के बताये गये 'टेन कमांडमेंटस' का पालन करती थी। यहूदी समाज बुरी तरह से गुटों में विभाजित था। लोग पुरानी रूढिय़ों और रीति-रिवाजों में जकड़े हुए थे। सर्वत्न बुराईयों का साम्राज्य था। छोटी छोटी बात पर लोग एक-दूसरे का खून कर देते थे। अपनी स्वार्थ पूर्ति ही उनके जीवन का ध्येय था। शासक वर्ग जनता का रक्षक न हो कर शोषक बन गया था। आम जनता के कष्टों का निवारण करने वाला कोई दिखाई नहीं देता था। ऐसी विकट परिस्थितियों में ईसा मसीह का जन्म येरूश्लम में हुआ। जोसेफ और मरियम के पुत्न के रूप में भगवान ने उन्हें मानव के कष्टों का निवारण करने के लिए ही धरती पर भेजा था। ईसा मसीह ने पुरानी व्यवस्था को बदल कर एक नई व्यवस्था को स्थापित करने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। पवित्र शुक्रवार के दिन ईसा मसीह ने यह सन्देश दिया था प्रतिहिंसा का त्याग करके शत्रुओं से भी प्रेम करना चाहिए। उनके अनुसार ईश्वर की नजर में पापी, अधर्मी और अपराधी सभी बराबर हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सबसे साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए। केवल अपनों को प्यार करना कौन सी बड़ी बात है। बड़ी बात तो तब है जब अपने विरोधियों से प्यार किया जाये। उन्होंने क्रोध और लालच से बचने की शिक्षा दी। वह चाहते थे कि बुराई के बदले भलाई की जाए। वह मानते थे कि हर चीज लौटकर किसी न किसी रूप में आपके पास वापिस आती है। यदि बुराई करोगे तो आपके पास भी बुराई ही आयेगी। उन्होंने पाखंड और झूठे आडम्बर से बचाने का उपदेश दिया। वह चाहते थे कि जलोग दान और परोपकार का मार्ग अपनाएं। ईसा भगवान के पुत्र थे और वह मानव को ईश्वर का भाग ही मानते थे। वे चाहते थे कि व्यक्ति जो अपना सर्वस्व ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। ईसा मसीह की इन शिक्षाओं से शासक वर्ग का रूष्ट होना स्वाभाविक था। ईसा के सीधे सरल और हृदय को छू जाने वाले विचारों के कारण अधिक से अधिक लोग उनके अनुयायी होने लगे। इससे पुरोहित वर्ग भी उनसे नाराज हो गया। ईसा की शिक्षाएं उन्हें अपने स्वार्थों पर कुठाराघात करती हुई लगती थी। फलत वे उनके विरूद्ध अनर्गल आरोप लगाने लगे। ईसा की आवाज को हमेशा के लिए बंद करने के लिए उन्हें बंदी बना कर उन पर मुकदमा चलाया गया। उन पर धर्म की निंदा करने के आरोप लगाए गए। यह प्रचार किया गया कि वह अपने आपको ईश्वर का पुत्र कहते हैं। अपनी ईश्वर से अपनी बराबरी करते हैं। इतना ही नहीं वह पापियों, वेश्याओं और हत्यारों को एक जैसी नजर से देखते हैं। उनसे मिलते जुलते हैं और उनके साथ संबंध बनाने का प्रयास करते हैं। वास्तव में ईसा के विरूद्ध किसी प्रकार का प्रमाण नहीं था। जो कुछ था वह मिथ्या प्रचार मात्रा ही था। धार्मिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी उन्हें निर्दोष मानते थे, परन्तु वह स्वयं निहित स्वार्थों वाले लोगों के दबाव में थे और इसी प्रकार के दबाव में आकर ही उन्होंने ईसा को सूली पर चढ़ाने का निर्णय सुना दिया। यह सबसे कठोर मृत्यु दंड था। इतने कठोर दंड की बात सुन कर उनके शिष्य जुडास को बहुत पश्चाताप करने के लिए उसने आत्महत्या कर ली। ईसा मसीह को दंड सुनाने के बाद बहुत कठोर यातनाएं दी गईं। बाद में उन्हें गुलगुथा नामक पहाड़ पर ले जा कर सूली पर चढ़ा दिया गया। उनके शरीर को एक कब्र में दफना दिया गया। एक भविष्यवाणी थी कि ईसा पुन: जीवित हो जायेंगे। इसलिए उनकी कब्र के द्वार पर एक भारी पत्थर रख दिया गया। रविवार को जब परम्परा के अनुसार महिलायें सूर्य उदय के साथ सुगंधित सामग्री लेकर वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि कब्र का मुह खुला है और कब्र के अन्दर ईसू का शरीर नहीं है। महिलायें वहां से भागती हुई गई और उन्होंने सबको सूचित कर दिया कि ईसा पुन जीवित हो गये