'. |
Wednesday, November 30, 2011
ਤੇਜ਼ ਰਫਤਾਰ ਬਸ ਨੇ ਇਕ ਵਾਰ ਫੇਰ ਵੰਡੀ ਮੋਤੱ ,108' ਤੇ '100' ਨੰਬਰ ਨਹੀਂ ਬਚਾ ਸਕਿਆ ਹਰਪ੍ਰੀਤ ਦੀ..
SDM’s body recovered from Bhakra canal
Criminal past candidates
Memorial fails to enthuse visitors
आब्जर्वर के सामने भिड़े कांग्रेसी
भदौड़ (बरनाला). कस्बे में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की टिकट के दावेदारों के मूल्यांकन के लिए पहुंची कांग्रेस की ऑल इंडिया कमेटी की आब्जर्वर बीबी गुप्ता के सामने कांग्रेस की फूट उजागर हो गई। कांग्रेसी वर्कर एक दूसरे भिड़ गए और गाली गलौज पर उतर आए। समझाने पर भी वे नहीं माने तो उन्होंने मौके से निकलने में ही भलाई समझी।
भदौड़ (बरनाला). कस्बे में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की टिकट के दावेदारों के मूल्यांकन के लिए पहुंची कांग्रेस की ऑल इंडिया कमेटी की आब्जर्वर बीबी गुप्ता के सामने कांग्रेस की फूट उजागर हो गई। कांग्रेसी वर्कर एक दूसरे भिड़ गए और गाली गलौज पर उतर आए। समझाने पर भी वे नहीं माने तो उन्होंने मौके से निकलने में ही भलाई समझी।
केंद्र सरकार के मंत्री अपनी जेबें भरने में लगे’
मुक्तसर. केंद्र सरकार के मंत्री देश से भ्रष्टाचार खत्म करने की बजाए अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि देश में सख्त लोकपाल बिल पास किया जाए। यह बात बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर ने वीरवार को गिदड़बाहा हलके के दौरे दौरान कही।
उन्होंने गांव करनीवाला, भुंदड़, लुंडेवाला, बादियां, कराईवाला, गुरुसर, बबाणीयां, हुसनर, बुट्टर बखूआ और भारू में जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं। केंद्र सरकार द्वारा मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत सीधे निवेश की स्वीकृति दिए जाने पर उन्होंने कहा कि सरकारी बिल का प्रारूप पढ़ने के बाद ही किसानों और छोटे दुकानदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित फैसला लिया जाएगा। हरसिमरत ने कोटभाई में सांझ केंद्र का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पुलिस और आम लोगों में तालमेल बढ़ाने के लिए इस तरह के सेंटर खोले जा रहे हैं। इससे आम लोगों को अधिक सहूलियतें मिलेंगी। यहां लोगों को 20 सेवाएं मिलेंगी।
घातक है ऐसी सियासत
कोई भी स्टेट (किसी भी पार्टी की सरकार) केवल कानून के जोर से ही राज नहीं करती बल्कि राज स्थापित करने और बनाए रखने में रूलिंग आइडिया की ज्यादा भूमिका होती है। आम लोगों के विजन को किसी भी तरीके से धुंधला करके सत्ताधारी लोगों की उम्मीदें अपने साथ जोड़े रखते हैं और राज करते रहते हैं।
राजनीति में समाज को विभाजित करके सत्ता हासिल करना इसी का एक रूप है। लोगों को धर्म , जाति या बिरादरी में हो या वर्ग में इस तरह के विभाजन करके वे अपना काम चलाते रहते हैं। जाति-बिरादरियां, जोड़ने का जितना कम करती हैं उससे भी ज्यादा तोड़ने का करती हैं जो समाज के लिए बेहद खतरनाक है। इस विभाजन को समाप्त करके आम लोगों के लिए सरकारें काम कर सकती हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए ऐसा करने की बजाए विभाजन करने वाली नीतियों को ही प्रोत्साहित करती हैं।
डेरे भी इसी श्रेणी में आते हैं। दरअसल डेरों के जरिए जुटाया जाने वाला वोट बैंक बेहद सस्ता होता है और किसी भी डेरा प्रमुख के चरणों सिर झुकाकर उसे अपने पक्ष में करने के सारे गुर ये राजनेता जानते हैं। डेरा प्रमुखों के एक इशारे पर उनके अनुयायी एकमुश्त उसी राजनीतिक पार्टियों के पक्ष मे उतरकर मतदान करते हैं। यदि राजनीतिक पार्टियों को इन्हीं सब वोटरों को अपने पीछे लगाना हो तो उन्हें उनके लिए बहुत काम करना पड़ेगा और ये काफी महंगा साबित होता है इसलिए इस ओर राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से ध्यान नहीं देतीं। समग्र रूप में काम न करके , थोड़ा थोड़ा करके उन्हें अपने साथ जोड़े रखती हैं।
डेरों की ओर क्यों?
