Tuesday, November 30, 2010

बेहतर सीवी तैयार करने के गुर

आज के दौर में ज्यादातर नियोक्ता आवेदकों से कंपनी एप्लीकेशन फॉर्म भरने के लिए कहते हैं, जिससे वह कंपनी की जरूरतों के मुताबिक उम्मीदवार की क्षमताओं का आकलन कर सकें। इस स्टैंडर्ड फॉर्म से कंपनी के समक्ष यह जाहिर होता है कि उम्मीदवार प्रस्तावित पद के प्रति कैसी एप्रोच रखता है।

इससे यह भी पता चलता है कि नियोक्ता भर्ती के प्रति ज्यादा पारदर्शी और तार्किक नजरिया अपनाता है। बेहतर यही है कि आप ऐसे कुछ एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड कर उन्हें भरने की प्रैक्टिस करें। हालांकि जब आप किसी कंपनी का आवेदन-पत्र भरते हैं तो साफ है कि आपका आकलनकंपनी द्वारा पहले से तय मापदंडों के आधार पर किया जाएगा।

शिक्षा: अगर कंपनी एप्लीकेशन फॉर्म में आपकी शैक्षणिक योग्यता या मार्क्‍स दर्शाने के लिए कम जगह दी गई है तो जरूरी है कि अपनी प्रमुख उपलब्धियों और मार्क्‍स को विस्तार में लिखने की बजाए संक्षिप्त लिखें। इसके अलावा आप एक अलग शीट लेकर भी उसमें अपनी शैक्षणिक योग्यता का जिक्र कर सकते हैं या अतिरिक्त बॉक्स में पूरा विवरण दें।

कार्यानुभव: अपनी मौजूदा जॉब से शुरुआत कर पिछले कार्यानुभवों को क्रमवार दर्शाएं। अगर आधिकारिक तौर पर आपके पास पहले कोई नौकरी नहीं थी, तो अपने किसी ऐसे एक काम के बारे में सोचें जो कंपनी के समक्ष आपकी पोजीशन को बेहतर ढंग से दर्शा सके। अपनी भूमिका से जुड़ी उपलब्धियों या जिम्मेदारियों का वर्णन इस प्रकार करें, जिससे आपकी वह खूबियां उजागर होती हों, जिनकी कंपनी को जरूरत है।

रुझान व उपलब्धियां: ऐसे की-वर्डस का इस्तेमाल करें जो आपकी योग्यता को सीधे तौर पर जाहिर करें। असाधारण उपलब्धियों के जरिए नियोक्ता को प्रभावित करने की राह तलाशने के बगैर कोशिश यह करें जिससे नियोक्ता समझ सके कि आपका काम करने का तरीका और व्यवहार कैसा है।

रिफ्रेंसेस: एप्लीकेशन फॉर्म में आप जिन व्यक्तियों या संस्थानों का हवाला दें, उन्हें पता हो कि नियोक्ता द्वारा उनसे संपर्क किया जा सकता है। फॉर्म भेजने से पहले किसी उपयुक्त शख्स से चेक करवा लें। साक्षात्कार की सिलसिले में अपने आवेदन और कंपनी द्वारा जारी विज्ञापन की कटिंग भी रखें।
आंध्र प्रदेश में राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी का पार्टी व संसद से इस्तीफा एक और संभवत: लंबे राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत है। निजी महत्वाकांक्षा से पैदा यह टकराव राजनीति में नया नहीं है।

लोकतंत्र के बावजूद हमारी राजनीति में सामंती तौर-तरीकों की जो छाप चली आ रही है, उसके कारण समय-समय पर ऐसे टकराव सामने आए हैं। हर स्थापित नेता के अवसान के बाद उसकी राजनीतिक विरासत पर दावेदारी को लेकर पार्टी व परिवार दोनों में सत्ता संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। आंध्र में ही एनटीआर की मृत्यु के बाद भी यह देखने को मिला था।

पिछले वर्ष विमान दुर्घटना में राजशेखर रेड्डी की मृत्यु के बाद जगन मोहन ने कभी छिपाया नहीं कि वह मुख्यमंत्री बनकर पिता की राजनीतिक विरासत को संभालना चाहते हैं। लेकिन खुद एक परिवार की धुरी पर केंद्रित कांग्रेस को यह रास नहीं आया कि जगन ठीक वहां से राजनीतिक शुरुआत करें, जहां कड़ी मेहनत के बाद उनके पिता पहुंचे थे।

पुराने और अनुभवी कांग्रेसी होने के नाते राजशेखर रेड्डी जानते थे कि कांग्रेस में एक राज्य क्षत्रप का अधिकार क्षेत्र कहां खत्म होता है और कहां कथित आलाकमान का दबदबा शुरू होता है। लेकिन यही अनुभव और समझ जगन मोहन को विरासत में नहीं मिल सकी।

पिछले 14 महीने से जगन और कांग्रेस के बीच चल रहे संघर्ष में निर्णायक मोड़ तब आया, जब टकराव की लकीरें परिवार के बीच पहुंच गईं। जगन ने इस्तीफा तब दिया, जब न सिर्फ चाचा के मंत्री बनने की खबरें आने लगीं, बल्कि वह भतीजे को आलाकमान के यहां ले जाकर माफी मंगवाने की बात कहने लगे।

इतना ही महत्वपूर्ण यह कि इस्तीफा सिर्फ मां और बेटे ने दिया है। इसलिए राजशेखर रेड्डी की राजनीतिक विरासत की लड़ाई में यह पारिवारिक कोण और भी तीव्रता से उभरकर आए तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

इसका अंतिम फैसला अंतत: जनता की अदालत में ही होगा। इस बीच में इसमें कई रोचक और दिलचस्प मोड़ आएंगे। यह निराशाजनक इसलिए है कि महत्वाकांक्षा की यह लड़ाई हमारी राजनीति को लोकतांत्रिक परिपक्वता हासिल नहीं करने देती।

जब मतदाता बार-बार विकास के लिए अपनी व्यग्रता व्यक्त कर रहे हैं, जैसा कि हाल ही में बिहार की जनता ने किया है, तब राजनेता उसे निजी महत्वाकांक्षा, परिवार और अंत:पुर के षड्यंत्रों की ढलान पर धकेलने से संकोच नहीं करते।
एनडीए की इमेज बदलते चार मुख्यमंत्री

एनडीए को नई दिशा देने का दारोमदार नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी, रमन सिंह, और शिवराज सिंह चौहान जैसे मुख्यमंत्रियों के कंधों पर आन पड़ा है। और क्यों न हो? इन मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों में सुशासन, विकास और जनकल्याण को प्रमुखता देकर सभी आलोचकों को खामोश कर दिया है। बिहार के चुनाव नतीजों ने नीतीश कुमार को रातोरात एनडीए का सबसे सफल चेहरा बना डाला। आइए जानते हैं एनडीए के नए क्षत्रपों के बारे में...

नीतीश कुमार

बिहार में रिकॉर्ड सीटें हासिल करके सत्ता में लौटने वाले नीतीश कुमार राजनीतिक पंडितों के चहेते बने हुए हैं। कोई उनकी विकासपरक राजनीति का गुणगान कर रहा है तो कोई इसे सोशल इंजीनियरिंग के नए फंडे का बखान। कुछ भी हो, एक प्रदेश के मुख्यमंत्री होकर भी उनकी जीत ने देशभर के समीक्षकों को झकझोर दिया है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि बिहार में गवनेर्ंस शून्य पर था और नीतीश ने इसे शून्य से निकाल कर पटरी पर लाने का काम किया। कानून-व्यवस्था कायम की, सड़कों को दुरुस्त किया और दफ्तरों में बाबुओं को अपनी मेज पर बैठने की आदत पड़ने लगी। अभी चुनौती और बड़ी है। स्वभाव से सौम्य और बड़े-बड़े दावों से परहेज करने वाले नीतीश अब तक खामोश परफॉमर के रूप में देखे जाते हैं। अल्पसंख्यकों को रिझाकर उन्होंने यह मिथक भी तोड़ दिया कि भाजपा के सहयोगियों को मुसलमान वोट नहीं दे सकते। लेकिन अपनी जीत से नीतीश कुमार ने यह सुनिश्चित कर लिया है कि आइंदा एनडीए के नेताओं की गिनती हुई तो उनका नाम सबसे आगे होगा।

गुजरात के मुख्यमंत्री

नरेंद्र मोदी भाजपा के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। हिंदुत्व की विचारधारा के झंडाबरदार मोदी के साथ विवादों हमेशा जुड़े रहते हैं। मगर भाजपा के नेता चाहकर भी उनके प्रभाव को झुठला नहीं सकते। हालांकि उनका अंदाज नीतीश कुमार से जुदा है। दोनों नेताओं का वैर भी जगजाहिर है। अब तक गठबंधन राजनीति में मोदी की भूमिका शून्य है। सच तो यह है कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के विवाद ने यह साबित कर दिया है कि मोदी को गठबंधन सहयोगियों में खुद को स्वीकार्य बनाने के लिए अभी काफी कसरत करनी होगी। लेकिन मुसलमानों को टिकट देकर उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी है।

रमन सिंह

रमन सिंह भाजपा के छुपारुस्तम हैं। वह उन मुख्यमंत्रियों में हैं जिन्हें कोई भी नापसंद नहीं करता। फिर चाहे वह प्रदेश के नेता हों या भाजपा के केंद्रीय नेता। लो-प्रोफाइल रहने वाले चाउर
वाले बाबा ने हमेशा प्रदेश की जनता के कल्याण और सुरक्षा व्यवस्था पर फोकस किया है। लोगों ने उन्हें किसी विवाद में पड़ते या विचारधारा पर लंबे-चौड़े जुमले बोलते नहीं सुना। इसके बावजूद इस नवगठित प्रदेश ने विकास के पैमाने पर लगातार झंडे गाड़े हैं। बकौल रमन सिंह जनता काम चाहती है और केवल उसी पर वोट देती है।

शिवराज सिंह चौहान

पांच साल पहले भाजपा के केंद्रीय नेताओं के सहायक बनकर घूमने वाले शिवराज सिंह चौहान ने वह कर दिखाया जो मध्य प्रदेश में बड़े-बड़ों से न हुआ। चौहान पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने गैर-कांग्रेसी होकर मध्य प्रदेश में पांच साल पूरे कर लिए। बालिकाओं, महिलाओं, शोषित पीड़ित वर्गो के लिए उनकी सरकार की योजनाओं को खूब सुर्खियां मिल रही हैं। विकास के मानदंडों पर भी मप्र कई पायदान ऊपर उछल चुका है। चौहान उन मुट्ठी भर नेताओं में शुमार हैं जिन्हें प्रदेश के सभी वर्गो का समर्थन मिलता है। प्रदेश में अपनी पैठ मजबूत करने के बाद अब वह धीरे-धीरे केंद्रीय भाजपा की नजर में भी एक अग्रणी नेता बनते जा रहे हैं।
ये जो है दिल्ली : वाह सोनिया मैडम, बदल गया अंदाज



बिहार चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जिस अंदाज में नजर आईं वैसा कम ही होता है। वे अचानक 24 अकबर रोड पहुंची। लेकिन ज्यादा अचरज इस बात पर था कि उनके साथ न तो मीडिया प्रकोष्ठ के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी थे और न ही उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल। इतना ही नहीं, वे जब मीडिया से बात कर रही थीं तो पार्टी मुख्यालय में पहले से मौजूद मीडिया विभाग के सचिव टॉम वाडक्कन भी दूर-दूर ही घूमते रहे। फिलहाल बिना किसी पार्टी नेता की मदद के कांग्रेस अध्यक्ष ने मीडिया से खुलकर बात की और वह भी दस मिनट से ज्यादा। नेताओं को कैसा भी लगा हो मीडिया वालों के लिए इससे बढ़िया और क्या हो सकता था।



प्रकट हुए प्रभारी जी



बिहार में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तकरार, उससे पैदा हुई गठबंधन में दरार और बाद में चुनाव प्रचार में भाजपा के तमाम बड़े-छोटे नेताओं ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई। अगर नजर नहीं आए तो वह थे बिहार मामलों के प्रभारी अनंत कुमार। लेकिन संकट में नहीं दिखे तो क्या, चुनाव नतीजों के दिन प्रभारी महोदय सुबह-सुबह प्रकट हो गए। अनंत कुमार ने न सिर्फ पार्टी के दिग्गजों के साथ जमकर जीत का जश्न मनाया बल्कि अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए। आखिर, आते कैसे नहीं। ऐसी ऐतिहासिक जीत का श्रेय लेने का मौका बार-बार कहां मिलता है।



फरमाइशी गीत



पिछले दिनों केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के निकाय एनबीसीसी ने अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी भी उपस्थित थे। वह काफी देर वहां रहे, जिससे एनबीसीसी के सीएमडी वीपी दास खासे संतुष्ट थे। लेकिन उनकी खुशी उस समय दोगुनी हो गई जब रेड्डी ने रंगारग कार्यक्रम देने अपने समूह के साथ आई श्रेया घोषाल को एक क्लासिक गीत का मुखड़ा बताकर इसे गाने का अनुरोध किया। इसके बाद घोषाल ने ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ गाया। वहां मौजूद सभी लोग उस समय दंग रह गए जब उन्होंने रेड्डी को एक बेहतरीन श्रोता के तौर पर इस गाने के दौरान अपने हाथों की उंगलियों को कुर्सी के किनारों पर थरकाते देखा। सबसे अधिक खुश दास थे। और हो भी क्यों न, ऐसा समय कम ही आता है जब मंत्री श्रोता रूप में नजर आएं।



वाइको की सक्रियता



तमिलनाडु की सियासत में एम गोपालसामी उर्फ वाइको ने अपनी पार्टी एमडीएमके बनाई लेकिन द्रविड़ राजनीति का एक सिरा पकड़कर दो बार द्रमुक के समर्थन के साथ वे राज्यसभा तक पहुंचे। श्रीलंका के तमिलों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए सतत प्रयत्नशील रहे वाइको और द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि के बीच खास रिश्ता है। अमेरिका में तमिल लोगों को एशियन-ब्लैक का तमगा दिलाने की कोशिशों में जुटे वाइको ने अमेरिका में ब्लैक समुदाय के राष्ट्रपति बराक ओबामा पर किताब लिखनी शुरू की। किताब छप कर आ चुकी है।



‘यस वी कैन’ नाम की किताब में वाइको ने ओबामा के कसीदे पढ़े हैं और श्रीलंका के तमिलों की गाथा बुनी है। किताब का विमोचन केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला और प्रकाश सिंह बादल के हाथों 30 नवंबर को होना है। लंबे समय के बाद वाइको किताब विमोचन के बहाने बड़े सियासी जलसे का आयोजन कर राजनीतिक पुनर्वास की कोशिशें करते नजर आएंगे।



बेचारे मुख्य अतिथि



पिछले दिनों की बात है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के छत्तीसगढ़ पवेलियन में आयोजित एक कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव सरजियस मिंज के हाथों होना था। मिंज साहब तय समय पर दिल्ली पहुंच गए। शाम को प्रगति मैदान जाने-आने के सारे इंतजाम हो गए। कार्यक्रम स्थल पर अधिकारीगण मुख्य अतिथि का सत्कार करने दरवाजे पर खड़े हो गए। इतने में मुख्य सचिव पी जॉय उमेन और राज्य के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू मेला घूमते हुए छग पवेलियन पहुंच गए।



अचानक आ धमके वीवीआईपी को देख आला-अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। मंत्री और मुख्य सचिव की उपस्थिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव से कार्यक्रम का उद्घाटन कैसे कराया जाए! मिंज साहब को क्या बताया जाए! इन्हीं सब ऊहापोह में आखिरकार मंत्री साहूजी ने दीया-बत्ती जलाकर औपचारिकता का जामा पहनाया। सांसद चंदूलाल साहू और नंद कुमार साय भी मौके पर पहुंच गए। फिर खूब जमा छत्तीसगढ़िया रंग।



भाई जी



सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार कम बोलते हैं, मीठा बोलते हैं और जरूरत न हो तो नहीं बोलते हैं। ये बातें सभी को मालूम है। लेकिन उनके शिष्टाचार का एक पहलू हाल ही में सामने आया, जिसके बाद उनके साथ मौजूद वरिष्ठ अधिकारी उनके कायल होने से बच नहीं पाए। असल में, अपने पास आए मेहमानों को चाय पिलाने के लिए उन्होंने अपने चपरासी को बुलाया।



यह आम बात है कि कोई अधिकारी इस काम के लिए अपने चपरासी को बुलाता है। लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने चपरासी को ‘भाई जी’ कहकर संबोधित किया वह अपने आप में मेहमानों को सुखद लगा। जब बाहर आकर उन्होंने चपरासी से इसको लेकर चर्चा की तो उसका कहना था कि साहब हर किसी को इसी तरह आदर देते हैं। पीठ पीछे किसी अधिकारी के लिए उसके मातहतों के बीच ऐसा सम्मान कम ही देखने को मिलता है।
ग्रंथी ने बच्ची को हवस का शिकार बनाया

लुधियाना. शेरपुर स्थित एक गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी ने नौ वर्षीय बच्ची को हवस का शिकार बना डाला। उक्त बच्ची प्रसाद लेने के लिए गुरुद्वारा साहिब में गई हुई थी। वारदात को अंजाम देने के बाद ग्रंथी वहां से फरार हो गया है। चौकी शेरपुर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। आरोपी ग्रंथी का नाम अमरप्रीत सिंह है।

वह मूल रूप से पौंटा साहिब का रहने वाला है। दोपहर के वक्त बच्ची गुरुद्वारा साहिब में प्रसाद लेने गई थी। उस वक्त आरोपी गुरुद्वारा साहिब में अकेला था। वह बच्ची को एक अलग कमरे में ले गया और हवस का शिकार बनाया। बच्ची खून से लथपथ रोते हुए घर पहुंची तो मां के पूछने पर ग्रंथी की इस हरकत का पता चला।
मैं यस मैन नहीं था : मनप्रीत

लुधियाना . सूबे के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा है कि उनकी वफादारी देश और राज्य के प्रति है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने हमेशा इसका ख्याल रखा। जहां तक शिरोमणि अकाली दल की बात है, पार्टी के प्रति वे निष्ठावान रहे थे, लेकिन किसी के यस मैन नहीं रहे। यही वजह है कि आज उनका रास्ता अलग हो गया।