हैं। तीसरे दिन प्रभु के पुन: जीवित होने का पर्व ईस्टर के रूप में मनाया जाता है और जिस दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था उसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। गुड फ्राइडे को उनके सिद्धान्तों का आईना मान कर मनाया जाता है। उस दिन को याद रखने के लिए ईसाई लोग चर्च में जाकर सुबह की पूजा करते हैं। दोपहर में भी वे तीन घंटे चर्च में अराधना करते हैं। विश्वास किया जाता है कि यही वह तीन घंटे का समय है जब ईसा के शरीर को क्रास पर कीलों के साथ ठोक दिया गया था। इस प्रकार यह ईसा का बलिदान का दिन है जिसे पूरी भक्ति, गंभीरता, पूजा पाठ, ध्यान और पवित्रता के साथ मनाया जाता है। इसके लिए चालीस दिन पूर्व से उपवास रखने प्रारंभ हो जाते हैं। चर्चों एवं घरों से भड़कीली सजावट की वस्तुओं को हटा दिया जाता है। ऐसी वस्तुओं को बैंगनी रंग के कपड़े से ढ़क दिया जाता है। लोग सात्विक एवं शाकाहारी भोजन करते हैं। चर्च में सामूहिक प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस दिन चर्च की घटियां शान्त रहती हैं। क्योंकि इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। इसलिए ईसाईयों के लिए यह एक दु:खी दिन होता है।
- --------------------------------------------------------------------------------------------

भगवान शिव के स्वरूप थे बाबा तारा
-------------------------------------------
परम पूजनीय सद्गुरु बाबा तारा जी जो कि भगवान शिव के स्वरूप थे। बाबा जी का जन्म फाल्गुन की शिवरात्रि के दिन पाली गांव जिला हिसार में श्री चन्द्र सैनी के घर में हुआ। जब बाबा जी 2 वर्ष के थे तभी इनके ऊपर से माता-पिता का साया उठ गया। तब बाबा जी की बुआ (इनके पिता की बहन)इनको अपने साथ ले आई और इनका पालन पोषण बुआ व फुफा ने किया। बाबा जी बचपन से ही भगवान शिव की भक्ति भाव एवं एकांत में लीन रहते थे। जब बाबा जी की उम्र 15-16 वर्ष हुई तो इनके परिवार वाले इन पर शादी का दबाव डालने लगे, परन्तु बाबा जी इस सांसरिक मोह माया में नहीं पड़े। इस दौरान इनकी बुआ व फुफा जी का देहान्त हो गया। इन्ही दिनों के दौरान सिरसा में बाबा जी सिद्धबाबा बिहारी जी की सेवा में लग गए, और बाबा बिहारी के दर्शन मार्ग में घोर तपस्या की और बाबा बिहारी जी के आदेशानुसार सिद्वबाबा श्योराम जी से नाम दिक्षा ग्रहण की (सिद्व बाबा श्योराम बाबा बिहारी जी के शिष्य थे)और इसके पश्चात बाबा जी सिरसा छोड़ कर हिसार के पास बिहड़ जंगलों में चले गए और वहां इन्होंने घोर तपस्या की और इस दौरान गांव रामनगरिया सिरसा के हिसार के बिहड़ में जाकर बाबा जी की तलाश की और सभी ने बाबा जी से पुन: सिरसा आने की प्रार्थना की। बाबा जी ने अपने सेवकों की प्रार्थना पर विवश होकर पुन: सिरसा में आकर अलगख जगाई और लगभग 60 वर्ष पूर्व रामनगरिया गांव के जंगलों में अपनी कुटिया बनाई आई बाबा जी ने अपने तप इस भूमि को तपो भूमि बना दिया बाबा जी एक ब्रह्मचारी संत के स्वरूप में विख्यात हुए। बाबा जी ने अपने तप इस भूमि को तपो भूमि बना दिया। बाबा जी एक ब्रह्मचारी संत के स्वरूप मे विख्यात हुए। बाबा जी को किसी प्रकार का मोह नहीं था। वह अकेले ही रहना चाहते थे। रात के समय कुटिया में कोई सेवक व कोई भी मनुष्य नहीं होता था। बाबा जी अपने सवकों को कहते थे कि साध संत को किसी चौकीदार व अंग रक्षकों की जरूरत नहीं होती। रक्षा करने वाले तो भगवान शिव हैं। बाबा जी एक लंगोट और उस पर एक चद्दर बांधते थे, और कोई भी वस्त्र धारण नहीं करते थे और उनका खान-पान बिल्कुल साधारण था। बाबा जी दिन में एक बार रोटी व लाल मिर्च की चटनी लेते थे। बाबा जी ने इसी स्थान पर कठिन से कठिन तपस्या की जिसमें की उन्होंने 12 वर्ष तक भोजन ग्रेण नहीं किया। वर्षों तक मौन व्रत रखा। बाबा जी ने जिस भी मनुष्य को अपनी