Wednesday, June 26, 2013

क्‍या सच सामने आने के डर से टैम से दूर भाग रहे हैं चैनल?

  यह आप पर निर्भर करता है कि भारतीय मीडिया और मनोरंजन (एमऐंडई) कारोबार में छाई निराशा, असंतुष्टि और बेचैनी के बीच आप सबसे पहले किन चीजों पर गौर करेंगे। आप इन बदले हालात पर हंस सकते हैं, चीख सकते हैं, घबरा सकते हैं या नजर फेर भी सकते हैं। बड़े पैमाने पर कई टेलीविजन प्रसारणकर्ताओं ने एक साथ टेलीविजन दर्शकों की रेटिंग मापने वाली एजेंसी टैम की सेवाएं लेनी बंद कर दी जो बेहद हास्यास्पद सी बात लगती है।
ये वही कंपनियां है जिन्हें कई सालों तक टैम मीडिया रिसर्च के टेलीविजन रेटिंग मापने के नमूने से कोई एतराज नहीं था। अब जब टैम ने रेटिंग मापने के लिए अपने नमूने के आकार में बढ़ोतरी की है तो कई नेटवर्क अपनी कम पहुंच और रेटिंग के आंकड़ों को देखकर हैरान हो रहे हैं। टैम ने अपने नमूने के दायरे में 100,000 के कम आबादी वाले शहरों को भी शामिल किया है।

इन चैनलों के हैरान होने की वजह यह थी कि उनके वितरण की रणनीति का पूरा जोर टैम वाले शहरों तक ही सीमित था। भारत के छोटे शहरों के लिए तैयार कराए गए कार्यक्रमों में निवेश करने चंद प्रसारणकर्ताओं को छोड़कर लगभग सभी चैनल टैम के मेट्रो शहर पर केंद्रित नमूने से मिले शानदार आंकड़े से काफी खुश थे। जब टैम ने दर्शकों के एक बड़े वर्ग को नमूने के तौर पर लेना शुरू किया तो उनकी संख्या में गिरावट आई।

इन चैनलों के लिए 12 मिनट वाले विज्ञापन नियम ने आग में घी डालने का काम किया और वे ज्यादा दबाव महसूस करने लगे हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने यह आदेश दिया है कि चैनलों को अपने विज्ञापन समय में कटौती करनी होगी और एक घंटे के कार्यक्रम में 15-25 मिनट के विज्ञापन के बजाय इसका समय 12 मिनट तक ही सीमित होना चाहिए।

विश्लेषकों का कहना है कि नतीजतन इससे दरों में 20 से 30 फीसदी की तेजी आएगी खासतौर पर बड़े नेटवर्कों के लिए यह रुझान लाजिमी होगा। प्रमुख पांच नेटवर्कों का स्टार, सोनी, सन, जी और नेटवर्क 18 का दबदबा टेलीविजन देखने में बिताए गए कुल वक्त में सबसे ज्यादा है और इन चैनलों की 65 फीसदी से भी ज्यादा की हिस्सेदारी है। इनमें से हरेक चैनल का नेटवर्क 10 से 35 चैनलों के बीच है। अगर टैम के आंकड़े किसी चैनल की कम पहुंच और रेटिंग को दर्शा रहे हैं तो ऐसे में दरों में इजाफा मुश्किल ही होगा। यह वजह है कि सभी बड़ी हड़बड़ी से टैम की सेवाएं लेना समाप्त कर रहे हैं। हालांकि विज्ञापनदाता अब भी यह कह रहे हैं कि जब तक ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कौंसिल के आंकड़े नहीं आने शुरू होते तब तक टैम के आंकड़े पर ही रणनीति बनानी होगी।

दूसरी चीज जिस पर हम गौर करेंगे कि जो मीडिया व विज्ञापन प्रकाशन और वेबसाइटें टैम के आंकड़े लेती हैं उन पर रोक लगने की कोशिश हो सकती है। इस साल की शुरुआत में टैम ने चैनल या नेटवर्क संबंधित आंकड़ों को संवाददाताओं से साझा करना बंद कर दिया क्योंकि इसके मुख्य ग्राहक प्रसारणकर्ताओं को यह बात पसंद नहीं आ रही थी।

मिसाल के तौर पर अगर मुझे यह विश्लेषण करना है कि पांच नेटवर्कों का प्रदर्शन दर्शकों की हिस्सेदारी के लिहाज से कैसा है तो मुझे किसी एक नेटवर्क से यह गुजारिश करनी होगी कि वह अपने आंकड़े को साझा करे। हालांकि हमारे पास इन आंकड़ों की प्रामाणिकता की जांच का भी कोई तरीका नहीं होगा। टीवी प्रसारणकर्ताओं का इस तरह का अतार्किक और बचकाना बरताव बेहद हास्यास्पद है।

नेटवर्क 18 ने फोब्र्स इंडिया के चार वरिष्ठ संपादकों को बड़े निंदनीय तरीके से निकाला गया जो अपने आप में एक मिसाल है। संपादकों का दावा है कि उन्होंने स्टॉक विकल्प की मांग की थी जिसकी वजह से उन्हें निकाल दिया गया था।

नेटवर्क 18 के अधिकारियों ने न्यूजरूम में ही सारे मामले को सुलटाने की कोशिश की। हालांकि वजह जो भी रही हो इससे आपको अंदाजा जरूर मिल सकता है कि क्यों बेहतर कंटेंट भारतीय समाचारपत्रों और चैनलों से गायब हो रहे हैं। किसी भी बेहतर कंटेंट को तैयार करने के लिए जितने समय और संसाधनों की जरूरत होती है उसके लिए ज्यादातर चैनल और अखबार के प्रकाशक तैयार भी नहीं होते। अखबारों और टीवी कंपनियों में प्रशिक्षण, सुझाव देना, संपादकों को विश्व स्तर की एक टीम तैयार करने की छूट देना भी ज्यादा समय बर्बाद होने और लागत बढ़ाने के तौर पर देखा जाता है।

अब हम मीडिया नीति की प्राथमिकताओं पर गौर करते हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले कुछ सालों में टैम की रेटिंग की निगरानी करने के लिए तीन अलग-अलग समितियां नियुक्त कीं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। किसी बॉक्स ऑफिस की कमाई या अखबार के सर्कुलेशन की तरह ही रेटिंग से सरकार का कोई लेना देना नहीं है। सरकार का संबंध मीडिया नीति और प्रसार भारती से ही है। अहम सवाल यह है कि आखिर करदाताओं की 1500-1800 करोड़ रुपये की पूंजी अगर सरकारी चैनल दूरदर्शन पर खर्च की जाती है तो आखिर इसे बीबीसी की तरह ही विश्वस्तरीय चैनल क्यों नहीं बनाया जा सकता?

