नागपुर. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने दो टूक कहा कि सत्ता सुख के लिए नहीं, बल्कि जरूरतमंदों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए है। कुछ लोग सत्ता का उपभोग कर रहे हैं। जरूरत है आम नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की। इसके लिए प्रयास करना होगा और यह हम सभी का कर्तव्य है।
राष्ट्रपति श्रीमती पाटील ने सोमवार को महल स्थित शहीद शंकर महाले स्मारक का लोकार्पण किया। लोकार्पण समारोह में राज्यपाल के. शंकरनारायणन, देवीसिंह पाटील, जलंसधारण मंत्री डॉ. नितिन राऊत, शहीद शंकर महाले स्मारक समिति के अध्यक्ष हनुमंतराव पवार, राष्ट्रीय शिवाजी मंडल के अध्यक्ष ईश्वर चौधरी प्रमुखता से उपस्थित थे।
बराबर हक दिलाने होंगे
20 साल के लंबे इंतजार के बाद शहीद स्मारक के लोकार्पण अवसर पर श्रीमती पाटील ने कहा कि हमें इस स्मारक से प्रेरणा लेकर देश में अच्छा वातावरण बनाना होगा। उन्होंने कहा कि देश में अमीर और अमीर हो रहे हैं, जबकि गरीब जहां थे वहीं हैं। हमें सभी को बराबर अधिकार दिलाने होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। विदेशों से अनेक लोग मुझसे मिलने आते हैं और कहते हैं कि आपका लोकतंत्र अद्वितीय है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है और यह इसलिए नहीं कि यहां जनसंख्या ज्यादा है बल्कि हमने अपनी अलग पहचान बनाई है, मानवता को बरकरार रखा है। स्वागत भाषण सांसद अविनाश पांडे ने किया। इस दौरान डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से शहीद शंकर महाले और नागपुर के वीरों की गाथा भी दिखायी गई।
सभी महिलाएं राष्ट्रपति, मैं सिर्फ प्रतीक
श्रीमती पाटील ने कहा कि मैं राष्ट्रपति हूं, इसलिए सभी महिलाएं राष्ट्रपति है। मैं सिर्फ इसका प्रतीक हूं। सभी के सहयोग से मैं राष्ट्रपति बनीं हूं। महिलाएं अबला नहीं, सबला हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में जितना पुरुषों का योगदान रहा है, उतना महिलाओं का भी। कंधे से कंधा मिलाकर महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया।
राष्ट्रपति ने उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ महिलाएं महात्मा गांधी के पास गई थीं। कहा-हमें भी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेना है, लेकिन वहां बैठे कुछ लोगों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये महिलाएं हैं।
आंदोलन में यातनाएं सहन करनी पड़ती है। महिलाएं यह सहन नहीं कर पाएंगी। तब महात्मा गांधी ने कहा कि ये महिला जरूर हैं। वार सहन करने के लिए अबला हैं, लेकिन वार करने के लिए सबला हैं। हमें महिलाओं को भी बराबरी का अधिकार देना होगा।
राष्ट्रीय प्रेम सभी की जाति
श्रीमती पाटील ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय प्रेम सभी की जाति और स्वतंत्रता सभी का धर्म था। स्वतंत्रता के लिए सभी एकजुट हुए थे। सभी धर्म-समाज के लोगों ने एक स्वर में चले जाओ का नारा लगाया था। आवाज इतनी बुलंद थी कि अंग्रेेजों को देश छोड़कर जाना पड़ा। उस आवाज को हमें फिर एक साथ लाना होगा।
भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लोकतांत्रिक पद्धति से सभी कामकाज चलता है। शांति से चुनाव होते हैं। हमारे संविधान ने सभी को एक वोट, एक मूल्य का अधिकार दिया है, फिर वह अमीर हो या गरीब। अनेक जाति-भेद थे, लेकिन संविधान के कारण वे दूर हो रहे हैं। हमारा कर्तव्य है कि इस लोकतंत्र को निर्बाध रखें और आगे ले जाएं