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Tuesday, December 21, 2010

नेहरू की जिद...1962 भारत-चीन युद्ध !




नई दिल्ली।1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के घाव आज भी सूखे नहीं हैं। युद्ध की वजहों को लेकर आज भी कयास जारी है। हाल ही में इस मुद्दे पर प्रकाशित एक किताब से इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस युद्ध के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया है। लीगल एक्सपर्ट ए जी नूरानी की किताब के मुताबिक युद्ध के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का अड़ियल रुख जिम्मेदार था। किताब के मुताबिक नेहरू ने 1 जुलाई 1954 को भारत-चीन सीमा पर समझौतों के दरवाजे बंद कर दिए। इतना ही नहीं 1960 में भारत दौरे पर आए विवाद सुलझाने को तैयार चीनी पीएम चाउ-एन-लाई को भी निराश कर दिया था। नूरानी के मुताबिक ये दो महत्वपूर्ण वजहें 1962 भारत-चीन युद्ध की अहम वजह बनीं।'इंडिया-चाइना बाउंड्री प्रॉब्लम्स 1846-1947 हिस्ट्री एंड डिप्लोमेसी' बुक में बताया गया है कि भारत ने खुद आधिकारिक मैप में बदलाव कर लिया था। 1948 और 1950 के मैप में पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के जो हिस्से अपरिभाषित थे वे इस बार गायब थे। और 1954 के मैप में इनकी जगह साफ लाइन दिखाई गई थी। इस तरह मैप में हेरा-फेरी ने भारत-चीन सीमा विवाद को जन्म दिया

लेखक के मुताबिक 1 जुलाई 1954 का नेहरू का निर्देश 24 मार्च 1953 के उस फैसले पर आधारित था जिसमें सीमा के सवाल पर नई लाइन तय करने की बात की गई थी। नूरानी के अनुसार ये फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। लेखक ने अपनी बात के समर्थन में एक पूर्व विदेश अधिकारी का भी जिक्र किया है जिसने लेखक को बताया था कि कैसे उसे भी मूर्खतापूर्ण कवायद का हिस्सा बनना पड़ा था। आंकलन के मुताबिक वो अधिकारी राम साठे थे जो बाद में चीन में राजदूत भी रहे।

साठे को समर्पित भारत-चीन युद्ध की वजहों और उससे जुड़े विवादों की पड़ताल करती ए जी नूरानी की इस किताब का विमोचन 16 दिसंबर को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया। किताब में इससे जुड़े कई और दिलचस्प पहलुओं का भी जिक्र है। वस्तुत: नेहरू को पूरी तरह से कटघरे में खड़ा किया गया है।