वित्त मंत्रालय देश भर में मनोरंजन कर को बराबर क्यों नहीं करती? इसके अलावा भी कुछ सवाल हैं कि फिल्म थियेटर की इमारत को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा क्यों दिया जाता है या कंसर्ट की कमाई के बारे में सरकार का क्या नजरिया है? इससे उन्हें देश के बड़े-छोटे शहरों में निर्माण करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

आखिर मीडिया पर राजनीतिक स्वामित्व के बढ़ते वर्चस्व या पेड न्यूज की समस्या को खत्म करने के लिए कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? मंत्रालय यह चाहता है कि 12 मिनट वाले विज्ञापन के नियमों को लागू करने से पहले देशभर में डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाए और इसके लिए पूरा दबाव भी दिया जा रहा है। ऐसे में कई छोटे स्वतंत्र चैनलों और नेटवर्क का अस्तित्व खत्म होने का खतरा है। मौजूदा ड्रामा को देखते हुए यह जरूर कहा जा सकता है कि मीडिया और मनोरंजन उद्योग शेक्सपियर के दुखांत नाटक का प्रतिनिधित्व कर रहा है

4रीयल न्यूज की वर्कशाप में दर्जनों पत्रकार हुए शामिल

  एचडी हिन्दी न्यूज चैनल 4रीयल न्यूज ने चंडीगढ़ में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कार्यरत अपने रिपोर्टरों और स्ट्रिंगरों के लिए एक दिन के कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें चैनल से जुड़े 100 से ज्यादा युवा पत्रकारों ने हिस्सा लिया। पत्रकारों को संबोधित करते हुए चैनल के सीईओ यश मेहता ने कहा कि खबरिया चैनलों की भीड़ से अलग 4रीयल न्यूज ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है और चैनल तेजी से आमलोगों की नजर में ऊपर चढ़ रहा है।
यश मेहता के मुताबिक एक तरफ जहां सभी चैनलों का जोर नकारात्मक खबरों की तरफ रहता है, 4रीयल समाज के लिए सकारात्मक खबरों पर जोर दे रहा है ताकि लोगों तक अच्छी खबरें भी पहुंच सकें। अपनी कड़ी मेहनत के बूते एक पत्रकार से 4रीयल न्यूज के सीईओ बनने तक का सफर तय करने वाले यश मेहता ने कहा कि एक पत्रकार को अफवाहों और दुराग्रहों पर ध्यान देने के बजाए अपने जीवन में हमेशा अपनी पारखी नजर का इस्तेमाल करना चाहिए तभी वह सच तक पहुंच सकता है।

इस मौके पर 4रीयल न्यूज के प्रिंसिपल करॉसपॉन्डेंट राजीव निशाना ने युवा पत्रकारों को पत्रकारिता के कई गुर सिखाए। युवा पत्रकारों को संबोधित करते हुए राजीव निशाना ने कहा कि समाचार का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों असर होता है लेकिन चैनल उन्हीं खबरों पर जोर देगा जो समाज को सार्थक संदेश देती हों--समाचार का प्रस्तुतिकरण कैसे हो, इस पर बोलते हुए राजीव निशाना ने कहा कि अक्सर खबर दिखाते वक्त चैनल संबंधित खबर के दूसरे पक्ष का बयान नहीं दिखाते हैं जबकि दूसरे पक्ष का बयान अवश्य लिया जाना चाहिए। समाचार का फॉलोअप भी जरूरी होता है लेकिन समाचार चैनलों में फॉलोअप नहीं आ पाता जिससे लोगों को संबंधित खबर की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। आज जरूरत इस बात की है लोगो संबंधित खबर की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। आज जरूरत इस बात की है लोग सच्ची खबरों से वाकिफ हो सकें।
युवा पत्रकार किस तरह से अपनी खबरों को बेहतर कलेवर दे सकते हैं, इस पर वर्कशॉप में विस्तार से चर्चा की गई और इससे जुड़े जरूरी टिप्स दिए गए। एक खबर की जरूरत क्या होती है, खबर भेजते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, कैमरे की जानकारी और न्यूज कवरेज की तमाम दिक्कतों से जुड़ी दिक्कतों पर युवा पत्रकारों के सवालों का समाधान भी इस वर्कशॉप में किया गया। इसके लिए नोएडा स्थित 4रीयल न्यूज चैनल से चार पत्रकारों की टीम वर्कशॉप में शामिल हुई थी जिनमें आउटपुट टीम में एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर सुनील कुमार, इनपुट हेड सचिन त्रिपाठी, सीनियर रिपोर्टर सतेंद्र भाटी और कैमरामैन हेड हरविंदर शामिल थे। इन सभी पत्रकारों ने प्रशिक्षु पत्रकारों के प्रश्नों का जवाब दिया।

इस वर्कशॉप में 4रीयल न्यूज के नॉर्थ हेड दीप मेहता और पंजाब हेड दुर्गेश शामिल हुए जिन्होंने पत्रकारों के कई सवालों के जवाब दिए।* इस मौके पर चैनल की सीईओ यश मेहता ने कई अहम घोषणाएं भी की, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है रिपोर्टरों और स्ट्रिंगरों का इंश्योरेंस। यश मेहता ने कहा कि जल्दी ही सारे रिपोर्टरों और स्ट्रिंगरों का इंश्योरेंस करवाया जाएगा। गौरतलब है कि रिपोर्टर और स्ट्रिंगर्स कई बार अपनी जान पर खेलकर चैनल को समाचार उपलब्ध कराते हैं लेकिन चैनलों के द्वारा उन्हें इंश्योरेंस मुहैया नहीं कराया जाता। उन्होंने रिपोर्टरों की आर्थिक परेशानी दूर करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर किसी को आर्थिक समस्या है या उनकी बिलिंग को लेकर कभी कोई दिक्कत होती है तो वह सीधा उनसे बात कर सकते हैं।

बहरहाल, रिपोर्टरों का स्ट्रिंगरों का वर्कशॉप कितना कामयाब रहा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक युवा पत्रकार ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी न्यूज चैनल ने रिपोर्टरों और स्ट्रिंगरों की सुध ली हो। एक पत्रकार ने तो यहां तक कहा कि रिपोर्टरों और स्ट्रिंगरों का वर्कशॉप कोई न्यूज चैनल नहीं कराता और 4रीयल न्यूज चैनल ने जो पहल की है, उससे उनके भविष्य को नया आयाम और नई दिशा मिलेगी।

ਕੇ ਐਸ ਪੰਨੂ ਆਈ.ਏ.ਐਸ. ਦੀ ਮਾਰਕੁਟ 'ਚੋਂ ਸਾਜਿਸ਼ ਦੀ ਬੋਅ?



ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸੀਨੀਅਰ ਆਈ.ਏ.ਐਸ. ਅਫਸਰ ਸ. ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਪੰਨੂ ਦੀ ਹੇਮਕੁੰਡ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰਦਵਾਰੇ ਦੇ 25-30 ਸੇਵਕਾਂ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਕੁੱਟਮਾਰ ਨੇ ਮਨ ਵਿਚ ਬੜੀ ਅਜੀਬ ਜਿਹੀ ਚੀਸ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ ਹੈ। ਸਿੱਖ ਸੰਗਤ ਦੀ ਸ਼ਰਧਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਸ੍ਰੀ ਹੇਮਕੁੰਡ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਅਜਿਹੀ ਘਟਨਾ ਦਾ ਵਾਪਰਨਾ ਦੁਖਦਾਈ ਵੀ ਹੈ ਤੇ ਅਸਿਹ ਵੀ। ਸ. ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਪੰਨੂ , ਜੋ ਇੱਕ ਸਧਾਰਣ ਜੱਟ ਸਿੱਖ ਪਰਿਵਾਰ ਚੋਂ ਆਪਣੀ ਮਿਹਨਤ, ਯੋਗਤਾ ਤੇ ਹਿੰਮਤ ਸਦਕਾ ਆਈ.ਏ.ਐਸ ਬਣੇ, ਨਾ ਤਾਂ ਊਲ ਜਲੂਲ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਹਨ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਪੱਖਪਾਤੀ ਸੁਭਾਅ ਦੇ । ਸ. ਪੰਨੂ ਦਾ ਨਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਈ.ਏ.ਐਸ. ਅਫਸਰਾਂ 'ਚੋਂ ਇਮਾਨਦਾਰ, ਸਿਦਕੀ, ਸਿਰੜੀ, ਹਿੰਮਤੀ, ਇਨਸਾਫ ਪਸੰਦ ਤੇ ਵੇਲੇ ਸਿਰ ਫੈਸਲਾ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਅਫਸਰਾਂ 'ਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਯੂ ਟਿਊਬ ਤੇ ਪਾਈ ਵੀਡੀਓ ਤੋਂ ਜਿਸ ਕਦਰ ਹੇਮਕੁੰਟ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸੇਵਕ/ਮੁਲਾਜਮ ਸ. ਪੰਨੂ ਨਾਲ ਵਿਵਹਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ ਉਸ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਤਾਂ ਸਿਰ ਸ਼ਰਮ ਨਾਲ ਝੁੱਕ ਗਿਆ ਕਿ ਏਹੋ ਜਿਹੇ ਅਸਥਾਨ ਤੇ ਕਿਹੋ ਜਿਹੇ ਬੰਦੇ ਬੈਠੇ ਹਨ? ਸ. ਪੰਨੂ ਦੀ ਕੁੱਟਮਾਰ ਤੇ ਮੁਆਫੀ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਦਲੀਲ ਇਹ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਬਾਰੇ ਅਪਸ਼ਬਦ ਬੋਲੇ ਹਨ। ਜੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਬੋਲੇ ਵੀ ਸਨ ਤਾਂ ਵੀ ਸਮਝਾਉਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ ਕੀ ਹੋਵੇ, ਇਹ ਉਸ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨ ਦੇ ਰੁਤਬੇ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਨਹੀਂ। ਇੱਕ ਸਰਦਾਰ ਦੀ ਪੱਗ ਲਾਹ ਕੇ ਰੋਲਣੀ, ਉਸਦੀ ਗੱਲ ਨਾ ਸੁਨਣੀ, ਇਉਂ ਲਗਦਾ ਹੈ ਜਿਵੇਂ ਇਹ ਕੰਮ ਯੋਜਨਾਬੱਧ ਹੋਵੇ। ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰਨ ਗਏ ਇੱਕ ਇਮਾਨਦਾਰ ਅਧਿਕਾਰੀ ਤੇ ਮਨਮਰਜ਼ੀ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਲਾ ਕੇ ਕੁਟਣਾ ਕੀ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ? ਸਰਦਾਰ ਪੰਨੂ ਵੱਲੋਂ ਹਾਲਤ ਦੀ ਨਜ਼ਾਕਤ ਨੂੰ ਸਮਝਦਿਆਂ ਸ਼ਾਇਦ ਐਫ.ਆਈ.ਆਰ. ਦਰਜ਼ ਕਰਾਉਣ ਦੀ ਗੱਲ ਰੱਦ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਹੋਵੇ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਇਸ ਘਟਨਾ ਨੂੰ ਚੁੱਪ ਚੁਪੀਤੇ ਪੀ ਜਾਣ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੇ ਸਗੋਂ ਕਈ ਸਵਾਲ ਖੜੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਹਨ। ਸਭ ਤੋਂ ਹੈਰਾਨੀ ਦੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਕੁੱਝ ਪੁਲੀਸ ਤੇ ਸੀ.ਆਰ.ਪੀ.ਐਫ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੋਇਆ। ਕੁਝ ਨਫਰਤ ਨਾਲ ਭਰੇ, ਛੋਟੀ ਸੋਚ ਤੇ ਬੋਨੇ ਬੰਦੇ ਸੋਸਲ ਮੀਡੀਏ ਤੇ ਪੁੱਠੇ ਸਿੱਧੇ ਲਫਜ ਵਰਤ ਕੇ ਸ. ਪੰਨੂ ਦੀ ਮਾਰਕੁੱਟ ਨੂੰ ਜਾਇਜ ਠਹਿਰਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ।
ਮਨ ਵਿਚ ਸਵਾਲ ਉਠਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਤਰਾਖੰਡ 'ਚ ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਬਣੀ ਭੀੜ ਦਾ ਸਹਾਰਾ ਬਨਣ ਗਏ ਅਫਸਰ ਨੂੰ ਹੀ ਗੁਰਦਵਾਰੇ 'ਚ ਬੈਠੇ ਲੋਕਾਂ ਵਲੋਂ ਬੇਰਹਿਮੀ ਨਾਲ ਕੁੱਟ ਕੇ ਕੀ ਸਾਬਤ ਕੀਤਾ ਹੈ? ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰੂਹ ਨੂੰ ਇੱਕ ਭਲੇਮਾਣਸ ਅਫਸਰ ਨੂੰ ਕੁੱਟ ਕੇ ਸ਼ਾਇਦ ਜਿਆਦਾ ਸਕੂਨ ਮਿਲਿਆ ਹੋਵੇ ਬਜਾਏ ਉਸਦੇ ਕਿ ਉਹ ਬਿਪਤਾ 'ਚ ਫਸੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਅ ਕੇ ਇਹ ਸਕੂਨ ਲੈਂਦੇ। ਅਜਿਹੇ ਮਹੌਲ 'ਚ ਇਹ ਕਾਰਵਾਈ ਕਿਸੇ ਸਾਜਿਸ਼ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਲਗਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਜਾਂਚ ਕਰਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਘਟਨਾ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਹੇਮਕੁੰਡ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰਦਵਾਰੇ ਦੀ ਮੈਨੇਜਮੈਂਟ ਨਾਲ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਪੰਜਾਬ 'ਚ ਚਲੇ ਤਾਜ਼ਾ ਵਾਦਵਿਵਾਦ ਨਾਲ ਵੀ। ਸ. ਪੰਨੂ ਨੂੰ ਕੁਟਣ ਵਾਸਤੇ ਸੰਗਤ ਦਾ ਨਾ ਲਾਉਣਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਪੱਖੋਂ ਜਾਇਜ਼ ਨਹੀਂ ਸਗੋਂ ਇਹ ਤਾਂ ਸੰਗਤ ਦੇ ਨਾਂ ਤੇ ਸੋਚ ਸਮਝ ਕੇ ਕੀਤੀ ਕਾਰਵਾਈ ਲਗਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਜਿੰਨੀ ਵੀ ਨਿੰਦਾ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ, ਥੋੜੀ ਹੈ।

