Thursday, September 8, 2016

चुनाव नजदीक आते ही ऑफिसर्स के बदले तेवर ,अकाली दल के जिला प्रधान ने बाइक छोड़ने को कहा, नहीं माने एसडीएम

बीतीरात शहर के केसी रोड के पास नाका लगाकर चालान काट रहे एसडीएम और अकाली दल के शहरी जिला प्रधान संजीव शौरी के बीच चालान काटने को लेकर हुई बहस इस कदर बढ़ गई की दोनों आमने-सामने हो गए। दोनों ने एक दूसरे के साथ दुर्व्यवहार करने बदतमीजी करने के आरोप लगाए। एसडीएम ने तो अकाली दल के प्रधान पर कानून हाथ में लेते ड्यूटी में विघ्न डालने का भी आरोप लगा दिया। एसडीएम ने पूरे मामले को डीसी बरनाला के पास पहुंचाया तो वहीं अकाली दल के प्रधान ने पार्टी हाइकमांड तक सारी बात पहुंचा कार्रवाई की मांग की है। दरअसल  बरनाला के एसडीएम अमनवीर सिद्धू के लंबी छुट्टी पर जाने के कारण बरनाला के एडीएम का का एडिशनल चार्ज तपा के एसडीएम राजपाल सिंह को सौंपा गया है। राजपाल सिंह ने मंगलवार को ही अपना चार्ज संभाला था की पहले ही दिन वह अकाली दल के प्रधान से उलझ पड़े। एसडीएम ने नाके पर एक बाइक को रोककर जब उसका चालान करने लगे तो ऐन मौके पर संजीव शौरी ने फोन कर एसडीएम को बाइक छोड़ने को कहा था, एसडीएम के मना करने पर मामला बढ़ गया। मंगलवार रात को कच्चा कालेज रोड पर एसडीएम राजपाल सिंह चालान काट रहे थे। उनके साथ एसएचओ सिटी दविंदर सिंह भी थे। नाके दौरान एसडीएम ने एक बाइक सवार व्यक्ति को रोककर जब उसका बाइक बंद करने लगे तो व्यक्ति ने प्रधान संजीव शौरी को फोन किया। संजीव शौरी ने एसडीएम को फोन कर बाइक छोड़ने को कहा तो एसडीएम ने प्रधान की नहीं मानी तो तैश में आए प्रधान संजीव शौरी और पार्टी के जिला उपाध्यक्ष राजीव वर्मा रिम्पी सीधा एसडीएम के पास नाके पे पहुंच गए। जहां शौरी ने दोबारा एसडीएम को बाइक छोड़ने को कहा तो एसडीएम नहीं माने। बाद में डीसी के कहने पर बाइक छोड़ दी। डीसी भुपिंदर सिंह राय ने कहा कि एसडीएम को दफ्तर बुलाकर समझा दिया है। भविष्य में ऐसी नौबत कभी नहीं आने देंगे। संजीव शौरी ने कहा कि व्यक्ति के पास कागज पूरे थे तो एसडीएम उसका जबरन चालान काट रहे थे जब उन्हें छोड़ने को कहा गया तो वह उनसे ही दुर्व्यवहार पर उतर आए। जिसकी पूरी जानकारी पार्टी हाईकमांड को दे दी है। एसडीएम राजपाल सिंह का कहना है कि वह नाका लगा ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करने वालों के चालान कर रहे थे कि प्रधान संजीव शौरी उनके पास पहुंच गए और अपनी ही पार्टीबाजी का उन पर रौब झाड़ने लगे। शौरी ने कानून को हाथ में लेते उनकी ड्यूटी में बाधा भी डाली

Wednesday, September 7, 2016

किसानों का कर्ज माफ और बिजली बिल आधा करेंगे- कांग्रेस

आसान नहीं है डेल्ही से पंजाब की डगर दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है रास्ता ,विवादों में घिरती जा रही आप


अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री,दिल्ली

पंजाब में सत्ता पाने का स्वपन संजोय बैठी आम आदमी पार्टी की डेल्ही से पंजाब की राह अब आसान नहीं लग रही ! केजरीवाल के चेहरे को आगे कर के ही अब शायद पंजाब की कुर्सी पर कब्ज़ा किया जा सकता है ! केजरीवाल की आंख पंजाब के  चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर है ! क्यों के डेल्ही के चीफ मिनिस्टर की पावर एक म्युनिसिपल प्रेजेंट जैसे ही होती है ! इस लिए लगता है के  पंजाब को केजरीवाल हर हालात में हासिल करना चाहते है !उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल जी का अस्तीफा भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है ! कभी कभी तो लगता है के केजरीवाल खुद ही नहीं चाहते कि उनकी पार्टी के किसी नेता का कद इतना बड़ा हो जाय के वो अपने दम पर वोट ले सके !कई उदारहरण है अतीत में योगेंद्र यादव ,बिन्नी ,प्रशांत भूषण इत्यादि ! ऐसा ही पंजाब में हुआ ,स्टार प्रचारक भगवंत मान अचानक नाछेरी  बन गया ,उस के मुह से शराब की बॉस आने लगी है ,कोई बताएगा के भगवंत मान मेंबर पार्लियामेंट तो अब बना है इससे पहले क्या वो रिक्शा चलता था ? कभी व्हिस्की  या स्कोच की बास आती है क्या वो देसी ठहरा  पीता है ! सुच्चा सिंह छोटेपुर को भी छोटा कर दिया !क्या केजरीवाल साहेब ये तो नहीं चाहते के पंजाब की चीफ मिनिस्टर सुनीता केजरीवाल हो ! स्वपन देखना बुरी बात नहीं पर पहले चुनाव तो जीत लो साहेब !यह डेल्ही नहीं है पंजाब के लोग सर आँखों पर भी बड़ी जल्दी बिठाते है पर धुल चटाने ने में भी देर नहीं लगाते ! अभी तो दिल्ली में  ही आपकी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अश्लील सीडी कांड का मामला भी शांत भी नहीं हुआ कि आपकी पार्टी के एक विधायक ने सीएम केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर 'आप' के टॉप नेताओं पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है. कर्नल देवेंद्र सेहरावत ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि 'आप' के नेता पंजाब में भी महिलाओं का शोषण कर रहे हैं. 'आप' विधायक के इस तरह के सनसनीखेज आरोपों के बाद पंजाब विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी इस पार्टी के अब राह इतनी आसान नहीं दिख रही है. पंजाब विधानसभा चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा रही इस पार्टी ने जितने भी पत्ते फेंके, एक-एक कर सभी चुनाव से पहले ढेर होते जा रहे हैं. ! केजरीवाल सरकार के कैबिनेट मंत्री संदीप कुमार अश्लील सीडी कांड में फंसे. तो सीएम ने तत्काल उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त किया. पुलिस ने संदीप कुमार को तुरंत गिरफ्तार भी कर लिया लेकिन सीडी में दिख रही महिला के आरोपों के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री की मुसीबतें बढ़ गई हैं. महिला ने आरोप लगाया कि नशे की हालत में उसके साथ रेप किया गया है.बात यहीं तक नहीं रुकी. पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक आशुतोष ने संदीप कुमार का बचाव करते हुए उनकी तुलना महात्मा गांधी और नेहरू से कर दी. इस मुद्दे पर विपक्ष ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोल दिया ! इस हालात में 'डैमेज कंट्रोल' करना केजरीवाल सरकार के लिए आसान नहीं दिखाई दे रहा है. इसी बीच, सेहरावत ने आरोप लगा दिया है कि आप के नेता पंजाब में टिकट देने या उसके वादे के एवज में महिलाओं का शोषण कर रहे हैं. सेहरावत ने आशुतोष, दिलीप पांडेय और पार्टी की पंजाब ईकाई के प्रभारी संजय सिंह का भी नाम ले लिया है.!
पंजाब के संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद  भगवंत मान दुवारा संसद का वीडियो बनाए जाने के मामले ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. मान के इस वीडियो के बाद न सिर्फ विपक्ष, बल्कि 'आप' के सांसदों ने भी मोर्चा खोल दिया. मान की संसद सदस्यता खत्म किए जाने की मांग तक भी हो चुकी है !.आम आदमी पार्टी ने पिछले दिनों सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी के पंजाब संयोजक पद से हटा दिया था. पंजाब के माझा इलाके से ताल्लुक रखने वाले सुच्चा सिंह की इलाके के पार्टी नेताओं में खासी पैठ है और इलाके की कई  सीटों पर जीत-हार तय करने में वह अहम साबित हो सकते थे. ! आप' में मौजूदा संकट से निपटने के लिए अब अरविंद केजरीवाल पंजाब चुनाव में पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं. केजरीवाल का 'मिशन पंजाब' 8 सितंबर से शुरू हो रहा है. उन्होंने राजनीति की दुनिया में नए गुरप्रीत घुग्गी को सुच्चा सिंह की जगह पार्टी संयोजक की जिम्मेदारी दे दी है इस जुमेवारी पर घुघी और केजरीवाल कितने कामयाब होते है ये तो आने वाला समय ही बताएगा फ़िलहाल तो यही कहा जा सकता है के आसान नहीं है डेल्ही से पंजाब की डगर........  दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है रास्ता  
 
