शिमला — चुनावी नतीजों की देरी पर नेता इस कद्र आहत होने लगे हैं कि उन्होंने अब चुनाव आयोग को निशाने पर ले लिया है। बुधवार को कांग्रेस की तरफ से पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने भी कहा कि गुजरात चुनाव से दस रोज पहले हिमाचल विधानसभा चुनाव करवाए जाते तो सही था। 46 दिन का लंबा इंतजार नेताओं को ही नहीं, अफसरों व आम व्यक्ति को भी अब अखरने लगा है। सरकार ने जिन योजनाओं को सिरे चढ़ाना था, वे थम सी गई हैं। हर अनुमति के लिए चुनाव आयोग के दर दस्तक देनी पड़ रही है। हिमाचल में एक हजार करोड़ के लगभग पीएमजीएसवाई के दूसरे चरण का प्रोजेक्ट लागू किया जाना प्रस्तावित है। सूत्रों के मुताबिक इस संदर्भ में तमाम औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी हैं, मगर चुनाव आचार संहिता 24 दिसंबर तक लागू होने की वजह से पूरा कार्य थम चुका है। यही नहीं औद्योगिक क्षेत्र में अब न तो सिंगल विंडो की बैठक हो सकती है और न ही उन सीमेंट कारखानों को अनुमति मिल सकती है, जिनके लिए 15 नामी कंपनियां लाइन में खड़ी हैं। यह कारखाने जिला शिमला व मंडी में लगाए जाने प्रस्तावित हैं। इनके लिए उद्योग विभाग ने सर्वेक्षण भी पूरे कर रखे हैं। यही नहीं अधिकारी व कर्मचारी भी मजबूरी के आलम में राजनीतिक चर्चाएं करने के लिए विवश दिख रहे हैं। शायद ही ऐसा कोई अदारा हो, जहां भावी सरकार पर चर्चा न होती दिख रही हो। कोई भाजपा का मिशन रिपीट करवा रहा है तो कोई कांग्रेस की बढ़त के दावे कर रहा है। इतनी लंबी समय अवधि की चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण आम व्यक्ति भी आहत दिख रहा है। दूरदराज के जिन इलाकों के लोगों को हिमाचल प्रदेश सचिवालय समेत अन्य सरकारी महकमों से कार्य निपटाने आवश्यक रहते हैं, वे भी अब मजबूर दिख रहे हैं। एक आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दो तीन रोज में जनहित से जुड़े कार्यों को भी निपटाने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि आम आदमी को दिक्कतें न आएं।