दिव्य दृष्टि से परखा उसी को दर्शन दिये और जिस जीव ने इस तपोभूमि को नमस्कार किया बाबा जी ने दूर से ही उनका कल्याण किया। बाबा जी हर वर्ष फाल्गुन और श्रावण के मास में शिवरात्रि के समय शिवधाम नीलकंठ महादेव, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, नीलधारा, रामेश्वरम, अमरनाथ जी उज्जैन व भगवान शिव के पूज्रीय स्थल व ज्योर्तिलिंगों की उपमा कुछ सेवकों को साथ लेकर भ्रमण किया करते थे। बाबा जी की दृष्टि में कोई व्यक्ति अमीर, गरीब नहीं होता वो सभी को समान दृष्टि से देखते थे। इसी कुटिया के अनुसार बाबा जी 20 जुलाई 2003 को अपने सवकों को साथ लेकर हरिद्वार गये वहां स्नान करवाया और फिर नीलकंठ महादेव के दर्शन अपने सेवकों को करवाए। बाबा जी अपने सेवकों को साथ 26-07-03 को बद्रीनाथ से वापिस हरिद्वार गंगाघाट पर परमानंद आश्रम पहुंचे और सभी को भोजन करवाया। इसी दौरान रात्री को जब शिव रात्री की पावन बेला प्रारंभ हुई बाबा जी कमरे से एक दम बाहर आये और गंगाघाट पर जहां शिवालय भी स्थापित है वहां आकर अपने सेवकों के हाथों में स्वईच्छा से अपना मानव रूपी चोला छोड़ दिया। यह देखकर आश्रम के लोग व सेवक हैरान रह गए कि कैसे बाबा जी ने अपने आप को शिव में अन्र्तलिन होने को चुना। तत्पश्चात सेवक शिवरात्रि को बाबा जी का पवित्र शरीर बाबा जी की कुटिया पर लेकर आये तो बाबा जी के पवित्र शरीर के दर्शन को समुचा शहर उमड़ पड़ा। लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने बाबा जी के पवित्र शरीर के अंतिम दर्शन करके श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अब इस स्थान पर बाबा जी की पवित्र समाधि स्थापित है इस स्थान पर एक भव्य समाधी का निर्माण हो रहा है। सद्गुरू अन्तरामा के प्राणधन है उनकी चरण धूलि के एक कण की कृपा मात्र से अनन्तकोटि लोकनायक परमात्मा की चिन्मय ज्योति मन्दाकिनी के स्नान करके पर जीवन धन्य और सफल हो जाता है। वेद आदि समस्त भगवान साहित्य में सद्गुरू की महिमा का अमिट बखान मिलता है। सद्गुरू अविनश्वर और अनादि आत्मा के अविकल प्रतीक है। सद्गुरू अविनश्वर और अनादि का भय मिट जाता है। परमात्मा के अस्तित्व सद्गुरू में अमिट आस्था रहती है। परमात्मा और आत्मा जीवात्मा की स्वरूपगत एकता में सद्गुरू की अमिट आस्था रहती है। परमात्मा और आत्मा जीवात्मा की स्वरूपगत एकता में सद्गुरू अविचल विश्वाश करते हैं और आत्मा नित्यता सनातनता में गुरू की गति स्थिर होती है। गुरू संसार के मरूस्थल में मरूस्थल है, वास्तव में गुरू के जीवन आचरण और दिव्य महिमा के परवान का सौभाग्य सहयोगी यात्रियों को प्राप्त हो रहा है। इस प्रयास यात्रा के प्रवचन की मूल का लाभ ही लाभ है, इनके विषय में बस इतना ही कहा जा सकता है। गुरू चरण कमल में हमारा मस्तक सदा विनत रहे।

सरसाई नाथ द्वारा बसाया गयी थी सिरसा नगरी
-----------------------------------------
हरियाणा के उतरी पश्चिमी कोने में सिरसा नगर ऐतिहासिक दृष्टि से अपना गौरवमय स्थान बनाए हुए है। इतिहासकारों का मत है कि सिरसा की स्थापना बाबा सरसाईनाथ के पावन कर मलों से हुई थी जिसके तथ्य निम्र प्रकार से वर्णित है जो इतिहासकारों व पुरातत्वेताओं की दृष्टि से पूरी तरह मान्य है। एक बार शिव शंकर के अवतारी बाबा गोरखनाथ को देख विमला बाई के मन में आया कि गोखनाथ एक तेजस्वी महात्मा है व क्यों न मैं इनसे विवाह कर लूं ताकि इससे मुझे अमरत्व की प्राप्ति हो जाए। ऐसा विचार कर उसने बाबा गोरखनाथ से विवाह करने की ठान ली। विवाह का प्रस्ताव लेकर वह बाबा गोरखनाथ के पास गई। गोरखनाथ ने विमला बाई को कहा कि आप विवाह के प्रस्ताव के अलावा कुछ भी मांग कर सकती है। इस पर बिमला बाई ने कहा कि मैं आप की परम भक्तिनी हूं। मैं अपना तन मन धन सब कुछ आपको अर्पित करती हूं और मन से आपको अपना पति मानती हूं। परन्तु