इसके अलावा मान की इमेज एक नशेड़ी के तौर पर बन गई है. 'आप' के ही बर्खास्त सांसद हिरेंद्र सिंह खालसा ने लोकसभा स्पीकर से शि‍कायत करते हुए कहा कि उनकी सदन में सीट को बदल दिया जाये क्योंकि उनकी बगल वाली सीट पर बैठने वाले भगवंत मान संसद में शराब पीकर आते हैं और उनके मुंह से शराब की बदबू आती है. नशामुक्त पंजाब का सपना दिखाने वाली आम आदमी पार्टी के लिए मान सहारा की जगह मुसीबत बन चुके हैं.
×सुच्चा ने छोड़ा साथ, सिद्धू से जुड़ सकते हैं


Tuesday, September 6, 2016

प्रदेश में स्वच्छ और ईमानदार सरकार के लिए दे भाजपा को वोट- पंकज सिंह अन्ना स्टाइल की टोपी पहनकर करने वालो की निं

भाजपा के प्रदेश महासचिव पंकज सिंह ने रेलवे रोड बजरिया स्थित गुरुसिंह सभा धर्मशाला में आयोजित एक सभा में अपील की की भ्रष्टाचार से मुक्त और सुशासन के लिए भाजपा को ही वोट दे | उन्होंने कहा की गाज़ियाबाद विधान सभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याक्षी अतुल गर्ग स्वच्छ छवि के ईमानदार व्यक्ति है | वह पूर्व मेयर डी.सी.गर्ग के पुत्र है जिनका कार्यकाल आरोप मुक्त रहा और विकास के लिया जाना जाता है | गाज़ियाबाद और प्रदेश की स्थिति आज किसी से छुपी नहीं है | सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाले इस शहर के विकास और व्यवस्था परिवर्तन के लिए भाजपा को ही वोट देने की उन्होंने अपील की |
इस मौके पर उन्होंने विपक्षी प्रत्याक्षी के समर्थको द्वारा अन्ना स्टाइल में मैं…….हूँ की टोपी पहने जाने की भी निंदा की और कहा जिन पर भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा आरोप है वही संत अन्ना की नक़ल उतार रहे है कितनी हास्यापद स्थिति है | व्यापारी नेता गुलशन माकन ने कांग्रेस, बसपा और सपा सरकारों की निंदा करते हुए भाजपा के ही पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया | व्यापारी दीपक तलवार ने कहा की क्या आप उस सरकार को सत्ता में लाना चाहेंगे जो भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे निहत्थे लोगो पर सोते समय लाठिया बरसाती है | सञ्चालन कर रहे व्यापारी प्रेम प्रकाश गर्ग ने कहा की केवल भाजपा ही बिना जातिवाद, भेदभाव के कार्य करती है | बेदाग़ छवि के प्रत्याक्षी अतुल गर्ग को ही वोट दे |

हर गरीब को मकान मिल सकते हैं … बशर्ते!


देश की जनसंख्या तेजी से साथ बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही आवास की समस्या भी एक प्रमुख समस्या के रूप में हम सभी के सामने है। बाजार में जमीन भी है और मकान भी हैं। लेकिन वास्तविकता यह भी है कि आम आबादी जिसे हम निर्धन भी कहते हैं कि आज भी स्वयं का एक कमरे या दो कमरे के मकान से वंचित है। इसका कारण यही है कि मकानों और फ़्लैटों की कीमतें आसमान छू रही है। अधिकांश बिल्डर्स जो मकान बना रहे हैं वे आम आदमी या गरीब वर्ग के लिए नहीं हैं। जिनके पास 20 लाख से अधिक की रकम हैं वे तो कोई फ़्लैट या मकान खरीद सकते हैं लेकिन आम आदमी के पास इतना धन कहां आता है? इसी प्रकार लोन लेने में भी आम आदमी को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर किसी आम आदमी को मकान या फ़्लैट चाहिए तो उसके पास सर्वप्रथम बैंक स्टेटमेंट हो, पैन कार्ड हो, और आयकर संबंधी कागजात तथा आय संबंधी प्रमाणपत्र। हमारी केन्द्र और राज्य सरकारों ने कभी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया। आम आदमी जिसे हम श्रमिक वर्ग भी कह सकते हैं या जो ई.डब्ल्यू.एस वर्ग का हो के पास बैंकों से लोन लेने संबंधित कागजात नहीं होते हैं। अगर हैं भी तो आधे अधूरे । जब उसके पास ये कागजात ही नहीं हैं तो उसे मकान आखिर मिलेगा तो कैसे? सवाल यही है कि जब तक आम आदमी को रहने के लिए एक या दो कमरे का मकान नहीं मिल जाता तब तक विकसित उत्तर प्रदेश या विकसित भारत की कल्पना नही की जा सकती है।
वास्तविकता यह भी है कि आम आदमियों और ईडब्लूएस वर्ग के मकान बनाने और उसे सुलभ कराने की कोई प्रभावकारी योजना केन्द्र और राज्य स्तर पर नहीं हैं जबकि देश की अधिकांश आबादी गरीब है और विभिन्न साधनों से वंचित हैं । मै कहना चाहूँगा कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 24 के बाई पास पर कई किलोमीटर की लंबी कालोनियां की श्रृंखला और बसा दी गई है। दुख की बात यह है कि इन कालोनियों में सीवर और पानी जैसी अनेका-अनेक आवश्कताओं की कमी देखी जा सकती है । इन कालोनियों मे रहने वाले लोगों को कोई लोन नहीं मिलता है। मूलभूत सुविधाओं का अभाव है इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इन कालोनियों के निवासियों को आखिर मूलभूत सुविधऐं कौन देगा? कौन उनके लिए पार्क बनवाएगा और कौन उनके लिए अन्य सुविधएं देगा? इस पर समस्त राजनीतिक दल चुप है।
अब मैं बातें करता हूँ सरकारी नियमो की। सरकार आज गरीबों याने ईडब्ल्यूएस वर्ग के मकानों के लिए भी कारपार्किंग की जगह छोडने की माँग करती है, ई.डब्ल्यू.एस वर्ग के मकानों के लिए क्या कार पाकिंग एक आवश्यकता है? एक आम आदमी अपने रहने के लिए ठीक ठाक मकान की कल्पना करता है। सबसे पहले उसकी इस कल्पना को साकार किया जाना चाहिए। अगर सरकार दिशा में अपने नियमो में संशोधन कर ले तो आम आदमी को मकान सस्ते दरों पर कुछ प्राईवेट बिल्डर भी उपलब्ध करा सकते हैं। तीन से पांच लाख रुपए में शानदार मकान गरीबों के लिए बनाये जा सकते हैं।
इसके लिए एफ0ए0आर0 के अंदर कोई छूट न देकर 200 यूनिट से प्रति एकड़ 400 से 500 प्रति हेक्टेयर की छूट दी जानी चाहिए। इसके तहत कम पूंजी वाला व्यकित जो आज किराया दे रहा है रहने के लिए उसे स्वयं का अपना मकान मिल सकता है। इस राशि को वह किश्त के रूप में देकर स्वयं मकान का मालिक बन सकता है और गरीब बस्तियों मे रहने वाले लोग शानदार मकानों में रह सकते हैं। कई बिल्डर इस दिशा में काम करना चाहते हैं लेकिन सरकार को अपने नियमों और व्यवस्था तंत्र में एक विकसित और विकासोन्मुख भावना का परिचय देना होगा।
अब मैं बात करता हू गाजियाबाद की। गाजियाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। यह दिल्ली की सीमा से लगा है लेकिन यहाँ पर नोएडा और गुडगाँव जैसी सुविधाओं का अभाव है। इस ओर न तो केन्द्र और न ही उत्तर प्रदेश सरकार ने ध्यान दिया है । जितने भी राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली से होकर गाजियाबाद के रास्ते निकलते हैं उन में 100 प्रतिशत उत्तराखण्ड का यातायात संचालित होता हैं। नैनीताल, मसूरी और हरिद्वार जाने के लिए गाजियाबाद के गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग से ही होकर किसी वाहन को गुजरना पडता है। इन्ही मार्ग से 90 प्रतिशत उत्तर प्रदेश का भी यातायात संचालित होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 24, 54 और 91 इसका उदाहरण हैं। इन मार्गो की सबसे ज्यादा अनदेखी की गई है। यहाँ पर दिल्ली की आबादी की भी बसावत है।
इन मार्गो की उपेक्षा का ही परिणाम है कि इन मार्गो पर आने वाले क्षेत्रों में और बस्तियों में नागरिक सुविधाओं का अभाव है। मैं यह भी स्पष्ट कर दूँ कि एनसीआर बोर्ड के पास धन की कमी नही है लेकिन उसका सही उपयोग इन मार्गो और क्षेत्रो में नहीं हो पा रहा है। नोएडा और गुडगाँव जैसा सौंदर्य मेट्रो और अन्य सुविधाओं का इस क्षेत्रों में अभाव हैं। इसके लिए मेरा सुझाव यह भी है कि राज्य सरकार को जो राजस्व प्राप्त होता है उसका एक निशिचत हिस्सा इस क्षेत्रो के विकास पर खर्च होना चाहिए। इसी प्रकार केन्द्र सरकार को भी जो टैक्स प्राप्त होता है उसका भी एक हिस्सा इस क्षेत्रों के विकास कार्य में किया जाए क्योंकि गाजियाबाद से ही तीन राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं जो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों को जोड़ते हैं। आखिर गाजियाबाद सबसे ज्यादा राजस्व उत्तर प्रदेश सरकार के खजाने में जमा करता है। यहां सर्वाधिक उद्योग हैं। यहां के व्यापारियों और उद्योगपतियों के माध्यम से राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। सरकार दावा तो करती है कि यहा के लोगों का आय बढ़ रही है लेकिन संसाधनो का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस क्षेत्रों के विकास के लिए कोष का आवंटन सही तरीके से हो चाहिए।
अब, मैं बात करता हूँ भूमि अधिग्रहण की। किसानों की जो जमीन अधिग्रहीत की जाती है वह बाजार मूल्य पर किसानों के साथ धोखा है। अगर सरकार 15 प्रतिशत किसी भूमि पर खर्च कर दे तो उसकी कीमत 2 से तीन गुना हो जाती है। इसी प्रकार सरकार जो भूमि अधिग्रहीत करती है उसे कई -कई गुना ज्यादा दाम पर बिल्डरों को या अन्य संस्थाओं को देती है। कम कीमत पर जमीन लेकर सरकार द्वारा ज्यादा दामों पर बेचने के मामले में ध्यान देना होगा कि सरकार कोई व्यापारी नहीं है। सरकार को निश्चित रकम जुटाने का अधिकार है लेकिन जमीन पर व्यापार करने का हक नहीं है लेकिन ऐसा हो रहा है। सरकार जमीन के मामले में आज व्यापारी हो गई है। किसी भी जमीन का विकास शुल्क नाम मात्र का ही होता है। सरकार विकास शुल्क के नाम पर क्यों ज्यादा दामों में प्लाट बेचती है? इसी प्रकार किसानों की जो जमीन अधिग्रहीत की जाती है उसका 40 प्रतिशत हिस्सा पाने का हकदार भी किसान होता है लेकिन किसान इन तथ्यों पर ध्यान ही नहीं देते हैं। जिन सोसायटियों और किसानों की जमीन अधिग्रहीत होती है उनका 40 से 50 प्रतिशत मुआवजे के रूप में जमीन दी जाती है विकास शुल्क लेकर।
अंत में हिन्ट के पाठकों के लिए मैं यही कहना चाहूंगा कि गरीबों के लिए मकान देने का लक्ष्य अगर केन्द्र और राज्य सरकार का है तो उसके लिए वातावरण बनाया जाना चाहिए। सभी को इस दिशा में राजनीजिक हितों से ऊपर उठकर आम आदमी के बारे में सोचना होगा। नियमों और कानूनों में संसोधन होना चाहिए तथा इस नियमों की जानकारी वृहत्त स्तर पर सार्वजनिक की जानी चाहिए। इसके अलावा गाजियाबाद के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय राजधनी क्षेत्रों की मूल भावना को लागू करने के लिए सामूहिक प्रयास हर स्तर पर होने चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को गाजियाबाद के विकास की दिशा में एकमत होना होगा तभी केंद्र और राज्य सरकार को उसके लक्ष्य के अनुक्रम में मदद की जा सकती है। जो तीन राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली से लेकर गुजरते हैं उनके विकास और उन मार्गो के आसपास की आबादी पर ध्यान देना जरूरी है। केंद्र सरकार प्रत्यक्ष करों के आधर पर गाजियाबाद के लिए एक कोष स्थापित कर सकती है जिससे एक जनपद का व्यापक स्तर पर विकास हो

