कांग्रेस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से अशोक चव्हाण और पार्टी संगठन से सुरेश कलमाडी का इस्तीफा ले लिया। इन दोनों नेताओं के नाम दो बड़े घोटालों में सुर्खियों में रहने के बाद यह कदम उठाया गया है। लेकिन अगर पार्टी सोचती है कि इन दो इस्तीफों के बाद भ्रष्टाचार के सवाल पर वह जनाक्रोश की आंच से अपने को बचा लेगी, तो ऐसा होना संभव नहीं होगा। दोनों इस्तीफे बहुत देर से उठाया गया कदम हैं और दूसरे पार्टी की छवि को भ्रष्टाचार के आरोपों से जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई इनसे नहीं होगी।
कम से कम पिछले चार महीनों से कॉमनवेल्थ घोटाले के लिए सुरेश कलमाडी को जिम्मेदार माना जाता रहा है। जब घोटाले के आरोप सुर्खियों में थे, तब भी पार्टी ने कलमाडी को संगठन के पद से नहीं हटाया। तब यह दलील दी जा रही थी कि कॉमनवेल्थ खेल पूरे हो जाएं।
खेल पूरे हुए भी अब महीना बीतने को आया। इस बीच भी पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। इसी तरह से अशोक चव्हाण के मामले में यह सच्चाई उन्होंने स्वीकार की है कि आदर्श हाउसिंग सोसायटी में उनके रिश्तेदारों के नाम तीन फ्लैट थे।
उन्होंने जब यह घोषणा की कि उनके रिश्तेदार अपने फ्लैट सरेंडर कर रहे हैं, तब यह एक तरह से घोटाले में लिप्तता की स्वीकारोक्ति थी और तब भी पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की। देरी और राजनीतिक-प्रशासनिक सुविधा से उठाए गए कदम समुचित प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहते हैं।
इन घोटालों में अन्य आरोपित लोगों के खिलाफ पार्टी क्या कार्रवाई कर रही है, अब भी इसका कोई संकेत नहीं है। कॉमनवेल्थ घोटाले की अलग-अलग स्तरों पर जो जांच चल रही है, उन्हें भी एक महीना पूरा हो चुका है। लेकिन अभी भी पूरी सच्चाई सामने नहीं आई है। इसके अलावा २जी स्पेक्ट्रम के मामले में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे डीएमके नेता कैबिनेट मंत्री के रूप में सरकार की शोभा बढ़ा रहे हैं।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने २जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सरकार को एक लाख ७६ हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की बात कही है। इन सब मामलों में सरकार की चुप्पी इतनी गहरी है कि दो इस्तीफों के शोर में उसे अनसुना नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस अगर पार्टी के भीतर और बाहर भ्रष्टाचार से घिरे नेताओं पर बहुत तेज गति से सच्ची और निर्णायक कार्रवाई नहीं करती है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि यह उसके लिए राजनीतिक रूप से खतरनाक साबित हो सकता है।