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Saturday, January 29, 2011

देश को दस हिस्सों में बांटने की हुई थी मांग !

द्वि-राष्ट्र सिद्धांत पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के मुताबिक द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के तहत देश के बंटवारे के लिए सावरकर जिम्मेदार थे। एक नजर डालते हैं उन तथ्यों के तहत क्या है पूरा मामला।


कब और किसने की अलग राष्ट्र की मांग ?


1930 में शायर मुहम्मद इक़बाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी चार प्रान्तों -सिन्ध, बलूचिस्तान, पंजाब और अफ़गान (सूबा-ए-सरहद)- को मिलाकर एक अलग राष्ट्र का मांग की थी । 1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सर मोहम्मद इक़बाल ने मुसलमानों के लिए अल्पसंख्यक राजनितिक हितों की रक्षा के उद्देश्य से पृथक निर्वाचिका की जरूरत पर जोर दिया। ऐसा कहा जाता है कि बाद में पाकिस्तान की मांग के लिए जो आवाज़ उठी उसका औचित्य उनके इसी बयान से उठा था।


कैंब्रिज में चौधरी रहमत अली नामक एक छात्र ने 1933 में पर्चे छापकर उस अलग देश का नाम पाकिस्तान रखा। रहमत अली ने बाद में 'दि मिल्लत एंड हर टेन नेशंस' नाम से पर्चे छापे। जिसमें देश को दस हिस्सों में बांटने की पैरवी कर दी थी।


मार्च 1940 में मो. अली जिन्ना ने लाहौर अधिवेशन में अलग राष्ट्र की मांग की थी। जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया था।जिन्ना ने लाहौर प्रस्ताव पर बोलते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि हमारे हिंदू मित्र इस्लाम तथा हिंदू धर्म की असलियत को नहीं समझ पा रहे हैं। यह मज़हब नहीं है, वास्तव में अलग सामाजिक व्यवस्था है, हिंदुओं और मुसलमानों की अलग धार्मिक विचारधारा, सामाजिक रीति-रिवाज और साहित्य है। न ही इनके आपस में रिश्ते होते हैं न वे इकट्ठे खाते-पीते हैं। वास्तव में उनका संबंध अलग सभ्यताओं से है। ऐसे दो राष्ट्रों को एक साथ नत्थी करने से असंतोष और बढ़ेगा। राष्ट्र की किसी भी परिभाषा से मुसलमान एक राष्ट्र हैं और उन्हें अपना होमलैंड मिलना चाहिये।


कौन हैं वीर सावरकर ?


विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। सावरकर ने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रमाणिक ढंग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। इसके पहले सभी इतिहासकार इसे सिपाही विद्रोह मानते थे। सावरकर 1904 में अभिनव भारत नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी। जिसे मई, 1952 में पुणे में एक विशाल सभा में अभिनव भारत संगठन को उसके उद्देश्य, भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति होने पर भंग किया गया।


सेलुलर जेल, पोर्ट ब्लेयर- जो काला पानी के नाम से कुख्यात थी। नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अंतर्गत इन्हें 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा गया। सावरकर 4 जुलाई, 1911 से 21 मई, 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे। 5 फरवरी, 1948 को गांधीजी की हत्या के उपरांत इन्हें प्रिवेन्टिव डिटेन्शन एक्ट धारा के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था।