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Wednesday, January 29, 2014

मनमोहन सिंह के कार्यक्रम में हंगामा, आवाज उठाने वाले को मुंह बंद कर ले गई पुलिस

नई दिल्‍ली. यहां विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण का विरोध हुआ है। वक्‍फ विकास निगम के इस कार्यक्रम में यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी भी मंच पर मौजूद थीं। प्रधानमंत्री ने अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए नई योजनाएं शुरू करने की बात की। इसका विरोध करते हुए डॉ. फहीम बेग नामक एक शख्‍स ने कहा कि जो योजनाएं हैं, उन्‍हें ही अमल में लाया जाए तो नई योजनाओं की जरूरत नहीं पड़ेगी। बेग ने आरोप लगाया कि अल्‍पसंख्‍यकों की अनदेखी हो रही है। इसी बीच सुरक्षाकर्मी वहां पहुंच गए और बेग का मुंह बंद कराते हुए उन्‍हें बाहर ले गए। इसके बाद वहां मौजूद अन्‍य लोगों ने इसे अभिव्‍यक्ति की आजादी पर हमला बता कर इसका विरोध किया।
डॉ. बेग ने कहा कि वह दिल्‍ली के यमुना पार इलाके से आए हैं। उनके इलाके में अल्‍पसंख्‍यकों के विकास का कोई काम नहीं हुआ है। इस बारे में कई बार प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने के बावजूद कुछ नहीं हुआ है।
फहीम की शिकायत सुनेंगे प्रधानमंत्री
बाद में मीडिया के सामने आए डॉ. बेग ने कहा कि उनके विरोध के बाद प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने उनकी समस्‍याओं को गंभीरता से लेने की बात कही है। उन्‍होंने यह भी बताया कि अल्‍संख्‍यक मामलों के मंत्री को प्रधानमंत्री ने उनकी शिकायत सुनने को कहा है।
शिक्षा पर ध्‍यान न देने का आरोप
 
फहीम ने कहा कि सरकार ने अल्‍संख्‍यकों के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, वे सही ढंग से लागू नहीं हो पा रही हैं। दिल्‍ली के यमुना पार इलाके में रहने वाले फहीम ने कहा कि यूपीए सरकार ने उनके क्षेत्र में शिक्षा पर भी ध्‍यान नहीं दिया है। उन्‍होंने कहा कि उनके क्षेत्र में पांच लाख की आबादी है, लेकिन शिक्षा के लिए मात्र एक स्‍कूल है। साथ ही यहां आईआईटी और पॉलिटेक्निक जैसे संस्‍थान भी नहीं हैं। 
 
'वजीर-ए-आजम की शान में कोई गुस्‍ताखी नहीं'
 
फहीम ने कहा कि उन्‍होंने अपनी बात लोकतांत्रिक तरीके से रखी और वजीर-ए-आजम की शान में कोई गुस्‍ताखी नहीं की। उन्‍होंने कहा कि सरकार के वादों और जमीनी हकीकत में काफी अंतर है। फहीम ने कहा कि उन्‍होंने 150 दिनों तक लगातार प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। साथ ही फहीम ने बताया कि उन्‍होंने पीएम कार्यालय में फोन और फैक्‍स भी किया, लेकिन उन्‍हें निराशा ही हाथ लगी।