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Sunday, January 9, 2011

एंटीबायोटिक दवा कहीं जहर न बन जाए

विशेषज्ञों के मुताबिक बिना जांचे समझे एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में दस लाख से अधिक लोग स्टे्रप्टोमाइसिन एंटीबायोटिक दवा के अनुचित सेवन के कारण बहरेपन के शिकार हो गए। चाइना डेली के हवाले से मिली खबर के अनुसार चाइनीज मेडिकल एशोसिएसन के यांग झूइन ने बताया कि चीन में लगभग 18 लाख बच्चे बहरेपन के शिकार हैं जिनमें से करीब 60 फीसदी बच्चे वृहद रुप से स्ट्रेप्टोमाइसिन दवा के अनुचित प्रयोग के कारण बहरे हुए थे। बकौल यांग, अकेले चीन में प्रति वर्ष करीब दो लाख लोग अनुचित दवाओं के प्रयोग से मौत के ग्रास बनते हैं, जिनमें से करीब 40 फीसदी की मौत का कारण गलत एंटीबायोटिक दवा लेना है।

यांग ने बताया कि अधिकतर लोग घरों में तमाम तरह की एंटीबायोटिक दवाओं का भण्डारण कर लेते हैं और बिना चिकित्सीय सलाह के ऐसी दवाओं का सेवन करते हैं। लाइबेरियन आर्मी स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिजीज प्रिवेन्सन एंड कंट्रोल ऑफ द पीपुल के हुआंग लीयु ने बताया कि बहुत से लोगों को ड्रग लेने की लत होती है, जो प्रायः एंटीबायोटिक दवाओं के ओवरडोज के कारण उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि भले ही ऐसे लोगों को हल्की स्वास्थ्य समस्या हो लेकिन एंटीबायोटिक दवा लेना उनकी मजबूरी हो जाती है, जो एक गूढ़ सामाजिक मसला है। हालांकि उनका मानना है कि इस गंभीर समस्या के लिए चिकित्सक अधिक दोषी होते हैं। कुछ चिकित्सक मरीजों को जबरन उच्च शक्ति वाली एंटीबायोटिक दवा लिख देते है, भले ही ऐसी एंटीबायोटिक से मरीज को नुकसान उठाना पड़े। वहीं कुछ चिकित्सक उच्चशक्ति एंटीबायोटिक को इसलिए अधिक वरीयता देते है जिससे मरीज को फटाफट आराम मिल जाए। जबकि कुछ दवा कंपनियों से मिले उपहारों के कारण एंटीबायोटिक दवाएं बेवजह लिखते हैं। यांग के मुताबिक प्रतिवर्ष एक चीनी नागरिक औसतन 138 ग्राम एंटीबायोटिक लेता है, जो एक अमेरिकियों की तुलना में 10 गुना अधिक है।