Pages

Wednesday, November 16, 2011

रूपयों की माला पहने मायावती ने उ.प्र. को बांटने का फैसला किया




 
लखनऊ
15 नवंबर 2011
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने राज्य को चार हिस्सों पूर्वाचल, पश्चिम प्रदेश, अवध प्रदेश और बुंदेलखण्ड में बांटने सम्बंधी प्रस्ताव को मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव को विधानसभा के आगामी सत्र में लाया जाएगा और पारित किया जाएगा विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए इस कदम को प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी शिगूफा करार दिया है।
 
 मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार हमेशा से ही छोटे राज्यों की हिमायती रही है और इसीलिए आगामी विधानसभा सत्र में राज्य को चार भागों में बांटने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद ने राज्य के विभाजन सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में मायावती ने कहा, "उत्तर प्रदेश की जनता की मांग, अपेक्षाओं व सर्वसमाज के हित में आज मंत्रिपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया कि उत्तर प्रदेश का चार नए राज्यों अवध प्रदेश, पश्चिम प्रदेश, पूर्वाचल और बुंदेलखण्ड में पुनर्गठन करने हेतु 21 नवंबर से शुरू हो रहे सत्र में प्रस्ताव पारित कराकर आवश्यक कार्रवाई के लिए इसे भारत सरकार को भेजा जाए।"
 
मायावती ने कहा, "मैं आशा करती हूं कि प्रदेश के विकास पर दूरगामी अनुकूल प्रभाव डालने वाले इस फैसले पर केंद्र सरकार सकारात्मक रुख अपनाकर अपने स्तर से सभी जरूरी संवैधानिक कार्रवाई को तेजी से पूरा करेगी।" उन्होंने कहा कि छोटे राज्य से जनता का फायदा होगा। वह शुरू से ही छोटे राज्यों की पक्षधर रही हैं। गौरतलब है कि सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक पूर्वाचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखण्ड में सात जिले होंगे।
 
राज्य को चार भागों में विभाजित करने के बसपा सरकार के प्रस्ताव को विरोधी दलों ने चुनावी कदम करार देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री मायावती ने भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान हटाने के लिए नया शिगूफा छोड़ दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा कि मायावती सरकार को कार्यकाल के पहले दिन विभाजन की बात क्यों नहीं याद आई। साढ़े चार साल तक उत्तर प्रदेश को लूटने के बाद जब कुछ नहीं बचा तो राज्य के विभाजन का शिगूफा छोड़ दिया।
यादव ने कहा, "विभाजन से विकास नहीं होता है। क्या विभाजन से महंगाई कम होगी, क्या खाद की समस्या हल होगी, क्या युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा। सपा विभाजन का विरोध करेगी।" कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव होने में बस कुछ दिन ही रह गए हैं। ऐसे में मायावती सरकार विभाजन का प्रस्ताव ला रही है। इसका कोई मतलब नहीं है। यह एक राजनीतिक स्टंट के सिवा कुछ नहीं है।
तिवारी ने कहा, "कांग्रेस छोटे राज्यों की पक्षधर रही है। राज्य बनते हैं जनता की सुविधा के लिए समस्याओं के लिए नहीं। केंद्र सरकार द्वितीय पुनर्गठन आयोग गठित करे और उसकी टीम यहां आए और वह सारी बातों पर सहमत हो तभी उत्तर प्रदेश सरकार को विभाजन का प्रस्ताव रखना चाहिए।" भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मायावती सरकार का यह फैसला पूरी तरह से वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है। मायावती सरकार ने अपने साढ़े चार साल के भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए विभाजन का शिगूफा छोड़ा है।