किसानों को पार्टनर बनाए सरकार


मेरे विचार से जिस भूमि का भू-उपयोग व्यवसायिक अथवा आवासीय है और वह भू-अर्जन से बची है तो भू-स्वामी खुद उक्त भूमि का विकास करता है अथवा बिल्डर को बेंचता या बिल्डर से साझेदारी करता है, उपरोक्त तीनों संभावनाओं में से एक का लाभ भू अर्जन की जाने वाले भू स्वामी को भी मिलना चाहिए।
आवासीय कालोनी, रोड, औद्योगिक क्षेत्रों आदि के लिए ली जाने वाली भूमि के बदले मुआवजा कहने को तो बाजार भाव पर डिपटी कमिश्नर और प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि तय करते हैं, पर भाव तय करते समय उस भूमि का मूल्यांकन भूमि की पूर्व स्थिति पर होता है न कि वर्तमान स्थिति पर। पूर्व स्थिति से अभिप्राय: भू उपयोग और भूमि पर पहुंचने की उपलब्ध्ता।
सरकार अपने द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के लिए भू-उपयोग बदलने के लिए स्वतंत्रा हैं, जबकि मुआवजे के समय भूमि का मूल्यांकन पूर्व निर्धरित भू उपयोग पर कृषि आधरित होता है। ऐसे ही कालोनी बनने से पहले अंदर के खेतों की जमीन का मूल्य बहुत कम होता है जबकि योजना बनने के बाद अंदर तक रोड जाने से थोड़ा खर्च करके भूमि का मूल्यांकन बढ़ जाता है। मेरा मानना है कि विकास के लिए अकेले किसानों के हित की बलि देना ठीक नहीं। विकास संबंधी सभी एजेन्सीज को भू-मूल्य पूर्व स्थिति पर नहीं बल्कि भावी योजना में होने वाले उपयोग मूल्य पर आधरित होना चाहिए। अर्थात विकास की भागीदारी का लाभ किसान को मिलना चाहिए। उदाहरण के तौर पर मधुबन योजना को ही लें, माना जा रहा है कि 7500 रुपए प्रति गज से प्लाटों का रेट निकाला जाएगा, जबकि भूमि का मुआवजा 1100 रुपए प्रति वर्ग की दर पर तय किया जा रहा है। अगर पूरी योजना का गणित लगाएं तो 1100 प्रति वर्ग गज के हिसाब से जमीन खरीदकर 50 प्रतिशत जमीन सड़क, पार्क और अन्य कार्यो के लिए छोड़ दी जाए तो 50 प्रतिशत प्लाट निकल आते हैं। 1000 गज जमीन 11 लाख की तथा 500 गज जमीन बिक्री के लिए उपलब्ध् हूई। इस पर विकास इसमें से जीडीए अपने कार्य करने तथा कोष बनाने के लिए 50 प्रतिशत लाभ ले ले तब भी किसानों को 1100+1025 लाभ का अवश्य मिलना चाहिए। यदि बिक्री मूल्य बढ़ता है तो और लाभ बढ़ने की संभावना प्रबल होती है। ओल्गा टेलिस बनाम मुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन ,1985 3 एस0सी0सी0 545, ए0आई0आर0 1986 एस0सी0 180 मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि जीवन यापन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। अत: किसानों का मौलिक अधिकार छीन कर अगर विकास प्राधिकरण लाभ कमाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। अत: इस पर पुन: विचार करने की आवश्यकता है।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम की आड़ में विकास प्राधिकरण किसानों की भूमि छीनकर और उचित मुआवजा न देकर संविधन के अनुच्छेद 300 ए का भी उल्लंघन कर रहा है।
मेरे विचार से जिस भूमि का भू-उपयोग व्यवसायिक अथवा आवासीय है और वह भू-अर्जन से बची है तो भू-स्वामी खुद उक्त भूमि का विकास करता है अथवा बिल्डर को बेचता या बिल्डर से साझेदारी करता है। उपरोक्त तीनों संभावनाओं में से एक का लाभ भू अर्जन की जाने वाले भू स्वामी को भी मिलना चाहिए। सरकार को इस योजना के तहत किसानों को मौका देना चाहिए कि अपनी भूमि के बदले उन्हें विकसित भूमि मिले और वे खुद निर्माण कार्य में आगे आएं या इस व्यवसाय से जुड़े लोगों से भागीदारी कर सकें। ऐसा नहीं है कि मै पहली बार या कोई नई बात कर रहा हूं पहले भी गाजियाबाद में डेवलपमेंट चार्ज लेकर 40 प्रतिशत प्लाट के रूप में भूमि किसानों को दे दी जाती थी। इसे भू-स्वामी अपनी दरों पर बेच सकता था। पूर्व मेयर दिनेश चंद गर्ग आज जिस भूमि पर रह रहे हैं वह भी लैंड पालिसी के अंतर्गत मिले प्लाट था जिसे भू-स्वामी से उन्होंने खरीदा। ऐसे अनेक उदाहरण हैं।
केवल अपनी आय बढ़ाने के लिए जीडीए व सरकार ने धीरे-धीरे उक्त पालिसी को बदल दिया। यह कतई उचित नहीं है। यदि गौर से देखा जाए तो आवासीय व्यवसाय में 85 प्रतिशत भूमि का योगदार का भूमि मालिक का होता है। जबकि 15 प्रतिशत योगदान ही केवल पंजी व योजना पक्ष का होता है। जबकि लाभ के बंटवारे में भूस्वामी को केवल भूमि का बाजार मूल्य मिलता है। और लाभ 15 प्रतिशत का योगदान करने वाले योजना पक्ष को मिलता है। मेरा सुझाव है निम्न आय वर्ग व अत्याधिक गरीब वर्ग के लिए इस क्षेत्रा में अलग से सरल नियम बनाकर सीधे किसानों को ही इस क्षेत्रा में प्रोत्साहन किया जा सकता है। इस विषय में मेरा सुझाव है कि शहरी सीमा के 5-10 किलोमीटर के क्षेत्रो में यदि कोई किसान अपनी भूमि पर 40 गज से 80 गज तक के मकान बनाता है तो उसके नक्शे बिना लैंड यूज देखे ;विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सामान्यता पास किए जाएगा। और शुल्क न लिया जाए। बिजली की व्यवस्था में सामान्य शुल्क लिया जाए। इ0डब्ल्यू0एस0 व एलआईजी मकानों व प्लाटों पर संपत्ति को गिरवी रखकर बिना आय-प्रमाण पत्र के 7 प्रतिशत के दीर्घकालीन ऋण दिया जाए। 95 प्रतिशत आवश्यकता वाले ई0डब्ल्यू0एस0 व एल0आई0जी0 की 1 प्रतिशत आवासीय योजना भी भारत में नही चल रही है। इससे जिनके पास भूमि है उसी वर्ग को प्रोत्साहित कर भूमि अधिग्रहण व गरीब जनता की आवासीय समस्या एक साथ हल हो सकती है।