बाबा गोरखनाथ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया व इसे टालने के लिए उन्होने मूसल तथा ओखली रमत कर बिमला बाई को भेंट की व चले गए। तत्पश्चता बिमला बाई बारह साल तक बाबा गोरखनाथ की तपस्या करती रही। बारह साल उपरांत बाबा गोरखनाथ अचानक वहां से गुजरे और विमला बाई को तप करते देख उसे वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर विमला बाई ने दो पुत्रों की मांग कर डाली। इस बात को सुन बाबा गोरखनाथ ने अपना एक हाथ कनक में डाल कर कनकाईनाथ उत्पन्न किया और दूसरा भूस में डाल कर भूसकाईनाथ उत्पन्न कर विमला बाई से कहा कि आप इन दोनों महान पुरूषों के नाम से संसार में पूज्य होगी और आईपंथ के नाम से प्रसिद्ध होगी। बाद में इन दोनों को तीन शिष्य सरसाईनाथ, खोतकाईनाथ व तीसरा अन्य, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, थे। एक बार की बात है कनकाईनाथ व भूसकाईनाथ ने अपने तीन शिष्यों को गउओं को चराने वन में भेज दिया और कहा कि तुम्हे यह याद रखना होगा कि इन गउओं का दूध सांय को डेरे में ही दोहना है। इन बछडों का विशेष ध्यान रखना है। मध्याहन के समय में तीनों को भूख ने आ घेरा और तीनों वन में कंद मूल आदि खाने लगे और पीछे से बछडों ने गउओं का सारा दूध पी लिया। तीनों शिष्यों ने जब यह देखा तो वे सोच में पड़ गए और उन्होने कहा कि अब कुछ अनिष्ट होने वाला है इसलिए वे वापस अपने डेरे में नहीं गए। उन्होने एक योजना बनाई और अपने-अपने लंगोट आसमान की तरफ फेंक दिए और कहा कि जहां-जहां ये लंगोट गिरेंगे वहीं-वहीं हम अपने डेरों का निर्माण करेंगे। सरसाईनाथ जी का लंगोटा जिस जगह पर गिरा वहां आज सिरसा शहर बसा हुआ है। आज भी सरसाईनाथ के मंदिर में उनसे संबंधित कुछ वस्तुएं उनकी यादों को संजोए हुए है। दूसरे नाथ खोतकाईनाथ का लंगोटा खोतका, रोहतक में गिरा और उन्होने अपना डेरा वहां बनाया। अभी तक तीसरे गुरू भाई के लंगोटे का कोई सुराग नहीं मिला। पंथ के नाथो का अनुमान है कि वह लंगोटा सात-समुंद्र पार गिरा होगा। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि छठी सदी में यह शहर राजा सारस द्वारा बनाया गया था जिसका नाम सरस्वती नगर पडा था, परंतु दूसरी और कुछ अन्य इतिहासकार इसके नाम को इस डेरे से भी जोडते है। इतिहास कुछ भी कहता हो लेकिन नगर के दक्षिण पूर्व में स्थित बाबा सरसाईनाथ का मंदिर वर्तमान नगर की स्थापना से भी पहले का है जहां सिद्ध योगी बाबा सरसाईनाथ ने तप किया था। एक बार एक पैगम्बर ख्वाजा पीर शेर की सवारी करके बाबा सरसाईनाथ के पास पहुंचे तो नाथ जी ने पैगम्बर जी की सवारी को अपनी गउशाला में बांधने का आदेश दिया। बहुत समय धार्मिक विचार विमर्श के पश्चात जब ख्वाजा साहब ने तैयार होकर अपने शेरों को देखा तो उन्हे सब गउएं दिखाई दी। इस पर ख्वाजा जी ने अपने अंह भावना को त्याग कर अपनी गल्ती का एहसास कर लिया। बाबा अनेक प्रकार के कष्ट व रोगों का निवारण करते थे। एक बार हिंदूस्तान के मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र दाराशिकोह को हकीमों व डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था तब सम्राट को सरसाईनाथ की चमत्कारी शक्तियों का पता चला तो सम्राट अपने पुत्र दारा को सरसाईनाथ के पास लेकर आया तो नाथ ने अपने चमत्कार से दारा को जीवित कर उसे जीवनदान दिया तो सम्राट की खुशी का ठिकाना न रहा व उन्होने अपनी खुशी का इजहार करते हुए यहां पर इस मंदिर में गुंबज का निर्माण करवाया और इसी गुंबज में बाबा सरसाईनाथ ने स्वेच्छा से समाधी ली। इस मंदिर में आज भी श्रद्धालु दृढ़ निश्चय से मनोकामना करने आते है व अपनी झोलियां भरकर जाते है।

बात आस्था की

आनन्द एक झलक की भाँति उपलब्ध
प्रश्न-आनन्द थोड़ी देर के लिये अनुभव होता है और फिर वह आनन्द चला जाता है। वह आनन्द और अधिक देर तक कैसे रहे ?