जागो पंजाब यात्रा पर निकले मनप्रीत पहले चरण में मालवा में लोगों से मुखातिब हो रहे हैं। यात्रा के रेस्ट डे पर सोमवार को लुधियाना पहुंचे मनप्रीत ने कहा कि भले ही राज्य सरकार खजाना भरा होने का दावा कर रही है, लेकिन वास्तविकता में सूबे के वित्तीय हालात पतले हैं। मनप्रीत रिसॉर्ट में पत्रकारों से भी रूबरू हुए थे।

करीब पौने घंटे के अपने संबोधन के दौरान मनप्रीत ने अपने और सरकार के अन्य वजीरों का फर्क भी समझाया। उन्होंने कहा कि चार साल के दौरान उन्होंने पब्लिक का एक पैसा अपने ऊपर खर्च नहीं किया। सरकारी यात्राएं भी निजी खर्च पर कीं।

सरकारी गाड़ी लेना तो दूर, सरकार से एक लीटर पेट्रोल तक नहीं लिया। मनप्रीत ने कहा कि जागो पंजाब यात्रा का मकसद सूबे की जनता को सही हालातों से जागरूक करना है। उनका मकसद भ्रष्टाचार, गरीबी व नशे का खात्मा करना है।

मनप्रीत ने बेबाकी से कहा कि देश के वोटर जागरूक हो गए हैं। गुजरात, हरियाणा के बाद बिहार के वोटरों ने जो जनादेश दिया है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि जनता अब उन्हीं लोगों को आगे लाएगी, जो देश का भला कर सकेंगे।

कार्यक्रम के दौरान लोभपा नेता दर्शन सिंह, भूपिंदर सिंह ने मनप्रीत का हाथ थाम लिया। इस मौके पर गुरचरण सिंह, सुखमिंदर सिंह, सरबजीत सिंह, जीवन पाल, महिंदर जीत सिंह समेत मनप्रीत के कई समर्थक मौजूद थे।

जनता की पार्टी में शामिल होऊंगा

पत्रकारों से बातचीत के दौरान मनप्रीत ने कहा कि अभी उनका पार्टी बनाने का कोई इरादा नहीं है और न ही वे पार्टीबाजी की सियासत में कोई दिलचस्पी रखते हैं। अपनी पार्टी बनाने के बजाए वे जनता की ओर से बनाई गई पार्टी में शामिल होना ज्यादा पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए उन्हें उतना प्यार नहीं मिला, जितना अब लोगों के बीच जाकर मिल रहा है। उन्हें इतना संतोष है कि लोग उनकी बात को बड़े सब्र के साथ सुनते हैं।
घर का भेदी: आठ आईएएस दोस्‍तों के साथ रैकेट चलाता था 'जासूस' रवि इंदर!
नई दिल्‍ली. संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के आरोप में गिरफ्तार गृह मंत्रालय में तैनात आईएएस अधिकारी रवि इंदर सिंह को अदालत ने 14 दिन की न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया। हालांकि पुलिस ने रवि इं‍दर से पूछताछ के लिए तीन और दिनों के रिमांड का अनुरोध किया था लेकिन अदालत ने इसे ठुकरा दिया।

स्‍पेशल जज संगीता ढिंगरा सहगल ने आरोपी आईएएस अधिकारी की जमानत याचिका पर सुनवाई चार दिसम्बर के लिए स्‍थगित कर दी। गत 23 नवंबर को दिल्‍ली पुलिस की स्‍पेशल सेल ने गिरफ्तार करने के बाद आरोपी अधिकारी से कड़ी पूछताछ की थी। पुलिस ने अदालत से रवि इंदर की रिमांड अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि उसके चार में से दो मोबाइल फोन बरामद किए जाने बाकी हैं जिनके जरिये वह कथित तौर पर अवैध गतिविधियां चलाता था।

'जासूस' अधिकारी के बारे में एक के बाद खुलासे हो रहे हैं। पता चला है कि रवि इंदर अपने आठ आईएएस दोस्तों और एक मंत्री के साथ मिलकर अपराध का एक गिरोह चला रहा था। इस गिरोह के सदस्‍य जीवन की सारी अय्याशी में लिप्‍त थे।

गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग में डायरेक्‍टर के ओहदे पर रहकर देश की सुरक्षा दांव पर लगाने वाले आईएएस अधिकारी के साथ केंद्र सरकार का एक बड़ा मंत्री भी रैकेट का हिस्सा है। एक निजी टीवी समाचार चैनल ने यह ताजा खुलासा किया है।

खुफिया सूचनाओं को बेचने का आरोपी रवि इंदर इस साल जनवरी में ही गृह मंत्रालय में तैनात हुआ था। यहां इसके जिम्मे टेलीकॉम सहित कई मंत्रालयों से जुड़ी संवेदनशील फाइलें थी जिसका सीधा ताल्लुक देश की सुरक्षा से था और रवि इंदर पर इन्हीं अहम सूचनाओं को लीक करने का आरोप है।

सूत्रों के मुताबिक रवि इंदर ने ये कारनामे पिछले 11 महीनों में नहीं किए बल्कि उसकी साजिश का सिलसिला 2001 में ही शुरू हो गया था। 1994 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के इस आईएएस की मुलाकात 2001 में ही एक कंपनी के दलाल विनीत से हुई। यहां भी इस पर कोलकाता के एक व्‍यवासायी के लिए काम करने के आरोप लगे। इसके लिए उसने लड़की से लेकर रिश्वत तक की दलाली खाई।

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में गृह मंत्रालय में तैनाती ने उसे नए मौके दिए। आरोप है कि यहां अपने गोरखधंधे के लिए उसने महाराष्ट्र के एक नेता से संपर्क बनाया। आठ आईएएस भी इस गिरोह में शामिल हुए। उसने दूरसंचार विभाग के दो अफसरों को भी मिलाया जिन्हें ‘गॉड 1’ और ‘गॉड 2’ का कोड दिया। उसके पास तीन मोबाइल फोन फर्जी नाम से थे तो सरकारी और निजी फोन का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से करता था।

रवि इंदर ने पिछले तीन साल में 13 बार काठमांडू और बैंकॉक की यात्रा की। आरोप है कि वह 14 बार पाकिस्तान के एजेंटों से भी मिला, लेकिन किसी को शक भी नहीं हुआ। एक निजी मोबाइल कंपनी के अधिकारी को भी उसने अपने नेटवर्क में शामिल किया था जो उसे यह सूचना देता था कि उसका टेलीफोन टेप किया जा रहा है या नहीं।

Sunday, November 28, 2010

पकाएं-खिलाएं लाइफ बनाएं



इ स समय देश और दुनिया में हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री दिन दूनी-रात चौगुनी तरक्की कर रही है। इससे लोगों को लिए रोजगार के नए-नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 तक हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से जुड़े रोजगारों में 20 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।

अनेक राहें

होटल मैनेजमेंट स्नातकों के लिए रोजगार की कई राहें उपलब्ध हैं। ऐसे लोग चाहें तो होटल इंडस्ट्री के अलावा एयरलाइन, क्रूज लाइन, टूर्स एंड ट्रैवल्स, रेस्त्रां, बार, फास्ट फूड श्रंखला, कैटरिंग इंडस्ट्री (संस्थानों, रेलवे व अस्पतालों में), हाईवे मोटेल्स, मनोरंजन पार्क व मॉल्स, मल्टीप्लेक्स, होटल व टूरिज्म इंस्टीट्यूट्स में रोजगार पा सकते हैं। इसके अलावा खुद रोजगार भी स्थापित किया जा सकता है।

मौजूदा परिदृश्य

हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में उच्च टर्नओवर एक मुख्य चुनौती है। आज नियोक्ताओं को ऐसे कर्मचारी मुश्किल से मिलते हैं जो बुनियादी ‘सॉफ्ट स्किल्स’ से लैस हों, जिसकी ग्राहक सेवा प्रधान इंडस्ट्री में सफलता के लिए बहुत जरूरत होती है। हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के दिनोंदिन तरक्की करने के साथ इस क्षेत्र में बेहतर व तकनीकी रूप से सक्षम कर्मचारी और खासकर युवा शेफ तथा फूड-एंड-बेवरेज प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ़ गई है। आज हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से जुड़े कई अंतरराष्ट्रीय शीर्ष ब्रांड हमारे देश में आ रहे हैं। इसके साथ-साथ शेफ के लिए भी अवसरों में इजाफा हो रहा है जो हॉस्पिटैलिटी व फूड इंडस्ट्री में फूड एंड बेवरेज सेक्टर की रीढ़ तैयार करते हैं।

देखा जाए तो आज शेफ का पेशा उन दिनों से बहुत आगे निकल चुका है जब वे अपनी रेसिपी व किचन को दुनिया की नजरों से बचाकर रखते थे। आज के शेफ युवा और जोशीले शख्स होते हैं जो लगातार अपनी नॉलेज को अपडेट करते रहते हैं और ऐसे प्रोडक्ट तैयार करते हैं जिनसे ब्रांड वैल्यू तैयार होती है। आज शेफ को होटल का चेहरा माना जाता है। देश में पाककला इंडस्ट्री के तीव्र विकास के साथ कुकिंग भी घरेलू किचन की चहारदीवारी से बाहर निकल आया है। अब यह सिर्फ महिला का अधिकारक्षेत्र नहीं रह गया है। शेफ एक ऐसा आर्टिस्ट होता है, जिसे कुकरी की कला में महारत हासिल होती है और जो दूसरों को भी इसकी ट्रेनिंग दे सकता है। एक दक्ष शेफ न सिर्फ नए-नए व्यंजन ईजाद करता है, जो बेहद स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि अपनी मधुर मुस्कान के साथ ग्राहकों की सेवा करते हुए अपने साथ-साथ कारोबार की तरक्की में भी भागीदार बनता है।

रोजगार की संभावनाएं

इस पेशे में कॅरियर संबंधी अवसरों की कोई सीमा नहीं है। किसी दक्ष शेफ को होटल, रेस्त्रां, एयर कैटरिंग यूनिट्स, फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, कंफैक्शनरीज, क्रूज लाइनर, कारपोरेट कैटरिंग में आसानी से रोजगार मिल सकता है। इंडस्ट्री में होने वाले उतार-चढ़ावों से शेफ का पेशा प्रभावित नहीं होता क्योंकि अच्छे खाने के शौकीन लोग लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाए बगैर कभी नहीं रह सकते। आप चाहें तो अपना रोजगार भी स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा छोटे-बड़े फूड आउटलेट्स में प्रोफेशनल शेफ की काफी मांग होती है।

कार्यक्षेत्र

भोजन तैयार करने के अलावा किसी आहार-गृह के मुख्य शेफ को विभिन्न तरह के मेन्यू तैयार करने का जिम्मा भी सौंपा जाता है जो ग्राहकों के टेस्ट के अनुरूप हों। यह शेफ ही है जो आगे चलकर पकाए जाने वाले भोज्य पदार्र्थो का ऑर्डर देता है और बाकी किचन स्टाफ की निगरानी भी करता है। सबसे अहम बात, शेफ को स्वादिष्ट लजीज भोजन का जबरदस्त प्रेमी होना चाहिए। किसी शेफ की गुणवत्ता इस बात से इंगित होती है कि वह कितना जायकेदार भोजन तैयार कर सकता है। उसे अलग-अलग तरह की पाककलाओं में दक्ष होना चाहिए। शेफ को कोल्ड किचन, हॉट किचन या बेकरी कंफैक्शनरी जैसे विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों को चुनते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

विकास में सहभागी

कह सकते हैं कि चमकदार सफेद टोपी के नीचे एक सौम्य मुस्कराते चेहरे के साथ-साथ लोगों की स्वाद कलिकाओं को उत्तेजित करने के लिए लजीज व्यंजनों को पकाने का हुनर इस पेशे के लिए जरूरी है। यह एक ऐसा पेशा है, जिसमें आपको अवसर, सम्मान, ग्लैमर, प्रसिद्धि और पैसा सब कुछ मिल सकता है। यदि यह कहा जाए कि शेफ बनना अपने आप में बड़े गौरव की बात है तो गलत नहीं होगा। पहले की बात और थी, जब इस पेशे को लोग दोयम दर्जे का समझते थे। तब से लेकर अब तक किचन का माहौल और शेफ का नजरिया भी काफी हद तक बदल गया है। आज अनेक युवा शेफ बनने की ओर उन्मुख हो रहे हैं। आज के ज्यादातर शेफ किसी होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से पढ़कर निकले होते हैं, जिन्हें इस पेशे के बारे में सारी जानकारी होती है। यह मल्टीटास्किंग का दौर है। यानी आज एक शेफ अलग-अलग तरह की पाक शैली के व्यंजन पकाने में समान रूप से दक्ष होता है।

इस दौर में पाककला संबंधी शोज और पत्र-पत्रिकाओं की बढ़ती लोकप्रियता के साथ शेफ भी अब पब्लिक फिगर बन गए हैं। यदि आप भी लजीज व्यंजन पकाने और खिलाने के शौकीन हैं तो मानकर चलिए कि हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में आपके लिए बेहतरीन अवसरों की कमी नहीं है, बस जरूरत है सही दिशा में कदम आगे बढ़ाने की।


बेहतर शेफ बनने हेतु जरूरी बातें
खान-पान सामग्री संबंधी अच्छा ज्ञान।
फूड इंडस्ट्री की मौजूदा मांग के बारे में समग्र जानकारी।
इस बात की पूरी जानकारी होना कि किस मौसम में कौन सी भोजन सामग्री (फल, सब्जियां, मसाले इत्यादि) उपलब्ध होती हैं।

नई-नई बातों को सीखने व अपनाने की ललक।

आप ऐसे बदलाव करने में सक्षम हों जो समाज या आबादी के एक खास हिस्से की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरी कर सकें।

नए-नए प्रयोगों के प्रति सकारात्मक नजरिया रखना।


संस्थान

इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस एंड होटल मैनेजमेंट, देहरादून।

होटल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट स्टडीज, नवी मुंबई।

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग, भुवनेश्वर।

हाई-केट्स कॉलेज ऑफ होटल मैनेजमेंट, पुणो।

हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ होटल एंड टूरिज्म, शिमला।

इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग एंड न्यूट्रिशन, पानीपत।

क्राइस्ट कॉलेज, बेंगलुरु।

कैम्बे इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट, गांधीनगर।
फेसबुक का उपयोग काम में कैसे करें?



दुनिया में गूगल के बाद दूसरी सर्वाधिक लोकप्रिय वेबसाइट फेसबुक है। औसत यूजर्स प्रतिदिन फेसबुक पर 20 मिनिट बिताते हैं। जबकि अन्य वेबसाइट्स के लिए यह औसत 10 सेकंड है। इससे जाहिर है कि फेसबुक कितनी लोकप्रिय है और कितने लोगों का जमावड़ा यहां होता है। आप इसका उपयोग इस तरह से करें कि आपको फेसबुक पर ही नौकरी का बुलावा आ जाए।

नेटवर्किग:

प्रोफेशनल नेटवर्किग की उम्मीद लोगों को ट्विटर और लिंक्डइन साइट पर %यादा रहती है। फेसबुक प्रोफेशनल साइट नहीं है, इसलिए इस पर प्रोफेशनल संपर्क बनाने पर आप भीड़ से अलग नजर आएंगे। उदाहरण के तौर पर पहले ऐसी कंपनी पता करें जहां भर्ती होने वाली हो। फिर देखें कि भर्ती कौन सा मैनेजर कर रहा है। अब फ्रंेड्स, कॉमन फ्रेंड्स की लंबी चेन का सहारा लेते हुए उन लोगों तक पहुंच जाएं जो आपका नाम उपयुक्त पद के लिए सुझा सकते हैं। आप सीधे नियुक्ति प्रबंधक से भी संपर्क कर सकते हैं।

स्टेटस अपडेट:

फेसबुक के जरिए नौकरी ढूंढ़ने का सबसे बढ़िया तरीका है कि आप अपना स्टेटस वर्तमान स्थिति के अनुसार अपडेट रखें। यहां पर फ्रेंड्स, परिजन, पुराने सहकर्मी और वे लोग तक जिनसे लंबे समय से बात नहीं हुई है, वे भी आपकी मदद के लिए तैयार रहेंगे। मानव स्वभाव में ही दूसरों की मदद करने की इ%छा होती है। आप यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि कितने %यादा लोग आपकी मदद को तैयार हो जाते हैं। भूलना भी सहज मानव गुण है, इसलिए आप भूलें नहीं और अपना नेटवर्क अपडेट करते रहें। उन्हंे लगातार जानकारी देते रहें कि किस तरह का जॉब आप तलाश रहे हैं।
ग्रुप ज्वाइन करें, एक्टिव रहें: अपनी रुचि का ग्रुप जरूर ज्वाइन करें। बीच-बीच में डिस्कशन में शरीक होकर या नया टॉपिक शुरू कर अपनी उपस्थित दर्ज कराते रहें। नए लिंक्स भी पोस्ट करते रहें। ग्रुप में किसी से भी सामान्य बातचीत होते ही फ्रंेड इनविटेशन भेज दें। इस तरह आपका नेटवर्क बढ़ता जाएगा।
एजुकेशन लोन अब लेना हुआ आसान



उच्च शिक्षा के लिए लोन लेना है तो कुछ जरूरी बातें जानना आपके लिए जरूरी है।

पात्रता : वह विद्यार्थी एजुकेशन लोन लेने का पात्र है जो भारतीय नागरिक हो अपना दाखिला पक्का कर चुका हो।

किन कोर्स के लिए मिलेगा लोन : भारत या विदेशों की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी के सभी अंडर ग्रेजुएट कोर्स, पोस्ट ग्रेजुएट, डिस्टेंस लर्निंग या प्रोफेशनल कोर्र्सो के लिए लोन मिल सकता है।

अधिकतम कितना लोन मिलेगा

और कैसे : भारत और विदेशों में पढ़ाई के लिए क्रमश: 10 लाख व 20 लाख तक का लोन मिल सकता है। 4 लाख तक के लोन के लिए किसी सिक्युरिटी की जरूरत नहीं है। 7.5 लाख रुपए से ज्यादा के लोन के लिए कोलैट्रल सिक्युरिटी जरूरी होगी।

लोन में क्या कवर होता है और कैसे : कालेज की फीस, होस्टल चार्ज, परीक्षा, प्रयोगशाला व लाइब्रेरी का शुल्क। कोर्स के लिए जरूरी सभी एजूकेशनल आर्टिकल की खरीद का खर्च भी इसमें कवर होता है। यात्रा खर्च और कंप्यूटर खरीदने के लिए भी विद्यार्थी को पैसे दिए जाते हैं। आम तौर पर जब भी जरूरत होती है तब बैंक डिमांड ड्राफ्ट को सीधे यूनिवर्सिटी को भेज देती है।

ब्याज दर और वापसी : लोन की ब्याज दर अलग-अलग बैंक के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। हालांकि ब्याज दर 10 प्रतिशत से 12.50 प्रतिशत के बीच होगी। एसबीआई की ब्याज दर 11.25 प्रतिशत है और अभ्युदय बैंक की ब्याज दर 10.5 प्रतिशत है। कर्जदाता नौकरी मिलने के 6 महीने या कोर्स पूरा होने के एक साल बाद लोन चुकाना शुरू कर सकते हैं। लोन को 5 से 7 साल की अवधि में चुकाया जा सकता है।
रणबीर 2011 में हो जायेंगे मोटे!