Monday, August 22, 2016

टीचर ने माेबाइल पर अश्लील मैसेज भेजने पर अकाली नेता को थप्पड़ जड़ा

गोनियाना। लाइन के पार पड़ते एक गांव में पंचायत की मौजूदगी में गांववासियों के इकट्ठ के दौरान एक अध्यापिका ने माेबाइल पर अश्लील मैसेज भेजने पर अकाली नेता को थप्पड़ जड़ दिया। गांव में आजादी दिवस पर पौधे लगाने संबंधी समागम में अकाली नेता मुख्य मेहमान था। उसने अध्यापिका से नंबर लेकर उसको अश्लील संदेश भेजने शुरू कर दिए।
अध्यापिका ने सारा मामला परिवार और पंचायत के सामने उठाया। पंचायत में जब काफी समर्थकों के साथ पहुंचा अकाली नेता अध्यापिका से माफी मांगने लगा तो उसने उसे थप्पड़ मार दिया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया और दाेनो ग्रुपों में जमकर झड़पें हुईं। एक पंचायत मैंबर और सीनियर लोगों के साथ भी धक्कामुक्की हुई। अकाली नेता अस्पताल में भर्ती बताया जा रहा है।

यूथ अकाली दल के मालवा जोन के सीनियर उप-प्रधान स्वर्ण सिंह अकलियां ने कहा कि जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले का हल निकालने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। थाना नेहियांवाला के एसएचओ महिंदरजीत सिंह ने कहा कि इस संबंधी काेई लिखित शिकायत नहीं आई है। शिकायत मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वीपी सिंह बदनौर पंजाब के नए राज्यपाल नियुक्त, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिलाई शपथ

चंडीगढ़. वरिष्ठ भाजपा नेता वीपी सिंह बदनौर ने सोमवार को पंजाब के नए राज्यपाल के तौर पर शपथ ग्रहण की। उन्हें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसजे वजीफदार ने चंडीगढ़ राज्यभवन में शपथ दिलाई । वहीं, नवनियुक्त राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले हैं। पिछली बार राज्यसभा टिकट कटने के बाद वह खफा थे। अब पार्टी ने राज्यपाल बनाकर उन्हें संतुष्ट किया है। वह राजस्थान के बड़े राजपूत नेता माने जाते हैं। वह लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वह राजस्थान में 1998-99 में सिंचाई मंत्री भी रह चुके हैं।
1999 से 2004 तक वह लोकसभा सदस्य व राजस्थान प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
गौरतलब है कि पंजाब के राज्यपाल का पद लंबे समय से रिक्त था। हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ही पंजाब का अतिरिक्त प्रभार भी देख रहे थे। इससे पूर्व पंजाब के विधिवत राज्यपाल शिवराज पाटिल थे। 21 जनवरी 2015 को उनका कार्यकाल पूरा हुआ था। इसके बाद हरियाणा के राज्यपाल को पंजाब का भी राज्यपाल बना दिया गया था। 

आप की नीतियों को हर घर में पहुंचाया जाएगा:काला ढिल्लों

 बरनाला|प्रदेश केलोग सत्ता सुख भोग चुकी दोनों पार्टियों से तंग चुके है। जिसके चलते पंजाब में तीसरा बदल आना निश्चित है। ये बात सीनियर आप नेता काला ढिल्लों ने परिवार जोड़ो मुहिंम के तहत लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव से पहले हल्का बरनाला के सभी घरों में दस्तक देकर आम आदमी पार्टी की नीतियों से लोगों को अवगत करवाया जाएगा। जिससे प्रदेश की बिगड़ी हुई व्यवस्था के खिलाफ लोगों को लामबंद किया जा सके। परिवार जोड़ो मुहिंम के तहत लोगों के घरो में जा कर उनसे संपर्क किया जा रहा है। पार्टी की नीतियों से लोगों को अवगत करवाना उनकी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र प्रदेश की सरकार हर फ्रंट पर फेल है। जिसके चलते लोगों को किसी नए बदल की तलाश है। प्रदेश के लिए आम आदमी पार्टी सबसे अच्छा बदल है। 

निडर गोरक्षक श्री. सतीश प्रधान को बंदी बनाने की पार्श्‍वभूमि पर पुणे के गोसेवकों द्वारा व्यक्त प्रतिक्रियाएं…

हिन्दु निष्ठा के कारण लोगों ने प्रधानमंत्री को मताधिक्य / बहुमत से चुन कर दिया । मोदी ने गोरक्षकों को समाजकंटक संबोध कर उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है । गोरक्षकों पर अपराध प्रविष्ट करने के स्थान पर उनको प्राणीसुरक्षा कानून पर कार्यवाही करनी चाहिए । पुलिस द्वारा गोरक्षा का कार्य न होने से गोरक्षकों को यह कार्य करना पडता है । महाराष्ट्र में गोरक्षा के संदर्भ में ९५ प्रतिशत से अधिक प्रथमदर्शी अहवाल गोरक्षकों के हैं । पुलिस स्वयं आगे आकर अवैधानिक रूप से गोवंशियों की यातायात करनेवाली किसी गाडी को नियंत्रण में नहीं लेती । मोदी सरकार को हिन्दुओं की भावनाओं का किचार करना चाहिए । गोरक्षकों की दृष्टि से गाय जीवित भगवान है । सतीश कुमार समान गोरक्षकों को बंदी बना कर सरकार ने पागलपन किया है । सरकार को इस का मूल्य चुकाना पडेगा । हिन्दुत्व की भावना से गोरक्षक प्रधानमंत्री मोदी के साथ रहे । मोदी शासन सत्ता में आने में गोरक्षकों का बहुत बडा योगदान है । प्रधानमंत्री मोदी ने गोरक्षकों के संदर्भ में असंवेदनशील कक्तव्य करना ही नहीं चाहिए था; क्योंकि गोरक्षा करनेवाला कार्यकर्ता अपनी जान संकट में डाल कर धन अर्पण कर गोरक्षा का कार्य करता है ।

सतीश प्रधान केवल गोरक्षक नहीं, अपितु साधू भी हैं । उनसे भेंट होने का योग आया, तब मैंने उन्हें सवेरे चार बजे उठ कर गोशाला में गोमाता का ध्यान रखते देखा है । गोरक्षा हेतु वे दिन-रात कष्ट ले रहे हैं । वहां गाय को घास देने वाले लोग पंक्ति में खडे रहते थे । उनको बंदी बनाने से पंजाब के लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है ।

पंजाब पुलिस द्वारा पूरे हिन्दू समाज की धार्मिक भाकनाओं को ठेस पहुंची ! – राजासिंह ठाकुर, विधायक, भाजपा

भाग्यनगर (हैदराबाद) : सतीशकुमार प्रधान को बंदी बनाने के संदर्भ में भाग्यनगर (हैदराबाद) के भाजपा के विधायक एवं श्रीराम युवा सेना हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के अध्यक्ष राजासिंह ठाकुर से दैनिक सनातन प्रभात के प्रतिनिधि ने विचार-विमर्श किया । इस प्रकरण के संदर्भ में राजासिंह ने कहा कि, आज भारत में सबसे अधिक मात्रा में गोहत्याएं हो रही हैं ।
भारत जागतिक स्तर पर सर्वाधिक मात्रा में गोमांस निर्यात करनेवाला देश हो गया है । पंजाब गोरक्षा दल अपने स्तर पर गोरक्षा का कार्य कर रहा है । विविध नगरों में उनकी शाखाएं भी हैं । पंजाब पुलिस द्वारा सतीश कुमार को बंदी बना कर पूरे हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है ।
यदि गोमाता को राष्ट्रीय प्राणी घोषित कर उसे वैधानिक रूप से सुरक्षा दी गई होती, तो गोरक्षा के संदर्भ में आज ऐसी दुस्थिति दिखाई नहीं देती । कोई भी सनातनी हिन्दू गोहत्या होते हुए नहीं देख सकता । मैं सतीश कुमार प्रधान एवं सभी गोरक्षकों के साथ हूं । प्रधान को मेरा समर्थन है ।

Monday, June 20, 2016

कैराना के घरों में लटकते तालों के पीछे ये है असली कहानी.