आम लोग दो सतहों पर जीते हैं । पहला सामाजिक और दूसरा अध्यात्मिक । वह तबका जिसका पदार्थवाद में शोषण किया जाता है, कुछ चमत्कार होने की आस में धर्मगुरुओं की शरण लेते हैं। हर डेरे में एक खास वर्ग के ही लोग होते हैं और इन्हें धर्म गुरु के समर्पित रहने के लिए जहां पक्का किया जाता है वहीं दूसरों से तोड़ने के लिए भी उतनी ही ताकत लगाई जाती है। वैसे कुछ डेरों के साकारात्मक काम को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है, इनकी समाज को काफी देन है।
नशे से दूर करने या फिर गरीब तबके की बेटियों की शादियां करवाने, उनके स्वास्थ्य के लिए सस्ती दरों पर इलाज मुहैया करवाने आदि जैसे काम करवाए जा रहे हैं। एसजीपीसी सहित अन्य धार्मिक संस्थाओं पर शिक्षा पर किए गए काम को कौन अनदेखा कर सकता है? इन डेरों को राजनीतिक पार्टियां भी प्रोत्साहन देती रहती हैं ताकि इन्हें वोट बैंक के रूप में प्रयोग किया जा सके।
राजनीतिक पार्टियों का यह कदम समाज के लिए आत्मघाती है क्योंकि इससे वह न तो उस वर्ग के लिए कुछ करने की ओर रूचि लेते हैं जिन्हें सचमुच विकास में हिस्सेदारी की जरूरत है । इन वगोर्ं के लिए छोटे छोटे विभाग बनाकर बहुत कुछ करने के दावे किए जाते हैं जबकि हकीकत यह है कि इनके लिए होता कुछ भी नहीं है।
कितने ही बोर्ड और कमीशन इन्हें सामाजिक न्याय देने के नाम पर बनाए जाते हैं लेकिन वास्तविकता किसी से भी छिपी नहीं है कि ये बोर्ड और आयोग दरअसल उस वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिनके शोषण से बचाने के लिए ये बनाए गए हैं। इसके चिन्ह अब दिखाई देने लगे हैं। सुपरपावर बनने का दावा करने वाले भारत में 50 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी का शिकार हैं या 20 रुपए रोजाना से भी कम पर जीते हैं। महंगाई काबू में न आना, बेरोजगारी लगातार बढ़ते रहने से साफ है कि कहीं कुछ बहुत गलत हो रहा है उन्हें ठीक करने की जरूरत है।
डॉ मनजीत सिंह समाजशास्त्री
राजनीति में समाज को विभाजित करके सत्ता हासिल करना इसी का एक रूप है। लोगों को धर्म , जाति या बिरादरी में हो या वर्ग में इस तरह के विभाजन करके वे अपना काम चलाते रहते हैं। जाति-बिरादरियां, जोड़ने का जितना कम करती हैं उससे भी ज्यादा तोड़ने का करती हैं जो समाज के लिए बेहद खतरनाक है। इस विभाजन को समाप्त करके आम लोगों के लिए सरकारें काम कर सकती हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए ऐसा करने की बजाए विभाजन करने वाली नीतियों को ही प्रोत्साहित करती हैं।
डेरे भी इसी श्रेणी में आते हैं। दरअसल डेरों के जरिए जुटाया जाने वाला वोट बैंक बेहद सस्ता होता है और किसी भी डेरा प्रमुख के चरणों सिर झुकाकर उसे अपने पक्ष में करने के सारे गुर ये राजनेता जानते हैं। डेरा प्रमुखों के एक इशारे पर उनके अनुयायी एकमुश्त उसी राजनीतिक पार्टियों के पक्ष मे उतरकर मतदान करते हैं। यदि राजनीतिक पार्टियों को इन्हीं सब वोटरों को अपने पीछे लगाना हो तो उन्हें उनके लिए बहुत काम करना पड़ेगा और ये काफी महंगा साबित होता है इसलिए इस ओर राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से ध्यान नहीं देतीं। समग्र रूप में काम न करके , थोड़ा थोड़ा करके उन्हें अपने साथ जोड़े रखती हैं।
डेरों की ओर क्यों?
आम लोग दो सतहों पर जीते हैं । पहला सामाजिक और दूसरा अध्यात्मिक । वह तबका जिसका पदार्थवाद में शोषण किया जाता है, कुछ चमत्कार होने की आस में धर्मगुरुओं की शरण लेते हैं। हर डेरे में एक खास वर्ग के ही लोग होते हैं और इन्हें धर्म गुरु के समर्पित रहने के लिए जहां पक्का किया जाता है वहीं दूसरों से तोड़ने के लिए भी उतनी ही ताकत लगाई जाती है। वैसे कुछ डेरों के साकारात्मक काम को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है, इनकी समाज को काफी देन है।
नशे से दूर करने या फिर गरीब तबके की बेटियों की शादियां करवाने, उनके स्वास्थ्य के लिए सस्ती दरों पर इलाज मुहैया करवाने आदि जैसे काम करवाए जा रहे हैं। एसजीपीसी सहित अन्य धार्मिक संस्थाओं पर शिक्षा पर किए गए काम को कौन अनदेखा कर सकता है? इन डेरों को राजनीतिक पार्टियां भी प्रोत्साहन देती रहती हैं ताकि इन्हें वोट बैंक के रूप में प्रयोग किया जा सके।
राजनीतिक पार्टियों का यह कदम समाज के लिए आत्मघाती है क्योंकि इससे वह न तो उस वर्ग के लिए कुछ करने की ओर रूचि लेते हैं जिन्हें सचमुच विकास में हिस्सेदारी की जरूरत है । इन वगोर्ं के लिए छोटे छोटे विभाग बनाकर बहुत कुछ करने के दावे किए जाते हैं जबकि हकीकत यह है कि इनके लिए होता कुछ भी नहीं है।
कितने ही बोर्ड और कमीशन इन्हें सामाजिक न्याय देने के नाम पर बनाए जाते हैं लेकिन वास्तविकता किसी से भी छिपी नहीं है कि ये बोर्ड और आयोग दरअसल उस वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिनके शोषण से बचाने के लिए ये बनाए गए हैं। इसके चिन्ह अब दिखाई देने लगे हैं। सुपरपावर बनने का दावा करने वाले भारत में 50 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी का शिकार हैं या 20 रुपए रोजाना से भी कम पर जीते हैं। महंगाई काबू में न आना, बेरोजगारी लगातार बढ़ते रहने से साफ है कि कहीं कुछ बहुत गलत हो रहा है उन्हें ठीक करने की जरूरत है।
डॉ मनजीत सिंह समाजशास्त्री
चीन से लड़ाई मोल लेना चाहता है भारत, ड्रैगन को किया सावधान
बीजिंग.चीन के एक प्रमुख अखबार ने मंगलवार को अपने एक लेख में कहा कि अब चीन को भारत को गंभीरता से लेना शुरु कर देना चाहिए क्योंकि चीन-अमेरिका के बीच चल रही तनातनी में भारत अपना फायदा देख रहा है और स्थिति ऐसी बना दी है कि उसे सर्वाधिक फायदा हो।
चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपने इस लेख में भारत और चीन को बीच होने वाली चीन-भारत सीमा बातचीत पर भी जोर दिया। यह वार्ता कुछ दिन पहले ही दलाई लामा को लेकर उपजे विवाद के कारण टाल दी गई थी। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि यह वार्ता होनी चाहिए ताकि रिश्तों में और कड़वाहट न आए।
नई दिल्ली में बुद्धों की एक कांफ्रेंस में दलाई लामा के हिस्सा लेने पर ऐतराज जताते हुए चीन ने नवंबर के अंत में होने वाली यह वार्ता टाल दी थी। चीन के किसी अखबार की रिपोर्ट में इस वार्ता को टाले जाने का यह पहला उल्लेख है। अभी तक नई दिल्ली में भारत के सुरक्षा सचिव शिव शंकर मेनन और चीन के राजनयिक डाय बिनगाओ के बीच भारत-चीन सीमा विवाद के मुद्दे पर होने वाली इस बातचीत को टाले जाने पर चीनी मीडिया ने खामोशी बरकरार रखी थी।
