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Tuesday, November 30, 2010

आंध्र प्रदेश में राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी का पार्टी व संसद से इस्तीफा एक और संभवत: लंबे राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत है। निजी महत्वाकांक्षा से पैदा यह टकराव राजनीति में नया नहीं है।

लोकतंत्र के बावजूद हमारी राजनीति में सामंती तौर-तरीकों की जो छाप चली आ रही है, उसके कारण समय-समय पर ऐसे टकराव सामने आए हैं। हर स्थापित नेता के अवसान के बाद उसकी राजनीतिक विरासत पर दावेदारी को लेकर पार्टी व परिवार दोनों में सत्ता संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। आंध्र में ही एनटीआर की मृत्यु के बाद भी यह देखने को मिला था।

पिछले वर्ष विमान दुर्घटना में राजशेखर रेड्डी की मृत्यु के बाद जगन मोहन ने कभी छिपाया नहीं कि वह मुख्यमंत्री बनकर पिता की राजनीतिक विरासत को संभालना चाहते हैं। लेकिन खुद एक परिवार की धुरी पर केंद्रित कांग्रेस को यह रास नहीं आया कि जगन ठीक वहां से राजनीतिक शुरुआत करें, जहां कड़ी मेहनत के बाद उनके पिता पहुंचे थे।

पुराने और अनुभवी कांग्रेसी होने के नाते राजशेखर रेड्डी जानते थे कि कांग्रेस में एक राज्य क्षत्रप का अधिकार क्षेत्र कहां खत्म होता है और कहां कथित आलाकमान का दबदबा शुरू होता है। लेकिन यही अनुभव और समझ जगन मोहन को विरासत में नहीं मिल सकी।

पिछले 14 महीने से जगन और कांग्रेस के बीच चल रहे संघर्ष में निर्णायक मोड़ तब आया, जब टकराव की लकीरें परिवार के बीच पहुंच गईं। जगन ने इस्तीफा तब दिया, जब न सिर्फ चाचा के मंत्री बनने की खबरें आने लगीं, बल्कि वह भतीजे को आलाकमान के यहां ले जाकर माफी मंगवाने की बात कहने लगे।

इतना ही महत्वपूर्ण यह कि इस्तीफा सिर्फ मां और बेटे ने दिया है। इसलिए राजशेखर रेड्डी की राजनीतिक विरासत की लड़ाई में यह पारिवारिक कोण और भी तीव्रता से उभरकर आए तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

इसका अंतिम फैसला अंतत: जनता की अदालत में ही होगा। इस बीच में इसमें कई रोचक और दिलचस्प मोड़ आएंगे। यह निराशाजनक इसलिए है कि महत्वाकांक्षा की यह लड़ाई हमारी राजनीति को लोकतांत्रिक परिपक्वता हासिल नहीं करने देती।

जब मतदाता बार-बार विकास के लिए अपनी व्यग्रता व्यक्त कर रहे हैं, जैसा कि हाल ही में बिहार की जनता ने किया है, तब राजनेता उसे निजी महत्वाकांक्षा, परिवार और अंत:पुर के षड्यंत्रों की ढलान पर धकेलने से संकोच नहीं करते।