Pages

Friday, February 18, 2011

हरियाणा की राजनीति में पत्रकारों का योगदान

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणवी राजनीति में पत्रकारों की सक्रिय भूमिका रही है। राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर ''प्रैसवार्ता" द्वारा किये गये अध्ययन से पता चला है कि वर्ष 1920 में भारत वर्ष में पहली बार चुनाव हुए। इस चुनाव में दीनबंधु सर छोटू राम झज्जर क्षेत्र से चुनाव हारने उपरांत पत्रकारिता क्षेत्र में आये और रोहतक से जाट गजट साप्ताहिक अखबार निकाला। वैसे सर छोटू राम मूलत: पत्रकार थे, परन्तु राजनेताओं ने उनके नाम और काम पर रोटियां सेकीं-जबकि उन पर शोध व अनुसंधान की जरूरत थी। सत्ता जीवन शुरू करने से पहले तत्कालीन उत्तर प्रदेश के राजा रामपाल, जो देश के पूर्व विदेश मंत्री स्व. दिनेश सिंह के दादा थे,के यहां नौकरी दौरान सर छोटू राम अंग्रेजी हिन्दुस्तान तथा बाद में हिन्दुस्तान हिन्दी के सम्पादक बने। यहां से नौकरी छोडऩे उपरांत सर छोटू राम जब 1909 से 1911 तक आगरा में वकालत की पढ़ाई कर रहे थे, तो दैनिक सैनिक के सम्पादकीय विभाग में थी काम किया करते थे। बाद में दीन बंधु ने दी टाईम्स ऑफ इंडिया, दी हिन्दुस्तान टाईम्स, पायनियर, दी स्टेटसमैन, दी फ्री प्रैस जर्नल में नियमित रूप से कालम लिखे। कांग्रेसी नेता पंडित नेकी राम शर्मा भी मूल रूप से पत्रकार थे। वह दो सप्ताहिक अखबारों के सम्पादक रहे। सर छोटू राम के कटु आलोचक कांग्रेसी नेता नेकी राम शर्मा झज्जर निवासी ने तो अपना राजनीतिक जीवन ''हरियाणा तिलक" अखबार से किया। कालांतर में ''हरियाणा तिलक" अखबार हरियाणा में स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बन गया था। इसी दौरान यूनियननिस्ट पार्टी के विधायक व सर छोटू राम के करीबी साथी शाह खान, जो पूर्व मंत्री तैयब हुसैन के पिता थे, ने गुडग़ांव से कुछ समय तक उर्दू में अखबार निकाला। बाद में लोहारू में वकालत के दौरान तत्कालीन शहरी हिन्दुओं के मुख्य पत्र प्रताप व मिलाप में सर छोटूराम को आलोचनों को अपने लेखों से न सिर्फ करारा जवाब दिया, बल्कि दीन बंधु के दर्शन का खुलासा करने वाले लेख लिखे। देश की स्वतंत्रता उपरांत हुए चुनाव में 1952 में 1957 में महान पत्रकार देश भक्त व देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद गुडग़ांव से सांसद बने-जबकि इसी दौरान पंडित नेकी राम ने विजय श्री हासिल कर मंत्री पद प्राप्त किया। 1962 में पंडित शर्मा चुनाव हार गये। इन चुनावों में उर्दू प्रताप व हिन्दी वीर प्रताप जालंधर के संपादक वीरेन्द्र आर्य, संयासी स्वामी रामेश्वरानन्द से करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव हारे। वीरेन्द्र कांग्रेसी और स्वामी तत्कालीन भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी थे। इन्हीं चुनावों में पंजाब केसरी के सम्पादक लाला जगत नारायण ने जालंधर छोड़कर नारायणगढ़ से चुनाव लड़ा, परन्तु उन्हें सचिवालय में कार्यरत एक चपरासी लाल सिंह ने हरा दिया। इसी प्रकार 1962 हरियाणा की राजनीति में आये पत्रकारों के लिए वाटरलू सिद्ध हुआ। कई वर्षों तक अपने समाचार पत्र का सम्पादन करने वाले ओम प्रभा जैन कैथल से विधायक बनी। इनु चुनावों में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति पद से त्याग पत्र देकर हरद्वारी लाल ने बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। बाद में हरद्वारी लाल ने अंग्रेजी और हिन्दी में दो अखबारों का सम्पादन किया। 1967 में भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के टिकट पर अपने स्वामीत्व में निकलने वाले अखबार के संपादक शमशेर सिंह सुरजेवाला नरवाना से विजयी होकर मंत्री बने। सुरजेवाला तथा हरद्वारी लाल की लेखन कला का उस समय कोई सानी नहीं था। हरियाणा के प्रथम उप मुख्यमंत्री चांद राम भी रोहतक से अखबार निकाकलते रहे है। 