ढाई हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होगा सेब
सोलन. प्रदेश में ढाई हजार फीट की ऊंचाई पर भी सेब की पैदावार हो सकेगी। डॉ. वाईएस परमार वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों ने ढाई हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होने वाले सेब की दो प्रजातियां विकसित की हैं।
अन्ना और स्कलोमिट प्रजातियों का ट्रायल प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफल रहा है। आम तौर पर सेब की पैदावार चार हजार फीट की ऊंचाई से ऊपर होती है, लेकिन अब यह इससे कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पैदा हो सकेगा। नौणी में डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद ओच्छघाट में रेड डिलिशियस सेब के पौधे लगाए गए थे। यहां सेब की अच्छी पैदावार हुई। नौणी यूनिवर्सिटी चार हजार फीट की ऊंचाई पर है।
सोलन शहर में भी टाइडमैन और मोलस डिलिशियस नामक प्रजातियां लगाई गई हैं। इसके अलावा बिलासपुर के धधोल और पट्टा गांव में सेब की लो चिलिंग वैरायटी अन्ना और स्कलोमिट लगाई गई थी। यहां भी पौधों से अच्छी पैदावार ली गई है। विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. डीआर गौतम ने बताया कि विवि में बागबानों के लिए लो चिलिंग सेब की प्रजातियां तैयार की गई है। यह प्रजातियां निचले हिमाचल के लिए मुफीद साबित होगी।
मजबूत होगी आर्थिक स्थिति
उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भी इन प्रजातियों के ट्रायल किए जाएंगे। इससे बागबानों की आर्थिकी मजबूत होगी। निचले क्षेत्रों में माइक्रो क्लाईमेट का सेब पैदा होगा। उन्होंने बताया कि ग्लोबल वार्मिग के चलते सेब उत्पादन पट्टी लगातार ऊपरी क्षेत्रों की ओर खिसक रही है। ऐसे में कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की पैदावार बढ़ाने के लिए यह प्रजातियां कारगर सिद्ध होंगी