'भारत और चीन को एक दूसरे का गला नहीं काटना चाहिए' शीर्षक से लिखा गया यह संपादकीय में चीन के बदले सुर नजर आए। इससे पहले के अपने तमाम लेखों में यह अखबार भारत के प्रति कठोर रवैया अपनाए हुए था। दक्षिण चीन सागर में वियतनाम और भारत के साझा खोज अभियान को रोकने के संबंध में इस अखबार ने कहा था कि चीन को हर मुमकिन तरीके से भारत और वियतनाम के बीच चल रहे सहयोग को रोकना चाहिए। हालांकि मंगलवार को प्रकाशित इस संपादकीय में अखबार ने बेहद नरम रुख अपनाते हुए कहा कि चीन और भारत को एक दूसरे के मामलों पर अति-उत्तेजित होकर प्रतिक्रियाए देना बंद कर देना चाहिए, इससे विवाद बढ़ता है।
संपादकीय में यह भी कहा गया, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर होने वाली वार्टा को टाले जाने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन एक बात निश्चित है- भारत, जिसका कुल सकल घरेलू उत्पाद चीन से एक तिहाई है, अब तक चीन के प्रति कठोर रूख अपनाए हुए है। भारत के लोग भी चीन के प्रति नरमी को बर्दाश्त नहीं करेंगे लेकिन चीन भी सीमा विवाद पर भारत की मांगों को स्वीकार नहीं करेगा।
यही असमंजस है। दोनों देशों को सीमा विवाद को और बढ़ने से रोकने के प्रयास करने चाहिए और वार्ता को चालू रखना चाहिए और अचानक वार्ता टूटने के परीणामों की भी चिंता करनी चाहिए।
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि आजकल भारत का रवैया चीन के साथ अपने संबंधों को लेकर बेहद आक्रामक है। ऐसा लग रहा है कि भारत चीन का सामना करने के लिए कुछ ज्यादा ही उत्साहित है लेकिन भारत के साथ ऐसी प्रतिद्वंदिता चीन के समाज का फोकस नहीं है।
लेख में यह भी कहा गया है कि यदि भारत अपनी मौजूदा आर्थिक विकास दर को बनाए रखता है तो वो चीन के लिए और महत्वपूर्ण हो जाएगा लेकिन अमेरिका और चीन के बीच चल रहे विवाद में यदि भारत खुद को भी रणनीतिक रूप से शामिल करता है तो चीन के लिए मुश्किल हो जाएगी।
पीपीपी ने नियुक्त किए अपने पदाधिकारी
चंडीगढ़. पीपल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) के अध्यक्ष मनप्रीत सिंह बादल ने मंगलवार को पदाधिकारियों की घोषणा कर दी। इस नई राजनीतिक पार्टी का गठन इस साल 27 मार्च को किया गया था। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. सरदारा सिंह जोहल को पार्टी का सरपरस्त नियुक्त किया गया है। पदाधिकारियों के अलावा 51 लोगों को विशेष आमंत्रित सदस्य नियुक्त किया गया है।
पीपीपी के अन्य पदाधिकारी : वरिष्ठ उप प्रधान: जगबीर सिंह बराड़, कुशलदीप सिंह ढिल्लों, गुरप्रीत सिंह भट्टी, स. दर्शन सिंह मधीर
उप प्रधान: भगवंत मान, अभय सिंह संधू, कुलदीप सिंह डोस, बीबी गुरदयाल कौर मलन, पूर्व मंत्री रघुबीर सिंह, शमशेर सिंह लिट। जनरल सेक्रेटरी: मानव सिंह, भारत भूषण थापर, गुरमीत सिंह दादूवाल, जगजीत सिंह घुंगाराणा, पूर्व मंत्री हरनेक सिंह घडुआं, संतोख सिंह रियाड़, हरभूपिंदर सिंह लाडी, जगदीप सिंह जगरांव, एडवोकेट बी.एस. रियाड़, सतपाल सिंह, रणजोध सिंह जोधा, जसविंदर सिंह बिल्ला।
सेक्रेटरी : बीबी रंजीत कौर भट्टी, सरबजीत सिंह मक्खन, दलजीत सिंह सदर पुरा, सरवण सिंह धुन्ना, सुरिंद्र कुमार पोंपी, मनिंदरपाल सिंह पला सौर, कुलवंत सिंह लोहगढ़, लखविंदर सिंह लखी, सितार सिंह भट्टी, जसपाल सिंह मोड़, सतप्रीत सिंह तुरा, पं. आनंद शर्मा, प्रदीप सीबिया
ज्वाइंट सेक्रेटरी: चौधरी विजय पाल, कुलदीप सिंह चीमा, ऋतु पंडित, जसबीर सिंह जस्सी, भूपिंद्र सिंह पप्पू, अमनप्रीत सिंह छीना, गुरजीवन सिंह डिम्पल दुगाल, सुखजिंद्र सिंह टांडा, सुखपाल सिंह भुल्लर, रूपिंदर सिंह बराड़, महिंद्र सिंह सिद्धू, गुरमीत सिंह बल्लो।
खजांची: रामशरण पाल शर्मा। ऑफिस कम प्रेस सेक्रेटरी : अरुणजोत सिंह सोढी
पीपीपी के अन्य पदाधिकारी : वरिष्ठ उप प्रधान: जगबीर सिंह बराड़, कुशलदीप सिंह ढिल्लों, गुरप्रीत सिंह भट्टी, स. दर्शन सिंह मधीर
उप प्रधान: भगवंत मान, अभय सिंह संधू, कुलदीप सिंह डोस, बीबी गुरदयाल कौर मलन, पूर्व मंत्री रघुबीर सिंह, शमशेर सिंह लिट। जनरल सेक्रेटरी: मानव सिंह, भारत भूषण थापर, गुरमीत सिंह दादूवाल, जगजीत सिंह घुंगाराणा, पूर्व मंत्री हरनेक सिंह घडुआं, संतोख सिंह रियाड़, हरभूपिंदर सिंह लाडी, जगदीप सिंह जगरांव, एडवोकेट बी.एस. रियाड़, सतपाल सिंह, रणजोध सिंह जोधा, जसविंदर सिंह बिल्ला।
सेक्रेटरी : बीबी रंजीत कौर भट्टी, सरबजीत सिंह मक्खन, दलजीत सिंह सदर पुरा, सरवण सिंह धुन्ना, सुरिंद्र कुमार पोंपी, मनिंदरपाल सिंह पला सौर, कुलवंत सिंह लोहगढ़, लखविंदर सिंह लखी, सितार सिंह भट्टी, जसपाल सिंह मोड़, सतप्रीत सिंह तुरा, पं. आनंद शर्मा, प्रदीप सीबिया
ज्वाइंट सेक्रेटरी: चौधरी विजय पाल, कुलदीप सिंह चीमा, ऋतु पंडित, जसबीर सिंह जस्सी, भूपिंद्र सिंह पप्पू, अमनप्रीत सिंह छीना, गुरजीवन सिंह डिम्पल दुगाल, सुखजिंद्र सिंह टांडा, सुखपाल सिंह भुल्लर, रूपिंदर सिंह बराड़, महिंद्र सिंह सिद्धू, गुरमीत सिंह बल्लो।
खजांची: रामशरण पाल शर्मा। ऑफिस कम प्रेस सेक्रेटरी : अरुणजोत सिंह सोढी
बादल फख्र-ए-कौम तो कैप्टन शेर-ए-पंजाब
अबोहर/चंडीगढ़. आनंदपुर साहिब में विरासत-ए-खालसा के उद्घाटन के दौरान सीएम प्रकाश सिंह बादल को ‘फख्र-ए-कौम’ के खिताब से नवाजे जाने के जवाब में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को ‘शेर-ए-पंजाब’ के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस की पंजाब बचाओ रैली के बजाय यहां स्थानीय विधायक सुनील जाखड़ ने महारैली का आयोजन करके जहां अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया, वहीं पंडाल में कई जगह पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की शेर के साथ फोटो लगाकर उन्हें खुश करने का प्रयास किया।
जाखड़ ने ऐलान किया कि कांग्रेस की पूरी प्रचार मुहिम के दौरान कैप्टन को ‘शेर-ए-पंजाब’ के रूप दर्शाया जाएगा। पंजाब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इसके चलते कांग्रेस व शिअद के नेता पार्टी प्रमुखों के गुणगान में जुट गए हैं।
पंजाब में दोबारा अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बनेगी'
चंडीगढ़. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का कहना है कि पंजाब में दोबारा अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बनेगी। पंजाब सरकार ने लोगों के हित में अच्छा काम किया है। इसके लिए पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की जितनी तारीफ की जाए कम है।
