करतारपुर कॉरिडोर का नाम हो खालिस्तान स्टेशन पाक मंत्री ने कहा , पाक की नीयत साफ नहीं है , अटक सकती है परियोजना ,बीते गुरुवार को गलियारे को बनाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच अटारी सीमा पर भारत के क्षेत्र में बैठक हुई। भारत ने बैठक के दौरान रोजाना 5000 तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने देने की मांग की थी। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से आए एक बयान में कहा गया कि पाक अब प्रस्तावित गलियारा सुविधा पर कई बंदिशें लगाने का प्रयास कर रहा है, जिनमें तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित कर रोजाना 500 करना, यात्रियों को पैदल यात्रा नहीं करने देना, विशेष परमिट जारी करना आदि शामिल हैं। बैठक में हिस्सा लेने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी। झूठे वादे और ऊंचे दावे करने, जबकि जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करने की अपनी पुरानी छवि पर पड़ोसी मुल्क खरा उतरा है। करतारपुर साहिब गलियारे पर उसका दोहरा कमेटी मापदंड गुरुवार को पहली बैठक में ही बेनकाब हो गया। अधिकारी ने कहा कि जिस जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, वह महाराजा रणजीत सिंह और अन्य श्रद्धालुओं ने करतारपुर साहिब को दान में दी थी। भारत में सिख श्रद्धालुओं की भावनाओं की कद्र करते हुए इस जमीन को तुरंत प्रभाव से गुरुद्वारे को लौटाए जाने की मांग की गई है।
इन मांगों से मुकरा पाक
- भारत ने करतारपुर कॉरिडोर पर हुई पहली बैठक में पाक को प्रस्ताव दिया था कि एक दिन में 5000 श्रद्धालुओं को दर्शन की इजाजत दी जाए। साथ ही गुरुपर्व और बैसाखी जैसे कुछ खास मौकों पर 15000 लोगों को बिना वीजा दर्शन का मौका दें। हालांकि, पाक ने इस मांग को ठुकरा दिया।
- इसके अलावा भारत ने मांग की थी कि देश और विदेश से हर दिन हजारों लोग करतारपुर पहुंचेंगे। ऐसे में सभी भारतीय और भारतीय मूल (ओसीआई कार्डधारक) के लोगों की एंट्री भी मान्य की जाए। इस पर भी पाक ने सहमति नहीं जताई।
- भारत ने पाकिस्तान से कहा था कि एक परिवार या फिर समूह में जाने वाले चाहे जितने हों उन्हें करतारपुर के दर्शन के लिए पाकिस्तान जाने की इजाजत दें। हालांकि, पाक ने इस मांग को यह कहकर टाल दिया कि 15 श्रद्धालुओं का समूह ही एक बार मे भारत से दर्शन करने जा सकता है।