सोचिए कैसा लगेगा जब दुबला-पतला और गठीला रणबीर किसी दिन फूला हुआ दिखाई दे। क्या आप ऐसा देखना चाहेंगे? नहीं न, लेकिन रणबीर को पसंद करने वाली लड़कियों को बता दूं कि उनके साथ कुछ बुरा होने वाला है। दरअसल रणबीर बहुत जल्द मोटे होने वाले हैं।



रणबीर अनुराग बसु की अगली फिल्म के लिये अपना साईज बढ़ा रहे हैं। अनुराग एक कामेडी फिल्म बनाने वाले हैं और उसमें रणबीर का भी एक मजाकिया किरदार है। उसी किरदार के लिये वो अपना साईज बढ़ायेंगे। फिल्म का शीर्षक अभी तक तय नहीं हुआ है।



खबर है कि रणबीर का कैरेक्टर चार्ली चैम्पियन से प्रेरित है। बासु की फिल्म की प्रेरणा भी चार्ली की सफल मौन फिल्में ही हैं। उनकी रोवन एट्किंशन और मिस्टर बीन जैसी फिल्में काफी प्रसिद्ध हुई थीं। और बासु की फिल्म पर इनका साफ प्रभाव देखने को मिलेगा।



सूत्र ने बताया कि, "बासु चैप्लिन के बहुत बड़े फैन हैं। लेकिन मिस्टर बीन रणबीर का आइडिया था। उनका मानना है कि युवाओं की सोच का खास ध्यान रखना चाहिये इसीलिये वो तुरंत राजी हो गये।" इस फिल्म में रणबीर को मोटा-आलसी और पिलपिला दिखना है जो ढेर सारा खाना खाता हो। फिल्म के लिए रणबीर अगले साल जनवरी से जरूरत से ज्यादा खाना खाना शुरू करेंगे ताकि मोटे हो सकें।



रणबीर के एक करीबी सूत्र ने बताया कि, "फिल्म की शूटिंग फरवरी में शुरू होगी इसलिये रणबीर उससे एक महीना पहले ही जनवरी से वसायुक्त भोजन करना शुरू करेंगे।"
सलमान की फिल्म से इंट्री करेंगे राहुल



बिग बॉस के घर से सुर्खियों में आये राहुल भट्ट को 'बिग बॉस' सलमान खान भी काफी पसंद करने लगे हैं। घर में रहते हुये दोनों के बीच काफी नजदीकियां आईं हैं। तभी तो वो इस नये सितारे को बॉलीवुड में उतारना चाहते हैं। यह भट्ट के लिये काफी खुशी की बात है पर वो इस खबर से कहीं न कहीं मायूस भी होंगे।



दरअसल राहुल मशहूर फिल्म निर्देशक महेश भट्ट के बेटे हैं। इंडस्ट्री में उनका खुद का एक बैनर है। और वो बैनर नवोदित कलाकारों को आश्रय देने के लिये मशहूर है। पर उनकी शुरूआत किसी और बैनर से हो रही है। खबर है कि सलमान खान के बैनर तले बन रही एक एक्शन फिल्म में राहुल को लांच करने की योजना है।



फिल्म के लिये सलमान ने राहुल को टिप्स देना भी शुरू कर दिया है। और सबसे पहले उनको अपना विकराल लुक बदलने की सलाह दी है क्योंकि उनको लगता है कि वो लुक उनके मासूम चेहरे के साथ सही नहीं लगता। राहुल के पिता महेश को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि उनके बेटे की शुरूआत किसी और कैंप से हो रही है।
एनडीए की नई कहानी, नए चेहरे



नई दिल्ली. बारह साल पहले अटलबिहारी वाजपेयी ने गैर-कांग्रेसवाद की राजनीति के कुछ मजे हुए दिग्गजों को साथ लेकर एनडीए के रूप में एक नया प्रयोग किया था। इससे पहले जनता पार्टी समेत विपक्षी दलों को एक छतरी के नीचे लाने के तमाम प्रयोगों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। मगर वाजपेयी के नेतृत्व और जॉर्ज फर्नाडिस की मदद से एनडीए ने केंद्र में पहले तेरह महीने और फिर पांच साल तक राज किया। केंद्र की हार के बाद कुछ साथी दूर हुए, एनडीए का कुनबा बिखरा मगर टूटा नहीं।

आज बिहार की तरह एनडीए की भी नई कहानी लिखी जा रही है। मगर इस नई इबारत को दीवार पर उकेरने वाले केंद्र नहीं बल्कि प्रदेशों की राजधानियों में बैठे हैं और वहीं से देश की राजनीति को मोड़ने का काम कर रहे हैं। अब वाजपेयी, फर्नांडिस का दौर खत्म हो चुका है। लालकृष्ण आडवाणी सक्रिय तो हैं मगर खुद को एक मार्गदर्शक की भूमिका में ढालने लगे हैं। प्रकाश सिंह बादल किसी भी दिन पंजाब की गद्दी अपने बेटे को सौंपने को तैयार बैठे हैं। बाल ठाकरे का असर जनता में कम, सामना के संपादकीय में ज्यादा रह गया है। ऐसे में एनडीए को नई दिशा देने का दारोमदार नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी, रमन सिंह, और शिवराज सिंह चौहान जैसे मुख्यमंत्रियों के कंधों पर आन पड़ा है। और क्यों न हो? इन मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों में सुशासन, विकास और जनकल्याण को प्रमुखता देकर सभी आलोचकों को खामोश कर दिया है। बिहार के चुनाव नतीजों ने नीतीश कुमार को रातोरात एनडीए का सबसे सफल चेहरा बना डाला।

जाने-माने राजनीतिक समालोचक महेश रंगराजन का कहना है कि नीतीश कुमार की ऐतिहासिक जीत नरेंद्र मोदी की दो लगातार जीतों से कहीं बड़ी उपलब्धि है क्योंकि बिहार में शून्य से शुरुआत करनी पड़ी। रंगराजन की मानें तो मोदी बेशक भाजपा के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और पार्टी की कमान एक दिन उनके हाथों में जरूर आएगी। मगर रंगराजन के मुताबिक गठबंधन के नेता के रूप में अब तक नीतीश कुमार ने जो पहचान बनाई है वह नरेंद्र मोदी के खाते में अब तक नहीं आई। हालांकि यह दिलचस्प बात है कि मोदी ने भी इस खामी को भांपते हुए मुसलमानों को पचांयत चुनाव में टिकट बांटे। इनमें कई जीत भी गए। संकेत साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी वह मुसलमानों को मौका देकर यह छवि ध्वस्त करना चाहेंगे कि उन्हें अल्पसंख्यकों का विश्वास हासिल नहीं है।

वैसे, एनडीए के इस नए अवतार के कई अन्य चेहरे भी है जो लो-प्रोफाइल रहकर देश की राजनीति में अपनी खास जगह बनाने में जुटे हैं। इनमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह प्रमुख हैं। कभी गरीबों को सस्ते दर में चावल बांटकर तो कभी गैर-पारंपरिक ऊर्जा पर जोर देकर वह इस नौनिहाल प्रदेश को विकास की दौड़ में चौंकाने वाला स्थान दिलाने में कामयाब हुए हैं। जबकि पड़ोसी प्रदेश मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बिना शोर-शराबा किए प्रदेश में विकास का नया अध्याय शुरू किया है।

प्रदेशों के क्षत्रपों की यह नई ताकत केंद्र की राजनीति करने वालों के अच्छी खबर नहीं है। ये मुख्यमंत्री मजबूत राज्यों की जनता के चहेते हैं और इनके पास वोट की ताकत है जो लोकतंत्र में सफलता का सबसे बड़ा पैमाना है। शायद यही वजह है कि भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन फिलहाल इस बहस से बचते नजर आते हैं। उनका कहना था कि एनडीए के नेता लालकृष्ण आडवाणी हैं और वहीं रहेंगे। नीतीश कुमार पर उनकी टिप्पणी थी कि नीतीश कुमार केंद्र में एनडीए की सरकार के जमाने से ही गठबंधन के नेता माने जाते हैं।
जरदारी को डर- मिट जाएगा पाकिस्‍तान का वजूद


इस्‍लामाबाद. पाकिस्‍तानी सेना के सर्वोच्‍च कमांडर और देश के राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी को डर है कि आतंकवाद और हाल में आई बाढ़ की विभीषिका से कहीं मुल्‍क का वजूद ही खत्‍म नहीं हो जाए। ‘रक्षा दिवस’ (6 सितंबर) के मौके पर उनकी ओर से जारी संदेश में यह आशंका जताई गई है। जरदारी ने कहा, ‘एक ओर देश में आतंकवाद, कट्टरवाद बढ़ रहा है और दूसरी ओर, इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ आई हुई है। ये दोनों ऐसी समस्‍याएं हैं, जो मुल्‍क के वजूद के लिए खतरा बन गई हैं।

सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने अपने संदेश में कहा कि आज पाकिस्‍तान सुरक्षा के मोर्चे पर कई खतरों से जूझ रहा है। हालांकि कयानी ने खुले तौर पर किसी रूप में भारत का नाम नहीं लिया।
पाकिस्‍तान में 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना से लाहौर को बचाने की खुशी में हर साल 6 सितंबर को रक्षा दिवस मनाया जाता है।

पाकिस्‍तान अभी इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ से जूझ रहा है। इसमें 1700 से ज्‍यादा लोग मारे गए हैं और 2 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं। सेना का बड़ा हिस्‍सा बाढ़ पीडि़तों को राहत पहुंचाने में लगा है। इस बीच, आतंकवादी इसका फायदा उठा कर रोज धमाके कर रहे हैं। वे बाढ़पीडि़तों की मदद कर उन्‍हें अपने संगठन में शामिल कराने पर भी जोर दे रहे हैं।

कयानी ने अपने संदेश में बाढ़पीडि़तों की सेना द्वारा की जा रही मदद का प्रमुखता से उल्‍लेख किया, लेकिन किसी ने भी भ्रष्‍टाचार का मुद्दा नहीं उठाया। पाकिस्‍तान में भ्रष्‍टाचार का आलम यह है कि दुनिया भर से बाढ़पीडि़तों की मदद के लिए दिया जा रहा सामान भी खुले आम बाजार में बिक रहा है।
जरदारी को डर- मिट जाएगा पाकिस्‍तान का वजूद


इस्‍लामाबाद. पाकिस्‍तानी सेना के सर्वोच्‍च कमांडर और देश के राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी को डर है कि आतंकवाद और हाल में आई बाढ़ की विभीषिका से कहीं मुल्‍क का वजूद ही खत्‍म नहीं हो जाए। ‘रक्षा दिवस’ (6 सितंबर) के मौके पर उनकी ओर से जारी संदेश में यह आशंका जताई गई है। जरदारी ने कहा, ‘एक ओर देश में आतंकवाद, कट्टरवाद बढ़ रहा है और दूसरी ओर, इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ आई हुई है। ये दोनों ऐसी समस्‍याएं हैं, जो मुल्‍क के वजूद के लिए खतरा बन गई हैं।

सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने अपने संदेश में कहा कि आज पाकिस्‍तान सुरक्षा के मोर्चे पर कई खतरों से जूझ रहा है। हालांकि कयानी ने खुले तौर पर किसी रूप में भारत का नाम नहीं लिया।
पाकिस्‍तान में 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना से लाहौर को बचाने की खुशी में हर साल 6 सितंबर को रक्षा दिवस मनाया जाता है।

पाकिस्‍तान अभी इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ से जूझ रहा है। इसमें 1700 से ज्‍यादा लोग मारे गए हैं और 2 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं। सेना का बड़ा हिस्‍सा बाढ़ पीडि़तों को राहत पहुंचाने में लगा है। इस बीच, आतंकवादी इसका फायदा उठा कर रोज धमाके कर रहे हैं। वे बाढ़पीडि़तों की मदद कर उन्‍हें अपने संगठन में शामिल कराने पर भी जोर दे रहे हैं।

कयानी ने अपने संदेश में बाढ़पीडि़तों की सेना द्वारा की जा रही मदद का प्रमुखता से उल्‍लेख किया, लेकिन किसी ने भी भ्रष्‍टाचार का मुद्दा नहीं उठाया। पाकिस्‍तान में भ्रष्‍टाचार का आलम यह है कि दुनिया भर से बाढ़पीडि़तों की मदद के लिए दिया जा रहा सामान भी खुले आम बाजार में बिक रहा है।
कराची में विमान दुर्घटनाग्रस्त, 8 मरे




कराची. पाकिस्तान के कराची शहर में हवाई अड्डे के पास एक मालवाहक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। दुर्घटना में चालक दल के सभी आठ सदस्य मारे गए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक़ ये विमान पाकिस्तानी नौसेना के अधिकारियों की एक कॉलोनी में गिरा है। कई घरों में आग लग गई है।

अधिकारियों के मुताबिक़ कराची हवाई अड्डे से उड़ान भरने को दो मिनट के अंदर ही ये विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। ये रूस में बना मालवाहक विमान था और कराची से सूडान जा रहा था। नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के प्रवक्ता परवेज़ जॉर्ज ने पाकिस्तानी टीवी चैनल को बताया कि इस विमान में चालक दल से आठ सदस्य सवार थे।

रिहायशी इलाक़ा

विमान के दुर्घटनाग्रस्त होते ही उसमें आग लग गई। परवेज़ जॉर्ज ने बताया है कि अधिकारी मौक़े पर पहुँच गए हैं और बचाव कार्य चल रहा है। लेकिन आशंका है कि दुर्घटना में कई और लोग हताहत हो सकते हैं।

इस महीने के शुरू में भी कराची हवाई अड्डे के पास एक छोटा विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें 21 लोग मारे गए थे। जबकि इसी साल जुलाई में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के निकट एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे में 152 लोग मारे गए थे। ये विमान पहाड़ी से जा टकराया था।
आतंकवादी हमले तेज करेंगे पाकिस्तानी आतंकवादी



लाहौर.पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने दो नई इकाइयों का गठन कर विदेशी नागरिकों और सुरक्षाबलों पर आतंकवादी हमले तेज करने का फैसला किया है।समाचार पत्र 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि टीटीपी ने अपने दो मुख्य कमांडरों मुजाहिद अबु असीम और अब्दुल गनी की देखरेख में दो नई इकाइयों का गठन किया गया है।

पत्र के मुताबिक नई इकाइयों में शामिल लड़ाके विदेशी नागरिकों के अलावा पुलिस, सेना और अन्य प्रमुख एजेंसियों पर आतंकी हमले तेज करेंगे। समाचार पत्र में कहा गया है कि इस आतंकवादी संगठन ने अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ गुप्त बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया है। तालिबान की दो नई इकाइयों को पंजाब प्रांत में आतंकी हमले तेज करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

खुफिया सूत्रों के हवाले से पत्र में कहा गया है कि भविष्य में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए इस खुफिया बैठक में धन एकत्र करने के लिए एक अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया। आतंरिक मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने सुरक्षा एजेंसियों को इस बैठक को लेकर सतर्क कर दिया है।
राजस्थान में है विधवाओं का गांव !



