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Sunday, March 10, 2013

इधर मेजर साहब निकाले जा रहे थे, उधर चल गई गाड़ी


जालंधर. गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में रहने वाले रिटायर्ड मेजर ओंकार सिंह कत्याल की मौत को जीआरपी ने महज इत्तेफाक माना है। बॉक्स देखें - उनकी पत्नी का बयान इसी तरीके से दर्ज किया है। इसमें लिखा है कि शताब्दी एक्सप्रेस से उतरते हुए उनके पति को किसी ने धक्का नहीं मारा। न ही किसी के साथ लड़ाई हुई। मगर जीआरपी ने रेलवे की रूल बुक में झांकने की कोशिश की होती तो पता चलता कि मेजर कत्याल के गिरने के बाद रेलवे रनिंग स्टाफ ने बहुत लापरवाही बरती।

गार्ड ने तो बिना प्लेटफार्म क्लीयर कराए ही ट्रेन चलवा दी। उस समय मेजर कत्याल प्लेटफार्म और कोच के बीच औंधे मुंह फंसे हुए थे। यात्री उन्हें निकालने की कोशिश कर रहे थे। ट्रेन चलने से उनकी छाती और पीठ बुरी तरह दब गए। इसके बाद यात्रियों ने चेन खींचकर गाड़ी रोकी। गार्ड ने वॉकी-टॉकी से ट्रेन दोबारा थोड़ा पीछे करवाई। जाहिर है कि मेजर कत्याल का सीना दोबारा दबा होगा। ऐसा न होता तो शायद उन्हें बचाया भी जा सकता था।