1967 में पहली बार करनाल जिला के इन्द्री विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ की टिकट पर चुनाव लडऩे वाले वेदपाल, जो हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे, भी काफी समय तक करनाल से पाक्षिक समाचार पत्र निकालते रहे हैं। 1967 में ही विधायक बन कर राव वीरेन्द्र सिंह मंत्री मंडल में मंत्री बने जसवंत सिंह ने भी एक लम्बे समय तक हिसार से एक साप्ताहिक अखबार निकाला था। आजीवन राष्ट्रपति का चुनाव लडऩे वाले रोहतक के वकील हरी राम चौधरी ने रोहतक से एक अखबार निकाला तथा रोहतक से प्रथम उर्दू दैनिक निकालने का श्रेय भी उन्हें तथा उनके बेटे रामेश्वर नादान को है। हिसार में विधायक रहे, गुलाब सिंह नैन ऐडवोकेट भी एक लम्बे समय तक हिसार से अखबार निकालते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता तो मूलरूप से थे-ही पत्रकार। भिवानी से प्रकाशित दो-दो हिन्दी साप्ताहिक अखबारों का संपादन उन्होंने किया। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने भी एक दैनिक अखबार निकाला था-जो अब भी साप्ताहिक के रूप में प्रकाशित हो रहा है। 1971 में हरियाणा के फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से वीर अर्जुन व उर्दू प्रताप के सम्पादक के.नरेन्द्र ने जनसंघ टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गये। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी तैयब हुसैन विजयी हुए, जिन्होंने विशाल हरियाणा पार्टी के मंसूर अली खां पटौदी को पटकनी दी थी। श्री पटौदी एक लम्बे समय तक खेल पत्रिका ''स्पोटर्स ब्लर्ड" का सम्पादन करने के अतिरिक्त मेवात से ही एक अन्य पाक्षिक अखबार निकालते रहे है। खुर्शीद अहमद हरियाणा कांग्रेस पत्रिका के वर्षों तक संपादक रहे। आर्य सभा ने हरियाणा में तीन संयासी दिए, जिनमें इंद्रवेश, अग्रिवेश व स्वामी आदित्यवेश। ये तीनों नेता ही मूलरूप से पत्रकार ही थे। राजनीति में सफलता प्राप्त करने से पूर्व इन तीनों संयासियों ने रोहतक से हिन्दी दैनिक अखबार राजधर्म का प्रकाशन किया। इस अखबार के साथ एक चौथे स्वामी ओमवेश भी जुड़े, जो बिजनौर से विधायक बने थे। बाद में स्वामी इन्द्रवेश रोहतक से लोकसभा के सदस्य, अग्रिवेश पुंडरी से विधायक, हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन व प्रदेश के शिक्षा मंत्री, स्वामी आदित्यवेश हथीन से विधायक व हरियाणा कृषि उद्योग निगम के चेयरमैन रहे हैं। एक अन्य आर्य समाजी नेता कपिल देव शास्त्री विभिन्न-विभिन्न अखबारों से जुड़े रहे और 1987 में सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने। 1982 में रोडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने जगदीश नेहरा को भी इसी कड़ी में पेशेवर पत्रकार माना जाता है। नेहरा कई वर्षों तक नैशनल हैराल्ड, वीर प्रताप स्टेटस मैन व इंडियन एक्सप्रैस से जुड़े रहे हैं और मंत्री बनने उपरांत भी लिखते रहे। भाकपा के डा. हरनाम सिंह करनाल से प्रकाशित हरियाणा दर्पण के संपादक तथा दैनिक जनयुग के रिपोर्टर रहे। नारायणगढ़ से विधायक रहे टिक्का जगजीत सिंह भी एक लम्बे समय तक एक पाक्षिक अखबार का सम्पादन करते है। साप्ताहिक तथा बाद में दैनिक रहे, ऋषिवर्त के सपंादक चन्द्र भान सैनी में सफीदों से आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता राम बिलास शर्मा ने भी अपना राजनीतिक जीवन जनसंघ के मुख्य पत्र मदर लैंड में बतौर प्रूफ रीडर शुरू किया। करनाल से लोकसभा सदस्य रहे प. मोधो राम शर्मा भी एक लम्बे समय तक पानीपत से एक साप्ताहिक अखबार निकालते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के सलाहकार राजीव जैन भी पत्रकारिता में सक्रिय रहे हैं। इस प्रकार हरियाणवी राजनेताओं के पत्रकारिता से गंभीर संबंध रहे हैं-यानि हरियाणा की राजनीति में पत्रकारों की भी अहम् भूमिका रही है