चंडीगढ़ सेक्टर-33 स्थित भाजपा कार्यालय में राजनाथ सिंह ने यह बात कही। वे बुधवार को चप्पड़चिड़ी में बाबा बंदा सिंह बहादुर की याद में बने स्मारक के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए चंडीगढ़ आए थे। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पंजाब से भेदभाव किया है।
शिअद की ओर से एफडीआई का समर्थन और भाजपा के विरोध करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अकाली दल से बातचीत जारी है। शीघ्र ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि संसद में बीजेपी की ओर से लाया गया एडजोर्नमेंट मोशन स्वीकार होना चाहिए और एफडीआई के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।
यह मांग रूल्स व प्रक्रिया के तहत ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मसले पर डटी रहेगी और किसी तरह का समझौता नहीं होगा। एफडीआई का प्रस्ताव तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
गुटबाजी दूर करने के लिए कांग्रेस ने शुरू की उम्मीदवारों की तलाश
चंडीगढ़. प्रदेश कांग्रेस में बढ़ती जा रही गुटबाजी दूर करने के लिए कांग्रेस ने अब विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार ढूंढ़ने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए सभी हलकों से उम्मीदवारी के दावेदारों के नाम मांग लिए गए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जिनती जल्दी विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारों के नाम आएंगे, उतनी जल्दी प्रदेश कांग्रेस मंे चल रही गुटबाजी खत्म होगी।
एक बार दावेदारों के नाम लेने के बाद सभी को पार्टी के लिए मिलकर काम करने को कहा जाएगा। हालांकि इससे पार्टी में गुटबाजी और बढ़ने के आसार हैं, पर वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इससे गुटबाजी में कमी आएगी।
हर दावेदार से मिलेंगे कैप्टन
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी के हर दावेदार से खुद मिलने का फैसला किया है। कोई भी दावेदार उन्हें कभी भी, कहीं भी मिलकर अपना पक्ष रख सकता है।
उम्मीदवारी के दावेदारों को खुला न्यौता देते हुए उन्होंने कहा है कि उनके नाम सामने आने से पार्टी में गुटबाजी में कमी आएगी। पार्टी में आपसी मनमुटाव तब तक ही होते हैं, जब तक उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हो जाते। एक बार उम्मीदवारों के नाम तय होने के बाद गुटबाजी अपने आप खत्म हो जाती है। उसके बाद सभी पार्टी नेता और कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं।
थम नहीं रहे आपसी झगड़े
कांग्रेस में फिल्हाल विभिन्न गुटों के नेताओं में झगड़े थम नहीं रहे हैं। इससे प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सिरदर्दी बढ़ गई है। यहां तक कि हाईकमान से जो नेता पंजाब के दौरे पर आता है, कार्यकर्ता उसके सामने भी लड़ने से नहीं हिचकते। हाल ही में जालंधर में ऑब्जर्वर के सामने ही कांग्रेस नेताओं के दो गुट आपस में भिड़ गए थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उस बारे में रिपोर्ट मांग ली है। कैप्टन का कहना है कि ऐसे झगड़ों को गंभीरता से लिया जा रहा है। नेताओं से जवाब तलबी की जाएगी।
जिला अध्यक्षों को 2 तक सौंपने होंगे नाम
दावेदारों को अपने नाम जिला अध्यक्षों को 2 दिसंबर तक सौंपने होंगे। जिला अध्यक्ष उनके नामों की लिस्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंपेंगे। उसके बाद एक स्क्रीनिंग कमेटी इस लिस्ट में से हर हलके लिए टॉप थ्री नामों का चयन करेगी।
यह चयन क्षेत्र में दावेदार के रसूख, पार्टी के प्रति वफादारी, लोगों के उसके प्रति रुझान और हर तरह से बेदाग रहने के आधार पर किया जाएगा। हर हलके से टॉप थ्री दावेदारों की लिस्ट हाईकमान को भेजी जाएगी। हाईकमान उसमें से हर हलके से विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार का चयन करेगी।
एक बार दावेदारों के नाम लेने के बाद सभी को पार्टी के लिए मिलकर काम करने को कहा जाएगा। हालांकि इससे पार्टी में गुटबाजी और बढ़ने के आसार हैं, पर वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इससे गुटबाजी में कमी आएगी।
हर दावेदार से मिलेंगे कैप्टन
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी के हर दावेदार से खुद मिलने का फैसला किया है। कोई भी दावेदार उन्हें कभी भी, कहीं भी मिलकर अपना पक्ष रख सकता है।
उम्मीदवारी के दावेदारों को खुला न्यौता देते हुए उन्होंने कहा है कि उनके नाम सामने आने से पार्टी में गुटबाजी में कमी आएगी। पार्टी में आपसी मनमुटाव तब तक ही होते हैं, जब तक उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हो जाते। एक बार उम्मीदवारों के नाम तय होने के बाद गुटबाजी अपने आप खत्म हो जाती है। उसके बाद सभी पार्टी नेता और कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं।
थम नहीं रहे आपसी झगड़े
कांग्रेस में फिल्हाल विभिन्न गुटों के नेताओं में झगड़े थम नहीं रहे हैं। इससे प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सिरदर्दी बढ़ गई है। यहां तक कि हाईकमान से जो नेता पंजाब के दौरे पर आता है, कार्यकर्ता उसके सामने भी लड़ने से नहीं हिचकते। हाल ही में जालंधर में ऑब्जर्वर के सामने ही कांग्रेस नेताओं के दो गुट आपस में भिड़ गए थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उस बारे में रिपोर्ट मांग ली है। कैप्टन का कहना है कि ऐसे झगड़ों को गंभीरता से लिया जा रहा है। नेताओं से जवाब तलबी की जाएगी।
जिला अध्यक्षों को 2 तक सौंपने होंगे नाम
दावेदारों को अपने नाम जिला अध्यक्षों को 2 दिसंबर तक सौंपने होंगे। जिला अध्यक्ष उनके नामों की लिस्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंपेंगे। उसके बाद एक स्क्रीनिंग कमेटी इस लिस्ट में से हर हलके लिए टॉप थ्री नामों का चयन करेगी।
यह चयन क्षेत्र में दावेदार के रसूख, पार्टी के प्रति वफादारी, लोगों के उसके प्रति रुझान और हर तरह से बेदाग रहने के आधार पर किया जाएगा। हर हलके से टॉप थ्री दावेदारों की लिस्ट हाईकमान को भेजी जाएगी। हाईकमान उसमें से हर हलके से विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार का चयन करेगी।
एसडीएम की रहस्यमयी मौत, डेड बॉडी से खुल सकता है राज!