Sunday, June 23, 2013

उत्तराखण्ड की त्रासदी दिल को डराने के लिये काफी है कि यदी प्रकृति से छेडछाड नही रोकी गई तो आगे और क्या हो सकता है। यह इससे पता चलता है। जबसे उत्तराखण्ड त्रासदी हुई है तभी से सभी न्यूज चैनल वहाँ की पल पल की खबरो को दिखा सुना रहे है मैं भी लगातार तभी से हर चैनल को देख रहा हूँ लेकिन मैने इस पूरी त्रासदी में जो सबसे जरुरी बात सुनना चाहता था और देखना चाहता था वो अभी तक नही देख पाया हूँ सभी सरकार की बुराई आदि बातो पर पिछले 4 दिनो से खबरे दिखा रहे है लेकिन सवाल यह उठता है कि भारत में इतने सारे एनजीओ जो करोढो रुपये का दान लेते है इतने सारे एनजीओ का के सोशल कमर्चारी कहाँ है क्या पहले दिन से ही भारत सरकार को यह फरमान नही निकालना चाहिये था कि पूरे भारत के एनजीओ और उनके कर्मचारी इस त्रासदी में अपनी ताकत छोककर लापता और फसे हुये लोगो को निकाले। क्या बडे बडे संस्थानो का दायित्व नही बनता जो खेलो में करोढो रुपये लगा देते है लेकिन कुछ लाख रुपये लगाकर अपना दायित्व इस त्रासदी से उभरने में नही लगा सकते क्या मीडिया चैनलो को राज्य सरकारो के हैलिकाफ्टरो में अपने रिपोर्टर को लाईव कवरेज कराने के अलावा खुद इसमें बडचड कर राहत साम्रगी भेजने और लोगो के सामने ऐसे उदाहरण वाली स्टोरी पेश नही करना चाहिये जहाँ हर व्यक्ति एकजूट होकर इस त्रासदी से निपटने के लिये प्रयास करे अभी भी भारत में इन सब की कमी है क्योकि कोई भी त्रासदी को केवल सरकार और सरकार के नुमाईंदे कभी पूरी तरह से नही निपट सकते जबतक की भारत का हर नागरिक औऱ उस त्रासदी से लडने के लिये एकजूट नही हो जाता। और इसके लिये उन बडे बडे औधोगिक संस्थानो के मालिक औऱ स्टार प्रचारको आगे आना होगा जो छोटी छोटी बातो के लिये ट्वीट करना जानते है लेकिन इस बडी त्रासदी में शांत बैठे हुये है उन मीडिया संस्थानो को आगे आना होगा जो देशभक्ति के नाम पर लाखो करोढो रुपये पानी की तरह वहाँ देते है औऱ औऱ अपने कर्मचारियो की संख्या को रिकार्ड में दिखाते है लेकिन आज इस त्रासदी में केवल अपने कुछ चुनिंदा रिपोर्टर को भेजकर अपना फर्ज निभा रहे है। मेरी प्रार्थना है कि ऐसे सभी लोग जिनको देश का नागरिक फोलो करता है उनको अपने ऐसी कमरे से निकल कर इस त्रासदी में योगदान देने के लिये बाहर निकलना होगा फिर देखिये ना केवल भारत की जनता इस त्रासदी में एक जुट नजर आयेगी बल्कि विदेश में बडे बडे त्रासदी बचाव कार्यक्रम भारत का अनुसरण करेगे।

Saturday, June 22, 2013

पहाड़ के लोगों को बदनाम न करें

मीडिया वालों से हाथ जोड़ के गुज़ारिश है की इस तरह से पहाड़ के लोगों को बदनाम न करें कम से कम उन लोगों को भो दिखाएँ जोअपना सारा समय भूखे प्यासे रह के आपदा पीड़ितों की सहायता करने में लगे है जो सेना के लोगों की तारीफ आप कर रहे है आपदा पीड़ितों को बचने वालेउस सेना के 90% जवान इस पहाड़ के ही लोग है अगर आप लोग दिखा सकते तो उन नेताओं की मक्कारी को दिखाओ जो हवा में उड़ के आ रहे है और कई हज़ार फिट ऊपर से ही लाशों की गिनती भी कर ले रहे उत्तराखंड को इस तरह से बदनाम ना करो जो भी आपदा में फंसे लोगों और जो काल के ग्रास बने लोगों के लिए पूरा उत्तराखंड उदास है मीडिया वाले एक पहलू और भी इस उत्तराखंड का जिस आपदा को आज पुरेवर्ल्ड ने देखा है ऐसी आपदा का सामना पहाड़ के लोग हमेसा हर साल और हर बरसात में करते हैं हर साल कितने ही लोग नदियों नालों में बहजाते है कई लोग मलवे में दब कर मर जाते हैं यह सीधे साधे ईमानदार पहाड़ के लोग आपदा के दर्द को अच्छी तरह से समझते भी है और पैदा होने से मरने तक इस दर्द को जीते है ..

ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰ-ਮਿਸਾਈਲਾਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਜਾਂ 100-120 ਸੀਟਾਂ ਵਾਲਾ ਵੱਡਾ ਹੈਲੀਕਾਪਟਰ


