Pages

Sunday, November 28, 2010

राजस्थान में है विधवाओं का गांव !



करौली. राजस्थान में दस्यु प्रभावित करौली जिले के अमरापुरा गांव की दास्तां अजीब है। करौली पत्थर के लिए देश विदेश में विख्यात इस गांव का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति है छोटेलाल, जिसकी उम्र महज 60 साल है।

करौली जिले के इस गांव को विधवा गांव के रूप में भी पहचाना जाता है । पेट की आग बुझाने के लिए स्वास्थ्य प्रबंध की अनदेखी और खनन व्यवसायियों के कथित भय के कारण पत्थर की खानों में मजदूरी करने वाले इस गांव के लोगों की जिंदगी बहुत छोटी होकर रह गई है। खनन स्वामियों द्वारा श्रमिकों को कार्यस्थल पर स्वास्थ्य एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाने के कारण अधिकतर खनिक क्षय रोग से पीडित है।

जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सुरेश चंद दिनकर के अनुसार क्षय रोग से पीडित लोगों के उपचार के समुचित प्रबंध करने और बेवाओं को पेंशन मंजूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये गये है। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को मास्क और स्वास्थ्य किट मुहैया कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।

खनन व्यवसायियों की दहशत इस हद तक है कि श्रमिक कोई शिकायत करते हैं तो अपना नाम बताने को तैयार नहीं होते। श्रमिकों का मानना है कि खनन में उड़ती धूल और कार्य स्थल पर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के कारण क्षय रोग श्रमिकों को लीलता जा रहा है। करीब एक सौ घरों की बस्ती वाले अमरापुरा गांव के अधिकतर पुरुष खानों में मजदूरी करते है और महिलायें अपने घरों में खजूर के टापरों की झाडू बनाती हैं। हालत यह है कि दिन के समय पूरे गांव में बीमारों व असहायों के अलावा कोई पुरुष दिखाई नहीं देता।