आनंदपुर साहिब (रोपड़)/अमृतसर.आनंदपुर साहिब के एसडीएम डॉ. करनबीर सिंह मान का शव मंगलवार सुबह कोटला पावर हाउस के गेटों के पास से बरामद हो गया। डॉ. मान सोमवार शाम संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए थे। बाद में उनकी सरकारी जिप्सी (पीबी12जे-0330) भाखड़ा नहर के लमलैहड़ी पुल के पास पटरी पर मिली थी। इसी गाड़ी में उनका मोबाइल और ऐनक भी बरामद हुए थे।
2005 बैच के पीसीएस अधिकारी डॉ. मान ने आनंदपुर साहिब में 3 अगस्त 2011 को चार्ज संभाला था। वे फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव तलानिया के रहने वाले थे। डॉ. मान की बहन इस समय विदेश में है। उनकी बहन के आने पर उनका अंतिम संस्कार 1 दिसंबर को तलानिया में किया जाएगा।उधर, शव मिलने की सूचना पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने धारा-174 के तहत कार्रवाई करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
सीबीआई जांच कराई जाए
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्ठल ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। भट्ठल ने कहा कि ये मामला संगीन है और किसी पीसीएस अधिकारी की इस तरह लाश का मिलना कई सवाल खड़े करता है। वहीं अपने भतीजे डॉ. मान की मौत पर अकाली दल मान के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने भी इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
71 सांसदों ने जताई बेबसी, चपरासी भी नियुक्त नहीं कर सकते
नई दिल्ली/जयपुर/भोपाल/रांची/चंडीगढ़/रायपुर/अहमदाबाद. युवाओं को काम दिलाने के मसले पर अलग-अलग राज्यों के 58 वरिष्ठ सांसदों की पीड़ा है कि उनके हाथ बंधे हैं। सब कुछ नौकरशाहों के हाथ में है। हमारे अधिकार सीमित हैं। बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल बताते हैं कि वे अपने इलाके में सिलिकॉन यूनिट नहीं लगा पाए। कई और काम हैं, जिनमें अड़ंगे लगे।
हम ने देश के लॉ-मेकर सांसदों से पांच सवाल पूछे। अधिकतर यह नहीं बता सके कि रोजगार के अवसर बढ़ाने के उनके प्लान क्या हैं? रायपुर से सांसद रमेश बैस छह बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। वे कहते हैं, मेरे पास काम की तलाश में जो भी युवा आते हैं, उनके लिए सिफारिशी पत्र जारी किए। लेकिन कई बार नौकरी फिर भी नहीं मिल पाती। ग्वालियर सांसद यशोधराराजे सिंधिया तीन बड़े उद्योग लाने की कोशिश कर रही हैं। इनमें विजय माल्या के यूबी ग्रुप की बीयर यूनिट भी शामिल है। सरकारी विभागों में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए जारी पत्रों को भी उन्होंने अपने प्रयासों में शामिल किया है।
कितने युवाओं को आपकी कोशिशों से काम मिला? इसका सीधा जवाब भी ज्यादातर सांसदों के पास नहीं है। पलामू के सांसद कामेश्वर बैठा, भरूच के मनसुख वसावा व बस्तर के दिनेश कश्यप ने पांच-पांच सौ लोगों को काम दिलाने की बात की। सरगुजा के मुरारीलाल सिंह का दावा है कि अपने 22 लाख आबादी में से साठ फीसदी को विभिन्न सरकारी योजनाओं में काम दिलाया।
रोजगार गारंटी योजना के जरिए मिले काम को कई सांसद अपने खाते में दर्ज करना नहीं भूले। लेकिन गुजरात में पंचमहाल से सांसद प्रभातसिंह चौहाण ने साफ कहा, इस योजना में घपले ही घपले हैं। चतरा से सांसद इंदरसिंह नामधारी भी कहते हैं, ‘मनरेगा में भयंकर लूट है। मैं इस भ्रष्टाचार से निपटने में ही लगा हूं।’
छह बार से सांसद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन प्रशासनिक अफसरों के रवैए से परेशान दिखे। वे मानते हैं कि अफसरों का सहयोगपूर्ण हो तो पलायन काफी हद तक रोका जा सकता है। राजमहल के सांसद देवीधन बसेरा ने भी उनके सुर में सुर मिलाया, ‘नौकरशाही का नजरिया बदले बिना बड़े बदलाव की उम्मीद मत कीजिए।’
मध्यप्रदेश में धार के विक्रम वर्मा समेत 60 सांसदों ने माना कि काम की खातिर लोगों के घर छोडऩे के सिलसिले को रोका ही नहीं जा सकता। जबकि लुधियाना के सांसद मनीष तिवारी मानते हैं कि व्यक्ति की महात्वाकांक्षा और जरूरतों पर निर्भर है कि वह काम की तलाश में बाहर जाए या नहीं। इसलिए इसका जवाब हां या न में नहीं हो सकता।
झाबुआ के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने सारे सवालों को मध्यप्रदेश के संदर्भ में लिया और सिर्फ राज्य सरकार को ही कुसूरवार मानते रहे। हिमाचलप्रदेश में हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर चाहकर भी नरेगा का 60 फीसदी पैसा बंदरों को भगाने के काम में इस्तेमाल नहीं करा पाए। वे कहते हैं कि फसलों को चौपट कर रहे बंदरों से निपटना बड़ी चुनौती है।
'सांसद रहते किसी को नौकरी नहीं दे पाया। हम कर ही क्या सकते हैं। नौकरशाही हावी है। सांसद के रूप में लोग जितने अधिकार मानकर चलते हैं, उतने हैं नहीं। कहीं गड़बड़ होती है तो जनप्रतिनिधि जेल तक जाते हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेट का बाल भी बांका नहीं होता
नई दिल्ली/जयपुर/भोपाल/रांची/चंडीगढ़/रायपुर/अहमदाबाद. युवाओं को काम दिलाने के मसले पर अलग-अलग राज्यों के 58 वरिष्ठ सांसदों की पीड़ा है कि उनके हाथ बंधे हैं। सब कुछ नौकरशाहों के हाथ में है। हमारे अधिकार सीमित हैं। बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल बताते हैं कि वे अपने इलाके में सिलिकॉन यूनिट नहीं लगा पाए। कई और काम हैं, जिनमें अड़ंगे लगे।