ਆਮ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਆਕਾਰ ਨਾਲੋਂ ਭਾਰਤ ਦੇਸ਼ ਕਿਤੇ ਵੱਡਾ ਹੈ। ਇਸ ਕੋਲ ਕੁਦਰਤੀ ਖ਼ਜ਼ਾਨੇ ਬਹੁਤ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਹੀ ਕਦੇ ਵੀ ਕਿਤੇ ਭੂਚਾਲ, ਹੜ੍ਹ ਤੇ ਹੋਰ ਕੁਦਰਤੀ ਤੇ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਆਫ਼ਤਾਂ ਆ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ। ਪਰ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਦੀ ਸੋਚ ਪਿੱਛੇ ਰੱਖ ਕੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਦੀ ਪਹਿਲ ਤੇ ਚੱਲਦੇ ਭਾਰਤ ਨਿੱਤ ਨਵੀਆਂ ਮਿਸਾਲਾਂ ਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਬੰਬ ਵਗੈਰਾ ਬਣਾਈ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਹਾਲੇ ਤੱਕ ਇਸ ਨੇ ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਹੈਲੀਕਾਪਟਰ ਜਿਸ ਵਿਚ 100-120 ਸੀਟਾਂ ਹੋਣ ਬਣਾਉਣ ਬਾਰੇ ਨਹੀਂ ਸੋਚਿਆ।
ਫੇਸਬੁੱਕ ਫੋਟੋਆਂ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਜਿਹੜੇ ਹੈਲੀਕਾਪਟਰ ਵਰਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਂਇਦ 10-20 ਲੋਕ ਹੀ ਲਿਆਂਦੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਪਰ ਜਨਤਾਂ ਤਾਂ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਫਸੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਨਾ ਇਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲ ਮੌਸਮ ਸੰਬੰਧੀ ਭਵਿੱਖਬਾਣੀ ਹੁੰਦੀਆਂ, ਨਾ ਇਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਬਚਾਅ ਹੁੰਦਾ, ਲੈ ਦੇ ਕੇ ਪਹਿਲਾ ਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਵੀ ਜੰਗਲ-ਰਾਜ ਹੀ ਹੁੰਦਾ :(
ਗੂਗਲ ਬਾਬਾ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਗੋਰਿਆਂ ਨੇ ਤਾਂ 1962-63 ਵਿਚ ਹੀ ਇਕ ਅਜਿਹਾ ਹੈਲੀਕਾਪਟਰ ਬਣਾ ਲਿਆ ਸੀ। ਜਿਸ ਵਿਚ 100-120 ਮਨੁੱਖਾਂ ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਤੇ ਲਿਜਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ।
 

ਹਾਲੇ ਵੀ ਮੌਕਾ ਹੈ, ਆਗੂਆਂ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਅਗਲੀ ਵਾਰ (ਰੱਬ ਨਾ ਕਰੇ) ਅਜਿਹੀ ਆਫ਼ਤ ਲਈ 4-5 ਅਜਿਹੇ ਹੈਲੀਕਾਪਟਰ ਤਿਆਰ-ਬਰ-ਤਿਆਰ ਹੋਣ ਅਤੇ ਪਹਿਲਾ ਦਿਨ ਤੋਂ ਹੀ ਆਗੂ-ਮੰਤਰੀ-ਸੰਤਰੀ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦੇਣ ਕਿ ਖਾਣ-ਪੀਣ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੇ ਰੇਟ ਵਧਾਉਣਾ ਕਾਨੂੰਨੀ ਜ਼ੁਰਮ ਹੈ। ਅਪਰਾਧੀਆਂ ਨੂੰ ਸਖ਼ਤ ਤੋਂ ਸਖ਼ਤ ਸਜਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ। ਬਲਾਤਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਮੌਕੇ ਤੇ ਹੀ ਗੋਲੀ ਮਾਰਨ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ।
ਵੈਸੇ ਵੀ 100 ਵਿਚੋਂ 80 ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਮਰੇ ਹੋਣੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤੈਰਨਾ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ ਹੋਣਾ। ਹੜ੍ਹ ਹੀ ਸੀ ਕੋਈ ਭੂਚਾਲ ਤਾਂ ਨਹੀਂ।
ਪਰ ਦਿੱਲੀ ਹਾਲੇ ਦੂਰ ਹੈ।

Monday, June 17, 2013

मोदी के बहाने नीतीश का दांव!

 
 मोदी के बहाने नीतीश का दांव! पटना: बिहार में सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (युनाइटेड) का 17 वर्षो से चल रहा गठबंधन मोदी के नाम पर अब टूटने के कगार पर है। भाजपा ने जहां गोवा अधिवेशन में नरेन्द्र मोदी को अगले चुनाव अभियान के लिए चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाकर केन्द्र की कुर्सी हथियाने के लिए सबसे बड़ा दांव लगाया है, वहीं नीतीश कुमार ने भी मोदी के नाम पर गठबंधन से अलग होने का अपना आखिरी दांव खेला है।

बिहार के मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद कहते हैं कि नीतीश, मोदी का विरोध कर मुसलमानों का वोट हासिल करना चाहते हैं, परंतु उनकी चुनरी में दाग लगा है। वैसे मोदी के नाम पर नीतीश का विरोध कोई नया नहीं है। वर्ष 2008 में जब बिहार के कोसी क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आई थी, तब मोदी ने गुजरात से भी बड़ी मात्रा में राहत पहुंचाई थी। परंतु बिहार के मुख्यमंत्री ने उस मदद को भी लौटा दिया था।

इसके बाद वर्ष 2010 में पटना में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नेताओं को मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री आवास में एक भोज का आमंत्रण दिया, परंतु जैसे ही उन्हें मालूम चला था कि इस बैठक में मोदी उपस्थित हैं तो उन्होंने इस भोज का न्योता ही वापस ले लिया था।

नीतीश का मोदी विरोध यहीं नहीं रुका। इस घटना के छह महीने बाद बिहार विधानसभा चुनाव में मोदी को प्रचार के लिए नहीं आने दिया गया। हालांकि इसका विरोध भाजपा के कई नेताओं ने उस समय किया था, परंतु नीतीश उस वक्त भाजपा के थिंकटैंकों को समझाने में सफल हो गए थे। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भारी बहुमत से दोबारा बिहार में सता में लौटा था।

पिछले लोकसभा चुनाव में भी मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश के विरोध के कारण बिहार में प्रचार के लिए नहीं आए। मुख्यमंत्री नीतीश इसके अलावा भी मोदी का विरोध समय-समय पर करते रहे हैं। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी थी कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार धर्मनिरपेक्ष छवि और पिछड़े राज्यों की पीड़ा समझने वाला होना चाहिए। उन्होंने भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित करने की अपील की थी।

बिहार में महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव में जद(यू) के उम्मीदवार और राज्य के मंत्री पी$ के. शाही के हार जाने और गोआ के अधिवेशन में मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद दोनों दलों की तल्खियां बढ़ गई। वर्तमान स्थिति में भाजपा मोदी के नाम से पीछे नहीं हटना चाह रही है, वहीं जद(यू) मोदी को अपनाने को तैयार नहीं है। बिहार के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सी$ पी$ ठाकुर कहते हैं कि मोदी के नाम पर भाजपा के पीछे हटने का प्रश्न ही नहीं है। यह पार्टी का अंदरूनी मामला है।

हिमाचल की राजनीति में आया भूचाल, बंट रही है कांग्रेसी नेता की अश्लील सीडी

 
   
