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रंग,
गुलाल, अबीर के साथ मनाई जाने वाली होली भारत का एक अनूठा पर्व है जिसका
आनंद लेने के लिए दूसरे देशों से भी लोग यहां आते हैं। विदेशों में उन तमाम
स्थानों पर होली मनाई जाती है जहां भारतीय बसे हैं। लेकिन ऐसे भी देश हैं
जहां होली तो नहीं मनाई जाती लेकिन होली से मिलते जुलते पर्व मनाए जाते
हैं। इन पर्वों की खास बात यह होती है कि इनका रंग किसी भी तरह होली के रंग
से फीका नहीं होता। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया आदि में
नव वर्ष पर खूब गुब्बारे छोड़े जाते हैं। हवा वाले गुब्बारे तो आसमान में
छोड़े जाते हैं लेकिन पानी वाले गुब्बारे भी तैयार किए जाते हैं। साथ ही
पानी की बौछार लोगों पर डाली जाती है। बहरहाल, सुरक्षा कारणों से इसके
प्रति लोगों का उत्साह थोड़ा कम हुआ है।
समाज
शास्त्री उर्मिला सक्सेना कहती हैं, ''पर्व भले ही अलग अलग देशों में अलग
अलग हों और उन्हें मनाने का तरीका भी अलग अलग हो, लेकिन सबका मूल मंत्र एक
ही होता है− शांति और सद्भाव। समाज को एक दूसरे से जोड़ने का यह अभिनव
तरीका सदियों से चला आ रहा है।'' थाईलैंड, म्यांमार, कम्बोडिया और लाओस− ये
एशिया के ऐसे देश हैं जहां जल उत्सव मनाया जाता है। इन देशों में इस पर्व
के नाम अलग अलग हैं। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश और उससे जुड़ी मान्यताओं
के अनुसार, यह पर्व तिथियों के अनुसार, इन देशों में नव वर्ष के आगमन पर
मनाया जाता है।
इस पर्व में भी पानी का ही खास महत्व
होता है। लोग एक दूसरे को इस तरह भिगोते हैं मानो होली खेल रहे हों। एशिया
में इस समय तक सर्दी का बिस्तर बंध चुका होता है और गर्मी की गर्माहट
बढ़ने लगती है इसलिए खिली धूप में पानी की बौछार लोगों को खूब अच्छी लगती
है। म्यांमार में यह पर्व मेकांग और थिंगयान कहलाता है। वहां भी यह होली की
तरह ही मनाया जाता है। वहां धारणा है कि इस पर्व में पानी की धारा के
साथ−साथ सभी बुराइयां धुल जाती हैं। युवा पीढ़ी इस परंपरा का जमकर आनंद
उठाती है।
कंबोडिया में यह जल पर्व चाउन चानम थेमी
और लाओस में पियामी कहलाता है। वहां इसे नयी फसल के लिए शुभ संकेत के तौर
पर मनाया जाता है। स्पेन में मनाया जाने वाले 'ला टोमाटीना' पर्व का धर्म
से कोई संबंध नहीं है और न ही इसका कोई प्राचीन इतिहास है। यह पर्व एकमात्र
ऐसा पर्व है जिसमें एक दूसरे पर खूब टमाटर फेंके जाते हैं। इस पर्व की
शुरुआत 1950 से हुई और इसका खूब विरोध भी हुआ। 1950 में सरकारी तौर पर शुरू
होने के बाद 1957 में इस पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया, लेकिन दो साल बाद
यह प्रतिबंध हटा दिया गया। स्पेन के बुनोल वलेनसिया में हर साल अगस्त माह
के आखिरी शनिवार को लोग लाल सुर्ख टमाटर ले कर एकत्र होते हैं। इसके लिए एक
नियम है। जब हार्न बजता है तब ही टमाटरों की बौछार शुरू होती है और दूसरी
बार हार्न बजते ही लोग रुक जाते हैं। देखते देखते टमाटर की बौछार होती है
और कुचले टमाटर का मलीदा एकत्र हो जाता है। इसमें टमाटर फेंकने से पहले इसे
खुद ही फोड़ना पड़ता है। टमाटर के अलावा कोई और चीज नहीं फेंकी जाती। ला
टोमाटीना हर साल एक लाख किलोग्राम से अधिक टमाटर अपने नाम कर जाता है।
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समाज
शास्त्री उर्मिला सक्सेना कहती हैं, ''पर्व भले ही अलग अलग देशों में अलग
अलग हों और उन्हें मनाने का तरीका भी अलग अलग हो, लेकिन सबका मूल मंत्र एक
ही होता है− शांति और सद्भाव। समाज को एक दूसरे से जोड़ने का यह अभिनव
तरीका सदियों से चला आ रहा है।'' थाईलैंड, म्यांमार, कम्बोडिया और लाओस− ये
एशिया के ऐसे देश हैं जहां जल उत्सव मनाया जाता है। इन देशों में इस पर्व
के नाम अलग अलग हैं। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश और उससे जुड़ी मान्यताओं
के अनुसार, यह पर्व तिथियों के अनुसार, इन देशों में नव वर्ष के आगमन पर
मनाया जाता है।