करौली. राजस्थान में दस्यु प्रभावित करौली जिले के अमरापुरा गांव की दास्तां अजीब है। करौली पत्थर के लिए देश विदेश में विख्यात इस गांव का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति है छोटेलाल, जिसकी उम्र महज 60 साल है।

करौली जिले के इस गांव को विधवा गांव के रूप में भी पहचाना जाता है । पेट की आग बुझाने के लिए स्वास्थ्य प्रबंध की अनदेखी और खनन व्यवसायियों के कथित भय के कारण पत्थर की खानों में मजदूरी करने वाले इस गांव के लोगों की जिंदगी बहुत छोटी होकर रह गई है। खनन स्वामियों द्वारा श्रमिकों को कार्यस्थल पर स्वास्थ्य एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाने के कारण अधिकतर खनिक क्षय रोग से पीडित है।

जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सुरेश चंद दिनकर के अनुसार क्षय रोग से पीडित लोगों के उपचार के समुचित प्रबंध करने और बेवाओं को पेंशन मंजूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये गये है। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को मास्क और स्वास्थ्य किट मुहैया कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।

खनन व्यवसायियों की दहशत इस हद तक है कि श्रमिक कोई शिकायत करते हैं तो अपना नाम बताने को तैयार नहीं होते। श्रमिकों का मानना है कि खनन में उड़ती धूल और कार्य स्थल पर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के कारण क्षय रोग श्रमिकों को लीलता जा रहा है। करीब एक सौ घरों की बस्ती वाले अमरापुरा गांव के अधिकतर पुरुष खानों में मजदूरी करते है और महिलायें अपने घरों में खजूर के टापरों की झाडू बनाती हैं। हालत यह है कि दिन के समय पूरे गांव में बीमारों व असहायों के अलावा कोई पुरुष दिखाई नहीं देता।
गडकरी ने 9 करोड़ का मकान खरीदा, दिग्विजय की नजर में चढ़े



इंदौर. अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज यहा कहा कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की संपत्ति की जांच की जाना चाहिए।

सिंह ने कहा कि वे पिछले दिनो नागपुर गए थे जहां उन्हें जानकारी मिली कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने 9 करोड़ का नया मकान खरीदा हैं और लगभग इतने ही रूपए उसकी साज-सज्जा पर खर्च किए हैं। सिंह ने कहा कि इस बात की जांच की जाना चाहिए कि गडकरी के पास इतना पैसा कहा से आया हैं? सिंह ने कहा कि अगर मध्यप्रदेश के भाजपा मंत्नियों के यहां छापे मारे जाए तो वहां भी अकूत संपत्ति का खुलासा होगा।

देश में हाल ही में करोड़ों रूपयों के घोटालों के खुलासो के विषय में उन्होंने कहा कि इसका पूरा श्रेय काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होनें ही सूचना के अधिकार को इतने प्रभावी तरीके से लागू करवाया और उसी के कारण ये सब घोटाले सामने आ सके।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कि हाल ही में संपन्न बिहार के चुनावों में नितिश कुमार ने बड़ी भूल की। अगर वे उडीसा के मुख्यमंत्नी नवीन पटनायक की तरह हिम्मत कर लेते और केवल अपने दम पर चुनाव लड़ लेते तो उन्हें भाजपा से छुटकारा मिल जाता।
अमेरिका की स्वतंत्रता और भारत का धर्म



नजरिया . ताकत हासिल कर लेना एक बात है और उसका इस्तेमाल करना दूसरी। पिछले दिनों जब दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की भेंट हुई तो यह दो निराश नेताओं की भेंट थी। ओबामा जहां अमेरिका में मध्यावधि चुनावों में नाटकीय हार से हैरान थे, वहीं मनमोहन सिंह एक के बाद एक हो रहे घोटालों के खुलासों से परेशान थे।

लगता है ये दोनों नेता उस बुनियाद को भूल गए, जिस पर उनके देशों के लोकतंत्र का निर्माण हुआ। जिस तरह स्वतंत्रता के विचार के बिना अमेरिका की कल्पना नहीं की जा सकती, उसी तरह धर्म के बिना भारत को समझना मुश्किल है। ओबामा यात्रा अंत में ओबामा और मनमोहन दोनों के लिए सुखद साबित हुई, लेकिन इन दोनों को अपने आदर्शो में पुन: विश्वास प्राप्त करने के लिए अभी काफी काम करना होगा।

अमेरिका में रिपब्लिकनों की जीत के सूत्रधार जॉन बोएनर ने ओबामा के बारे में कहा है कि उन्होंने उन मूल्यों को नजरअंदाज करने की भूल की, जिनकी बुनियाद पर अमेरिका का निर्माण हुआ था : आर्थिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजी उत्तरदायित्व।

इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बोएनर महोदय सही हैं या गलत, लेकिन आधा अमेरिका तो यही मानता है। हर देश अपने आपमें एक ‘कल्पित समुदाय’ होता है, जिसका निर्माण इस आधार पर होता है कि उसके मतदाता क्या ‘कल्पना’ कर रहे हैं।

अमेरिकी अपने देश को अवसरों और उद्यमशीलता की धरती के रूप में देखते हैं। यह यूरोपीय शैली के कल्याणकारी राज्य की धारणा नहीं है। आलोचक कहते हैं कि समानता को अर्जित करने की कोशिश में ओबामा स्वतंत्रता को भूल गए।

भारत में धर्म की महत्ता इतनी है कि राष्ट्रीय ध्वज में धर्म चक्र को केंद्रीय स्थान दिया गया है। कांग्रेस पार्टी अब भी इस बात को समझ नहीं पा रही है कि एक के बाद एक हो रहे घोटालों ने उसे कितना नुकसान पहुंचा दिया है। लोग तत्काल यह सवाल पूछते हैं : ‘सार्वजनिक जीवन में धर्म का स्थान अब क्या रह गया है?’

यह इसलिए दुखद है कि साफ छवि का होने के बावजूद प्रधानमंत्री इस स्थिति को टाल नहीं सके, जबकि मतदाताओं ने बड़ी उम्मीदों के साथ उन्हें वोट देकर सत्ता सौंपी थी। भारतीयों के मन में एक शासक की कल्पना यह है कि वह धर्म द्वारा संचालित होता है।

यहां धर्म से अर्थ संप्रदाय से नहीं है। 19वीं सदी में जब कलकत्ता में ईसाई मिशनरियों ने दावा किया कि यीशु का पथ ही सच्चा धर्म है, तो हिंदुओं ने उत्तर देते हुए कहा था कि उनका धर्म सनातन यानी शाश्वत है। सार्वजनिक धर्म से आशय है सत्कार्य करना।

हालांकि भारत और अमेरिका की आर्थिक स्थितियां काफी भिन्न हैं, लेकिन फिर भी उनकी समस्याओं के समाधान मिलते-जुलते हैं। अमेरिका एक समृद्ध देश है, लेकिन फिलवक्त वह नौकरियों की किल्लत से जूझ रहा है। अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ लोग सेवा क्षेत्र में काम करना चाहते हैं और वहां उद्योगों का आधार तेजी से घट रहा है।

भारत गरीब, लेकिन तेजी से बढ़ता हुआ देश है। अमेरिका की ही तरह भारत की उच्च विकास दर के लिए भी उसका सेवा क्षेत्र ही जिम्मेदार है। लेकिन अपनी विकास दर के उत्साह में हम यह भूल जाते हैं कि हमारे यहां अभी भी औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।

केवल ‘लो-टेक’, श्रम केंद्रित उद्योगों के जरिये ही ग्रामीण आबादी के लिए नौकरियां सृजित की जा सकती हैं। भारत और अमेरिका दोनों के लिए जरूरी है कि उसके सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोग नौकरियों की चकाचौंध से ध्यान हटाकर उद्योग क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करें।

रोजगार गारंटी योजनाओं के जरिये फर्जी नौकरियां सृजित करने के बजाय भारत को निजी एंटरप्राइजों के मार्फत रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए श्रम कानूनों में सुधार की जरूरत है। भूमि अधिग्रहण कानून पास किया जाना चाहिए। घूसखोरी को बढ़ावा देने वाले और उद्यमियों को हतोत्साहित करने वाले ‘इंस्पेक्टर राज’ को खत्म करना चाहिए।

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये बड़े पैमाने पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की जरूरत है। हमारी वर्तमान विकास दर से हम केवल पांच से सात हजार डॉलर प्रति व्यक्ति आय के स्तर तक पहुंच सकते हैं। अगर हमने प्रशासन का स्तर नहीं सुधारा और औद्योगिक क्रांति की राह नहीं चुनी तो बहुत संभव है कि भारत का विकास अनेक लातिन अमेरिकी देशों की तरह अवरुद्ध होकर रह जाए।

ओबामा की तरह हमें प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। ओबामा अमेरिका के पहले डेमोक्रेट राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने कहा कि यदि शिक्षक बच्चों को सफलता का प्रशिक्षण नहीं दे सकते तो उन्होंने निकाल बाहर कर दिया जाना चाहिए। भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति अमेरिका की तुलना में कहीं बदतर है।

हमारे हर चार सरकारी प्राथमिक स्कूलों में से एक में शिक्षक या तो स्कूल से नदारद रहते हैं या पढ़ाने से कन्नी काटते हैं। फिर भी हमारा शिक्षा का अधिकार कानून चुप्पी साधे हुए है। हमारे नेताओं को ‘शिक्षक के धर्म’ के बारे में भी बात करनी चाहिए।

ओबामा यात्रा सफल रही और उसके बाद भ्रष्टों को बाहर का रास्ता दिखाने का सिलसिला भी शुरू हुआ, लेकिन वास्तविक कार्य तो अभी प्रारंभ ही हुआ है। सार्वजनिक जीवन में धर्म की प्रतिष्ठा करने के लिए मनमोहन सिंह को ठोस कदम उठाने होंगे। अधिकारियों को विश्वसनीय बनाने के लिए सिविल सेवा की प्रणाली में सुधार करने होंगे।

खतरनाक खाद्य सुरक्षा विधेयक को रोकना भी जरूरी है, जो हमारे इतिहास का सबसे बड़ा घपला साबित हो सकता है। केवल तभी धर्म की रक्षा हो सकेगी और भारत वास्तव में दुनिया की ‘महाशक्ति’ बन पाएगा
सरकारी माफिया और माफिया की सरकार



प्रसंगवश . सरकार और माफिया में क्या अंतर होता है? अगर गौर से देखें तो हमें इन दोनों के बीच अंतर से ज्यादा समानताएं नजर आएंगी। दोनों ही सुरक्षा मुहैया कराने के ऐवज में पैसा लेते हैं। फर्क इतना ही है कि सरकार इस तरह की वसूली को ‘करवसूली’ कहती है। यदि भुगतान न किया जाए तो दोनों चेतावनी देने में कोताही नहीं बरतते।

लेकिन अगर थोड़ा और गौर से देखें तो एक बुनियादी फर्क नजर आएगा। सरकार द्वारा की जाने वाली वसूली कानूनी प्रक्रिया के तहत होती है, जबकि माफिया का अपना कानून होता है। चोरों के भी अपने उसूल होते हैं। ये कानून आम तौर पर माफिया ‘बॉस’ द्वारा बनाए जाते हैं। हालांकि इन कानूनों के लिए सफाई देने की जरूरत नहीं महसूस की जाती, लेकिन फिर भी कुछ ऐसा कर सकते हैं।

सरकार और माफिया के बीच का फासला तब कम होने लगता है, जब सुरक्षा टैक्स लेने वाली सरकार सुरक्षा करने में नाकाम साबित होने लगती है। ऐसे ही अवसरों पर माफिया सरकार से ज्यादा कानूनसंगत नजर आने लगता है। इसीलिए मुसीबत की घड़ी में झुग्गी झोपड़ी वाले अक्सर पुलिस के बजाय झुग्गी के दादा या ‘भाई’ के पास मदद मांगने जाते हैं।

वे उनके परिवार की रक्षा करते हैं। इस तरह के लोग उस वर्ग के प्रतिनिधि हैं, जिन्हें सरकार सामान्यत: ‘संगठित अपराधी’ कहती है। यह अजीब लगता है कि ‘संगठित अपराधियों’ की कमाई का जरिया है : रियल एस्टेट, जुआ, वेश्यावृत्ति और सुरक्षा। लेकिन वे कभी भी उन लोगों को तकलीफ नहीं पहुंचाते, तो उनके संरक्षण में हैं।

शायद इसी कारण लोग उनमें भरोसा करते हैं। संगठित अपराधियों पर इन लोगों की निर्भरता इस हद तक होती है कि यदि वे चुनाव में खड़े हो जाएं तो उन्हें उस विशेष तबके के वोट हमेशा मिलेंगे, चाहे उन पर कितने ही मामले क्यों न दर्ज हों। यदि समर्थकों का तादाद ज्यादा रही, तो उनके द्वारा चुनाव जीत जाना भी कोई बड़ी बात नहीं।

लेकिन झुग्गी बस्तियों के दादा का सत्ता तक सफर आसान नहीं होता। उसे पता होता है कि सत्ताधारी लोगों को सरकार और राज्यतंत्र का समर्थन हासिल है, जबकि उसके पास हिंसा के अलावा और कोई ताकत नहीं है। जाहिर है, खून-खराबे की धमकी दिए जाने पर उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई जा सकती है।

अक्सर यह देखा जाता है कि किसी गुंडे द्वारा संरक्षित लोगों की संख्या जितनी ज्यादा होती है, उस पर दर्ज पुलिस मामलों की तादाद भी उतनी ही अधिक होती है। उसे पता होता है कि वह अपने समर्थक समुदाय में इजाफा करके ही अपनी ताकत बढ़ा सकता है। हिंसा और दादागिरी बढ़ती जाती है और साथ ही उसके द्वारा संरक्षित बस्तियों की संख्या भी।

इसी तरह एक अपराधी राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण करता है और जनता का प्रतिनिधि बन जाता है। लेकिन राजनीति में आने के बावजूद वह कभी अदालत की तरफ नहीं जाता, क्योंकि उसे पता है अदालत में सालों तक सुनवाई चलती रहेगी। हमारी न्याय प्रक्रिया में जितनी सुस्ती रहेगी, उतना ही लोगों का भरोसा न्याय के वैकल्पिक साधनों पर बढ़ता जाएगा। साथ ही सरकार और माफिया के बीच होने वाले संघर्षो में भी इजाफा होता रहेगा।
लोन दिलवाने का झांसा दे करोड़ों ठगे



< b>जालंधर . सीआईए स्टाफ ने लोन दिलवाने का झांसा देकर करोड़ो की ठगी करने के नेटवर्क को ब्रेक करने का दावा किया है। साथ ही सरगना सहित तीन आरोपियों को दबोचा भी है। आरोपी सरगना राकेश कुमार पुत्र यशपाल अरोड़ा निवासी नीला महल, शक्ति अरोड़ा उर्फ रॉकी पुत्र प्रदीप कुमार निवासी शहीद बाबू लाभ सिंह नगर, सन्नी महेंद्रू पुत्र विनोद कुमार निवासी धारीवाल (गुरदासपुर) के कब्जे से 438 फाइलें जब्त की हैं।

फरार आरोपी धर्मेद्र निवासी गांव खुंडा (गुरदासपुर) और विशाल पुत्र निर्मल कुमार निवासी गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू (जालंधर) की तलाश की जा रही है। थाना-2 में सभी के खिलाफ साजिश, जालसाजी व धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। पुलिस लाइन में एडीसीपी (क्राइम) राजपाल सिंह संधू ने पत्रकारों को बताया कि सीआईए स्टाफ के इंचार्ज सतीश मल्होत्रा ने गुप्त सूचना पर आरोपियों को कार सहित दबोच लिया।

एडीसीपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य टॉवर लगाने का झांसा देकर भी ठगी कर चुके हैं। गिरोह अखबार में विज्ञापन देकर शिकार अपने जाल में फांसा करते थे। गिरोह ने नकोदर रोड पर सत्या फाइनांस, मिलाप चौक के पास कृष्णा फाइनांस, बस अड्डा के पास आस्था इंटरप्राइजेज, होशियारपुर में सूर्या फाइनांस, शिव शक्ति प्रॉपर्टी एंड फाइनांस, गंगा फाइनांस, एकुरेट फाइनांस के नाम पर फर्जी कंपनियां खोल रखी थी।

पकड़े गए सभी ठग अपराधी: एडीसीपी संधू ने बताया कि सरगना राकेश के खिलाफ जालंधर, लुधियाना, हरियाणा और कोटा में कुल 8 केस दर्ज है। रॉकी लूट केस में भगोड़ा था, जबकि सन्नी के खिलाफ अमृतसर पर केस दर्ज है।

अढ़ाई करोड़ का ठगी का आरोपी है सरगना : एडीसीपी ने बताया कि टॉवर लगवाने का झांसा देकर सरगना राकेश ने लोगों से करीब अढ़ाई करोड़ की ठगी की थी। लुधियाना पुलिस ने राकेश के नेटवर्क को ब्रेक कर राकेश को पकड़ लिया था। राकेश करीब तीन माह पहले ही जेल से जमानत पर रिहा हुआ था।
भारत में भी है दुनिया का सबसे महंगा घर !




अरबपतियों की रिहाइश, लाइफ स्टाइल और समृद्धि गाथा साधारण लोग अक्सर जानना चाहते हैं। इनके रिहाइशी ठिकानों के बारे में जानना इस श्रेणी में सबसे ऊपरी पायदान पर आता है। यहां जिक्र है दुनिया के कुछ बेहद महंगे घरों का..

एंटिला, मुंबई : 2 बिलियन डॉलर

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश और उनकी पत्नी नीता अंबानी के निवास 27 मंजिला टॉवर का कुल क्षेत्रफल तकरीबन 40 हजार वर्ग फीट है। कस्टम मेजरमेंट से बने एंटिला में छह मंजिलें तो सिर्फ कार पार्किग के लिए ही हैं। इस टॉवर का निर्माण लॉस एंजिलिस की नामी फर्म परकिंस एंड विल एंड हिर्श बेंडर एसोसिएट्स से सलाह लेकर किया गया है। इस टॉवर की एक भी मंजिल समान नहीं है। इसकी लॉबी में नौ लिफ्ट्स लगी हैं। घर में एक बड़ा सा बॉलरूम भी है जिसकी 80 फीसदी सीलिंग पर क्रिस्टल से बने फानूस लगे हैं।

द पेंटहाउस, लंदन : 200 मि. डॉलर

लंदन के मशहूर नंबर वन हाइड पार्क के दूसरे 82 अपार्टमेंट्स के सबसे ऊपर ही दुनिया का सबसे महंगा फ्लैट स्थित है, जिसकी प्रति वर्ग फीट कीमत 434 हजार रुपए है। इस फ्लैट मंे पैनिक रूम्स, बुलेटप्रूफ विंडोज, स्कैनर और सीक्रे ट सुरंग भी है जो मेंडेरिन होटल मंे खुलती है। इस बिल्डिंग में स्पा, स्क्वेश कोर्ट्स और वाइन टेस्टिंग रूम भी है।

हस्र्ट मैंशन, बेवरली हिल्स : 165 मि. डॉलर

पूर्व में मशहूर प्रकाशक रहे विलियम रैंडल्फ हस्र्ट के मालिकाना हक वाले इस मैंशन में 29 बेडरूम और 3 पूल्स हंै। इसमें एक डिस्कोथेक और थियेटर भी है। फिल्म ‘द गॉडफादर’ में भी इस स्टेट का उपयोग किया गया था। सुनने में आया है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी ने इस जगह अपने हनीमून का समय गुजारा था।

फ्रेकचुक विला, केनसिंग्टन : 161 मि. डॉलर

1997 तक यह विक्टोरियन विला लड़कियों का स्कूल रहा है। डेवलपर्स ने इसे खरीदने के बाद इसके विकास में 10 मिलियन पाउंड्स लगाए हैं। इसके पश्चात इसे यूक्रेन की एड्स से जुड़े परोपकार के कार्यो में लगी एलिना फ्रेंकचुक ने खरीद लिया। इस पांच मंजिला फ्री स्टैंडिंग विला के तलघर में स्विमिंग पूल, मूवी थियेटर, पैनिक रूम, सॉना और जिम है।


विला लियोपोल्डा, फ्रेंच रिवेरा: 506 मि. डॉलर

इस विला का निर्माण 1902 में बेल्जियम के राजा लियोपोल्ड द्वितीय द्वारा करवाया गया था। यह जगह लेबनान के बैंकर एडमंड सफरा की थी, जो अब उनकी पत्नी लिली के नाम है। 80 हजार वर्ग फीट में फैले इस स्टेट में कलात्मक एंटीक की ढेरों वैरायटी है। इसमें 19 शयनकक्ष, कोर्ट्स, बोलिंग एली, मल्टीपल किचन, डाइनिंग रूम और मूवी थियेटर है। इसमें कई स्विमिंग पूल्स और शानदार गार्डन भी है।