  2017 में अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में राज्य का कोई भी छोटा-बड़ा मुद्दा सियासी रूप ले सकता है। इस परिस्थिति में बात अगर जाति-धर्म से जुड़ी हो तो फिर वो मुद्दा राजनीति से कैसे अछूता रह सकता है। ऐसा ही कुछ हो रहा है उत्तर प्रदेश के कैराना में, जहां अलग अलग सूत्रों के माध्यम से अलग-अलग खबरें चल रही है। कुछ रिपोर्टों का मानना है कि कई हिंदू परिवारों ने दहशत में आकर वहां से पलायन किया है, जबकि कुछ अन्य रिपोर्टों के मुताबिक यह महज चुनावी लाभ लेने के लिए एक मुद्दा है। आइए जानते हैं क्या है कैराना सच....
क्या है यह पूरा विवाद- इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब स्थानीय बीजेपी सासंद हुकुम सिंह 346 हिंदू परिवारों की सूची सौंपते हुए यह आरोप लगाया कि कैराना को कश्मीर बनाने की कोशिश की जा रही है। हुकुम सिंह ने कहा कि यहां हिंदुओं को धमकाया जा रहा है, जिससे हिंदू परिवार बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं। हुकुम सिंह के इतना कहते ही बीजेपी ने अखिलेश सरकार पर हमला बोल दिया। बीजेपी ने न सिर्फ अखिलेश सरकार के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए बल्कि इसे सोची समझी रणनीति भी करार दिया। बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने कैराना से पलायन करने वाले हर घर का सत्यापन कराया है, जबकि इस लिस्ट में ऐसे भी नाम शामिल हैं जो आर्थिक और कारोबारी वजह से पलायन कर चुके थे। इनके पलायन का संबंध न किसी आतंकी माहौल से था और न ही मुस्लिम समुदाय के खौफ से। मामला बढ़ने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दखल देते हुए राज्य सरकार को नोटिस भेजकर चार हफ्ते के अंदर जवाब की मांग की है। दूसरी तरफ, बीजेपी ने 9 सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर सियासी गरमाहट और बढ़ा दी है. कमेटी आज कैराना पहुंचेगी और हिंदुओं के पलायन के बारे में जानकारी जुटाएगी।
क्या है हकीकत- कुल मिलाकर अब यह पूरी तरह सियासी मुद्दा बन चुका है और इस मुद्दे पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी की जा रही है। सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया गया है कि पिछले पांच सालों में कैराना में हिन्दुओं की आबादी 22 फीसदी कम हो गई है। अब तक की पड़ताल में जो सबसे अहम बात सामने आई है वो यह है कि इलाक़े में बिगड़ती कानून व्यवस्था की वजह से कुछ मुस्‍लिम परिवार भी इलाके से पलायन कर चुके हैं। एक तरफ जहां ऐसा कहा जा रहा है कि यहां व्यापारियों से रंगदारी मांगी जाती है तो दूसरी तरफ पिछले आठ से दस सालों में कैराना से लोग बेहतर कमाई और नौकरी के लिए बाहर जाते जाते रहे हैं जिसमें  मुस्लिम परिवार भी शामिल हैं। बीजेपी द्वारा दी गई सूची में कुछ लोग ऐसे हैं जो सालों पहले मर चुके हैं तो कुछ ने कभी कैराना छोड़ा ही नहीं, जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो कारोबार, रोजगार और बेहतर भविष्य के लिए बाहर गए हैं।
बीजेपी ने क्यों उठाया मुद्दा- बीजेपी कैराना के मुद्दे को उत्तर प्रदेश में होने वाली आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान भुनाना चाहती है। जाहिर है कैराना मुद्दे से पूरे राज्य में ध्रुवीकरण करने में सहायता मिलेगी। जाहिर है कि बीजेपी ने इलाहाबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स मुद्दे को जोर शोर से उठाते हुए यह साफ कर दिया कि पश्चिम यूपी में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है। ऐसे में चुनावी बिगुल फूंकते ही कैराना का मुद्दा पार्टी के हाथ लगा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कैराना के मुद्दे को जिस प्राथमिकता से उठाया है, निश्चित रूप से उसके दूरगामी संकेत है।
पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज नेता और मंत्री इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोल रहे है। कैराना मुद्दे की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अखिलेश सरकार को घेरने वालों में बीजेपी के योगी आदित्यनाथ,  अमित शाह, राजनाथ सिंह और किरन रिजिजू जैसे दिग्गज नेता भी शामिल हैं।यह मुद्दा बीजेपी के लिए दादरी और अयोध्या से भी बढ़कर हैं इसलिए भी है क्योंकि यह पश्मिमी यूपी का अहम हिस्सा तो है ही साथ में यहां मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है। मुस्लिम औऱ जाट आबादी के मद्देनजर से यह इलाका काफी अहम हो जाता है।
आपको बता दें कि 1980 में इसी इलाके से चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए किसी भी तरह के कर्ज और टैक्स के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था। पश्चिमी यूपी में अजगर (अहिर, जाट, गुज्जर,राजपूत) वोट बैंक पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की अच्छी पैठ थी और इसने सभी राजनीतिक दलों को अपनी तरफ झुकने के लिए मजबूर किया। मुलायम सिंह भी पश्चिमी यूपी में अच्छी पकड़ रखते हैं और मुलायम ने मुस्लिमों को भी इस गुट में जोड़ लिया था।
इससे पहले मुजफ्फरनगर के दंगों ने इलाके की शांति को लंबे समय तक के लिए खत्म करके रख दिया था। हालांकि मुजफ्फरनगर दंगों का सियासी फायदा बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में लिया था। ऐसे में बीजेपी पश्चिमी यूपी को नजरअंदाज नहीं कर सकती है और वह पूरी कोशिश में जुटी है कि उसे एक बड़े वर्ग का वोट हासिल हो सके। ऐसे में अगर वोटों का ध्रुवीकरण होता है तो पार्टी को जबरदस्त सफलता हासिल हो सकती है।2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 19 संसदीय क्षेत्र जोकि पश्चिमी यूपी की जाट बेल्ट में थे जिसमें सहारनपुर,फतेहपुर सीकरी शामिल हैं भाजपा के खाते में गई थी। मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद भाजपा को बड़ी संख्या में हिंदुओं की विभिन्न जातियों का वोट मिला था।
क्या है कैराना का इतिहास-  पंडित भीमसेन जोशी और रोशन आरा बेगम जैसे बड़े शास्त्रीय संगीतकार देने वाले कैराना को प्राचीन काल में कर्णपुरी के नाम से जाना जाता था और माना जाता है कि महाभारत काल में कर्ण का जन्म यहीं हुआ था। हालांकि इसका कोई ऐतिहासिक आधार नहीं मिला है। यह कहानी भी कम प्रचलित नहीं है कि कैराना का नाम ‘कै और राणा’ नाम के राणा चौहान गुर्जरों के नाम पर पड़ा और माना जाता है कि राजस्थान के अजमेर से आए राणा देव राज चौहान और राणा दीप राज चौहान ने कैराना की नींव रखी।  कैराना के आस-पास कलश्यान चौहान गोत्र के गुर्जर समुदाय के 84 गांव हैं। सोलहवीं सदी में मुग़ल बादशाह जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुज़ुक-ए-जहांगीरी में कैराना की अपनी यात्रा के बारे में लिखा है। माना जाता है कि अपने समय के महान संगीतकार मन्ना डे जब किसी काम से कैराना पहुंचे थे तो कैराना की सीमा में घुसने से पहले महान संगीतकारों के इस क्षेत्र के सम्मान में उन्होंने अपने जूते उतारकर हाथ में रख लिए थे।
राजधानी दिल्ली से करीब 100 किलोमीटर और उत्तर प्रदेश के मुझफ्फरनगर से 50 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिम में हरियाणा की सीमा पर यमुना किनारे बसा कैराना का ऐतिहासिक महत्व रहा है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले का कैराना तहसील पहले मुजफ्फरनगर जिले की तहसील थी। 2011 में मायावती ने शामली को एक अलग जिला घोषित किया, जिसमें कैराना भी शामिल हो गया। कैराना एक लोकसभा और विधानसभा सीट भी है। पिछड़ा इलाका होने के कारण बरसों से यहां के लोग पानीपत, मेरठ, दिल्ली सहित अन्य आस पास के जगहों पर काम की तलाश में जाते रहे है।
क्या है जातीय समीकरण- 2011 जनगणना के मुताबिक कैराना तहसील की की जनसंख्या एक लाख 77 हजार 121है जिसमें कैराना नगर पालिका की आबादी करीब 90 हजार है। कैराना नगर पालिका परिषद के इलाक़े में 81 फीसदीमुस्लिम, 18 फीसदी  हिंदू और अन्य धर्मों को मानने वाले लोग 1 फीसदी हैं। यूपी में साक्षरता दर 68 फीसदी है लेकिन कैराना में 47 फीसदी लोग ही साक्षर हैं। शामली के कांधला, कैराना, झिंझाना, आसपास के गांव के अलावा कैराना के आलकला, कायस्थवाड़ा, गुंबद, लालकुआं, बेगमपुरा, दरबारखुर्द, आर्यपुरी, कांधला अड्डा पानीपत रोड में हिंदू-मुस्लिम मिश्रित आबादी है।
क्या कहा गया पुलिस रिपोर्ट में- इस मुद्दे पर कैराना प्रकरण पर सहारनपुर रेंज के डीआईजी एके राघव की रिपोर्ट सामने आई है। खबरों के अनुसार राघव ने डीजीपी मुख्यालय को भेजे अपनी रिपोर्ट में बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राघव ने कहा कि अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों में लाभ के लिए बीजेपी हिंदुओं में कथित असुरक्षा की भावना को मुद्दा बनाकर हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करना चाहती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सांसद हुकुम सिंह ने भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर जीत हासिल की थी। अब वो अपनी बेटी को भी इसी रास्ते चुनावी मैदान में उतारना चाहता है।
रिपोर्ट मे कहा गया है कि बीजेपी और हिंदू संगठन विधानसभा चुनावों में लाभ लेने के उद्देश्य से हिंदुओं में कथित असुरक्षा की भावना को मुद्दा बनाकर हिंदू मतों का ध्रुवीकरण कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार बड़ी संख्या में व्यापारी और किसान अपनी उन्नति के लिए कस्बा छोड़कर चले गए हैं। डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में किसी बड़े सांप्रदायिक घटना से भी इंकार नहीं किया है। इस पूरे मामले ने अब जोर पकड़ लिया है। बड़े स्तर पर सत्यापन का कर्य जारी है। डीएम खुद अलग से टीमें लगाकर सत्यापन की क्रास चेकिंग करवा रहे हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन ने भी सत्यापन में माना है कि सूची में शामिल कुछ परिवारों को दहशत के कारण ही कैराना छोड़ना पड़ा। जरूरत इस बात की है कि यूपी सरकार और केंद्र सरकार दोनों को मामले की निष्पक्ष जांच करवा कर दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।

क्या जानते हैं आप कैराना का इतिहास, यहीं हुआ था दानवीर कर्ण का जन्म!

