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Tuesday, November 30, 2010

ये जो है दिल्ली : वाह सोनिया मैडम, बदल गया अंदाज



बिहार चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जिस अंदाज में नजर आईं वैसा कम ही होता है। वे अचानक 24 अकबर रोड पहुंची। लेकिन ज्यादा अचरज इस बात पर था कि उनके साथ न तो मीडिया प्रकोष्ठ के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी थे और न ही उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल। इतना ही नहीं, वे जब मीडिया से बात कर रही थीं तो पार्टी मुख्यालय में पहले से मौजूद मीडिया विभाग के सचिव टॉम वाडक्कन भी दूर-दूर ही घूमते रहे। फिलहाल बिना किसी पार्टी नेता की मदद के कांग्रेस अध्यक्ष ने मीडिया से खुलकर बात की और वह भी दस मिनट से ज्यादा। नेताओं को कैसा भी लगा हो मीडिया वालों के लिए इससे बढ़िया और क्या हो सकता था।



प्रकट हुए प्रभारी जी



बिहार में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तकरार, उससे पैदा हुई गठबंधन में दरार और बाद में चुनाव प्रचार में भाजपा के तमाम बड़े-छोटे नेताओं ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई। अगर नजर नहीं आए तो वह थे बिहार मामलों के प्रभारी अनंत कुमार। लेकिन संकट में नहीं दिखे तो क्या, चुनाव नतीजों के दिन प्रभारी महोदय सुबह-सुबह प्रकट हो गए। अनंत कुमार ने न सिर्फ पार्टी के दिग्गजों के साथ जमकर जीत का जश्न मनाया बल्कि अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए। आखिर, आते कैसे नहीं। ऐसी ऐतिहासिक जीत का श्रेय लेने का मौका बार-बार कहां मिलता है।



फरमाइशी गीत



पिछले दिनों केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के निकाय एनबीसीसी ने अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी भी उपस्थित थे। वह काफी देर वहां रहे, जिससे एनबीसीसी के सीएमडी वीपी दास खासे संतुष्ट थे। लेकिन उनकी खुशी उस समय दोगुनी हो गई जब रेड्डी ने रंगारग कार्यक्रम देने अपने समूह के साथ आई श्रेया घोषाल को एक क्लासिक गीत का मुखड़ा बताकर इसे गाने का अनुरोध किया। इसके बाद घोषाल ने ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ गाया। वहां मौजूद सभी लोग उस समय दंग रह गए जब उन्होंने रेड्डी को एक बेहतरीन श्रोता के तौर पर इस गाने के दौरान अपने हाथों की उंगलियों को कुर्सी के किनारों पर थरकाते देखा। सबसे अधिक खुश दास थे। और हो भी क्यों न, ऐसा समय कम ही आता है जब मंत्री श्रोता रूप में नजर आएं।



वाइको की सक्रियता



तमिलनाडु की सियासत में एम गोपालसामी उर्फ वाइको ने अपनी पार्टी एमडीएमके बनाई लेकिन द्रविड़ राजनीति का एक सिरा पकड़कर दो बार द्रमुक के समर्थन के साथ वे राज्यसभा तक पहुंचे। श्रीलंका के तमिलों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए सतत प्रयत्नशील रहे वाइको और द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि के बीच खास रिश्ता है। अमेरिका में तमिल लोगों को एशियन-ब्लैक का तमगा दिलाने की कोशिशों में जुटे वाइको ने अमेरिका में ब्लैक समुदाय के राष्ट्रपति बराक ओबामा पर किताब लिखनी शुरू की। किताब छप कर आ चुकी है।



‘यस वी कैन’ नाम की किताब में वाइको ने ओबामा के कसीदे पढ़े हैं और श्रीलंका के तमिलों की गाथा बुनी है। किताब का विमोचन केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला और प्रकाश सिंह बादल के हाथों 30 नवंबर को होना है। लंबे समय के बाद वाइको किताब विमोचन के बहाने बड़े सियासी जलसे का आयोजन कर राजनीतिक पुनर्वास की कोशिशें करते नजर आएंगे।



बेचारे मुख्य अतिथि



पिछले दिनों की बात है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के छत्तीसगढ़ पवेलियन में आयोजित एक कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव सरजियस मिंज के हाथों होना था। मिंज साहब तय समय पर दिल्ली पहुंच गए। शाम को प्रगति मैदान जाने-आने के सारे इंतजाम हो गए। कार्यक्रम स्थल पर अधिकारीगण मुख्य अतिथि का सत्कार करने दरवाजे पर खड़े हो गए। इतने में मुख्य सचिव पी जॉय उमेन और राज्य के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू मेला घूमते हुए छग पवेलियन पहुंच गए।



अचानक आ धमके वीवीआईपी को देख आला-अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। मंत्री और मुख्य सचिव की उपस्थिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव से कार्यक्रम का उद्घाटन कैसे कराया जाए! मिंज साहब को क्या बताया जाए! इन्हीं सब ऊहापोह में आखिरकार मंत्री साहूजी ने दीया-बत्ती जलाकर औपचारिकता का जामा पहनाया। सांसद चंदूलाल साहू और नंद कुमार साय भी मौके पर पहुंच गए। फिर खूब जमा छत्तीसगढ़िया रंग।



भाई जी



सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार कम बोलते हैं, मीठा बोलते हैं और जरूरत न हो तो नहीं बोलते हैं। ये बातें सभी को मालूम है। लेकिन उनके शिष्टाचार का एक पहलू हाल ही में सामने आया, जिसके बाद उनके साथ मौजूद वरिष्ठ अधिकारी उनके कायल होने से बच नहीं पाए। असल में, अपने पास आए मेहमानों को चाय पिलाने के लिए उन्होंने अपने चपरासी को बुलाया।



यह आम बात है कि कोई अधिकारी इस काम के लिए अपने चपरासी को बुलाता है। लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने चपरासी को ‘भाई जी’ कहकर संबोधित किया वह अपने आप में मेहमानों को सुखद लगा। जब बाहर आकर उन्होंने चपरासी से इसको लेकर चर्चा की तो उसका कहना था कि साहब हर किसी को इसी तरह आदर देते हैं। पीठ पीछे किसी अधिकारी के लिए उसके मातहतों के बीच ऐसा सम्मान कम ही देखने को मिलता है।