फेयर फील्ड : 170 मि. डॉलर

अमेरिकी व्यापारी व इंवेस्टर इरा रैनर्ट का 64 एकड़ में फैला घर पूरे अमेरिका का सबसे बड़ा घर कहलाता है। पब्लिसिटी से दूर रहने वाले अरबपति रैनर्ट अमेरिका की इस बेशकीमती प्रॉपर्टी के मालिक हैं। इस घर में 29 बेडरूम, 39 बाथरूम, 91 फीट लंबा डायनिंग रूम, पांच स्पोर्ट्स कोर्ट, बोलिंग एली और डेढ़ लाख डॉलर से निर्मित हॉट टब है।

द मैनर, लॉस एंजिलिस : 150 मि. डॉलर

यह अमेरिकी फिल्म व टीवी प्रोड्यूसर एरन स्पेलिंग का 56 हजार वर्ग फीट में फैला मैंशन है। 1991 में निर्मित किए गए इस घर में 123 कमरे हैं। इसमें इंडोर स्केटिंग रिंग, मल्टीपल पूल, तीन किचन, स्पोर्ट्स कोर्ट, प्राइवेट ऑर्चर्ड और एक बोलिंग एली है। इस मैंशन में कुछ रोचक चीजें हैं जैसे-डॉल म्यूजियम, गिफ्ट्स पैक करने के लिए अलग से एक कमरा और एक पूरी मंजिल जो कोठरी है।

हाला रैंच एस्पेन : 135 मि. डॉलर

इस जगह और मुख्य घर का निर्माण आर्किटेक्चर फर्म हैंगमैन यॉ और एस्पेन के हैनसन कंस्ट्रक्शन द्वारा किया गया है। माना जाता है कि यह घर अमेरिका में सऊदी के पूर्व राजदूत प्रिंस बंदर बिन सुल्तान बिन अब्दुल अजीज का है। मुख्य इमारत के अलावा इसके आस-पास कुछ छोटी इमारतें जैसे अस्तबल, टेनिस कोर्ट और इंडोर स्विमिंग पूल भी हैं।
डीलर को उनकी ही कार में बांधकर जलाया



मोहाली. 27 साल के प्रॉपर्टी डीलर सुरेश कुमार को शुक्रवार रात उनकी ही कार में बांधकर जला दिया गया। वारदात को सिसवां-बद्दी मार्ग पर अंजाम दिया गया। फिलहाल पुलिस के पास कोई सुराग नहीं है कि कत्ल क्यों किया गया। मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में रहने वाले सुरेश के घरवालों का कहना है कि उसकी किसी से कोई रंजिश नहीं थी। पिछले दिनों ही सुरेश की सगाई हुई थी।

एसएचओ मुल्लांपुर गरीबदास लखविंद्र सिंह ने बताया कि शुक्रवार आधी रात को उन्हें सूचना मिली की सिसवां-बद्दी मार्ग पर सिसवां गांव के पास एक स्विफ्ट कार जल रही है। जब तक पुलिस पार्टी मौके पर पहुंची कार पूरी तरह जल चुकी थी। कार की पिछली सीट पर एक व्यक्ति का शव बुरी तरह जली हालत में पड़ा था। शव कार में ही जंजीर से बंधा हुआ था। जांच में पुलिस को पता चला कि कार से ही पेट्रोल निकाल कर आग लगाई गई थी। गाड़ी की टंकी का ढक्कन खुला था।

कॉल डिटेल निकलवा रही पुलिस

खरड़ के डीएसपी राज बलविंद्र सिंह मराड़ ने बताया कि जिस प्रकार गाड़ी में ही सुरेश को जलाया गया है उससे ऐसा लगता है कि कत्ल करने वालों ने पूरी साजिश के साथ घटना को अंजाम दिया है। उनके मुताबिक पहले सुरेश को बेहोश कर गाड़ी में बांधा गया और फिर गाड़ी में आग लगा दी गई। सुरेश का मोबाइल फोन भी जल गया है, हालांकि उसकी कॉल डिटेल निकलवाई जा रही है।

फिल्म देखने निकला था

बाद में पता चला कि मरने वाला पंचकूला के मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में रहने वाला सुरेश है। उसके घर पर सूचना दी गई। सुरेश के ममेरे भाई दविंदर कुमार ने पुलिस को बताया कि सुरेश शुक्रवार रात करीब सवा आठ बजे यह कह कर निकला था कि वह फिल्म देखने जा रहा है। उसके बाद वह घर नहीं पहुंचा। दविंदर ने बताया कि सुरेश प्रॉपर्टी डीलर था। उसकी कुछ समय पूर्व ही सगाई हुई थी। दविंदर के अनुसार सुरेश की किसी के साथ कोई रंजिश नहीं थी। पुलिस ने दविंदर के बयान पर अज्ञात लोगों के खिलाफ कत्ल का केस दर्ज किया है। कार और शव को कब्जे में लेकर जांच की जा रही है।
टेस्ट देने आए कम्प्यूटर ऑपरेटर्स ने की नारेबाजी



मोहाली. स्वास्थ्य एवं फैमिली प्लानिंग विभाग के डायरेक्टर की ओर से कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की भर्ती के लिए शनिवार को सी-डैक में टाइपिंग टेस्ट रखा गया था। यह टेस्ट देने के लिए राज्य भर से करीब 200 युवा पहुंचे, लेकिन उन्हें टेस्ट के लिए दोपहर ढाई बजे तक नहीं बुलाया गया।

मुक्तसर से आए गुरमीत सिंह ने आरोप लगाया कि लिखित टेस्ट के आधार पर मैरिट लिस्ट बनाई गई थी। सुबह जब वे सी-डैक पहुंचे तो मेरिट लिस्ट के अनुसार पहले 100 युवाओं को कमरा नंबर-34 में बिठा दिया गया। दोपहर तक उनका टेस्ट नहीं लिया गया, जबकि पास ही एक कमरे में कुछ युवकों का टेस्ट कई घंटों तक लिया जाता रहा।

उन्होंने कहा कि ढाई बजे तक जब मेरिट वाले युवकों को नहीं बुलाया गया तो उन्होंने नारेबाजी की। उसके बाद उन्हें अंदर बुलाया गया, जिनमें से कई युवक बिना परीक्षा दिए ही चले गए। युवाओं का आरोप है कि कुछ ऐसे व्यक्तियों का टेस्ट लिया गया, जिन्होंने कभी लिखित परीक्षा पास ही नहीं की है।

Saturday, November 27, 2010

चौदह लाख मौत, जिन्हें टाला जा सकता था



नई दिल्ली. भारत में एक साल के दौरान करीब 14 लाख नवजात शिशुओं की मौत पांच ऐसी बीमारियों की वजह से हुई, जिनका इलाज सामान्य रूप से हर जगह मौजूद हैं। करीब आठ शिशु तो एक माह की आयु भी पूरी नहीं कर पाए। इस ताजा अध्ययन से नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भारत में पांच साल की उम्र से छोटे करीब 23 लाख बच्चों की मौत हुई। इनमें 14 लाख बच्चों की मौत निमोनिया, डायरिया, समय पूर्व जन्म, कम वजन, प्रसव के दौरान संक्रमण और दम घुटने की वजह से हुई। भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा कराए गए इस अध्ययन के ये आंकड़े 2005 के हैं। ग्लोबल हेल्थ रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर प्रो. प्रभात झा के अनुसार ज्यादातर बच्चों की मौत को टाला जा सकता था।

इस अध्ययन का लेंसेट जरनल के ताजा अंक में प्रकाशन किया गया है। बच्चों की मौत के आंकड़े दो भागों में बांटे गए हैं, जिसमें से एक भाग महीनेभर के बच्चों का है, जबकि दूसरा हिस्सा एक माह से लेकर 59 माह के बच्चों का है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में पांच साल से छोटे बच्चों की मौत का आंकड़ा दुनिया के औसत के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है।

पांच साल से छोटे बच्चों को निमोनिया-डायरिया से खतरा

अध्ययन के मुताबिक एक माह से ज्यादा और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की ज्यादातर मौत निमोनिया और डायरिया की वजह से हुई। नवजात शिशुओं की आठ लाख मौत में से ज्यादातर समय पूर्व जन्म, कम वजन और प्रसव से संबंधित परेशानियों के कारण हुई।

नवजात लड़कों पर खतरा, बाद में लड़कियों पर

अध्ययन से चौंकाने वाली जानकारी यह मिली कि सालभर में एक माह से छोटे करीब 5.6 लाख लड़कों की मौत हुई, जबकि इसी आयु में 4.4 लाख लड़कियां बचाई नहीं जा सकीं। एक माह से पांच साल तक के बच्चों में लड़कियों की मौत का आंकड़ा लड़कों की मौत के आंकड़े से आगे निकल गया।
जब जज खुद ही विवादों में घिरा हो तो न्‍याय की कैसी उम्‍मीद?’


नई दिल्‍ली. हाल के दिनों में देश की न्‍यायपालिका में भ्रष्‍टाचार की कई शिकायतें आई हैं। ताजा मामला कर्नाटक में हुए जमीन घोटाले की जांच के लिए गठित आयोग के जज बी पद्मराज से जुड़ा है। जेडी(एस) प्रमुख और पूर्व मुख्‍यमंत्री एच डी कुमारस्‍वामी ने आरोप लगाया है कि हाईकोर्ट के पूर्व जज बी पद्मराज एक सोसाइटी में गैर कानूनी तरीके से प्‍लॉट आवं‍टन को लेकर विवादों में फंस चुके हैं।

वित्‍तीय अनियमितता के आरोपी कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायाधीश सौमित्र सेन पर भी कानूनी और संसदीय शिकंजा कसता जा रहा है। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी की नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय समिति ने भी सेन को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया है। अब सेन के खिलाफ महाभियोग चल सकता है। सेन पर 33 लाख रुपयों के गबन का आरोप है। 1984 में उन्हें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया और शिपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के बीच हुए विवाद के चलते रिसीवर नियुक्त किया गया था। इसी दौरान उन्होंने सरकार के 33 लाख रुपए अपने निजी खाते में जमा करा लिए थे।

कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनकरन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के आधारों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। राज्यसभा के 75 सदस्यों ने जमीन पर कब्जा करने के आरोपों से घिरे दिनकरन को पद से हटाने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक और घोटाले में हाल में सीबीआई की अर्जी को खारिज कर दिया है। अर्जी में गाजियाबाद अदालत के कर्मचारियों की पीएफ संबंधी घोटाले के मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश की अदालत से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। इस घोटाले में कुछ न्यायिक अधिकारियों और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों का नाम आया था।

सीबीआई के आरोपपत्र में छह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नाम हैं, इनमें से रवीन्द्र कुमार मिश्रा, अजय कुमार सिंह और राधे श्याब चौबे को प्रमोशन देकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया गया था। अन्य तीन न्यायाधीशों में राम प्रसाद मिश्र, आरपी यादव और अरुण कुमार शामिल हैं। इस मामले में कुल 70 आरोपी हैं।
इस घोटाले के तहत आरोपियों ने फर्जीवाड़ा कर गाजियाबाद जिला न्यायालय के तृतीय और चतुर्थ श्रेणियों के भविष्य निधि खाते से रुपये निकाल लिए थे।
चंडीगढ़ कार्निवल के पहले दिन दिखे आर्ट-कल्चर के अनेकों रंग



चंडीगढ़. सिटी कार्निवल एक बार फिर अपनी रौनक लेकर आया है। हॉलीवुड फिल्म अवतार के स्प्रिच्युअल और बीयॉन्ड इमेजिनेशन कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है दूसरा चंडीगढ़ कार्निवल। कहीं छाए हैं आईटीएफटी फिल्म सिटी सैटअप में फोक डांस तो कहीं दी जा रही है फ्री मेकअप सर्विसेज।इस कार्निवल की रौनक 28 नवंबर तक शहर में रहेगी।

शहर को जानने का मौका

कार्निवल की एंट्री पर ही आपकी मुलाकात होगी रोबोट से। असली नहीं नकली रोबोट जिसे देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदर मॉडर्न आर्ट की झलकियां होंगी। कार्निवल में एंटर करते ही चंडीगढ़ टूरिजम की ओर से सिटी पर गाइड बेस्ड किताबें और पेंफलेट्स डिस्पले किए गए हैं। टूरिजम डिपार्टमेंट का मानना है कि सिटी कार्निवल में आए लोगों को सिटी के बारे में पूरी जानकारी दी जाए इसलिए यह किया गया है। कार्निवल एरिया के सेंटर में नेचरल लुक पेश कर रहा शानदार वॉटर फॉल लगाया गया है। इसके साथ ही कई बड़े-बड़े फ्लोट्स सजाए गए हैं। लोगों ने अवतार फिल्म के कैरेक्टर्स के बने बड़े-बड़े फ्लोट्स को पसंद किया जा रहा है।

डिस्पले और फ्री सर्विस स्टॉल

यहां शहर के स्टूडेंट्स के काम को डिस्पले किया गया है। एमसीएम कॉलेज गल्र्स ने अलग-अलग चीजों के तीन स्टॉल्स लगाए हैं जिनमें हैंडमेड पेपर बैग्स से लेकर हर्बल कॉस्मेटिक्स की एग्जिबीशन लगाई गई है। इस मटीरियल को सेल कर रहीं स्टूडेंट आकृति दत्ता ने बताया कि हमने अपने टीचर्स की हेल्प से यह सारा सामान तैयार किया। इन चीजों की सेल के लिए हम कार्निवल में मोबाइल एड भी दे रहे हैं।

इसके अलावा गवर्नमेंट होम साइंस कॉलेज की स्टूडेंट्स की ओर से चार स्टॉल्स लगाए गए हैं जिनमें न्यूट्रीशनल नॉलेज के लिए कई गेम्स मौजूद हैं, जूट और इकोफ्रैंडली कपड़ों को सजया गया है। टेंपररी टैटू आर्ट और मेहंदी भी यहां खास अट्रैक्शन है। ओरेन ब्यूटी अकैडमी के स्टॉल में फ्री मेकअप और फ्री मेकअप सलाह भी दी जा रही है। डिस्पले के लिए डॉन बोस्को नवजीवन के स्पेशल चिल्ड्रन की ओर से बनाई गईं डैकोरेशन वैक्स कैंडल, क्रिसमस कैंडल और फ्लॉवर पॉट सजाए गए हैं।

आर्ट को बचाने का काम

स्टूडेंट्स ने जहां हैंडीक्राफ्ट और ट्रेंडी चीजों को एग्जिबीशन के लिए तैयार किया तो वहीं आईटीएफटी कॉलेज की ओर से फिल्म सिटी का सैटअप तैयार किया गया है। इसमें अलग-अलग जगहों के फोक डांस को स्टूडेंट्स पेश कर रहे हैं। इसके अलावा फिल्म सिटी में फेमस काटरून कैरेक्टर्स के पोस्टर्स लगाए गए हैं। चंडीगढ़ कार्निवल में सिर्फ आर्ट और कल्चर को दिखाया ही नहीं जा रहा बल्कि आर्ट को बचाने का भी काम किया जा रहा है।

अलग-अलग तरह की इमोशन्स दिखाने वाले मास्क आर्ट को डिस्पले कर इसके बारे में लोगों को जानकारी दे रहे विनय वढ़ेरा ने बताया कि नॉर्थ इंडिया में वह पहले आर्टिस्ट हैं जो इस आर्ट को फिर से जिंदा कर रहे हैं। वह पहली बार इस आर्ट को कार्निवल में लेकर आए हैं।

मुकाबले भी हैं खास

मस्ती के इस हब में पंजाबी आर्ट और कल्चर को ही डिसप्ले नहीं किया गया है बल्कि कई मुकाबले भी ऑर्गनाइज किए गए हैं। इनमें कोई भी शामिल हो सकता है। चंडीगढ़ ट्रैफ्रिक पुलिस की ओर से ट्रैफ्रिक सेफ्टी पर एक कॉन्टेस्ट कराया जा रहा है। शेयरो-शायरी क्विज के साथ साइंस फिक्शन क्विज भी कराए जा रहे हैं। ललित कला अकादमी की ओर से ऑन द स्पॉट फोटोग्राफी कंपीटिशन खास सुर्खियां बटोर रहा है। पुणो से चंडीगढ़ आईं कामिनी रंग ने इसमें पार्टिसिपेट किया और कार्निवल की तस्वीरें स्टॉल पर जमा करवाईं।
कैप्टन का रोड शो, ट्रैफिक जाम, शहर बेहाल



जीरकपुर. पंजाब प्रदेश कांग्रेस का प्रधान बनने के बाद पहली बार जीरकपुर पहुंचने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के रोड शो का हलके में जोरदार स्वागत किया गया।

कैप्टन के साथ उनकी पत्नी विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर, पूर्व मंत्री लाल सिंह, सुरिंदर सिंगला व दीपेंदर ढिल्लों भी थे। जीरकपुर में अलग अलग गुटों के कांग्रेस नेताओं ने चार स्थानों पर उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। उनके स्वागत में हाथी घोड़े, आतिशबाजी, ढोल नगाड़ों के अलावा एयरक्राफ्ट से पुष्प वर्षा भी की गई।

कांग्रेस के चार अलग अलग गुटों ने स्वागत समारोहों का आयोजन किया। पहले चॉइस रिसोर्ट के पास भगवंत बलटाना व पीपीसीसी सदस्य अमृतपाल की अगुआई में कैप्टन का स्वागत किया गया। कालका चौक पर ब्लॉक कांग्रेस डेराबस्सी शहरी प्रधान जसपाल सरपंच की अगुआई में काफिले के आगे हाथी घोड़े जोड़कर आतिशबाजी की गई।

इस दौरान एयरक्राफ्ट से पुष्प व कागज की पर्चियों की वर्षा आकर्षण का केंद्र बनी रही। पटियाला चौक से कुछ आगे प्रदेश सचिव राकेश शर्मा व ब्लॉक कांग्रेस प्रधान हरभजन सैनी ने समर्थकों के साथ काफिले का स्वागत किया, जबकि पंजाब योजना बोर्ड के पूर्व उपचेयरमैन आरआर भारद्वाज ने समर्थकों के साथ पटियाला रोड पर अपने पेट्रोल पंप पर काफिले का स्वागत किया।

दो घंटे तक लगा रहा जाम

जीरकपुर में प्रवेश से पहले ही कैप्टन के काफिले के पीछे भारी संख्या में वाहन जाम में फंसे हुए थे। अंबाला चंडीगढ़ हाईवे और पटियाला चौक से जीरकपुर के तहत कुल चार किमी. का सफर तय करने में काफिले को आधा घंटा लग गया। इस दौरान उनके पीछे वाहनों की लंबी कतारें कुछआ चाल से रेंगने को मजबूर थीं। काफिला गुजरने के बाद भी करीब दो घंटे तक ट्रैफिक सामान्य नहीं हो सका। ट्रैफिक पुलिस ने राहगीरों के लिए वैकल्पिक रूट की व्यवस्था नहीं की। कांग्रेस समर्थकों द्वारा हाईवे किनारे खड़े किए वाहनों से दिक्कत और बढ़ गई।