उत्तर-यह बहुत महत्वपूर्ण है पूछना, क्योंकि आज नहीं कल, जो लोग भी आनन्द की साधना में लगेंगे, उनके सामने यह प्रश्न खड़ा होगा। आनन्द एक झलक की भाँति उपलब्ध होता है-एक छोटी-सी झलक, जैसे किसी ने द्वार खोला हो और बन्द कर दिया हो। हम देख ही नहीं पाते उसके पार कि द्वार खुलता है और बन्द हो जाता है। वह आनन्द बजाय आनन्द देने के और पीड़ा का कारण बन जाता है, क्योंकि जो कुछ दिखता है, वह आकर्षित करता है, लेकिन द्वार बन्द हो जाता है। उसके बाबत चाह और भी घनी पैदा होती है, फिर द्वार खुलता नहीं, बल्कि फिर हम जितना उसे चाहने लगते हैं, उतना ही उससे वंचित हो जाते हैं। अगर मैं किसी व्यक्ति से चाहूँ कि उसने इतना प्रेम दिया है मुझे और प्रेम दे तो जितना मैं चाहूँगा उतना ही मैं पाऊँगा कि प्रेम उससे आना कम हो गया। प्रेम उससे आना बन्द हो जायेगा। ये चीजे छीनी नहीं जा सकतीं, ये जबरदस्ती पजेस नहीं की जा सकती। जो आदमी इनको जितना कम चाहेगा, जितना शान्त होगा, उतनी अधिक उसे उपलब्धि होगी। एक बहुत पुरानी कथा है-एक हिन्दू कथा है, कहानी काल्पनिक है। नारद एक गांव के करीब से निकले। एक वृद्ध साधु ने उनसे कह कि तुम भगवान के पास जाओ तो उनसे पूछ लेना कि मेरी मुक्ति कब तक होगी, मुझे मोक्ष कब तक मिलेगा? मुझे साधना करते हुए बहुत समय बीत गया। नारद ने कहा-मैं जरूर पूछ लूंगा। वह आगे बढ़े तो बरगद के दरख्त के नीचे एक नया-नया फकीर, जो उसी दिन फकीर हुआ था, तम्बूरा लेकर नाच रहा था। नारद ने उससे मजाक में पूछा-तुमको भी पूछना है भगवान से कब तक तुम्हारी मुक्ति होगी? वह कुछ बोला नहीं। जब नारद वापस लौटे तो उस वृद्ध साधु से उन्होंने जाकर कहा-मैंने पूछा था- भगवान बोले कि अभी तीन जन्म और लिये जायेंगे। वह अपनी माला फेरता था, उसने गुस्से में अपनी माला नीचे पटक दी। उसने कहा-तीन जन्म और! यह तो बड़ा अन्याय है, यह तो हद हो गयी। नारद आगे बढ़ गये। वह फकीर नाच रहा था, उस वृक्ष के नीचे। उससे कहा-सुनते हैं ! आपे बाबात भी पूछा था। लेकिन बड़े खेद की बात है, उन्होंने कहा कि जिस दरख्त के नीचे वह नाच रहा है, उसमें जितने पत्ते हैं, उतने जन्म उसे लग जायेंगे। वह फकीर बोला-तब तो पा लिया और वापस नाचने लगा। वह बोला-तब तो पा लिया, क्योंकि दरख्त पर कितने पत्तें हैं, इतने पत्ते, इतने जन्म न-तब जो जीत ही लिया, पा ही लिया। वह पुन: नाचने लगा। और कहानी कहती है, वह उसी क्षण मुक्ति को उपलब्ध हो गया-उसी क्षण। यह जो नानटेंस, यह जो रिलेक्स्ड माइण्ड है,
आगे पढें

देलवाड़ा जैन मन्दिर (वास्तुशिल्प का नायाब नमुना)
माउंट आबू को राजस्थान का स्वर्ग कहा जाता है। आबू रोड से करीब 15 कि.मी. की दूरी पर पर्वत पर स्थित माउंट आबू नाम से विख्यात नगर का इतिहास बहुत पुराना है। यह पर्वत न केवल भव्य मंदिरों के लिए विख्यात है, बल्कि यह पर्वत ऋषियों की साधना की भूमि भी रही है। पहाड़ पर स्थित अनेक गुफाओं से इस बात की पुष्टि होती है कि यहां अनेक ऋषियों ने तपस्या की थी। इस जगह का विकास इस तरह हुआ कि आज यह जगह अध्यात्म और संस्कृति का एक बेमिसाल संगम है। एक ओर यहां के महनुमा होटल देशी व विदेशी ट्रस्टियों को आकर्षित करते हैं। वहीं दूसरी ओर विभिन्न संप्रदाय के मठ-मंदिर व ब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय का साधना स्थल एक अलग ही छटा बिखेरते हैं। प्रकृति का खूबसूरत उपहार कहलाने वाली यह जगह वास्तु शिल्प का बेजोड़ उदाहण है। मुख्य रूप से माउंट आबू देलवाड़ा में स्थित जैन मंदिरों के कारण विश्व विख्यात है। पर्वत पर स्थित देववाड़ा गांव में धवल संगमरमर से बनाए गए देलवाड़ा जैन मंदिर अपनी शिल्पकला, वास्तुकला एवं स्थापत्य कला के कारण आकर्षण का केंद्र है। हिंदु संस्कृति के यह मंदिर जैन वैभव कला को अपने आप में समेटे हुए हैं। मंदिर में देवी-देवता, नृत्य करतीं पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां, पशु-पक्ष, फल-फूल आदि सभी सजीव दिखाई पड़ते हैं। संगमरमर पर ऐसी सूक्ष्म कला विश्व में शायद ही कहीं और देखने को मिले। 