कैराना से परिवारों के पलायन की खबरें सामने आते ही इस शहर के बारे में लोग जानकारी लेने को उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। अब जब पलायन की खबर ने देश की राजनीति के केंद्र में कैराना को ला दिया है। इन सबके बीच इस शहर को समझने की कोशिश करते हैं-
- ऐसा माना जाता है कि पुरातन काल में कैराना में ही दानवीर कर्ण का जन्म हुआ था और कैराना को कर्ण की नगरी भी कहा जाता है।
किसी जमाने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कैराना भारतीय शास्त्रीय संगीत के मशहूर किराना घराना के लिए जाना जाता था, जिसकी स्थापना महान शास्त्रीय गायक अब्दुल करीम खां ने की थी।
-माना जाता है कि अपने समय के महान संगीतकार मन्ना डे जब किसी काम से कैराना पहुंचे थे तो कैराना की सीमा में घुसने से पहले इस क्षेत्र का सम्मान करने के लिए उन्होंने अपने जूते उतारकर हाथों में पकड़ लिए थे। इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि यह धरती महान संगीतकारों की है और इस धरती पर वो जूतों के साथ नहीं चल सकते।
- भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पंडित भीमसेन जोशी भी कैराना घराने के गायक हैं।
- इतिहास के पन्नों में कैराना का महत्व सदियों पुराना है और इस जगह का संगीत से गहरा रिश्ता है। लेकिन बड़े दुख की बात है कि आज ऐतिहासिक महत्व वाले इस शहर में आतंक और रंगदारी की वजह से परिवार पलायन कर रहे हैं।

कैराना में धारा 144 लागू, किसी भी यात्रा पर पश्चिमी यूपी में रोक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कैराना में हिंदुओं के पलायन के मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है। जिस तरह से कैराना राजनैतिक सरगर्मियां तेज हुई हैं उसे देखते हुए पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गयी है। कैराना में धारा 144 लागू करने के साथ ही पूरे इलाके में जबरदस्त सुरक्षा के इंतजाम किये ये हैं और इसे छावनी में तब्दील कर दिया गया है। कैराना पलायन- जेल के भीतर से जल रहा हैं आतंक का खेल यूपी के डीजीपी जावीद अहमद ने कहा कि कैराना के सांप्रदायिक सौहार्द को बनाये रखने के लिए धारा 144 लागू किया गया है। जावीद अहमद ने कहा कि हम इस इलाके का माहौल नहीं बिगड़ने देंगे। इसे देखते हए पश्चिमि यूपी में किसी भी तरह की यात्रा पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गयी है। वहीं भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा कि हुकुम सिंह हमारे वरिष्ठ नेता हैं ऐसे में पलायन को रोकने के लिए भी जिस भी तरह का फैसला लिया जाएगा हम उसका साथ देंगे। सोम ने कहा कि हम कैराना में किसी तरह का दंगा कराने नहीं जा रहे हैं बल्कि पलायन करने वाले हिंदु परिवारों को यह भरोसा दिलाने जा रहे हैं कि हम उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि मैं उस इळाके में जाउंगा और सरकार के फैसले के सामने नहीं झुकेंगे। पीएम खुद नजर रख रहे हैं कैराना पलायन पर, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट संगीत सोम ने कहा कि हिंदुओं के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने दुंगा। दरअसल सरधना से कैराना तक 42 किलोमीटर तक संगीत सोम के निर्भय यात्रा ने इलाके में तनाव को बढ़ा दिया है। जिसे देखते हुए इस पूरे इलाके में किसी भी तरह की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कैराना मुद्दे पर भाजपा में दो तरह के मत निकलकर सामने आ रहे हैं। एक तरफ संगीत सोम ने बिना हुकुम सिंह की इजाजत के यह यात्रा निकाली तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि वह फिलहाल कैराना नहीं जा रहे हैं और ना ही उनका ऐसी कोई योजना है। कैराना पलायन पर पूर्व मंत्री नकुल दुबे का कहना है कि इस सदी का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि भाजपा ओछी राजनीति कर रही है। उन्होने कहा कि मायावती के कार्यकाल में प्रदेश मे शांति कायम थी।
 

Friday, June 3, 2016

मथुरा हिंसा: जानिए जवाहरबाग के कब्जाधारियों की मांगे

 Friday, June 3, 2016, मथुरा। मथुरा के राजकीय उद्यान जवाहरबाग को कब्जाकर सत्याग्रह की आड़ में समानांतर सरकार चलाने वाले उपद्रवियों ने गुरुवार को मौत का जो नंगा नाच किया उसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम है। इस उपद्रव में यूपी पुलिस के दो बहादुर अफसर सहित कुल 21 लोगों की मौत हुई है। अब तक 124 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यही है रामवृक्ष यादव जिसके इशारे पर मथुरा में मचा मौत का तांडव सुभाष चंद्र बोस और सत्याग्रह के नाम पर इन उपद्रवियों ने मथुरा में एक आतंक बना रखा था। इतना ही नहीं उनकी एक अलग मांग थी। जी हां आजाद भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही नाम के इस संस्था की मांगे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे। वाहियात मांगे भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द किया जाए।  इस समय की प्रचलित मुद्रा की जगह आजाद हिंद फौज करेंसी शुरू की जाए।  एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में ही 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री शुरू की जाए।  प्रणव मुखर्जी और नरेन्द्र मोदी को गैर भारतीय घोषित किया जाए।  चूंकी इस संस्था के लोग सुभाष चन्द्र बोस के अनुयायी हैं, इसलिए उन्हें सेनानी का दर्जा दिया जाए।  उनको पेंशन के साथ ही जवाहरबाग में स्थायी निवास दिया जाए। देश में सोने के सिक्कों का प्रचलन किया जाए। आजाद हिंद फौज के कानून माने जाएं। इसी की सरकार देश में शासन करे। जयगुरुदेव का मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाए। आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन शुरू की जाए। सत्‍याग्रहियों' के बीच में पुलिस कोई कार्रवाई न करे। देश में अंग्रेजों के समय से चल रहे कानून खत्‍म किए जाएं। पूरे देश में मांसाहार पर बैन लगाया जाए। मांसाहार करने वालों को सजा दी जाए।

Thursday, February 25, 2016

हाफिज सईद कुछ भारतीय पत्रकारों को टेस्ट करने के चक्कर में

अब तक भारत में अपने नापाक मंसूबों से सफल न होने से बौखलाई पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अब अपनी रणनीति बदल ली है। अब उसका पयास है भारत के युवाओंपत्रकारों व कुछ संगठनों तक अपनी पहुंच बनाने का। अब आईएसआई सोशल मीडिया को भी हथियार बना रही है। आईएसआई अंगूठा छाप लश्कर चीफ हाफिज सईद के ट्विटर और फेसबुक एकाउंट चलाकर भारत के खिलाफ जहर उगल रही है। सूत्रों के अनुसार अब तक भारत में अपने नापाक मंसूबों में असफल होने के बाद आईएसआई अपने जेहादी पोपेगेंडा के साथ युवाओं को भड़काने और उन तक पहुंच बनाने के अलावा कुछ संगठनों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए ट्विटरफेसबुक और यू-ट्यूब जैसे एकाउंट का सहारा ले रही है। यह भी खबर है कि हाफिज सईद ने भारतीय इलैक्ट्रॉनिक चैनलों के कुछ पत्रकारों व एंकरों के बारे में भी जानकारी लेना शुरू कर दी है ताकि उन्हें एपोच कर अपने पोपेगेंडा के लिए उन्हें माध्यम बनाया जाए। इन पत्रकारों व एंकरों का बैक ग्राउंड छाना जा रहा है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि जो मोदी सरकार के खिलाफ हैं और अक्सर मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ मुद्दे उठाते रहते हैं। यह देखा जा रहा है कि इनमें से कौन-कौन एपोचेबल हो सकता है। आईएसआई ने आतंकी संगठन लश्कर के चीफ हाफिज सईद के एकाउंट चलाने और उस पर भारत में अस्थिरता पैदा करनेयुवाओं को भड़काने और जेहादी बातों को अपलोड करना शुरू कर दिया है। चूंकि अगूंठा छाप हाफिज सईद को अपनी भाषा के अलावा और कोई भी भाषा बोलनी-लिखनी नहीं आतीलिहाजा आईएसआई ने उसके ट्विटरफेसबुक और यू-ट्यूब जैसे एकाउंट चलाने का जिम्मा ले लिया है। सूत्रों के अनुसार भारत ने अब तक हाफिज के इस तरह के करीब दो दर्जन एकाउंट बंद कराए हैं। इसके बाद आईएसआई ने भी रणनीति बदलते हुए कमान अपने हाथ में ले ली है। सूत्रों के अनुसार कहने को हाफिज सईद का साइबर सेल हैजो भारतीय पत्रकारों का एक डाटा बैंक तैयार कर रहा है। इनमें पत्रकारों के मोबाइल नंबर-मेल और ट्विटर एकाउंट का लेखा-जोखा है। इसके अलावा कुछ छात्र संगठनों व कुछ अन्य संगठनों का भी डाटा बैंक तैयार किया जा रहा हैताकि हाफिज के नाम पर सोची समझी रणनीति के तहत अपनी बातों को इस एकाउंट पर डाला जा सके। अगर सूत्रों की मानें तो कुछ दिन पहले हाफिज सईद ने कुछ भारतीय पत्रकारों से ट्विटर के माध्यम से संपर्क भी साधा था। हाफिज के तथाकथित एकाउंट पर आ रहे संतोषजनक जवाब ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। सुरक्षा एजेंसी उन भारतीय पत्रकारों से भी संपर्क करने वाली है जो ट्विटर के माध्यम से लश्कर सरगना हाफिज सईद से जुड़े हैं। आईएसआई की इस खतरनाक रणनीति पर अविलंब रोक लगाना जरूरी 