नियमों को दिखाया ठेंगा

हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद जीरकपुर में हाईवे के दोनों ओर कांग्रेस समर्थकों ने होर्डिग व बैनर लगा रखे थे। इसके लिए बिजली के खंभों व रेलिंग का इस्तेमाल किया गया। कई जगह सड़क के ऊपर आरपार बैनर टांग दिए गए। काफिला गुजरने के बावजूद न आयोजकों और न नेशनल हाईवेज ने इन्हें हटाने की जहमत उठाई।

नहीं दिया टोल

हल्के से कांग्रेस समर्थकों के वाहनों ने जीरकपुर की ओर रुख किया। लालडू सर्किल से समर्थक अंबाला चंडीगढ़ हाईवे पर दप्पर टोल प्लाजा पर टोल न देने पर अड़े रहे। प्रबंधकों ने काफी समय उन्हें रोके रखा, परंतु अंबाला की ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इस बीच कांग्रेस समर्थकों ने टोल प्लाजा पर वाहन आड़े तिरछे लगाकर जाम लगा दिया। जोरदार नारेबाजी होने पर प्रबंधकों की बोलती बंद हो गई। टोल प्लाजा के प्रबंधक वैभव शर्मा के अनुसार करीब 300 वाहनों को बिना टोल वसूले गुजारना पड़ा। ये वाहन लौटते समय भी बिना टोल दिए गुजरे।

भारी बहुमत जुटाकर बनाएंगे सरकार: कैप्टन

मोहाली. कैप्टन अमरिंदर सिंह का गांव कराला में भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान विधायक बलबीर सिंह सिद्धू के नेतृत्व में सैंकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित थे। कैप्टन ने कहा कि अकाली दल पंजाब में जंगलराज चला रहा है। अधिकारियों को अपनी इच्छा अनुसार काम नहीं करने दिया जा रहा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत जुटाकर सरकार बनाएगी।
दिल्ली के फ्लैट, चंडीगढ़ में भागदौड़



चंडीगढ़. फ्लैट दिल्ली में और भागदौड़ चंडीगढ़ में। डीडीए की हाउसिंग स्कीम के लिए लोग चंडीगढ़ में बैंकों में भागे फिर रहे हैं। डीडीए की स्कीम में सीएचबी की आने वाली स्कीम की तुलना में अग्रिम राशि कम होने के कारण लोगों की रुचि ज्यादा रही है।

डीडीए ने 24 नवंबर को 16 हजार फ्लैटों की स्कीम लांच की है। सीएचबी दिसंबर के पहले हफ्ते में 160 फ्लैटों की योजना लॉन्च कर रहा है। शहर के प्रमुख प्रॉपर्टी डीलर इंद्रजीत सिंह के अनुसार डीडीए की स्कीम में आवेदकों के लिए चांस ज्यादा हैं। दिल्ली के कई इलाकों में डीडीए एक बेडरूम का फ्लैट 13 से 19 लाख रुपये में दे रहा है, जो चंडीगढ़ की तुलना में कहीं सस्ता है।

डीडीए ने दिल्ली में एसबीआई, यूनियन बैंक, एचडीएफसी, सेंट्रल बैंक, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक को स्कीम के लिए नोडल बैंक नियुक्त किया है। इनमें से सिर्फ सेंट्रल बैंक ने ही डीडीए के फॉर्म मंगाए हैं। सेंट्रल बैंक के डीजीएम बी. अकबर अली के अनुसार सोमवार से बैंक की सभी शाखाओं में फॉर्म मिलने लगेंगे। बैंक की सेक्टर 17 स्थित शाखा ने शुक्रवार को ही डीडीए के दर्जनों फॉर्म बेच दिए।

1655 रुपये में लॉटरी

मात्र 1655 रुपये बैंक में जमा कराकर एक बेडरूम के फ्लैट की लॉटरी डाली जा सकती है। सेंट्रल बैंक आवेदकों से ब्याज के रूप में 1655 रुपये लेकर उन्हें 50 हजार का ऋण एक बेडरूम के फ्लैट के आवेदन के लिए प्रदान कर रहा है।

डीडीए से मुकाबला नहीं

सीएचबी के चेयरमैन मोहनजीत सिंह कहते हैं, चंडीगढ़ के फ्लैटों की तुलना डीडीए के फ्लैट से नहीं की जा सकती। उनका मानना है कि बोर्ड को अपनी हाउसिंग स्कीम में अच्छा रिस्पांस मिलेगा।

जमीन मिले, तो सबको दे देंगे फ्लैट

सीएचबी के पास सेक्टर 53 तथा 54 में 80 एकड़ जमीन है। प्रशासन अनुमति दे तो बोर्ड प्रशासन की हाउसिंग स्कीम में आवेदन करने वाले सभी कर्मचारियों को इस जमीन में फ्लैट दे देगा। चेयरमैन मोहनजीत सिंह ने प्रशासक के सलाहकार प्रदीप मेहरा को इस बाबत पत्र लिखकर कहा है कि उसके पास ड्रॉ में फ्लैट से वंचित रहे सभी आवेदकों के लिए पर्याप्त जगह है। सारंगपुर में भी सौ एकड़ से अधिक जगह खाली पड़ी है। इसमें से आधी जगह भी मिले तो सभी कर्मचारियों को फ्लैट मिल सकते हैं। बोर्ड के ड्रॉ में 3700 से अधिक आवेदकों को फ्लैट नहीं मिले थे।
और मॉरीशस के राष्ट्रपति को खोजती रही पुलिस



नई दिल्ली. अपने अजीबोगरीब कारनामों के लिए देशभर में नाम कमाने वाली हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार को ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसकी कल्पना कोई भी आधुनिक सुरक्षा बल शायद ही कर पाए।

यह केवल हरियाणा पुलिस ही कर सकती है कि वह किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की बजाय आम राहगीर को एस्कार्ट करने लगे और असली मेहमान सड़क पर खड़ा होकर आम राहगीर की तरह अपने गंतव्य स्थल का रास्ता पूछते रहे। आप चौंकेगे अवश्य लेकिन हकीकत यही है। शुक्रवार को रोहतक में आयोजित एक समारोह में भाग लेने जा रहे मॉरीशस के राष्ट्रपति अनिरुद्ध जगन्नाथ व उनकी पत्नी के साथ यही हुआ। वे बहादुरगढ़ के गजराज होटल के सामने बिना किसी पायलट, एस्कार्ट या सुरक्षा के आम राहगीर की तरह रोहतक का रास्ता पूछते रहे।

घटना दोपहर 12 बजे की है। जगन्नाथ अपनी पत्नी के साथ पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक दिल्ली से रोहतक के रास्ते में थे। राष्ट्राध्यक्ष की यात्रा को देखते हुए बहादुरगढ़ पुलिस ने टीकरी बार्डर पर उनकी आगवानी के लिए प्रोटोकाल के तहत बाकायदा पायलट, एस्कार्ट, एम्बुलैंस, क्रेन व स्ट्राइकिंग वाहन तैनात कर दिए। हरियाणा पुलिस को राष्ट्रपति के साथ चल रही दिल्ली पुलिस की एस्कार्ट से सूचना भी मिली कि महामहीम ने नांगलोई पार कर ली है।

एकबारगी तो राज्य पुलिस के आगवानी दस्ते ने राष्ट्रपति की टैक्सी नंबर की मर्सिडिज कार (नंबर डीएल 1 जेड़ 2166) को रिसीव करते हुए उसके आगे चलना शुरू भी कर दिया लेकिन एकाएक यह दस्ता गलतफहमी का शिकार होकर राष्ट्रपति के काफिले से हट गया। फिर क्या था करीब दो किलोमीटर चलने के बाद राष्ट्रपति की कार व उनके साथ चल रही स्पेयर इनोवा बहादुरगढ़ के गजराज होटल के सामने खड़ी हो गई ताकि आगे का रास्ता पता कर सके।

इसी दौरान हरियाणा पुलिस को दिल्ली पुलिस की एस्कार्ट से मिली सूचना के बाद अपनी गलती का एहसास हुआ और अफरातफरी में राष्ट्रपति के काफिले को ढूंढने का सिलसिला शुरू हुआ। राष्ट्रपति गजराज होटल के सामने कार समेत सड़क पर खड़े रहे और उनके लिए बार्डर पर तैनात एस्कार्ट जिप्सी राजमार्ग पर उन्हें रास्ते में ही छोड़कर ढूंढ़ते हुए आगे बढ़ गई। इसी दौरान रोहतक का रास्ता पता करने के बाद राष्ट्रपति की दो कारों का छोटा काफिला भी निकल पड़ा।

सूत्रों के मुताबिक, जब जगन्नाथ की कार आसौदा गांव के समीप पंहुच गई तब कहीं 20 मिनट बाद जाकर पुलिस के आगवानी दल को इसका पता लगा और किसी तरह उनके काफिले को रोहतक जिले की सीमा पर स्थानीय पुलिस को सौंपा गया। राष्ट्रपति जैसी हस्ती के साथ हुई इस सुरक्षा संबंधी चूक को लेकर झज्जर पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है।

मामले पर लीपापोती करने के लिए विभाग के छोटे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। एक विदेशी राष्ट्रपति के साथ हुई इस अभूतपूर्व ,ुरक्षा चूक ने आधुनिक संचार व त्वरित कार्रवाई के जरिए सेवा, सुरक्षा व सहयोग के राज्य पुलिस के दावों की पोल भी इस घटना ने खोल कर रख दी है।
साकार होगा सस्ते आशियाने का सपना?



भोपाल पिछले दिनों महंगाई के चलते मकान खरीदने से रह गए या फिर खरीदने की तैयारी में लगे लोगों के लिए यह राहत देने वाली खबर है कि जल्द मकानों के दामों में गिरावट आ सकती है। होम लोन घोटाले के बाद तेजी से बदले बाजार के हालात ने रिएल एस्टेट कंपनियों के तेवरों को ढीला कर दिया है। जानकारों का मानना है कि घर खरीदने जा रहे लोगों को बाजार पर नजर रखते हुए थोड़ा इंतजार करना चाहिए, क्योंकि आसान लोन न मिलने के कारण बिल्डरों को प्रोजेक्ट पूरा करने में दिक्कत आएगी।

मौजूदा वित्त वर्ष में शेयर बाजार में रिएल्टी फमोर्ं के प्रदर्शन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इनके शेयर खरीदने में निवेशक ज्यादा रुचि नहीं ले रहे। हालिया घोटाले के बाद रिएल्टी कंपनियों को कर्ज देने में बैंक ज्यादा सावधानी बरतेंगे।
कम से कम छह रिएल्टी कंपनियों को आईपीओ लाने के लिए सेबी से मंजूरी मिल चुकी है। ये कंपनियां आईपीओ से लगभग 10,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही हैं। इन कंपनियों के लिए ज्यादातर प्रस्तावित इश्यू का लक्ष्य कर्ज चुकाने के लिए पूंजी जुटाना है। मगर वर्तमान हालात में यह कठिन दिख रहा है।

भारी कर्ज चुकाना है

बैंकिंग उद्योग के अनुमान के अनुसार, रियल एस्टेट कंपनियों पर 75,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। उद्योग के अनुसार, मौजूदा कारोबारी साल में रिएल्टी सेक्टर को निजी और सरकारी बैंकों के 25,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भी भुगतान करना है।

बिल्डरों के विकल्प हुए कम

त्योहारों के सीजन में रियल एस्टेट कंपनियों ने मकानों के रेट बढ़ा दिए थे क्योंकि प्रोजेक्ट की फंडिंग करना आसान था और इस वजह से वे अपनी शतोर्ं पर मकान बेचती रहीं। लेकिन अब यह आसान नहीं होगा। क्योंकि बाजी पलट रही है इन कंपनियों को अपना कर्ज चुकाने और प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत है ऐसे में अपनी शर्तो को ढीला करने व दाम घटाने के अलावा इन कंपनियों के सामने कोई और विकल्प नहीं होगा।



होगी निगरानी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आदेश दिया है कि सभी सरकारी बैंक और संस्थाएं 50 करोड़ रुपए से अधिक के सरकारी लोन की समीक्षा करें। एक बड़े बैंकर के अनुसार मौजूदा जांच को देखते हुए बैंक रियल एस्टेट फमोर्ं को नया कर्ज देने में काफी सावधानी बरतेंगे। इससे वे प्राइवेट लोन पर निर्भर हो जाएंगे। रियल एस्टेट क्षेत्र में धन के अभाव से डेवलपर अपनी कीमतों को गिराने पर मजबूर होंगे। अगर धन के अभाव में प्रोजेक्ट रुकते हैं तो यह बिल्डरों के लिए आर्थिक रूप से महंगा साबित होगा।


हाउसिंग घोटाले के खुलासे के बाद बिल्डरों और डेवलपर्स को कर्ज मिलना आसान नहीं होगा । ऐसे में पुराना लोन चुकाने के लिए कर सकते हैं मकानों की कीमतें कम।


हाउसिंग लोन की राष्ट्रीय स्तर पर जांच से मध्य प्रदेश में रिएल स्टेट सेक्टर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां ज्यादा बड़ा लोने लेने वालों की संख्या कम है।
आयकर छापे में मिला सोने का खजाना



भोपालइंदौर के दोनों सोना-चांदी के थोक व्यापारियों (बुलियन) के ठिकानों पर छापे में आयकर विभाग को सोने की खजाना हाथ लग गई है। व्यापारियों के ठिकानों से 12 किलो सोने के बिस्किट और आठ किलो हीरे जड़ित जेवरात मिले हैं। इसी के साथ पूरे देश में सोने की खरीदी और बिक्री में काले धन के नेटवर्क के सुबूत मिले हैं। दोनों व्यापारी 100 से अधिक बेनामी खातों से अरबों रुपए का ट्रांजेक्शन कर रहे थे।

देश भर में मौजूद इन खातों को आयकर विभाग की नजर से बचाने के लिए इनमें पैन नंबर का जिक्र नहीं था। इसमें बैंक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। विभाग ने इन व्यापारियों के ठिकानों पर मिल रही नकदी को गिनने के लिए नोट काउंटिंग मशीनें लगा रखी हैं। अब तक इन ठिकानों से तीन करोड़ रुपए नकद जब्त किए जा चुके हैं। छापे की इस कार्रवाई के शुक्रवार देर रात तक चलने की संभावना है। विभाग को ऐसे सबूत भी मिले हैं कि दोनों व्यापारी एक-दूसरे को सहयोग करते थे और इनमें आपसी रिश्तेदारी भी है।

विदेशों से खरीदे बिस्किट : आयकर विभाग को दोनों व्यापारियों के ठिकानों पर छापे में बड़ी मात्रा में विदेशों से सोना खरीदने के सुबूत मिले हैं। इसमें बड़ी मात्रा में काला धन भी शामिल है।

इसी तरह मुंबई और दिल्ली की भी कुछ निजी फर्मो से सोने के बिस्किट आदि खरीदा गया है। इसके अलावा इंदौर में बेचे गए सोने को अहमदाबाद में बताया जा रहा था। अहमदाबाद में सोने के दाम कम होते हैं।

व्यापारी और बाराती बन कर पहुंची टीम:

इन व्यापारियों के ठिकानों पर छापे के लिए आयकर विभाग की टीम कहीं व्यापारी तो कहीं बाराती बन कर पहुंची। इंदौर के सर्राफा में काफी पैदल चल कर टीम के सदस्य इनके ठिकानों पर पहुंचे।


फर्जी बैंक खातों से करते थे लेनदेन

दोनों व्यापारियों का सोने की बिक्री का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है। अमूमन हर शहर में इन व्यापारियों ने फर्जी खाते खोल रखे हैं। जिस शहर का व्यक्ति सोना खरीदता था वे उससे उसी शहर में नकद राशि जमा करने के लिए खाते का नंबर दे देते थे। इन बेनामी खातों में अरबों रुपए का लेन-देन किया गया है। खास बात यह है कि खाते खोलने के लिए केवाईसी नॉर्म्स का खुला उल्लंघन हुआ है। इतने बड़े ट्रांजेक्शन के बावजूद खाताधारकों के पैन नंबर का उनमें जिक्र नहीं है। इसमें बैंक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। विभाग इन खातों की जांच- पड़ताल कर रहा है। माना जा रहा है कि बेनामी खातों की संख्या पांच सौ से अधिक भी हो सकती है।

Friday, November 19, 2010

मनप्रीत की ‘जागो’ के मुकाबले अकाली निकालेंगे चेतना मार्च



चंडीगढ़ . मनप्रीत बादल के जागो पंजाब के नाम से 24 नवंबर को चेतना मार्च शुरू करने का ऐलान के बाद अकाली दल भी जन चेतना मार्च शुरू करने जा रहा है। हालांकि पार्टी यूपीए सरकार के मुद्दों को उठाकर कांग्रेस पर हमला करेगी लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार असली निशाना पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ही होंगे।

इस संबंधी वीरवार को सुखबीर बादल की अध्यक्षता में हुई पार्टी की कोर कमेटी की मीटिंग में लगभग अढाई घंटे तक चर्चा हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि पार्टी यूपीए नेताओं के घोटाले, सब्सिडी और महंगाई को जोर-शोर से उठाएगी और इसके खिलाफ जनता को लामबंद करेगी।

मीटिंग में आरोप लगाया कि विरोधियों की ओर से सब्सिडी का जो शोर मचाया जा रहा है वह अमीर घरानांे की शय पर रची साजिश है जिसका पर्दाफाश किया जाएगा। मीटिंग में पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि जनशक्ति और पंथक जज्बे द्वारा केंद्र सरकार को इस बात पर भी मजबूर किया जाएगा कि वह एसजीपीसी के आम चुनाव जल्द से जल्द करवाने का ऐलान करे।

पार्टी ने धान की पैदावार में आई कमी के चलते केंद्र से 150 रुपए प्रति क्विंटल बोनस की मांग भी की। इसके अलावा फैसला लिया गया कि पंजाब के कर्ज के बारे में लोगों के आगे सही जानकारी लाई जाएगी। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हरचरण बैंस ने बताया कि जन चेतना मार्च कब और कैसे निकलेगा इसका विस्तार एक दो दिनों में बताया जाएगा।

कोर कमेटी की मीटिंग में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के अलावा, पार्टी महासचिव सुखदेव सिंह ढींढसा, रंजीत सिंह ब्रमपुरा,गुरदेव बादल,बलविंदर सिंह भूंदड़,सेवा सिंह सेखवां,प्रो प्रेम सिंह चंदूमाजरा,तोता सिंह,महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल,डॉ दलजीत सिंह चीमा और एसजीपीसी के प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ भी शामिल हुए।
रूप चतुर्दशी पर कैसे करें स्नान?