5 मंदिरों का देलवाड़ा मंदिर गुंबजों की छतों पर स्फटिक बिंदुओं की भांति झूमते मंदिरों में 22 तीर्थकरों की मूर्तियां हैं। बताया जाता है, कि इन मंदिरों का निर्माण राजा भीमदेव के मंत्री विमल वसाही ने किया था। इन मंदिरों का निर्माण 11 वीं सदी से प्रारंभ होकर 13 वीं सदी में पूर्ण हुआ था। विमल मंदिर: इस मदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है, कि विमल शाह ने अनेक युद्ध किए जिसमें अनेक लोगों की हत्या का कारण स्वयं को समझकर प्रयाश्चित हेतु आबू पर्वत पर जैन मंदिर के निर्माण की योजना बनाई। कुछ लोगों के द्वारा विरोध करने पर उनहं संतुष्ट करके विमल शाह ने 14 वर्षों में 1500 कारीगरों और 1200 मजदूरों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें 8 करोड़ 35 लाख रुपयों की लागत लगी। इस मंदिर में प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की मूलनायक की प्रतिमा से प्रतिष्ठा जैनाचार्य वर्धमान सूरीजी द्वारा संपन्न हुई। मंदिर में कुल 21 स्तंभों में से 30 अलंकृत हैं। विद्यादेवी-महारोहिणी की 14 हाथों वाली मूर्ति, गुंबज में गुजलक्ष्मी और दूसरे गुंबज में शंखेश्वरी देवी की सूक्ष्मकृति, कमल के फूल में 16 नर्तकियों युक्त गुंबज और बीस खंडों का एक शिल्पपट्ट भी देखने लायक है। लूण मंदिर: यह मंदिर विमल मंदिर के बाद बनवाया गया। यह मंदिर छोटा है, लेकिन शिल्पकला में उससे भी अधिक है, जिसमें संगमरमर पर हथौड़ी-छैनी की मदद से कारीगरों ने बेल-बूटे, फूल-पत्ती, हाथी, घोड़ा, ऊंट, बाघ, सिंह, मछली, पछी, देवी-देवता और मानव जाति की अनेक कलात्मक मूर्तियां उकेरी गयी हैं। गुजरात के राजा वीरध्वन के मंत्री वास्तुपाल और तेजपाल दोनों भाइयों ने अपने स्वर्गीय भाई के नाम पर लूण मंदिर बनवाया।

ऋषि-मुनियों की तपस्थली के नाम से जाना जाता है ऋषिकेश
ऋषिकेश का नाम भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में जाना जाता है। ऋषिकेश पूर्व में हषिकेश के नाम से जाना जाता था। ऋषिकेश का इतिहास पौराणिक ग्रंथों में आज भी पढऩे को मिलता है। ऋषिकेश ऋषि-मुनियों की तपस्थलियों के नाम से भी जाना जाता है, जहां आज भी ऋषिमुनि गंगा तट के किनारे तप कर कई सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। ऋषिकेश की सीमा चार जिलों से घिरी हुई है जिनमें पौड़ी, नई टिहरी, हरिद्वार व देहरादून शामिल हैं। यहीं से विश्व प्रसिद्ध चारधाम श्री बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री सहित हेमकुण्ट साहिब की यात्रा शुरू होती है। ऋषिकेश में पौराणिक भारत भगवान का मंदिर, भैरो मंदिर, काली मंदिर, चन्द्रशेखर सिद्धपीठ, नीलकंठ महादेव सोमेश्वर महादेव, वीरभद्र महादेव व सिद्धपीठ हनुमान जी की आज भी देश एवं विदेश से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है, जिससे देश-विदेशों में प्रतिवर्ष कई लाखों की संख्या श्रद्धालु इन सिद्धपीठों के दर्शन कर पुण्य कमाते हैं। वहीं ऋषिकेश में मनोकामना सिद्ध मां गंगा की अविरल धारा बहकर गंगा सागर तक पहुंचती है, जिसमें प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोग स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। ऋषिकेश में रामझूला लक्ष्मण झूला, गीता भवन, परमार्थ निकेतन, 13 मंजिल मंदिर सहित अन्य रमणीक स्थलों पर लाखों की संख्या में देश-विदेश पर्यटक दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। तीन माह बाद हरिद्वार-ऋषिकेश में महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें करीब 15 से 20 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, श्रद्धालु महाकुंभ में हरिद्वार हरकी