Chandigarh यहां आत्महत्या का प्रयास ना करें। ऐसे सलोग्न सुखना झील में जब जहां पानी कम होता था वहां सुनने और कागजों में अक्सर पढने को मिलते रहते थे। वाक्य ही अब तो बोर्ड लगा देना चाहिए क्योंकि अब तो झील में पानी वाली घास के सिवा कुछ भी तो नहीं रहा। जल की रानी का अकाल देखा जा सकता है। जल मुर्गाबी भी देखने पर नही दिखाई देती है। सुखना झील के पानी का सुख प्रशासन की उदासीनता की बली चढ़ चूका है। पर युवा हैं कि जान देने के लिए अब भी सुखना में कूदना गनीमत समझते हैं, क्यों ये तो कोई नहीं बता सकता। सेक्टर 41 बी के मकान नम्बर 1216 के वासी वकील चंद गर्ग के पुत्र दीपक ने अज्ञात कारणों के चलते सुखना झील में बने टावर पर चढ़ कर कूद कर जान दे दी। ये वाक्यात कथित तौर पर बुधवार का हैं, क्योंकि वीरवार को ई आर पी एफ़ के हवलदार पाण्डे ने युवा लाश को तकरीबन 4-30 बजे शाम को पानी पर तैरते देखी। लाश को बाहर निकाल कर ग्न्र्ल अस्पताल की मोर्चरी में रखवाई। मौत का खबर लिखे जाने तक तो कोई कारण सामने नहीं आ सका। युवा मृतक दीपक आई टी पार्क में ड्यूटी करता था। बुधवार को वह घर ना सका था रात भर उसका मोबाइल की बेल बंद रही थी। झील के टावर से या झील में कूद कर आत्म हत्या करने का ये कोई पहला मौका नहीं है। अक्सर युवा अकेले या जोड़ों के रूप में आत्म हत्या के लिए गंदगी से भरी सुखना झील की गोद में समाते हैं। अभी तक की हिस्ट्री में तो सिर्फ कुछेक ही किस्मत वाले होंगे जिनकी जिन्दगी बची होगी।