देश के लॉ-मेकर सांसदों से पांच सवाल पूछे। अधिकतर यह नहीं बता सके कि रोजगार के अवसर बढ़ाने के उनके प्लान क्या हैं? रायपुर से सांसद रमेश बैस छह बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। वे कहते हैं, मेरे पास काम की तलाश में जो भी युवा आते हैं, उनके लिए सिफारिशी पत्र जारी किए। लेकिन कई बार नौकरी फिर भी नहीं मिल पाती। ग्वालियर सांसद यशोधराराजे सिंधिया तीन बड़े उद्योग लाने की कोशिश कर रही हैं। इनमें विजय माल्या के यूबी ग्रुप की बीयर यूनिट भी शामिल है। सरकारी विभागों में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए जारी पत्रों को भी उन्होंने अपने प्रयासों में शामिल किया है।
कितने युवाओं को आपकी कोशिशों से काम मिला? इसका सीधा जवाब भी ज्यादातर सांसदों के पास नहीं है। पलामू के सांसद कामेश्वर बैठा, भरूच के मनसुख वसावा व बस्तर के दिनेश कश्यप ने पांच-पांच सौ लोगों को काम दिलाने की बात की। सरगुजा के मुरारीलाल सिंह का दावा है कि अपने 22 लाख आबादी में से साठ फीसदी को विभिन्न सरकारी योजनाओं में काम दिलाया।
रोजगार गारंटी योजना के जरिए मिले काम को कई सांसद अपने खाते में दर्ज करना नहीं भूले। लेकिन गुजरात में पंचमहाल से सांसद प्रभातसिंह चौहाण ने साफ कहा, इस योजना में घपले ही घपले हैं। चतरा से सांसद इंदरसिंह नामधारी भी कहते हैं, ‘मनरेगा में भयंकर लूट है। मैं इस भ्रष्टाचार से निपटने में ही लगा हूं।’
छह बार से सांसद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन प्रशासनिक अफसरों के रवैए से परेशान दिखे। वे मानते हैं कि अफसरों का सहयोगपूर्ण हो तो पलायन काफी हद तक रोका जा सकता है। राजमहल के सांसद देवीधन बसेरा ने भी उनके सुर में सुर मिलाया, ‘नौकरशाही का नजरिया बदले बिना बड़े बदलाव की उम्मीद मत कीजिए।’
मध्यप्रदेश में धार के विक्रम वर्मा समेत 60 सांसदों ने माना कि काम की खातिर लोगों के घर छोडऩे के सिलसिले को रोका ही नहीं जा सकता। जबकि लुधियाना के सांसद मनीष तिवारी मानते हैं कि व्यक्ति की महात्वाकांक्षा और जरूरतों पर निर्भर है कि वह काम की तलाश में बाहर जाए या नहीं। इसलिए इसका जवाब हां या न में नहीं हो सकता।
झाबुआ के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने सारे सवालों को मध्यप्रदेश के संदर्भ में लिया और सिर्फ राज्य सरकार को ही कुसूरवार मानते रहे। हिमाचलप्रदेश में हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर चाहकर भी नरेगा का 60 फीसदी पैसा बंदरों को भगाने के काम में इस्तेमाल नहीं करा पाए। वे कहते हैं कि फसलों को चौपट कर रहे बंदरों से निपटना बड़ी चुनौती है।
'सांसद रहते किसी को नौकरी नहीं दे पाया। हम कर ही क्या सकते हैं। नौकरशाही हावी है। सांसद के रूप में लोग जितने अधिकार मानकर चलते हैं, उतने हैं नहीं। कहीं गड़बड़ होती है तो जनप्रतिनिधि जेल तक जाते हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेट का बाल भी बांका नहीं होता
Monday, November 28, 2011
महाराष्ट्र में दो बसों की टक्कर में 15 की मौत, 57 घायल
बुलढाणा. महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में सुल्तानपुर के निकट छिछौली फ्टा में दो लग्जरी बसों की सोमवार तड़के हुई भिड़ंत में 15 लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हुए हैं।
सूत्नों ने बताया है कि रायल ट्रेवल्स द्वारा संचालित पहली बस नागपुर से पुणे जा रही थी वहीं सैनी ट्रेवल्स की बस पुणे से नागपुर आ रही थी। नागपुर औरंगाबाद राजमार्ग पर सुबह तीन बजकर तीस मिनट पर दोनों बसों की टक्कर हो गई जिससे दोनों वाहनों में आग लग गई।
दुर्घटना के समय दोनों बसों में कुल मिलाकर 70 यात्नी सवार थे जिसमें से 13 यात्नियों की घटनास्थल पर झुलसने से मौत हो गई।
मेहकर पुलिस थाना प्रमुख बी.आई.सूर्यवंशी ने बताया,"भिड़ंत के बाद दोनों बसों में आग लग गई और कम से कम 13 यात्री तो अपनी-अपनी सीट पर ही जल गए।"
घायलों में से 20 की हालत गम्भीर है,उन्हें घायलों को जालाना राजकीय अस्पताल, मेहकर ग्रामीण अस्पताल और मेहकर शहर के कुछ दूसरे निजी अस्पतालों में दाखिल कराया गया है।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और घटना की जांच की जा रही है।
नेताओं पर कब-कब चले गुस्से के थप्पड़, नफरत के जूते
नई दिल्ली. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश पर चले नफरत के जूते का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह आज केंद्रीय मंत्री शरद पवार पर गुस्से के थप्पड़ पर आ गया है। हिंदुस्तान के अलावा दुनिया के कई देशों में कभी नेताओं को जूता तो कभी थप्पड़ जड़ा गया है। एक इराकी पत्रकार मुंतजर अल जैदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर 2008 में जूता फेंका था। इसके अलावा, गृहमंत्री पी चिदंबरम, पाकिस्तान राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और चीनी राष्ट्रपति वेन जियाबाओ पर भी जूते फेंके जा चुके हैं।
बुश पर जब फेंका गया था जूता
जूता संस्कृति की शुरुआत दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से हुई। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं, लेकिन जूता पड़ते वक्त जॉर्ज बुश राष्ट्रपति थे। उनके कार्यकाल का अंतिम दौर था। वो बगदाद दौरे पर गए थे।
आडवाणी पर जब चली चप्पल
मध्यप्रदेश में अप्रैल २क्क्९ में जब एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी दौरे पर थे, तब उन पर चप्पल चल गई थी। घटना मध्य प्रदेश के कटनी में हुई थी। उस वक्त आडवाणी एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन पर चप्पल फेंकना वाला भाजपा का ही कार्यकर्ता पावस अग्रवाल था।
पी चिदंबरम पर भी उछला था जूता