  चंडीगढ़: मंडी उपचुनाव से करीब एक सप्ताह पहले केंद्रीय मंत्री रह चुके कांग्रेस के एक बुजुर्ग नेता की आपत्तिजनक अवस्था में एक महिला के साथ बनाई गई अश्लील सीडी सामने आने से हिमाचल की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस सीडी को विशेषकर नेता के होमटाउन मंडी में गोपनीय तरीके से बांटा गया है, जहां लोकसभा सीट के उपचुनाव में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं। उनके खिलाफ बीजेपी से जयराम ठाकुर मैदान में हैं।
अचानक सामने आई इस सीडी से परेशान हिमाचल सरकार ने मामले की जांच राज्य सीआईडी को सौंप दी है। सीआईडी फिलहाल पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस सीडी को जारी करने के पीछे कौन है। शिमला स्थित सीआईडी थाने में आईटी ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। साथ ही इसमें महिला को भद्दे और अश्लील ढंग से प्रदर्शित किए जाने, मानहानि और अश्लील सामग्री के वितरण से जुड़े कानून के तहत भी अज्ञात आरोपियों को आरोपित किया गया है।
बताया जाता है कि इस सीडी को काफी पहले हिमाचल के बाहर किसी जगह पर बंद कमरे या शायद होटेल के रूम में फिल्माया गया है। सीडी में मंडी के प्रभावशाली नेता के साथ दिखाई देने वाली महिला अधेड़ उम्र की हैं और अनुमान है कि वह हिमाचल से बाहर की हैं। सीडी में कांग्रेस को जो नेता दिखाई दे रहे हैं, वह एक घोटाले में फंस चुके हैं और फिलहाल बेल पर बाहर हैं। वह कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा सिंह का जोर-शोर से समर्थन और प्रचार कर रहे हैं। करीब आधे घंटे की इस सीडी में महिला और नेता के अश्लील दृश्यों की कई क्लिपिंग्स हैं। सीडी में बीच-बीच में एक तीसरा शख्स भी दिखाई देता है।
हिमाचल की राजनीति में राजनीतिक विरोधियों को नुकसान पहुंचाने के लिए सीडी जारी किए जाने की रिवायत नई नहीं है। गौरतलब है कि 2007 में पूर्व मंत्री मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह की कथित आवाजों वाली एक सीडी को जारी किया था। इस मामले में कोर्ट में वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह की जीत हुई।
इसी तरह की एक ऑडियो सीडी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके जमाने में राज्य के पुलिस महानिदेशक रहे डी. एस. मिन्हास की आवाजों को एडिट करके भी तैयार की गई थी। इस मामले में केस भी दर्ज हुआ था, मगर आज तक सचाई सामने नहीं आ सकी। शिमला लोकसभा सीट के बीजेपी सांसद वीरेंद्र कश्यप की एक सीडी भी सुर्खियों में रही है।

सिरसा, जहां अवैध कालौनियों को मिल रहा है सरकारी सरंक्षण



सिरसा - जिला नगर योजनाकार राम कुमार ने सिरसा में कार्यभार संभालते ही अवैध कालौनी काटने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने तथा अवैध कालौनियों में किए गए निर्माण तोड़ने का दावा किया था, मगर अब यह दावा हवा-हवाई होता नजर आने लगा है। अवैध कालौनाईजर तथा विभाग के एक कनिष्ठ अभियंता के बीच चर्चित तालमेल के चलते शहर में अवैध कालौनियों की बाढ़ आई हुई थी, मगर जिला नगर योजनाकार राम कुमार द्वारा उक्त कनिष्ठ अभियंता के चक्रव्यूह में न फंसने के कारण उम्मीद बनी थी, कि अवैध कालौनियां के विकसित होने पर विराम लगेगा। अवैध कालौनाईजरों पर शिकंजा कसने वाले सरकारी तंत्र को कालौनाईजर अपने जाल में इस तरह फंसा लेते है कि वह चाहकर भी कोई कार्यवाही नहीं कर पाते। इसका प्रमाण वीटा मिलक प्लांट, बेगू रोड़ के पीछे काटी गई अवैध कॉलोनी है, जिसके लिए बकायदा बीडीओ कार्यालय द्वारा सिंचाई विभाग की भूमि इंटरलाकिंग सड़क का निर्माण करना है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक यह सड़क पीर मंदिर तक जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बनाई गई है, मगर सत्यता कुछ ओर ही दर्शाती है। पीर मंदिर के नाम की आड़ में दरअसल सरकारी तंत्र अवैध कालौनाईजर को लांभावित करना चाहता था, इसलिए यह सड़क का निर्माण वहीं जाकर समाप्त हो जाता है, जहां अवैध कालौनी की सीमा समाप्त हो जाती है। मजेदार पहलू यह है कि इस अवैध कालौनी में निर्माण शुरू हो चुका है और जिला नगर योजनाकार ने चुप्पी साधे हुई है, क्योंकि इसमें विभाग के एक इंजीनियर की बेनामी हिस्सेदारी है। मामला मुख्यमंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों के ध्यानार्थ लाया जा चुका है।

ਸੇਖੜੀ ਆਲ ਇੰਡੀਆ ਕਾਂਗਰਸ ਵਰਕਿੰਗ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਸਕੱਤਰ ਨਿਯੁਕਤ


 
• ਗੁਜਰਾਤ, ਗੋਆ, ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ ਇੰਚਾਰਜ ਵੀ ਬਣੇ
ਬਟਾਲਾ, 16 ਜੂਨ   -ਬਟਾਲਾ ਤੋਂ ਕਾਂਗਰਸੀ ਵਿਧਾਇਕ ਸ਼੍ਰੀ ਅਸ਼ਵਨੀ ਸੇਖੜੀ ਨੂੰ ਅੱਜ ਆਲ ਇੰਡੀਆ ਕਾਂਗਰਸ ਵਰਕਿੰਗ ਕਮੇਟੀ ਦਾ ਸੈਕਟਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਹੈ | ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁਜਰਾਤ, ਗੋਆ, ਰਾਜਸਥਾਨ ਅਤੇ ਦਮਨ ਦੀਪ ਦਾ ਇੰਚਾਰਜ ਵੀ ਲਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ | ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਸ੍ਰੀ ਸੇਖੜੀ ਨੂੰ ਹਾਈਕਮਾਂਡ ਵੱਲੋਂ ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, ਗੁਜਰਾਤ, ਰਾਜਸਥਾਨ ਦਾ ਆਬਜ਼ਰਵਰ ਬਣਾ ਕੇ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ਸੀ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਧੀਆ ਕਾਰਗੁਜ਼ਾਰੀ ਨੂੰ ਵੇਖਦਿਆਂ ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੁਬਾਰਾ ਕਾਂਗਰਸ ਵਰਕਿੰਗ ਕਮੇਟੀ ਦਾ ਸਕੱਤਰ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ | ਇਸ ਬਾਰੇ ਸ੍ਰੀ ਸੇਖੜੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਮੈਂ ਪਾਰਟੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਸੋਨੀਆਂ ਗਾਂਧੀ ਤੇ ਉਪ ਪ੍ਰਧਾਨ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਰਹੱਦੀ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਇਕ ਆਮ ਵਰਕਰ ਨੂੰ ਆਲ ਇੰਡੀਆ ਕਾਂਗਰਸ ਵਰਕਿੰਗ ਕਮੇਟੀ ਦਾ ਸਕੱਤਰ ਲਾਇਆ ਹੈ | ਸ੍ਰੀ ਸੇਖੜੀ ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੀ.ਏ.ਸੀ. ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਕਾਂਗਰਸ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਮੀਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਵੀ ਹਨ |