पैड़ी पर स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। कहा जाता है कि हरकी पैड़ी पर समुद्र मंथन के समय जब देवगणों और राक्षसों को अमृत बंट रहा था, तब कुछ अमृत हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की अविरल धारा में गि गया था, जिसके कारण हरकी पैड़ी इस विशेष स्थान पर स्नान करने से श्रद्धालु पुण्य अर्जित करते हैं। ऋषिकेश से करीब 15 किमी. नीलकंठ महादेव का सिद्ध मंदिर भी है, जहां पर सावन के माह में लोग लाखों की संख्या में पहुंचकर शिवलिंग पर जल चढ़ाकर पुण्य लाभ कमाते हैं। कहा जाता है कि महादेव ने जब विष धारण कर लिया था तो वह नीलकंठ पर्वत पर आकर तपस्या करने लगे, इसीलिए इस मंदिर को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है। नीलकंठ महादेव में अब तो बारहों महीने ही श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाकर दर्शन करने आते हैं, लेकिन सावन के महीने में नीलकंठ महादेव पर जल चढ़ाने का पुण्य लाभ अधिक मिलता है। ऋषिकेश में स्थित त्रिवेणी घाट पर गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम भी होता है जिसे देखने के लिए देश-विदेशों से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचकर आनंद उठाते हैं, त्रिवेणी घट पर इस संगम का अद्भुत नजारा पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। वहीं मां गंगा तट के किनारे शाम के समय जब श्री गंगा सेवा समिति द्वारा आरती की जाती है तो मां गंगा के जंगल के तटीय क्षेत्र में हिरन, मोर, हाथियों का झुंड आकर गंगा जल ग्रहण करता है व मां गंगा की हो रही आरती का अनुभव महसूस करता है। यह नजारा देख पर्यटक मुग्ध हो जाते हैं और मां गंगा को प्रणाम करते हैं।
-

भारतीय संस्कृति में व्रतों का महत्व
रामनवमी व्रत- रामनवमी वैष्णवो का पुनीत व्रत है। रामचंद्र की जन्मभूमि अयोध्या में रामजन्मोत्सव के समारोह का आयोजन करते हैं। लोग व्रत रखते हैं और सरयू की पावनधारा में स्नान करते हैं। अयोध्या के अलावा यह पर्व नेपाल में जनकपुर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
जन्माष्टमी व्रत- भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि में और प्रतिवर्ष भद्रमास कृष्णाष्टमी को यह आती है। पूरे दिन व्रत रखने के उपरांत रात्रि में 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। मथुरा तथा वृंदावन में जन्माष्टमी के अवसर पर झुले का वृहद समारोह मनाया जाता है और भगवान में वर्णित उनकी लीलाओं की भव्य झाकियां सजाई जाती हैं। अयोध्या, प्रयाग, काशी में भी झांकियों की व्यवस्था होती है।
रामनवमी व्रत- फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को शिवरात्रि अथवा महाशिवरात्रि कहते हैं। इसे शिवतेरस भी कहते हैं। भारतवर्ष में भगवान शिव के चौदह ज्योतिर्लिंग माने जाते हैं। उन सबके मंदिरों में इस दिन मेला लगता है। शिवरात्रि को लोग निर्जला व्रत रख जागरण व शिव कीर्तन करते हैं।
सातों वारों के व्रत- रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्र, शनि इन सातों वारों में भी व्रत के विविध धर्मशास्त्रों और पुराणों में दिए गए हैं। वारों की स्थिति एक सूर्योदय से लेकर दूसरे सूर्योदय तक रहती है। ये सातों प्रत्यक्ष गृह है और आकाश में इनकी प्रत्यक्ष अवस्थिति है। सूर्य दिन में और शेष छह रात्रि में दिखाई पड़ते हैं। मानव जीवन में इन गृहों का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। अत: इनके जीवन पर जप दान, प्रतिष्ठा, पूजा और व्रत आदि के विधान हमारे पूर्वजों ने बनाए हैं।