शास्त्रों में पर्व, साधना, कर्म-काण्ड, उत्सवों आदी पर स्नान का महत्व बताया गया है। शस्त्रों में स्नान की अनेक विधियां है जैसे- मृतिका स्नान(विशेष प्रकार की मिट्टीयां लगा कर), भौम स्नान(भस्म लगा कर), गाय के खुर की धुल लगाकर स्नान करना। इन पवित्र स्नान से शरीर तो शुद्ध होता है साथ ही पापों का नाश होता है और पुण्य प्राप्ति होती है। इस चतुर्दशी पर्व पर आपको भी ग्रहों के दोष निवारण एवं नरक दर्शन से बचने के लिए अपनी राशि के अनुसार औषधियों से स्नान करना चाहिए। इस स्नान से आप समृद्धिशाली, सुखी और निरोगी रहेंगे।

राशि के अनुसार औषधी स्नान-
मेष- मंगल देव की इस राशि के व्यक्तियों को पानी में बिल्वपत्र के वृक्ष की छाल और लाल चंदन का चूर्ण डाल कर स्नान करना चाहिए।
वृष- वृष राशि वाले व्यक्तियों को इलायची और मैनसील की थोड़ी सी मात्रा पानी में डाल कर स्नान करना चाहिए।
मिथुन- मिथुन राशि के जातक बुध देव को प्रसन्न करने के लिए गाय का गोबर जल से स्पर्श कर के स्नान करें।
कर्क- इस राशि वाले व्यक्तियों को अपने स्नान के जल में सफेद चंदन की थोड़ी सी मात्रा मिला कर स्नान करना चाहिए।
सिंह- आपको स्नान के जल में लाल पुष्प और केसर डाल कर स्नान करना चाहिए।
कन्या- मोती एवं सोने के आभूषण के जल से स्नान करने से आपके राशि स्वामी बुध देव प्रसन्न होंगे।
तुला- ऐश्वर्य एवं धन की प्राप्ति के लिए आपको केसर एवं सुगंधीत वृक्ष के पूष्प को जल में डाल कर स्नान करना चाहिए।
वृश्चिक- मंगल देव की प्रसन्नता के लिए आपको लाल पुष्प के जल से स्नान करना चाहिए।
धनु- आपके राशि के स्वामी बृहस्पति देव को मालती के फूल विशेष प्रिय है इसलिए आप जल में मालती के फूल डाल कर स्नान करें।
मकर- निरोगी रहने के लिए आपको स्नान के जल में काले तिल का उपयोग करना चाहिए।
कुंभ- आपके राशि के स्वामी शनि देव है। शनि देव की प्रसन्नता के लिए आपको शमी वृक्ष की लकड़ी पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।
मीन- सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए जल में मालती के पत्ते या पीली सरसों डाल कर स्नान करें।
ब्रह्मा जी ने भी किया था पुष्कर स्नान



भगवान विष्णु की नाभि से कमल और कमल पुष्प से ब्रह्माजी का प्राकट्य हुआ। ब्रह्माजी सृष्टि रची और सृष्टि रचयिता-प्रजापिता कहलाए।

स्कन्ध पुराण एवं मान्यताओं के अनुसार सृष्टि की रचना के साथ ही ब्रrाजी को उसके कल्याण के लिए तीर्थ स्थापना भी करनी थी। इसका स्थल चुनने के लिए ब्रह्माजी ने मृत्युलोक में कमल पुष्प छोड़ा। वह सात लोक-चौदह भुवन घूमता हुआ पुष्कर पहुंचा। दो जगह गिरा-उछला, फिर तीसरी जगह जाकर स्थिर हुआ। पहला स्थान रुद्र (कनिष्ठ या बूढ़ा) पुष्कर, दूसरा स्थान विष्णु (मध्य) पुष्कर और तीसरा स्थान ब्रह्मा (ज्येष्ठ) पुष्कर कहलाया। ब्रह्मा पुष्कर में कमल गिरा, वहां धरती से जल की धारा फूट पड़ी।

वहां कोई मूर्ति स्थापित करने की बजाय जल को ही महत्व और आराध्य का स्थान दिया गया। ब्रह्माजी ने कमल पुष्प स्थिर होने के स्थान अर्थात् ब्रह्मा पुष्कर को सर्वथा पवित्र स्थान बतलाया और वहीं यज्ञ किया। समस्त देवी-देवताओं की उपस्थिति में ब्रह्मपुत्र वशिष्ठ के पौत्र एवं महर्षि शक्ति के पुत्र महर्षि पाराशर ने इस यज्ञ तथा तीर्थ पुरोहित का जिम्मा संभाला। कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक यह यज्ञ हुआ और एकम् को स्वयं ब्रह्माजी ने पोकरजी में स्नान किया। इस कारण पुष्कर तीर्थगुरु कहलाया। महात्म्य और मान्यता है कि उक्त पांच दिनों की अवधि में 33 करोड़ देवी-देवता तीर्थराज पुष्कर में प्रवास करते हैं।

ऋषि-महर्षियों, त्यागी-तपस्वियों की उपस्थिति यहां रहती है। स्वयं निराकार परमात्मा मानव के रूप में आकर यहां स्नान करते हैं। समस्त तीर्र्थो का गुरु होने के कारण यहां का अत्यधिक महत्व है। कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पोकरजी में किया गया स्नान मोक्ष प्रदान कर स्वर्ग में स्थान दिलाता है। देश-दुनिया के तीर्र्थो के दर्शन-पूजन का लाभ भी तभी मिलता है, जब अंत में पोकरजी के दर्शन किए जाएं और विधि-विधान से स्नान किया जाए। पोकरजी को टाल देने पर अन्य तीर्र्थो के भ्रमण का भी पुण्य या फल नहीं मिलता।

पुष्कर महात्म्य

जन्म प्रवृत्ति यत पापं श्रियावा पुरुषेण च
पुष्कर स्नान मातेण सर्व पापं विनष्यते।
शमीपत्र प्रमाणीनाम् पिंड दद्याति पुष्करे
उद्धरे सप्त गोभाणां कुलमेको उद्धरं शतम्।
पुनन्तु सर्व तीर्थानां स्नानदानादि संशया:
पुष्करा लोकना देवा शुद्धो पापा प्रमुच्यते।
(पद्म पुराण)
सुदर्शन पर अजमेर में भी दर्ज हुआ मुकदमा


अजमेर. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर स्थानीय कांग्रेसियों द्वारा दायर इस्तगासे पर गुरुवार को अदालत ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

रामगंज थाना पुलिस मामले की जांच करेगी। अदालत में कांग्रेस के कमल गंगवाल व महेश ओझा ने जिला कांग्रेस कमेटी (विधि प्रकोष्ठ) के अध्यक्ष एडवोकेट वैभव जैन और भरत शर्मा के जरिये इस्तगासा पेश किया था। आईपीसी की धारा 153 (ख) और 505 के तहत दायर इस इस्तगासे में आरोप लगाया गया है कि सुदर्शन के बयान से उपद्रव भड़काने का प्रयास किया गया है। उनकी टिप्पणी से न केवल सोनिया गांधी, बल्कि हर कांग्रेसजन की मानहानि हुई है। इससे पहले जयपुर में भी सुदर्शन के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है।

hamam me sab nange hai

भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर सभी पार्टियों के राजनेताओं का रवैया कितना समान होता है, इसके दिलचस्प उदाहरण इन दिनों देखे जा सकते हैं। इन दिनों जब दिल्ली में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला गूंज रहा है और मुंबई में आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले की गूंज अभी मद्धिम नहीं पड़ी है, कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक जमीन घोटाले की आवाजें आ रही हैं।

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने सस्ती दरों पर सरकारी जमीन आवंटित करवाकर अपने बेटों की रियल एस्टेट कंपनी को गलत फायदा पहुंचाया। 2जी स्पेक्ट्रम में जहां तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री ए राजा और आदर्श सोसायटी के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण इस्तीफे दे चुके हैं, वहीं येदियुरप्पा अभी पद की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तीन अलग-अलग पार्टियों के तीन अलग-अलग राजनेताओं के ये उदाहरण बताते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में सभी का रंग-ढंग कितना समान है।

येदियुरप्पा ने यह तो स्वीकार किया है कि उनके सत्ताकाल में उनके बेटों को जमीनें आवंटित की गईं (इस स्वीकारोक्ति से बचने का कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि आवंटन के दस्तावेज मौजूद हैं)। लेकिन उन्होंने कहा है कि ऐसा करते हुए ठीक वही प्रक्रिया अपनाई गई, जो उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले अपनाई जाती रही है।

गौर कीजिए, 2जी स्पेक्ट्रम के मामले में क्या ए राजा ने भी अपनी सफाई में ठीक यही दलील नहीं दी थी कि उन्होंने पहले चली आ रही प्रक्रिया ही अपनाई है? ठीक इसी तरह येदियुरप्पा ने कहा है कि अगर बेटों को जमीन आवंटन में कुछ गलत हुआ है, तो वह जमीन लौटा देंगे। आदर्श सोसायटी में नाम सामने आने पर अशोक चव्हाण की पहली प्रतिकि्रया क्या ठीक यही नहीं थी कि उनके रिश्तेदार फ्लैट लौटाने को तैयार हैं?

राजा व चव्हाण ने भी तब तक पद नहीं छोड़ा था, जब तक उनकी पार्टियों ने उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं किया और पार्टियों ने भी उन्हें तब तक बाध्य नहीं किया, जब तक कि इसके खतरनाक राजनीतिक नतीजों की आशंका को देखते हुए ऐसा करना अनिवार्य नहीं हो गया। भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर न सिर्फ आरोपी राजनेताओं का रवैया समान है, बल्कि उनकी पार्टियों का भी।

लेकिन सभी पार्टियों के समान अवसरवादी रंग-ढंग के कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और कठिन हो गई है। उम्मीद बची है तो अन्य लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के कारण। मीडिया, न्यायपालिका और सीएजी जैसी संस्थाओं की सक्रिय भूमिका की बदौलत ही ये सभी मामले प्रकाश में आ सके हैं।
सफाई न दें, सफाई करें





सचमुच लंबा वक्त हुआ, जब किसी ने सत्तारूढ़ पार्टी की तारीफ की होगी। घोटाले के आरोपियों से इस्तीफे लेने के लिए कांग्रेस थोड़ी-सी प्रशंसा की हकदार है। लेकिन इसे किसी भी रूप में सजा नहीं माना जा सकता। इस्तीफे महज एक अच्छा पहला कदम हैं। इन इस्तीफों के साथ नैतिकता और शुचिता के ऊंचे दावे किए जा रहे हैं, जो नितांत झूठे हैं। इस्तीफे इस बात की स्वीकारोक्ति हैं कि वास्तव में कुछ गलत हुआ है।

इस्तीफे लेने का यह मतलब भी है कि सत्तारूढ़ पार्टी मानती है कि अपने भविष्य की खातिर वह मीडिया के दबाव और जनाक्रोश से उदासीन नहीं रह सकती। राजनेताओं को अहसास हो चुका है कि घोटाले महज ऐसा विषय नहीं रहे, जिनके बारे में अंग्रेजी समाचार चैनलों पर हमारे बौद्धिक कुलीन बहसें करते हैं, बल्कि इस बार घोटाले मुख्यधारा का विषय बन गए हैं।

छोटा-सा उदाहरण देखिए। पिछले हफ्ते मैं उत्तर भारत के एक साधारण-से रेस्त्रां में था। जब वेटर बिल लेकर आया, उसने कहा कि छोटे-मोटे चोरों को जेल में डाल दिया जाता है, पर करोड़ों लूटने वाले नेताओं का बाल भी बांका नहीं होता। वह न तो स्पेक्ट्रम एलोकेशन के बारे में जानता था, न मनी लॉन्ड्रिंग के। मगर इतना वह जरूर जानता था कि सत्ता के शिखर पर बैठे कुछ लोग करोड़ों-अरबों की धनराशि लूट रहे हैं। पिछले महीने मैंने करीब दर्जन भर टैक्सी ड्राइवरों से बात की।

उनमें से दो-तिहाई कम से कम एक बड़े घोटाले और उसमें शामिल लोगों के बारे में जानते थे। ये मामूली और अवैज्ञानिक प्रमाण हैं पर बहुत कुछ कहते हैं। पिछले कुछ महीनों से मीडिया पर बार-बार आने वाली घोटाले की खबरें आखिरकार आम आदमी की चेतना को मथने लगी हैं। कहना मुश्किल है कि इनसे गांव का मतदाता किस हद तक प्रभावित हुआ है या नहीं हुआ है, लेकिन विशाल मध्यवर्ग को समझ में आ गया है कि आखिर क्या चल रहा है।

दरअसल घोटालों ने चैनलों को रोचक व जानदार कहानियां दे दी हैं और उन्हें टीवी पर देखना काफी मनोरंजक हो गया है। उन्हें देख रहा एक भी दर्शक ऐसा नहीं मानता कि आरोपी नेता असल में निदरेष है। फिर भी उसे हरसंभव तरीके से अपना बचाव करते हुए देखकर दर्शक मजा लेता है। इन तरीकों में सुस्त न्याय प्रणाली, जी-हुजूर जांच एजेंसियां, दूसरों पर दोष मढ़ना और बीते जमाने की सरकारी शब्दावली शामिल है, जो अब बेमानी है। यह क्लासिक रियलिटी टीवी है जिसमें हम आरोपी की 72 इंच चौड़ी मुस्कान, डींग व अकड़ देखते हैं, जबकि उनके अपराध के सबूत सारी दुनिया देख चुकी होती है।

इसका सबसे अच्छा हिस्सा उनकी ढिठाई है, जब वे कहते हैं कि ‘मैं क्यों इस्तीफा दूं?’ हालांकि यह पक्का संकेत होता है कि यह आदमी जल्दी ही ठीक यही करने वाला है। कुछ वर्ष पहले इराकी सूचना मंत्री को याद कीजिए, जो टीवी पर इराकी फतह का दावा कर रहे थे, जबकि ठीक उनके पीछे हम अमेरिकी टैंकों को आगे बढ़ता देख रहे थे। खाड़ी जंग का यह सबसे मनोरंजक प्रहसन था। कांग्रेस ने बचाव की मुद्रा से अपनी मुश्किलें और बढ़ा लीं। जितना वे इनकार करते, उतना ही न्यूज स्टोरी को हवा मिलती, देखने में मजा आता, टीआरपी बढ़ती जाती, जब तक कि चींटी अंतत: मीडिया के तवे पर पककर हाथी नहीं बन जाती।

तो क्या मीडिया की लपलपाती लपटों को बुझाने के लिए इस्तीफे काफी हैं? ऐसा पहले हुआ करता था, पुराने भारत में, जिसमें हम बड़े हुए। आज के वक्त में यह काफी नहीं है। एक मिसाल लें : एक हत्यारे ने एक आदमी को गोली मार दी। पकड़े जाने पर उसने कहा कि वह अपनी बंदूक सरेंडर कर रहा है। या फिर उसने कहा कि वह बंदूक अपने दोस्त को दे देगा।

क्या भारतीय राजनेताओं को भी इसी तरह सजा नहीं दी जाती? दूसरी मिसाल : एक आदमी अपनी बीवी को पीटता है। पकड़े जाने पर कहता है, चलो ठीक है, मैं कमरे से बाहर चला जाता हूं। क्या इससे वह सुधर जाएगा? क्या इससे पत्नी को पीटने वालों को भविष्य में कठोर संदेश मिलेगा? इस्तीफे पुराने भारत के नावाकिफ चेहरों को संतुष्ट कर सकते थे, जो दूरदर्शन जैसी सरकारी पीआर एजेंसियों को देखा करते थे और उससे ज्यादा जिन्हें कुछ पता नहीं होता था। अब दुनिया बदल गई है।

युवा पीढ़ी अपराध के लिए जुबानी जमाखर्च और असली सजा का फर्क जानती है और मीडिया भी उसे याद दिलाता रहता है। अगर सत्तारूढ़ पार्टी दोषियों को सजा नहीं देती है, तो इस्तीफों का उलटा असर होगा। बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे डालना कठिन हो सकता है। मुमकिन है ऐसा सोचना भी दुश्वार हो। लेकिन कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इसके लिए कांग्रेस को तीन मुश्किल कदम उठाने होंगे। सबसे पहले उसे तय करना होगा कि पार्टी में कौन-कौन से नेता भ्रष्ट हैं और कौन ईमानदार। पार्टी खुद यह काम करे, वर्ना मीडिया करेगा। दूसरे, पार्टी मंत्रिमंडल के पुनर्गठन सहित सत्ता के ढांचे का कायापलट करे और केवल ईमानदार नेताओं को बागडोर सौंपे। तीसरे, जब सत्ता ईमानदार नेताओं के हाथों में होगी, तो जो लोग सबसे ज्यादा भ्रष्ट दिखाई दे रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना आसान होगा। यह कार्रवाई दरअसल प्रतिष्ठा बहाली का अवसर हो सकती है। कांग्रेस अपने प्रति जितनी कठोर हो सकती है, कोई भी बाहरी एजेंसी नहीं हो सकती। इसलिए उसे भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का बीड़ा उठाना चाहिए। अगर यह काम वह दक्षता से करे तो इसका पूरा श्रेय उसे मिलेगा।

मौजूदा हालात में ऐसा करना ज्यादा ही कठिन हो, तो समझदारी इसी में है कि सरकार को गिर जाने दें, आमूलचूल सुधार के कदम उठाएं, पार्टी की पूरी सफाई करें और फिर चुनाव जीतकर दोबारा आएं। सत्ता में होना विशेषाधिकार है, लेकिन यह बोझ भी है। एक घायल वेटलिफ्टर को वजन नीचे रखकर अपने को संभालना और फिर वजन उठाना होता है। भ्रष्ट साथियों की मदद से सत्ता पर पकड़ बनाए रखना अब सुरक्षित नहीं रह गया है। घोटाले का कलाबाज हर मंत्री टाइम बम की तरह फटने का इंतजार कर रहा है। ऐसे हरेक धमाके से पार्टी की प्रतिष्ठा को जो धक्का लगेगा, उसकी भरपाई बरसों में हो पाएगी। अपनी सफलता से खुश मीडिया अगले घोटाले के पीछे शिकारी कुत्ते की तरह पड़ा होगा।