जेएनयू की बिसात पर रोटियां सेंकते सियासी दल

पिछले कई दिनों से जारी जेएनयू विवाद के लिए गुनहगार कौन-कौन हैं यह तो अब अदालतें ही तय करेंगी लेकिन सियासी दल बहरहाल इस मुद्दे को लेकर अपने सियासी फायदे नफे-नुकसान के लिए अपनी रोटियां सेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रद्रोह के पाले खींचकर एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। दरअसल कटु सत्य तो यह है कि जिस दिन से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने उसी दिन से एक तरफ कांग्रेस पार्टी और मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग उनके खिलाफ हो गया। आप पिछले दो साल देख लें शायद ही कोई ऐसा मुद्दा हो जब कांग्रेस व इस अल्पसंख्यक वर्ग ने मोदी का विरोध नहीं किया हो। जहां तक वामपंथियों का सवाल है लगभग सारी दुनिया में सिमट चुके वामदलों को भी मौके की तलाश थीजब वह अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर सकें। इनकी मदद कर रहे हैं इलैक्ट्रॉनिक चैनल के कुछ एंकर व मैनेजमेंट। टीवी पर रोज यह किसी न किसी बहाने मोदी और उनकी सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं। आज इलैक्ट्रॉनिक चैनल भी दो खेमों में बंट गए हैं। कुछ खुलकर विरोध कर रहे हैं तो कुछ खुलकर समर्थन। इस सियासी जंग में असल मुद्दे दब रहे हैं। जेएनयू में नौ फरवरी को क्या हुआनौ फरवरी को जेएनयू में एक सभा में पाकिस्तान जिन्दाबादकश्मीर की आजादी और भारत की बर्बादी तक जैसे नारे लगे। इस सभा में और नारेबाजी में बाहर से आए लोगों के साथ न सिर्प जेएनयू के छात्र-छात्राएं थीं बल्कि उस असैम्बली में कन्हैया कुमार भी मौजूद था। सो सभा तो हुई और उसमें राष्ट्र विरोधी नारे लगे यह तो तय है। अब सवाल उठता है कि कन्हैया ने नारे लगाए या नहींक्या उस पर देशद्रोह का केस होना चाहिए था या नहींदिल्ली पुलिस के कमिश्नर भीम सेन बस्सी ने कई बार दोहराया है कि पुलिस के पास कन्हैया के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं जो अदालत में पेश कर दिए गए हैं। वीडियो रिकार्डिंग सही है या नहीं निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच से ही तय हो पाएगा। इसका पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस भारत विरोधी नारों के टेप और कन्हैया कुमार की आवाज की फोरेंसिक जांच करा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल अलग-अलग वीडियो में कन्हैया कुमार के राष्ट्र विरोधी नारे लगाने और नहीं लगाने के दावे किए जा रहे हैं। फोरेंसिक जांच से साफ हो पाएगा कि भारत विरोधी नारों में कन्हैया की आवाज थी या नहींदिल्ली पुलिस का दावा है कि वीडियो टेप के अलावा पुलिस के पास 17 गवाह हैं। उन्होंने पुलिस के सामने कन्हैया के खिलाफ बयान दर्ज कराए हैं। ज्यादातर ने कहा कि कन्हैया देश विरोधी नारे लगा रहा था। वह उस कार्यक्रम का हिस्सा था जिसमें देश विरोधी नारे लगे। कन्हैया ने न तो नारों को रोकने के लिए कहा और न ही सभा से हटा। 17 गवाहों में ज्यादातर जेएनयू के हैं। पर यह सियासी दल कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं करना चाहते और कन्हैया को बेकसूर साबित करने में लगे हुए हैं। हम कहते हैं कि अगर कन्हैया ने देशद्रोह नहीं किया और उन पर जबरन यह चार्ज लगाया गया है तो अदालतें हैं वह उसे राष्ट्रद्रोह से मुक्त कर देंगी। हमारी लड़ाई जेएनयू से नहीं है। जेएनयू ऐसा नहीं कि वह एक महान संस्थान नहीं पर मुट्ठीभर छात्रों की वजह से वह आज निशाने पर आ गया है। अगर आज जेएनयू गलत कारणों से सुर्खियों में है तो इसके लिए सरकारयूनिवर्सिटी प्रशासन और जेएनयू के छात्र सभी जिम्मेदार हैं। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए जेएनयू में गिरफ्तारी भले ही पहली बार हुई होलेकिन अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में ऐसी हरकतें वहां लगातार होती रही हैं। भारत के टुकड़े करने की नारेबाजी इसकी चरम परिणति थी। यदि पहले ही ऐसी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती तो यह दिन न देखना पड़ता। 80 के दशक में जेएनयू कैम्पस में इंदिरा गांधी के खिलाफ नारेबाजी को सियासी विरोध मानकर भले भुला दिया जाएलेकिन 2000 में कारगिल में लड़ने वाले वीर जवानों के साथ जो हुआउसे कतई भुलाया नहीं जा सकता है। कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद ही जेएनयू कैम्पस में भारत-पाकिस्तान मुशायरा का आयोजन किया गया। मुशायरे का आनंद लेने के लिए कारगिल में पाकिस्तान के साथ लड़ने वाले सेना के मेजर केके शर्मा और मेजर एलके शर्मा भी पहुंच गए। एक पाकिस्तानी शायर की भारत विरोधी शायरी का कारगिल के दोनों हीरो ने विरोध किया। इस पर जेएनयू के छात्रों ने उल्टा उन दोनों की बुरी तरह पिटाई कर दी। अधमरी हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। उस समय यह मुद्दा संसद में भी उठा और तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीस घायल मेजरों को देखने अस्पताल भी गए। लेकिन छात्र संघ और शिक्षकों के विरोध के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। सरकार ने एक जांच कमेटी भी बनाई पर इसको जेएनयू में घुसने नहीं दिया। 2010 में पूरा देश जब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हाथों 76 जवानों के मारे जाने का शोक मना रहा थातब जेएनयू में इसकी खुशी में पार्टी दी जा रही थी। अखबारों में इसकी खबर छपने के बावजूद तत्कालीन संप्रग सरकार ने कोई कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी। इसके बाद जेएनयू के कुछ छात्रों के सीधे नक्सलियों के साथ संबंध भी मिले और गढ़चिरौली में जेएनयू छात्र हेम मिश्रा को गिरफ्तार भी किया गया। पुलिस की जांच से साफ हो गया है कि भारत की बर्बादी के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की साजिश रचने वाला उमर खालिद भी हेम मिश्रा की तरह डीएसयू का सदस्य है। आज दुर्भाग्य है कि जेएनयू के कुछ छात्रों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की जगह कुछ सियासी दल अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं।

शत्रु बोले, भाजपा मेरी पहली और आखिरी पार्टी

हैदराबाद। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि "भाजपा उनकी पहली और आखिरी पार्टी" है। उन्होंने बिहार के पार्टी नेताओं द्वारा उन्हें पार्टी मामलों की आलोचना करने के कारण पार्टी छोडने की सलाह देने के लिए निशाने पर लिया। 

अभिनेता-नेता ने कहा कि उनके मन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए काफी सम्मान है। उन्होंने कहा कि यह कौन लोग कह रहे हैं, वही लोग जो बिहार (विधानसभा चुनाव) में मिली शर्मनाक हार के लिए जिम्मेदार हैं। जो खुद बाहर जाने की राह पर हैं, जो अपना चेहरा दिखाने के लायक नहीं बचे हैं। वे केवल अपनी हताशा जाहिर कर रहे हैं। सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इन नेताओं को पहले अपनी साख पर ध्यान देना चाहिए।  