वट सावित्री व्रत- ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत का विधान है। कुछ लोगों ने कृष्ण पक्ष की द्वादशी तथा कुछ लोगों ने त्रयोदशी को भी इसके विभिन्न लाभों की चर्चा की है। किंतु साधारण रीति से उत्तर भारत में ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से पूर्णिमा तक तीनों दिन इसके मनाने की प्रथा है, किंतु ज्यादातर लोग अमावस्या अथवा पूर्णिमा को ही इसका व्रत रखते हैं। इस व्रत में सधवा स्त्रियां सावित्री, सत्यवान की कथा सुनती हैं, पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती है।
चातुर्मास का व्रत-आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादश्ी तक चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। यह व्रत प्राचीन काल से रखा जा रहा है। बौद्ध भिक्षु-साधु, संन्यासी और पंडितजन इस व्रत का अनुष्ठान करते हैं। चातुर्मास के व्रत में केवल फलाहार किया जाता है। अन्न नहीं खाया जाता है।
करवा चौथ का व्रत: इस व्रत का अनुष्ठान केवल सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। इसमें शिव पार्वती, कार्तिकेय, चंद्रमा की पूजा की जाती है और नैवेद्य के रूप में मिट्टी के कच्चे करवे में लड्डू पुआ या पपड़ी रखी जाती है। करवे के प्रयोग के कारण इसका नाम करवा या कारका चतुर्थी है।
हरितालिका व्रत या तीज: हरितालिका पार्वती का व्रत है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को इस्तनक्षत्र में दिनभर का निर्जला व्रत रखना चाहिए। आरंभ में गणेश का विधिवत् पूजन करना चाहिए। गणेश पूजन के पश्चात शिव पार्वती का आह्वान आसन अध्र्य, आचमन वस्त्र आदि से पूजन करना चाहिए। तृतीया को पूरे दिन एवं रात को निर्जला व्रत रहकर पूरी रात्रि जागर के पश्चात दूसरे दिन सवेरे पूजा की समाप्ति होने पर पारण किया जाता है। यह व्रत नेपाल में भी मनाया जाता है।


आस्था का केंद्र है मां पाथरी वाली का मंदिर
सिरसा में स्थानीय थेड़ मौहल्ला स्थित मां पाथरी वाली का मंदिर आज हजारों लोगों की आस्था का केन्द्र हैँ। यहां हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि प्रदेशों के लोग दर्शकों से आते हैं। वर्ष 1999 तक यह स्थान दो ईंटों से बना हुआ था। जहां सेवक राम कुमार परोचा अपने परिवार के साथ भक्ति किया करता था और आज भी राम कुमार का परिवार ही सेवा करता है। अब यह दो ईंटों का स्थान भव्य रूप धारण कर चुका है। बुधवार को मां के दर्शनों के लिए लम्बी लाईनें लगती है। दूर-दूर से लोग मां के दर्शनों को आते हैंँ। एक ओर जहां जनता इस मन्दिर में अपने सुख के लिए मन्नते मानती है। वहीं कुछ राजनैतिक लोग अप्रत्यक्ष रूप से मां को पूजते हैं। हरियाणा सरकार में जेल मंत्री के पद पर रह चुके मनफुल सिंह भी इस दर पर माथा टेक चुके हैं। हर साल 24 अप्रैल को मां पाथरी वाली का विशाल जागरण होता है। मां पाथरी वाली को 52 स्वरूपों की देवी भी कहां जाता है। वावन रूपी मां पाथरी वाली पल में भक्तों की इच्छाएं पूरी करती है। और नाराज होने पर मां को मनाना आसान भी नहीं है। मां पाथरी वाली के बारे में विभिन्न कथाएं प्रचलित है। मां सती के स्वरूपों में एक रूप कपाल पाथरी है। कपाल पाथरी मां की पहाड़ी क्षेत्र में बहुत मान्यता है। चेत्र माह में यहां विशाल मेला लगता है। सिरसा केमोहल्ला थेड़ में मां पाथरी वाली गली में मां पाथरी वाली का विशाल भव्य मंदिर है जो कि लोगों की आस्था का केन्द्र है। बताया जाता है कि मां पाथरी गुरू गौरव नाथ की शिष्या है। आदि काल में मां पाथरी वाली गुरू गौरखनाथ के साथ गांव सीख पाथरी में छोड़ गए थे। इसी गॉंव के रहने वाली जमतू-भगतू नामक दो व्यक्तियों ने मां की पूजा-अर्चना की थी वह उनकी मन की मुरादें पूरी हुई थी। उन्होंने गॉंव में मां का मन्दिर बनवाया था। धीरे-धीरे मां पाथरी की महिमा का प्रचार हरियाणा व आस-पास के प्रदेशों में होने लगा। वर्तमान में भी मां पाथरी वाली की पूजा तन-मन-धन से करते हैं।

Uploads by drrakeshpunj

Popular Posts

Search This Blog

Popular Posts

followers

style="border:0px;" alt="web tracker"/>