गृह मंत्री पी चिदंबरम की प्रेस कॉन्फ्रेस में एक पत्रकार ने उन पर जूता उछाल दिया। उस वक्त चिदंबर जगदीश टाइटलर को सीबीआई की ओर से क्लीन चिट दिए जाने पर बोल रहे थे। ये पत्रकार उनसे संतुष्ट नहीं हुआ और विरोध करते हुए उनके ऊपर जूता फेंक दिया।
अरविंद केजरीवाल पर हमला
पिछले दिनों जब टीम अन्ना के सबसे सक्रिय सदस्य अरविंद केजरीवाल लखनऊ में कांग्रेस के खिलाफ एक सभा को संबोधित करने पहुंचे तो उस वक्त एक युवक ने उन पर हमला कर दिया। हालांकि, केजरीवाल को लगी तो नहीं, लेकिन उस युवक की काफी पिटाई हो गई। बाद में केजरीवाल ने इस युवक को माफ कर दिया।
प्रशांत भूषण की हुई पिटाई
कश्मीर के विवादित बयान के बाद टीम अन्ना के सदस्य को उनके दफ्तर में ही घुसकर भगत सिंह क्रांति सेना के कुछ युवकों ने पिटाई कर दी। ये युवक कश्मीर को अलग देश का दर्जा दिए जाने की राय पर काफी नाराज थे। वहीं, इस घटना के बाद भी भूषण अपनी बात पर जमे रहे।
सुखराम की भी हुई पिटाई
पूर्व संचार मंत्री सुखराम पर कोर्ट परिसर में ही एक युवक ने हमले की कोशिश की थी। हमला उस वक्त हुआ, जब उन्हें घूस लेने के आरोप में पांच साल की कैद और चार लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जा रही थी। हमले के वक्त सुखराम फैसला सुनने के बाद कोर्ट रूम से बाहर निकल रहे थे। हरविंदर सिंह नाम के हमलावार के पास कोई हथियार नहीं था और उसने लात-घूंसों से ही सुखराम पर हमले की कोशिश की थी लेकिन जल्द ही उसे काबू कर लिया गया।
मनमोहन पर भी जूता
जूते की मार से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नहीं बच पाए हैं। प्रधानमंत्री पर उस समय रैली को संबोधित कर रहे थे। जूता प्रधानमंत्री के मंच से कुछ दूरी पर गिरा। इस घटना के बाद भी प्रधानमंत्री भाषण देते रहे। हितेश चौहान नामक युवक ने यह जूता फेंका था।
जर्नादन द्विवेदी पर भी चला जूता
कांग्रेसी नेता जर्नादन द्विवेदी पर एक पत्रकार ने जूता मारने की कोशिश की थी। उस वक्त द्विवेदी कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेस में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान द्विवेदी से एक सवाल किया गया जवाब मिलने के बावजूद यह पत्रकार जूता लेकर मंच पर चढ़ गया और द्विवेदी को मारने की कोशिश की। इस पत्रकार की पहचान झुंझून राजस्थान दैनिक नवसंचार के संवाददाता के रूप में की गई है। बाद में पुलिस के हवाले कर दिया गया।
कलमाड़ी भी खा चुके हैं चप्पल
इसी साल अप्रैल में कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले मामले में गिरफ्तार ऑर्गनाइजिंग कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर सीबीआई कोर्ट के बाहर चप्पल फेंकी गई थी। हालांकि वह कलमाड़ी को लगी नहीं। कलमाड़ी पर जब चप्पल फेंकी गई, तब उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था। कपिल ठाकुर नामक शख्स ने उनपर चप्पल फेंकी थी। कपिल मध्य प्रदेश के रहनेवाले हैं।
वरुण गांधी के काफिले पर भी जूते-चप्पल से हमला
भाजपा के सांसद वरुण गांधी के रैली में न आने से नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके काफिले पर जूते चप्पल फेंके और उन्हें काले झंडे दिखाए थे। घटना नवाबगंज तहसील की थी।
गठबंधन की ‘सियासत’: बादल को मिले नोबेल पीस प्राइज-तीक्ष्ण सूद
चंडीगढ़. पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता तीक्ष्ण सूद ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को नोबेल पीस पुरस्कार देने की मांग की है। सूद ने कहा, बादल ने ह्यूमन वेलफेयर को राजनीतिक जीवन का केंद्र बिंदु बनाया। अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में बादल ने मानवता के लिए निस्वार्थ लड़ाई लड़ी।
पंजाब में हिंदु-सिख एकता के लिए इनके प्रयास बेमिसाल हैं। शुक्रवार को श्री आंनदपुर साहिब में विरासत-ए-खालसा के उद्घाटन अवसर पर विभिन्न धर्मो के अनुयायी मौजूद थे। सभी को एक मंच पर लाना बड़ी उपलब्धि है। यहां से धार्मिक एकता और विश्व शांति का संदेश दिया गया। यह सब प्रकाश सिंह बादल की सोच का नतीजा है। इसलिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
भ्रष्ट सीएम का अवॉर्ड मिले
पीपल्स पार्टी ऑफ पंजाब के प्रवक्ता अरुणजोत सिंह सोढी ने कहा, पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल को नोबेल पीस पुरस्कार नहीं, सबसे भ्रष्ट सीएम का अवॉर्ड मिलना चाहिए। पंजाब में दो माह बाद विधानसभा चुनाव हैं। सभी राजनीतिक दलों को जनता की अदालत में जाना है। राज्य की जनता खुद ही अवॉर्ड दे देगी। सच्चाई यह है कि बादल ने राजनीति और निजी फायदे के लिए धर्म का नाजायज इस्तेमाल किया है।
भाजपा के बुरे दिन
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लाल सिंह का कहना है कि भाजपा की ऐसी बयानबाजी दिखाती है कि पार्टी के बुरे दिन चल रहे हैं। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को नोबेल पुरस्कार देने की बात करके वह खुद से धोखा कर रही है। सरकार इतनी भ्रष्ट है कि नोबेल की जगह इसे भ्रष्ट सरकार का पुरस्कार देना चाहिए। आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता सरकार को यह पुरस्कार दे देगी।
मंडेला से तुलना
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला से प्रकाश सिंह बादल की तुलना करते हुए सूद ने कहा, वर्ष 1975 में कांग्रेस की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान मानवीय अधिकारों का हनन रोकने के लिए बादल लंबे समय तक जेल में रहे।