यूपी: अमित शाह ने प्रदेश कार्यालय का उद्घाटन किया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने पूरी तरह से कार्पोरेट लुक अपना लिया है। भाजपा ने प्रदेश कार्यालय का जीर्णोद्धार कराया, जिसका गुरूवार सुबह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उद्घाटन किया। नए कार्यालय के उद्घाटन के बाद शाह ने कहा, "यहां का कार्यालय आधुनिक तकनीक से बना है। मैंने प्रभारी रहते हुए इस बारे में सोचा था। अब इस कार्यालय में सभी सुविधाएं मौजूद हैं।" पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि इस साल दिसंबर तक देशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर पार्टी कार्यालय के लिए जमीन खरीद ली जाएगी। उत्तर प्रदेश में 40 जिलों में जमीन खरीद ली गई है। शाह ने कहा, "केंद्र में भाजपा की सरकार बनने का पूरा श्रेय उत्तर प्रदेश को जाता है सभी कार्यकर्ता मिलकर भाजपा की विचारधारा को आगे बढ़ाएं।" उन्होंने कहा कि हमारे सामने उत्तर प्रदेश में 2017 में सरकार बनाने की चुनौती है। भाजपा के नए कार्यालय में कुशाभाउ ठाकरे सभागार, माधव सभागार के नाम से दो ऑडीटोरियम बनाए गए हैं। कुशभाउ ठाकरे सभागार में 200 लोगों के एक बैठने की व्यवस्था है। चुनाव प्रबंधन रूम, विवेकानंद रूम, महामना लाइब्रेरी, आईटी सेल, सोशल मीडिया सेल, रिसर्च विंग भी अलग से बनाए गए हैं। इसके अलावा मीडिया कांफ्रेंस रूम को भी नया लुक दिया गया है। बाहरी नेताओं के ठहरने के लिए अलग से फाइव स्टार कमरों की व्यवस्था भी की गई है। उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष से लेकर हर पदाधिकारी के लिए अलग-अलग कमरों की व्यवस्था की गई है। 

6 साल के मासूम की किडनैप कर की थी हत्या, जज बोले मरते दम जेल में ही रहना

मोहाली। शहर के चर्चित महरम किडनैपिंग व मर्डर केस में एडिश्नल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज तरसेम मंगला की कोर्ट में आरोपी तेजिंदर सिंह उर्फ गंजू को ताउम्र कैद की सजा सुनाई डाली। अपना फैसला सुनाते हुए जज तरसेम मंगला ने भरी अदालत में आरोपी को कहा कि वह मरते दम तक जेल में रहे। पढ़ें क्या था पूरा मामला ...
-बता दें कि 27 अक्टूबर को फेज-9 में पार्क से छह वर्षीय महरम सिंह अगवा हो गया था। परिजनों ने पुलिस को इसकी शिकायत दी थी।
-बच्चे की मां ने बच्चे के दादा पर ही उसे किडनैप करने का शक जताया था। बच्चे की मां हरिंदर कौर ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि बच्चे का पिता ऑस्ट्रेलिया में रहता है, जबकि उसके ससुर खरड़ में रहते हैं।
-उसका पति से तलाक का केस चल रहा है और वह फेज-9 में रह रही थी। महरम फेज-11 के नामी प्राइवेट स्कूल में पढ़ता था। उस दिन शाम करीब 6.15 बजे के करीब महरम पार्क में खेल रहा था।
-वहीं से वह अचानक लापता हो गया। उन्होंने महरम की काफी तलाश की, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। इसके बाद उसने पुलिस को बच्चे के लापता की सूचना दी गई थी। थोड़े दिनों बाद महरम का शव सेक्टर 69 में कूड़ेदान के पास मिला था।
-चिकित्सीय जांच में शव की पहचान हो चुकी थी। डीएसपी नवरीत विर्क ने शव महरम का होने की पुष्टि कर दी थी। सेक्टर 69 में रखे कूड़ादान में कूड़ा डालने आए व्यक्ति ने ने मिट्टी में एक शूज़ निकला हुआ देखा।
-किसी अनहोनी की आशंका से उसने तुरंत पुलिस को फोन किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की और कुछ दिन में पाया कि फेज-9 में उनके पड़ोसी तेजिंदर सिंह उर्फ गंजू ने ही किडनैप कर मर्डर किया था। पुलिस ने गंजू को गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर दिया था।  

200 करोड़ से होगा बरनाला शहर का कायाकल्प: राजिंदर गुप्ता

बरनाला| ---पंजाब योजना बोर्डपंजाब के वाइस चेयरमैन, शिअद महासचिव एवं ट्राइडेंट के संस्थापक पद्मश्री राजिंदर गुप्ता ने कहा कि राजनीति में आने का उनका मकसद जिला बरनाला को मोहाली, लुधियाना, पटियाला बठिंडा जैसे शहरो की कतार में खड़ा करना है। 

उन्होंने कहा कि बरनाला शहर का 200 करोड़ की लागत से कायाकल्प किया जाएगा। शहर में सरकारी कॉलेज, टैक्सटाइल हब जैसे बड़े प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। प्रदेश के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से उनकी नजदीकी का फायदा हरेक शहरवासी को मिलेगा। एक सवाल के जवाब में राजिंदर गुप्ता ने कहा कि शहर में जो बी काम अधूरे पड़े हैं उन्हें पुरा करवाया जा रहा है और जो नींव पत्थर रखे गए हैं उन पर भी काम जल्द शुरू होगा। 

जोधपुर में पतरकारो ने खबर रोकने की मांगी कीमत

जोधपुर : शिव सेना जिला प्रमुख नेमाराम पटेल ने जोधपुर में कार्यरत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तीन पत्रकारों पर ब्लैकमेल कर पैसे मांगने का लगाया आरोप। नेमाराम ने दैनिक भास्कर के रिपोर्टर रणबीर चौधरी, मनोज वर्मा और सहारा समय न्यूज़ चैनल के प्रदीप जोशी के खिलाफ महा मंदिर थाने में रिपोर्ट दी। इसमें कहां गया है कि उक्त व्यक्तियों ने उसकी एक वीडियो क्लिपिंग दिखाकर कहा कि यह खबर अखबार और इलेक्टॉनिक मीडिया में आ गई तो तुमारा राजनैतिक कैरियर समाप्त हो जाएगा। अगर तुम चाहते हो कि खबर रोक दी जाए तो हम यह खबर रोकने के एवज में पैसे लेंगे। फिर उन्होंने पहले 60 हजार और उसके बाद इसकी दुगनी राशि रिश्वत में मांगी। शिव सेना नेता की दी हुई इस रिपोर्ट पर महामंदिर पुलिस कर रही है जांच।
यह भी कहा जा रहा है कि दैनिक भास्कर, सहारा समय के अलावा न्यूज़ नेशन और DNA के पत्रकारों ने भी जोधपुर शिवसेना जिला प्रमुख नेमाराम पटेल से खबर दबाने के एवज में 60 हजार रूपये मांगे। मामला 15 जनवरी का है। एक शादी समारोह में शिरकत करने पहुंचे जिला प्रमुख ने अपनी एयर पिस्टल से म्यूजिक सिस्टम पर थिरकते हुए हवाई फायर किये थे। वीडियो का मामला दैनिक भास्कर के रिपोर्टर रणवीर चौधरी और मनोज वर्मा के पास कब पहुंचा, जानकारी नहीं। लेकिन 10 फ़रवरी से शिवसेना जिला प्रमुख को भास्कर एवम सहारा समय, न्यूज़ नेशन की ओर से पटेल का राजनीतिक कैरियर समाप्त करने के लिए फोन आने शुरू हुए और 11 फ़रवरी की सांय 5 बजे तक 60 हजार रूपये पहुंचाने की डेड लाइन दे दी गई।
साथ ही कहा गया कि यदि आपने हमे 60 हजार दे दिए तो 4-5 इलेक्ट्रॉनिक एवं एक प्रिंट मीडिया आपको हीरो बना देगा। ये पैसे हमें नहीं चाहिए, दैनिक भास्कर को देने हैं। हम लोग 12 फ़रवरी तक जवाब का वेट करेंगे नहीं तो देख लेना। 12 / 2 को सांय 5 बजे के बाद दैनिक भास्कर और न्यूज़ नेशन, सहारा समय, दैनिक भास्कर से पटेल के पास फोन आने शुरू हुए। पैसे न होने और डांस वीडियो में कुछ नहीं के चलते उन्होंने कॉल नहीं लिया। 13 /2 की सुबह दैनिक भास्कर ने पेज नम्बर 2 पर नेमा राम की फ़ोटो एयर पिस्टल चलाते हुए खबर छाप दी। 14 / 2 को यही खबर उसी पेज पर फिर छापी गई जो यह साबित करती है कि रिपोर्टरों की नीयत ठीक नही थी।
नेमाराम ने उसी रोज दैनिक भास्कर के चीफ रिपोर्टर मनोज वर्मा, रणवीर चौधरी एवं न्यूज़ नेशन के प्रदीप जोशी के खिलाफ महामंदिर थाने में शिकायत दी। पत्रकरों की ओर से धमकी और माफ़ी मांगने का ऑडियो वायरल हो चुका है। लेकिन पुलिस-मीडिया-माफिया ने आज तक उनकी fir दर्ज नहीं होने दी। नेमाराम ने इन दो रिपोर्टरों के साथ ही जोधपुर दैनिक भास्कर में जमे कारोबारी रिपोर्टर डी डी वैष्णव, भंवर जांगिड़, कमल वैष्णव, प्रवीण धींगरा के बढ़ते कारोबार की जांच की मांग कर भास्कर MD सुधीर अग्रवाल और विजिलेंस को प्रूफ भेजकर नौकरी से निकालने की मांग की है। 

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