नई दिल्ली. विदेशी बैंकों में जमा काले धन का मुद्दा फिर गरमा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सरकार से पूछा है कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक करने को लेकर इतनी अनिच्छुक क्यों है? सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने कोर्ट को बताया कि जर्मन बैंकों में अकाउंट रखने वाले भारतीयों की लिस्ट मिल गई है, लेकिन सरकार इसका खुलासा नहीं करना चाहती है। इस पर जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस. एस. निज्जर की बेंच ने पूछा कि इसे सार्वजनिक करने में क्या परेशानी है।
कोर्ट ने सुब्रमण्यम से पूछा कि किस विशेषाधिकार के तहत आप इस सूचना को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अकाउंट होल्डरों के नामों के बारे में वह सरकार से निर्देश लेने के बाद जवाब देंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट मशहूर क्रिमिनल लॉयर राम जेठमलानी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने कुछ रिटायर हो चुके नौकरशाहों और पुलिस अफसरों के साथ मिलकर विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने का सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
कोर्ट ने कहा कि वह पुणे के बिजनेसमैन हसन अली खान सहित उन लोगों को इस याचिका में पक्षकार बनाना चाहती है, जिनसे ईडी विदेशों में ब्लैक मनी जमा करने के बारे पूछताछ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'अगर हमारे पास खाताधारकों के नाम हैं तो उन्हें क्यों न केस में शामिल किया जाए? नामों को सबके सामने आने दीजिए।'इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'कर चोरी के मामले में सरकार अपनी स्थिति को लेकर वचनवद्ध है और उसे किसी खास शख्स के खिलाफ स्टेटस रिपोर्ट देने में कोई समस्या नहीं है।' बेंच ने कहा कि यह सिर्फ टैक्स बचाने का मामला नहीं है बल्कि यह गंभीर विषय है, जिसका दायरा बहुत बड़ा है।