पंजाब में हिंदु-सिख एकता के लिए इनके प्रयास बेमिसाल हैं। शुक्रवार को श्री आंनदपुर साहिब में विरासत-ए-खालसा के उद्घाटन अवसर पर विभिन्न धर्मो के अनुयायी मौजूद थे। सभी को एक मंच पर लाना बड़ी उपलब्धि है। यहां से धार्मिक एकता और विश्व शांति का संदेश दिया गया। यह सब प्रकाश सिंह बादल की सोच का नतीजा है। इसलिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
भ्रष्ट सीएम का अवॉर्ड मिले
पीपल्स पार्टी ऑफ पंजाब के प्रवक्ता अरुणजोत सिंह सोढी ने कहा, पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल को नोबेल पीस पुरस्कार नहीं, सबसे भ्रष्ट सीएम का अवॉर्ड मिलना चाहिए। पंजाब में दो माह बाद विधानसभा चुनाव हैं। सभी राजनीतिक दलों को जनता की अदालत में जाना है। राज्य की जनता खुद ही अवॉर्ड दे देगी। सच्चाई यह है कि बादल ने राजनीति और निजी फायदे के लिए धर्म का नाजायज इस्तेमाल किया है।
भाजपा के बुरे दिन
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लाल सिंह का कहना है कि भाजपा की ऐसी बयानबाजी दिखाती है कि पार्टी के बुरे दिन चल रहे हैं। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को नोबेल पुरस्कार देने की बात करके वह खुद से धोखा कर रही है। सरकार इतनी भ्रष्ट है कि नोबेल की जगह इसे भ्रष्ट सरकार का पुरस्कार देना चाहिए। आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता सरकार को यह पुरस्कार दे देगी।
मंडेला से तुलना
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला से प्रकाश सिंह बादल की तुलना करते हुए सूद ने कहा, वर्ष 1975 में कांग्रेस की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान मानवीय अधिकारों का हनन रोकने के लिए बादल लंबे समय तक जेल में रहे।
जालंधर कांग्रेस के टिकट पाने के लिए गरम हुआ माहौल, जमकर हुआ ढिशुम..ढिशुम
जालंधर. जालंधर सेंट्रल - शहर की सबसे हॉट सीट है सो इसके लिए योग्यतम उम्मीदवार तलाशने के लिए कांग्रेस ऑब्जर्वर और जोधपुर की सांसद चंद्रेश कुमारी आईं तो दावेदारों की भीड़ से कांग्रेस भवन मछली बाजार बन गया। भीड़भड़क्का। शोरगुल। नारेबाजी।
शायद यह सोचकर कि राज घराने की चंद्रेश कुमारी यह सब बर्दाश्त न कर सकें, जिला प्रधान अरुण वालिया सख्ती दिखाने लगे। ये नेताओं को नागवार गुजरा। पहले गौतम कपूर ने विरोध किया। फिर वाल्मीकि नेता राजकुमार राजू और वालिया में भिड़ंत हो गई।
विधानसभा चुनाव में सेंट्रल हलके से कांग्रेस के टिकट के दावेदार रविवार को कांग्रेस भवन में बैठक लेने आईं ऑब्जर्वर एवं जोधपुर की सांसद महारानी चंद्रेश कुमारी के सामने ही भिड़ गए। चंद्रेश कुमारी ने सेंट्रल हलके के दावेदारों से मिलने के लिए रविवार शाम पांच बजे का समय रखा था। ऐसे में कई उम्मीदवार टिकट की मांग को लेकर अपने समर्थकों सहित कांग्रेस भवन पहुंच गए।
सौ से ज्यादा लोग टिकट की दावेदारी के लिए पहुंच गए। कमरे में ज्यादा भीड़ होने पर जिला कांग्रेस प्रधान अरुण वालिया ने दावेदारों को बाहर जाने के लिए कह दिया। इस बात को लेकर पहले वरिष्ठ कांग्रेसी और होटेलियर गौतम कपूर और अरुण वालिया के बीच कहा-सुनी हुई।
बाद में बाहर जाने के मामले को लेकर सिटी वाल्मीकि सभा के चेयरमैन राज कुमार राजू के साथ भी वालिया की बहस होने लगी। बहस गाली-गलौज से बढ़ते-बढ़ते मारपीट में बदल गई। यह सब देखकर सांसद चंद्रेश कुमारी कमरे से बाहर निकल आईं, लेकिन दावेदार यहां भी उनके पीछे-पीछे आ गए।
रविवार शाम आठ बजे तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। चंद्रेश कुमारी से मिलने सबसे पहले पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट कटने से आहत नेता राज कुमार गुप्ता अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। मुलाकात के दौरान गुप्ता समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। बाहर आते ही गुप्ता अपने समर्थकों की तरफ मुखातिब होकर बोले - ‘तसल्ली रखो, इलेक्शन आपां ही लड़ना।’
इसके बाद महिला कांग्रेस नेत्री जसलीन सेठी, शिबू लाहौरिया, पिछले चुनाव में हार का सामना करने वाले तेजिंदर बिट्टू, पार्षद दिनेश ढल्ल, डीबीए के प्रधान जीके अग्निहोत्री, जिला कांग्रेस प्रधान अरुण वालिया और गौतम कपूर लाव लश्कर लेकर कांग्रेस भवन में चंद्रेश कुमारी से मिले। अनिल दत्ता, राजिंदर बेरी, राज कुमार गुप्ता, सुषमा गौतम, विश्व कीर्ति यश, संदीप शर्मा, जीके अग्निहोत्री, अशोक गुप्ता ने भी अपना बायो-डाटा आब्जर्वर चंद्रेश कुमारी को सौंपा। उद्योगपति और श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष शीतल विज के समर्थक कांग्रेस भवन पहुंचकर उनका बायो-डाटा सौंप गए। जालंधर वेस्ट से दावेदारी को लेकर सेठ सतपाल मल चंद्रेश से मिले।
आदमपुर व करतारपुर के 17 नेताओं ने भी टिकट मांगा है। इनमें महिंदर सिंह विरदी, गुरदयाल सिंह सभ्रवाल, डा. राम लाल जस्सी, सुरजीत सिंह दूहड़े, कश्मीर सिंह टांडी, चौधरी राजिंदर कुमार, चौधरी गुरमेल सिंह, चौधरी सुरिंदर सिंह, जोगिंदर नाथ, सुरजीत सिंह, सुरजीत सिंह, इंजी. देवराज, बीएस बधाना, किट्टू ग्रेवाल शामिल हैं। वहीं करतारपुर में पूर्व मंत्री चौधरी जगजीत सिंह, डा. राम लाल जस्सी तथा राजेश पद्म ने भी दावेदारी जताई।
दिहाड़ी वाले भी आ गए
टिकट की दावेदारी जताने वाले एक नेता अपने ईंट-भट्ठे की लेबर को समर्थक बना ले आए। लेबर के हाथ में नेता को टिकट देने की मांग वाली तख्तियां थीं। मजदूरों के कांग्रेस भवन पहुंचते ही वहां एक पार्टी वर्कर ने कमेंट किया - ‘लो आ गए सौ रुपए दिहाड़ी वाले।’
Subscribe to:
Posts (Atom)
Uploads by drrakeshpunj
Popular Posts
Search This Blog
Popular Posts
followers
style="border:0px;" alt="web tracker"/>