अंत में एक बात विपक्षी दलों से। भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट अभियान चलाकर वे बिल्कुल सही कर रहे हैं। अलबत्ता हर मौके पर उन्हें पूरी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा नहीं करना चाहिए। उन्हें दोषी लोगों को सजा दिलवाने पर फोकस करना चाहिए। जैसे आतंकवादी का कोई मजहब नहीं होता, वैसे ही भ्रष्ट राजनीतिज्ञ की कोई राजनीतिक पार्टी नहीं होती। यही वह रवैया है जिसकी भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए जरूरत है। अगर सभी पार्टियां, मीडिया और हम, भारत के लोग अपनी भूमिका सही ढंग से निभाएं, तभी देश को इस बुराई से स्वच्छ करके निकाला जा सकता है। आइए हम अगली पीढ़ी के लिए बेहतर भारत छोड़ें ताकि उनके बच्चे कह सकें कि हां, घोटाले कोई ऐसी चीज थे जिसके बारे में हमारे पितामह बात किया करते थे।
एटीएम क्लोनिंगः खाते से निकले 2.22 लाख






पंचकूला. सेक्टर 2 के देवेंद्र कुमार एटीएम क्लोनिंग के दोबारा शिकार बन गए हैं। 14 नवंबर को उनके बैंक खाते से 59 हजार रुपये निकले थे। यह खाता स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में है। उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सेक्टर 30 ब्रांच में अपने दूसरे खाते को चेक किया तो उसमें से भी 2.22 लाख रुपये गायब मिले।

देवेंद्र को डिटेल से पता चला कि इस खाते से पंचकूला, डेराबस्सी, लुधियाना से एटीएम के माध्यम से यह रकम निकली है। टीबीआरएल से रिटायर्ड अधिकारी देवेंद्र कुमार ने कहा, जिंदगीभर की नौकरी के बाद जो बचत थी वह एटीएम की वजह से लुट गई। मैंने चार बैंकों में अपने खातों के एटीएम कार्ड ब्लॉक करा दिए हैं।

छह दिन, कई एटीएम

देवेंद्र के एटीमए की क्लोनिंग कर 13 और 14 नवंबर को पंचकूला के किसी एटीमए से 20-20 हजार करके 80 हजार रुपये निकले। इसके बाद 15 नवंबर को डेराबस्सी स्थित स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के एटीएम से 20-20 हजार कर 40 हजार निकाले गए। 16 और 17 नवंबर को राजपुरा से 20-20 हजार करके 80 हजार की नकदी निकाली गई। 18 नवंबर को लुधियाना स्थित पीएनबी के एटीएम से 20 हजार रुपये निकले।

इसके बाद भी रुपये निकाले गए। कुल 2 लाख 22 हजार 400 रुपये गायब हो गए। इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के खाते से रकम निकलने के मामले में देवेंद्र कहते हैं कि बैंक ने बिलकुल भी सहयोग नहीं किया।

बैंकों के रवैये से नाराजगी

18 हजार गंवाने वाले सेक्टर 2 के सत्यावान, 80 हजार गंवाने वाले सेक्टर 20 के कमल किशोर जेटली, सौरभ गुप्ता व अन्य पीड़ित भी पुलिस की जांच और बैंकों के रवैये से नाराज हैं। जेटली ने बताया कि सेक्टर 20 में स्टेट बैंक ऑफ पटियाला का एटीएम अब भी बिना सिक्योरिटी गार्ड के चल रहा है। कोई पूछने वाला नहीं है। एटीएम कार्ड से अब लोगों को भरोसा नहीं रखना चाहिए। क्लोनिंग के जरिये किसी की भी पूंजी निकल सकती है।

Thursday, November 18, 2010

'घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे पड़ोसी'

मोहाली. फिजा का अपने पड़ोसी के साथ टकराव फिर सामने आया है। बुधवार को उन्होंने अपने पड़ोसी रिटायर्ड अधिकारी आर के फुलिया पर आरोप लगाया कि वे दीवार फांद कर उनके घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे। वहीं फुलिया ने इस बारे में कहा कि उन पर लगाए जा रहे आरोप सरासर गलत हैं।



फिजा ने पत्रकारों को कॉल कर घर पर बुलाया और कहा कि उनके पड़ोसी फुलिया ने एक तो उनके घर की तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाए हुए हैं वहीं आज सुबह उन्होंने दीवार फांद कर उनके घर में दाखिल होने की कोशिश की। फिजा के मुताबिक वह ईद के चलते सुबह नमाज अदा करने की तैयारी कर रही थीं, तभी फुलिया झाड़ू लगाने के बहाने उनकी दीवार की तरफ आए और फांदने का प्रयास किया। मोबाइल क्लिपिंग दिखाते हुए फिजा ने कहा कि पुलिस उसका सहयोग नहीं कर रही है।



फिजा के खिलाफ जाएंगे हाईकोर्ट



मोहाली. आर.के.फुलिया ने कहा कि फिजा ने उनका जीना हराम कर दिया है। फुलिया और उनकी पत्नी कौशल्या ने कहा कि सुबह वे अपने घर के ऊपर बने कमरे की छत साफ करने के लिए चढ़े तो फिजा गलत शब्द कहने लगीं। फुलिया ने कहा कि उनकी उम्र 64 साल है और उन पर जैसा आरोप लगाया जा रहा है वह संभव नहीं है। उनके मुताबिक पुलिस ने उनकी सुनवाई नहीं की है और वे इस केस को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे।
बादल बोले, अपने सुखबीर जैसा ही है किरनबीर

मोहाली पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल बुधवार को शिरोमणि यूथ अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष किरनबीर सिंह कंग के घर ब्रेकफास्ट करने के लिए आए। इसके जरिए मुख्यमंत्री ने कंग की नाराजगी की परख की। सीएम, कंग के परिवार की आधा घंटे मुलाकात हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे किसी को मनाने नहीं आए हैं। कंग उनके लिए वैसा ही है जैसा अपना बेटा सुखबीर है। किरनबीर कंग के साथ उनके पारिवारिक संबंध हैं, इसलिए उन्हें मनाने की कोई जरूरत नहीं है। कंग पार्टी के पुराने वर्कर हैं और ऐसे वर्कर पार्टी से नाराज नहीं होते। उन्होंने कहा कि यूथ अकाली दल से इस्तीफा देने के बाद कंग ने किसी प्रकार का शिकवा उनके साथ नहीं किया है।

मुख्यमंत्री के आने के कारण कंग के सैकड़ों समर्थक उनके सेक्टर 69 स्थित घर पहुंचे हुए थे। कंग के पिता धर्म सिंह ने मुख्यमंत्री को सिरोपा देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कंग की माता सुरजीत कौर सहित अन्य सदस्यों से बात की। यह मेल मिलाप राजनीतिक हलकों में अहम माना जा रहा है। कंग की नाराजगी की बाबत मुख्यमंत्री ने मीडिया में कोई बात नहीं की। इसकी वजह मनप्रीत बादल द्वारा पार्टी के नाराज नेताओं को एकजुट करना बताई जा रही है।

दूसरी ओर किरनबीर सिंह कंग ने कहा कि पार्टी में मान सम्मान न होने के कारण उन्होंने जो त्यागपत्र दिया था उस पर वे आज भी अडिग हैं। उन्होंने कहा कि वे पार्टी में यूथ का सम्मान चाहते हैं और जिन अधिकारियों ने कांग्रेस की शह पर उनके खिलाफ झूठे केस बनाए थे उन पर कार्रवाई की जाए।
इसरो को चंद्रयान-1 में लगा खूब चंदा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का पहला मून मिशन चंद्रयान-1 का ग्राउंड स्टेशनों से रेडियो संपर्क क्या टूटा कि मिशन खत्म हो गया।

इसरो की जारी की गई विज्ञप्ति में कहा गया कि 12.25 बजे अंतिम डाटा मिला और दोपहर 1.30 बजे संपर्क टूट गया। चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया था। हालांकि कहा गया कि मिशन ने वैज्ञानिक दृष्टि से 90 से 95 प्रतिशत सफलता प्राप्त की थी।

पहले भी आई थी खराबी

अंतरिक्ष यान ने कक्षा में 312 दिन पूरे करते हुए चंद्रमा के 3400 से अधिक चक्कर लगाए थे। अगस्त 2009 में खराबी आने के एक माह पहले भी यान में इसी तरह की खराबी की खबर भी आई थी। जिसमें यान के स्टार सेंसर ने अधिक गर्म हो जाने के कारण काम करना बंद कर दिया था।

386 करोड़ रुपए हुए खर्च

इस पहले मून मिशन में कुल 386 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 8 नवंबर 2008 को जब चंद्रयान ने चांद की कक्षा में प्रवेश किया तो एशिया में चीन और जापान के साथ भारत का नाम भी मून मिशन करने वाले तीसरे देश के तौर पर जुड़ गया।

इसी के साथ 14 नवंबर 2008 को रात 8 बजे मून इम्पैक्ट प्रोब नाम का उपकरण चंद्रयान से अलग होकर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया। इसके साथ ही चां पर राष्ट्रीय ध्वज लहराने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया।

भेजीं चंद्रमा की तस्वीरें

चंद्रयान-1 ने चांद का चक्कर लगाते हुए उसके सबसे ठंडे और हमेशा अंधेरे में रहने वाले हिस्से या क्रेटर्स की तस्वीरें भेजी थीं। नासा ने इन तस्वीरों की जांच भी की थी। ये तस्वीरें 17 नवंबर 2008 को खींची गई थीं। उस समय चंद्रयान चांद से कुल 200 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा था। इस तरह कुल 70 हजार चांद की तस्वीरें मिली थीं।

मिशन की अवधि घोषित करने में हुई थी चूक

इसरो ने यह घोषणा की थी कि चंद्रयान-1 मिशन की अवधि दो वर्ष की होगी। जबकि पहले कभी भी ऐसे किसी मिशन की अवधि इतनी अधिक नहीं रही। बाद में बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि अवधि का अनुमान लगाने में शायद उनसे भूल हुई है।

सवाल उठते हैं...

चंद्रयान-1 की सफलता को लेकर सवाल तो उठते ही हैं। आखिर इतने बड़े प्रोजेक्ट पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च हुए। जिससे 70 हजार तस्वीरें मिलीं पर क्या ये तस्वीरें हमारे लिए उपयोगी थीं? क्या उनसे किसी तरह की कोई खास जानकारी जुटाई जा सकी?

इसी तरह आने वाले समय में चंद्रयान-2 की तैयारी चल रही है, जाहिर है इसमें 400 करोड़ से ज्यादा ही खर्च किया जाएगा। तो यहां फंड का फंडा ये है कि हम अंतरिक्ष को जानने के लिए तो पैसा खर्च कर रहे हैं पर यहां धरती पर आम-आदमी दो जून की रोटी के लिए संघर्षरत है।
भारत की चिंता दरकिनार कर चीन ने शुरू किया ब्रह्मपुत्र पर बांध का काम

बीजिंग. चीन ने भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए कहा है कि वह पनबिजली पैदा करने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध का निर्माण कर रहा है। चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ ने रिपोर्ट जारी कर कहा है कि 510 मेगावाट क्षमता वाले झांगमु हाइडल प्रोजेक्‍ट का निर्माण कार्य 12 नवंबर से शुरू हो गया है।

तिब्‍बत स्‍वायत्‍तशासी क्षेत्र के गयाका काउंटी में बन रही यह यूनिट 2014 तक तैयार हो जाएगी। हालांकि चीन ने कहा है कि वह इस बांध का निर्माण बिजली पैदा करने, बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के कार्यों के लिए कर रहा है लेकिन भारत की चिंता यह है कि चीन इस नदी का रुख मोड़ सकता है या फिर युद्ध जैसे हालात होने पर चीन इसका इस्‍तेमाल भारत में बाढ़ जैसे हालात पैदा करने में भी कर सकता है। यह बांध जिस नदी पर बन रहा है वह पूर्वोत्‍तर भारत के कुछ इलाकों से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

भारत और चीन के बीच सामरिक वार्ता के दौरान भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने जब इस बांध का मुद्दा उठाया तो चीनी प्रतिनिधि ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया कि इस बांध के निर्माण का मकसद बिजली पैदा करना है और इसका नदी के निचले इलाकों में कोई असर नहीं पड़ेगा। इस परियोजना पर 7.9 अरब युआन यानी 1.2 अरब डॉलर खर्च होने की उम्‍मीद है।

'पहले इनकार, अब इनकार'

चीन अब भले ही यह कहे वह बांध का निर्माण बिजली पैदा करने के लिए कह रहा है लेकिन भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि पिछले साल सैटेलाइट चित्रों में जब ऐसी बात सामने आई थी तो चीन ने कहा कि उसकी ऐसी कोई योजना नहीं है। भारत ने इससे पहले इस मुद्दे को चीन के सामने कई बार उठाया है, लेकिन उसने हर बार इनकार किया है।

चीन ने झांगमु में मार्च में 116 मीटर ऊंचा बांध बनाने की परियोजना का उद्घाटन किया था। लेकिन पड़ोसी देश कहता आया है कि वह ब्रह्मपुत्र पर कोई बांध नहीं बना रहा है। लेकिन नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी (एनआरएसए) के सैटेलाइट द्वारा लिए गए चित्रों से पता चला कि झांगमु में बांध निर्माण कार्य जारी है। चित्र में झांगमु में मकान, निर्माण कार्य और ट्रकों की आवाजाही दिखाई देती है। यह चित्र इस मुद्दे पर गठित सचिवों की समिति को भी दिखाए गए।

इस बांध निर्माण से पानी के मामले में ब्रह्मपुत्र नदी के भरोसे देश के पूर्वोत्तर राज्यों में जल संकट हो सकता है। भारत की इस चिंता को पिछले साल थाईलैंड में आसियान सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीनी प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ की मुलाकात में भी उठाया गया था। ऐसे पहले पहले इनकार फिर इकरार से ड्रैगन की मंशा पर सवाल उठने लाजमी हैं।

Tuesday, November 16, 2010

'बिग बॉस' में साड़ी में दिखेंगी पामेला एंडरसन


मुंबई. इंटरनेशनल स्टार पामेला एंडरसन 17 नवंबर को बिग बॉस के घर में एंट्री करेंगी|वह वाइल्ड कार्ड के जरिये इस घर में एंट्री करने जा रही हैं और खबर है कि उन्हें शो में शिरकत करने के ढाई करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। अभी तक वीना मालिक अपनी अदाओं से सबको घर में और बाहर फैंस को अपना दीवाना बनाए हुए थीं। ऐसे में देखना यह है कि पामेला जैसी सेक्सी ऐक्ट्रेस के जाने के बाद क्या कोई वीना को पूछेगा। वहीं शो में हॉट पामेला के आने के बाद घर के मेल प्रतिभागी कैसे रिएक्ट करते हैं यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा। पामेला बिकनी गर्ल की तरह नहीं बल्कि सफेद साड़ी पहनकर, देसी अंदाज में शो में दिखाई देंगीं।

फैशन डिजाइनर एशले को पामेला के लिए साड़ी तैयार करने को कहा है। एशले ने साड़ी बनाना भी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि मुझसे कुछ समय पहले संपर्क किया गया था। मुझसे कहा गया कि उन्हें काफी जल्दी में पामेला के लिए साड़ी चाहिए। सोमवार शाम को उन्होंने मुझे पूरा नाप भेज दिया है और अब मैं इसे तैयार कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि यह प्लेन सफेद शिफॉन की साड़ी होगी, जिसमें बॉर्डर पर कांच का काम किया होगा। हां ब्लाउज जरूर बैकलैस होगा। वे बड़े बड़े झुमके और चूड़ियां भी पहनेंगीं।

हाल ही में एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में सलमान खान से जब पामेला की बिग बॉस में एंट्री पर सवाल किया तो उन्होंने बहुत ही ठंडा जवाब दिया और कहा कि हो सकता है वह शो में सफ़ेद साड़ी पहनकर एंट्री मारें लेकिन उन्होंने इस बात पर जरूर गौर करने को कहा कि क्या पामेला हिंदी कैसे बोलेंगी, उन्हें तो हिंदी बोलनी नहीं आती और घर में सबके लिए हिंदी बोलना अनिवार्य है। ऐसे में क्या पामेला के लिए घर का यह रूल तोड़ दिया जाएगा।

43 साल की एंडरसन ने एक बयान जारी कर कहा है, ‘नमस्‍ते इंडिया, मैं भारत आने और बिग बॉस के घर के सदस्‍यों से मिलने को लेकर बेहद उत्‍सुक हूं। यह मेरी पहली भारत यात्रा है और मैं यहां रहने के दौरान भारतीय संस्कृति के रंग में रच बस जाऊंगी।’

ऐसी खबर है कि पामेला बिग बॉस के घर में महज तीन दिनों की ही मेहमान हैं। हालांकि लंबे समय तक उनके यहां टिकने से भी इंकार नहीं किया गया है। इस शो के आयोजक इसकी टीआरपी बढ़ाने के लिए एक से बढ़कर एक विवादित और मशहूर हस्तियों को शो में शामिल कर रहे हैं। हालांकि बिग बॉस-4 में अभी तक सबसे बड़ा विवाद इस शो में पाकिस्‍तानों कलाकारों को एंट्री के विरोध में शिव सेना का प्रदर्शन ही रहा।

हालांकि राहुल भट्ट ने बिग बॉस के घर से बाहर आने के बाद सनसनीखेज आरोप लगाया था कि बिग बॉस के घर में सब कुछ पहले से ही फिक्‍स होता है। सारा और अली की ‘शादी’ भी इस शो की टीआरपी बढ़ाने में काफी मददगार रही। शो के निर्माताओं ने इस जोड़े को 25 लाख रुपये भी दिए।

बिग बॉस-2 में टीवी कलाकार जेड गुडी और जर्मन मॉडल क्‍लाउडिया सिएस्‍ला जैसी विदेशी मेहमान भी आ चुकी हैं। इंटरनेशनल शो ब्रिग ब्रदर की तर्ज पर बनाए गए शो को और लोकप्रिय बनाने के लिए अब सेक्‍सी अदाकारा पामेला का सहारा लिया जा रहा है। ‘होम इम्‍प्रूवमेंट’, ‘वीआईवी’ जैसे टीवी सीरियल में काम कर चुकीं पामेला जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्‍था से भी जुड़ी हैं। बे वॉच की अदाकारा पामेला बिग बॉस में एंट्री करने वाली पहली अमेरिकी नागरिक हैं।

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