ਸਤਿੰਦਰ ਸਭਰਵਾਲ ਸਰਕਲ ਪ੍ਰਧਾਨ ਨਿਯੁਕਤ


ਅਜੀਤਗੜ੍ਹ, 16 ਜੂਨ -ਐਾਟੀ ਡਰੱਗ ਫੈਡਰੇਸ਼ਨ ਨੇ ਸਤਿੰਦਰ ਸੱਭਰਵਾਲ ਨੂੰ ਸਰਕਲ ਪ੍ਰਧਾਨ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਹੈ | ਇਸ ਮੌਕੇ ਸੰਧੂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਤਿੰਦਰ ਸੱਭਰਵਾਲ ਦੇ ਪਿਤਾ ਮਰਹੂਮ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ ਸੱਭਰਵਾਲ ਸਮਾਜਿਕ ਸ਼ਖਸੀਅਤ ਸਨ | ਇਸ ਮੌਕੇ ਸਤਿੰਦਰ ਸੱਭਰਵਾਲ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੰਜ ਹੋਰ ਅਹੁਦੇਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਪੱਤਰ ਵੰਡੇ ਗਏ | ਇਸ ਮੌਕੇ ਵਨੀਤ ਵਰਮਾ, ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ, ਹਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਮੀਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ (ਸਰਕਲ 68 ਪ੍ਰਧਾਨ), ਗੁਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ (ਸਰਕਲ 91 ਪ੍ਰਧਾਨ) ਤੇ ਹੋਰ ਪਤਵੰਤੇ ਸੱਜਣ ਤੇ ਵਰਕਰ ਵੀ ਹਾਜ਼ਰ ਸਨ |

ਬਰਨਾਲਾ ਤੋਂ ਕਾਂਗਰਸ ਤੇ ਲੋਕ ਜਨਸ਼ਕਤੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਆਗੂ ਸਮਰਥਕਾਂ ਸਮੇਤ ਅਕਾਲੀ ਦਲ 'ਚ ਸ਼ਾਮਿਲ


ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ, 16 ਜੂਨ    -ਕਾਂਗਰਸ ਤੇ ਲੋਕ ਜਨਸ਼ਕਤੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਕਈ ਆਗੂਆਂ ਵਲੋਂ ਆਪਣੇ ਸਮਰਥਕਾਂ ਸਮੇਤ ਅੱਜ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਸਕੱਤਰ ਜਨਰਲ ਤੇ ਰਾਜ ਸਭਾ ਮੈਂਬਰ ਸੁਖਦੇਵ ਸਿੰਘ ਢੀਂਡਸਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋ ਗਏ | ਅੱਜ ਇੱਥੇ ਸ. ਢੀਂਡਸਾ ਦੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ ਵਿਖੇ ਇਕ ਸਮਾਗਮ ਦੌਰਾਨ ਯੂਥ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਤੇ ਸਾਬਕਾ ਕੌਾਸਲਰ ਜਸਮੇਲ ਸਿੰਘ ਡੇਅਰੀਵਾਲਾ, ਯੂਥ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਹਰਕੇਵਲ ਸਿੰਘ ਕੁਠਾਲਾ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਯੂਥ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਸੀਨੀਅਰ ਮੀਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਚਾਂਦੀ ਰਾਮ ਤੇ ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਚੌਹਾਨ, ਲੋਕ ਜਨਸ਼ਕਤੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਸੂਬਾ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਡਾ.ਸ਼ਮਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਬੱਧਣ ਸ਼ੇਰਪੁਰ, ਜਗਦੇਵ ਸਿੰਘ ਬੰਗੜ ਤੇ ਤੀਰਥ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਮਰਥਕਾਂ ਦੀ ਹਾਜ਼ਰੀ ਵਿਚ ਸ. ਢੀਂਡਸਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਬੂਲਦਿਆਂ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ | ਸ. ਸੁਖਦੇਵ ਸਿੰਘ ਢੀਂਡਸਾ ਨੇ ਸਮੂਹ ਆਗੂਆਂ ਦਾ ਸਿਰੋਪਾਓ ਪਾ ਕੇ ਸਨਮਾਨ ਕਰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਰੇ ਆਗੂਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਬਣਦਾ ਮਾਣ ਸਤਿਕਾਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇਗਾ | ਇਹ ਸਾਰੇ ਆਗੂ ਨਗਰ ਸੁਧਾਰ ਟਰੱਸਟ ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਚੇਅਰਮੈਨ ਇੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਚਹਿਲ, ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਜਥੇਬੰਧਕ ਸਕੱਤਰ ਸੰਤ ਹਾਕਮ ਸਿੰਘ ਅਤੇ. ਸੁਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਆਹਲੂਵਾਲੀਆ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਨਾਲ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਏ |

हिमाचल में भारी भूस्खलन, मलबे के नीचे दबा परिवार


 
 
हिमाचल में भारी भूस्खलन, मलबे के नीचे दबा परिवार शिमला: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक घर पर शिलाखंड गिर जाने से सोमवार को तीन बच्चों सहित एक परिवार के पांच लोग मलबे में दब गए। पुलिस अधीक्षक जी. शिवा ने बताया कि ‘‘स्थानीय लोगों द्वारा बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है लेकिन भारी भूस्खलन की वजह से सरकारी अधिकारी अभी वहां नहीं पहुंच पाए हैं।’’
शिमला से 220 किलोमीटर दूर टपरी के नजदीक चागांव में यह हादसा उस वक्त हुआ जब परिवार के सभी सदस्य अपने घर में सो रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘इस घटना में किसी के बचने की उम्मीद काफी कम है।’’ पिछले दो दिनों से किन्नौर जिले में भारी बारिश हो रही है।
शिवा ने बताया कि रविवार से हुए कई भूस्खलन में चार लोगों की मौत हो गई है। उनके मुताबिक, किन्नौर एवं सांगला घाटी में सडक़ों को फिर से जोडऩे के लिए चलाया जा रहा काम भूस्खलन की वजह से बाधित हो गया है तथा कई पर्यटक फंस गए हैं।

'अगले 20 साल तक ब्रह्मोस को कोई चुनौती नहीं'

