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Tuesday, August 3, 2010

संसद में महंगाई पर चर्चा पीछे, अवैध खनन और कश्‍मीर मसले पर हंगामा

नई दिल्ली. लोकसभा में मंगलवार को भी अभी तक महंगाई पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी है। सामाजिक विकास के लिए आवंटित पैसा राष्‍ट्रमंडल खेलों के नाम पर खर्च करने और अवैध खनन का मुद्दा उठा कर विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर के भीतर ही थोड़े समय के लिए प्रश्‍नकाल स्‍थगित करना पड़ा। दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद भी यही स्थिति बनी रही।


राज्‍यसभा में भी राष्‍ट्रमंडल खेलों में कथित भ्रष्‍टाचार का मामला गूंजा। इस मुद्दे पर हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई।


नियम 342 का पता ही नहीं


महंगाई पर सदन में चर्चा को लेकर एक सप्‍ताह के गतिरोध के बाद सोमवार को सत्‍ता पक्ष और विपक्ष के बीच नियम 342 के तहत चर्चा कराने पर सहमति बनी थी। पर हैरानी की बात है कि ज्‍यादातर सांसदों को इस नियम के बारे में जानकारी ही नहीं है। मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा सहित तमाम पार्टियों के सांसद लोकसभा की लाइब्रेरी में नियम 342 की जानकारी लेते दिखाई दिए। संसद के कई सदस्यों को याद नहीं है कि इसके पहले इस नियम के तहत कब चर्चा हुई थी। मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज ने प्रस्‍ताव पढ़ने के बाद अपनी बात रखते हुए चर्चा की शुरुआत की।

26 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होते ही बीजेपी और तीसरे मोर्चे ने महंगाई पर चर्चा कराने की मांग की। सत्ता पक्ष को इसमें आपत्ति नहीं थी, मुद्दा केवल नियम का था। विपक्ष चाहता था कि चर्चा के बाद मत विभाजन हो, लेकिन सत्ता पक्ष इसके लिए तैयार नहीं था। और इसी विवाद में करीब एक सप्ताह तक सदन में कोई कामकाज नहीं हुआ।

सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी ने बीजेपी और तीसरे मोर्चे के नेताओं की बैठक बुलाई, जिसमें नियम 342 में चर्चा कराने पर सहमति बनी।

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के अनुसार 2002 में विपक्ष के नेता मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में इसी तरह के दूसरे नियम 170 के तहत गुजरात दंगों पर चर्चा की मांग की थी। उन्होंने बताया कि 13वीं लोकसभा के गठन के बाद से इस नियम के तहत कभी कोई चर्चा नहीं हुई।

क्या है नियम 342 ?

इस नियम के तहत किसी भी नीति, परिस्थिति या फिर बयान पर संसद में चर्चा के बाद मतदान नहीं होगा। सदन, सदस्य द्वारा प्रस्ताव रखने और अपना भाषण पूरा करने के तत्काल बाद इस पर चर्चा शुरू कर देगा। बहस पूरी तरह इसी मुद्दे पर केंद्रित होगी। बहस के अंत तक इस मुद्दे से अलग कोई दूसरा प्रश्न या विषय नहीं उठाया जा सकेगा। कोई सदस्य नियम-प्रक्रिया का पूरी तरह अनुपालन करते हुए भी यदि कोई दूसरा विषय उठाता है तो इसके लिए स्पीकर और सदन दोनों की सहमति जरूरी होगी।