नई दिल्ली. पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम इलाके में कल देर रात आए भीषण भूकंप ने भारत समेत एशिया के कई देशों को हिलाकर रख दिया है। भूकंप आज भी ऐसा प्रलय माना जाता है जिसे रोकने या काफी समय पहले सूचना देने की कोई प्रणाली वैज्ञानिकों के पास नहीं है। प्रकृति के इस तांडव के आगे सभी बेबश हो जाते हैं। सामने होता है तो बस तबाही का ऐसा मंजर जिससे उबरना आसान नहीं होता है।
क्वेटा का इतिहास भी वर्ष 1935 में एक ऐसा भूकंप देख चुका है जिसने क्वेटा को लगभग पूरी तरह से तबाह कर दिया था। वर्ष 1935 में आए भूकंप में 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील पाकिस्तान और भारत के उत्तरी हिस्सों में इस चुनौती से निपटने की तैयारियों को लेकर हमेशा चिंता व्यक्त की जाती रही है।कई विश्लेषकों और संगठनों का मानना है कि सरकारों का रुख आपदाओं से निपटने के प्रति बेहद गंभीरता लिए हुए नहीं रहा है।
आइए डालते हैं देश और दुनिया में आए कुछ भीषण भूकंप पर एक नजर...
12 जनवरी 2010: कैरेबियाई देश हैती में आए शक्तिशाली भूकंप में एक लाख से अधिक लोगों की मौत। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.3 आंकी गई थी।
अक्टूबर 2009: इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में आए भूकंप में 500 से अधिक लोग मारे गए।
02 फरवरी 2008 : चीन के सिचुआन प्रांत में आए भूकंप से हुई भारी तबाही में करीब 15 हजार लोग मारे गए और हजारों जख्मी हुए।
27 मई, 2006 : इंडोनेशिया के जकार्ता में आए भूकंप में छह हजार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए।
08 अक्तूबर, 2005 : पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता वाला भीषण भूकंप आया जिसमें करीब 75 हजार लोग मारे गए। करीब 35 लाख लोग बेघर हुए। इस भूकंप के झटके भारत में भी महसूस किए गए।
26 जनवरी 2001: भारत के गुजरात में रिक्टर पैमाने पर 7.9 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया। इसमें कम से कम 30 हजार लोग मारे गए और करीब 10 लाख लोग बेघर हो गए। भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।
29 मार्च 1999: भारत के उत्तरकाशी और चमोली में दो भूकंप आए और इनमें 100 से अधिक लोग मारे गए।
30 सितंबर 1993: भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंपों में क़रीब दस हजार लोगों की मृत्यु हो गई।