 




'अगले 20 साल तक ब्रह्मोस को कोई चुनौती नहीं' नई दिल्ली: दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और भारत के सैन्य कौशल की प्रतीक ‘ब्रह्मोस’ के लिए अगले 20 साल तक कोई चुनौती नहीं है। यह दावा किसी और ने नहीं, बल्कि स्वयं ब्रह्मोस के जनक शिवतनु पिल्लई ने किया है।

वैज्ञानिक और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी तथा प्रबंध निदेशक पिल्लई ने कहा ‘ब्रह्मोस का समकक्ष अभी तैयार किया जाना है। और अगले 20 साल में शत्रु से इसे कोई चुनौती नहीं मिल सकती।’

पिल्लई भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी के विकास को लेकर भावी रूपरेखा के बारे में अपने विचार जाहिर कर रहे थे। वह डीआरडीओ के आरएंडडी विभाग के प्रमुख नियंत्रक हैं और उन्हें ‘ब्रह्मोस का जनक’ भी कहा जाता है।

उन्होंने एक नयी किताब में इस मिसाइल प्रौद्योगिकी को, युवा शक्ति द्वारा संचालित भारत को सुरक्षित और उसका बेहतर भविष्य बनाने वाली 10 प्रमुख एवं दुर्लभ उन्नत प्रौद्योगिकियों में एक बताया है।

पिल्लई ने ‘थॉट्स फॉर चेंज, वी कैन डू इट’ नामक यह किताब पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ मिल कर लिखी है। यह किताब दो प्रख्यात वैज्ञानिकों की सोच दर्शाती है जिसमें भारत के युवा वर्ग से ऐसा बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्राचीन वैज्ञानिक कौशल को फिर से अपनाने का आह्वान किया गया है जहां बहुप्रौद्योगिकियां एक दूसरे को परस्पर काटेंगी और परस्पर संचालित होंगी।

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा ‘इस तथ्य पर हमें गर्व है कि दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और भारत रूस सहयोग की प्रतीक ब्रह्मोस की भारतीय नौसेना और सेना को सफलतापूर्वक आपूर्ति की जा चुकी है तथा भारतीय वायुसेना के लिए इसका हवाई संस्करण भी अगले कुछ साल में तैयार हो जाएगा।’

पिल्लई ने कहा कि इस मिसाइल के निर्माण के लिए भारत ने दिशानिर्देश के साथ साथ वैमानिकी, सॉफ्टवेयर और हवाईढांचे संबंधी कलपुर्जे मुहैया कराए हैं।

यह मिसाइल भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ और रूस के एनपीओ माशिनोस्ट्रोयेनिया के बीच रणनीतिक भागीदारी के तहत विकसित की गई है। यह एक स्टील्थ क्रूज मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 290 किमी और गति 2.8 मैक से 3 मैक है। इसका नाम ब्रह्मोस भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नामों को मिला कर रखा गया है।

Sunday, June 9, 2013

ਕੇਂਦਰੀ ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰੀ ਅੱਤਵਾਦ ਦਾ ਹਊਆ ਖੜ੍ਹਾ ਕਰਨ 'ਤੇ ਤੁਲੇ-ਢੀਂਡਸਾ

ਤਪਾ ਮੰਡੀ, 8 ਜੂਨ  -ਪੰਜਾਬ ਅੰਦਰ ਕਿਤੇ ਵੀ ਕਿਸੇ ਕਾਂਗਰਸੀ ਨਾਲ ਧੱਕਾ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ, ਕਈ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਅਤੇ ਪੰਚਾਇਤ ਸੰਮਤੀ ਜ਼ੋਨਾਂ ਅੰਦਰ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਆਗੂ ਚੰਦ ਵੋਟਾਂ ਦੇ ਫ਼ਰਕ ਨਾਲ ਹੀ ਚੋਣ ਹਾਰੇ ਹਨ, ਜੇਕਰ ਧੱਕੇਸ਼ਾਹੀ ਹੋਈ ਹੁੰਦੀ ਤਾਂ ਅਜਿਹੇ ਜ਼ੋਨਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਕੱੁਝ ਹੋਰ ਹੋਣੇ ਸਨ | ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਸਕੱਤਰ ਜਨਰਲ ਅਤੇ ਰਾਜ ਸਭਾ ਮੈਂਬਰ ਸ: ਸੁਖਦੇਵ ਸਿੰਘ ਢੀਂਡਸਾ ਨੇ ਪੈੱ੍ਰਸ ਕਾਨਫ਼ਰੰਸ ਨੂੰ ਸੰਬੋਧਨ ਕਰਦਿਆਂ ਕੀਤਾ | ਇਸ ਮੌਕੇ ਰਾਜ ਸਭਾ ਮੈਂਬਰ ਸ: ਸੁਖਦੇਵ ਸਿੰਘ ਢੀਂਡਸਾ ਨੇ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਆੜੇ ਹੱਥਾ ਵਿਚ ਲੈਂਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ 84' ਦੇ ਸਿੱਖ ਕਤਲੇਆਮ 'ਚ ਚਾਰ ਹਜ਼ਾਰ ਦੇ ਕਰੀਬ ਬੇਦੋਸ਼ੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਨਸਾਫ਼ ਤਾਂ ਕੀ ਦਿਵਾਉਣਾ ਸੀ, ਉਲਟਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਯਾਦ ਬਣਾਉਣ ਤੇ ਵੀ ਪਾਬੰਦੀ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ ਹੈ | ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਮਨਾ 'ਤੇ ਭਾਰੀ ਸੱਟ ਮਾਰੀ ਹੈ | ਕੇਂਦਰੀ ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰੀ ਸੁਸ਼ੀਲ ਸ਼ਿੰਦੇ ਪੰਜਾਬ ਅੰਦਰ ਅੱਤਵਾਦ ਦਾ ਇੱਕ ਹਊਆ ਖੜ੍ਹਾ ਕਰਨ ਤੇ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ | ਇਸ ਮੌਕੇ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਮੀਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਜਥੇਦਾਰ ਰਾਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਕਾਂਝਲਾ, ਪਾਰਲੀਮਾਨੀ ਸਕੱਤਰ ਬਲਵੀਰ ਸਿੰਘ ਘੁੰਨਸ, ਦਰਬਾਰਾ ਸਿੰਘ ਗੁਰੂ, ਜਥੇਦਾਰ ਬਲਦੇਵ ਸਿੰਘ ਚੂੰਘਾਂ, ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਖ਼ਾਲਸਾ, ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ ਬੋਘਾ ਸਰਪੰਚ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਤਰਲੋਚਨ ਬਾਂਸਲ, ਗੁਰਤੇਜ ਸਿੰਘ ਖੁੱਡੀ, ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਢਿੱਲੋਂ ਹਾਜ਼ਰ ਸਨ |

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