नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत के अनुसार आज देश और समाज को ऐसे लोकनायकों की जरूरत है, जो सत्ता केंद्रित नहीं बल्कि समाज केंद्रित सोच के साथ समाज और राष्ट्र को एक नई दिशा दे सकें।
वे सोमवार को शिक्षक सहकारी बैंक सभागृह में श्रीमंत राजे रघुजी महाराज भोंसले (प्रथम) बहुउद्देशीय स्मृति प्रतिष्ठान द्वारा सामाजिक, सांस्कृतिक, कला और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए दिए जाने वाले विदर्भ गौरव पुरस्कार वितरण समारोह में अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे।
सरसंघचालक ने कहा कि पश्चिमी देशों की अपेक्षा भारत की साक्षरता दर भले ही कम हो, पर समझदारी के मामले में हम उनसे काफी आगे हैं और इतिहास इसका गवाह है। उन्होंेने कहा कि 1857 की क्रांति के बाद बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊर्जाशील समाज को पीछे धकेलने के लिए अंग्रेजों ने लाखों की संख्या में यहां के लोगों को जबरदस्ती कैरेबियन देशों में भेजा पर भारतवंशियों ने वहां भी अपने देश के धर्म ,संस्कृति और संस्कारों की अलख जगाए रखी।
देवनाथ पीठ, अमरावती के पीठाधिपति जितेन्द्र महाराज ने इस अवसर पर कहा कि जाति के खांचे में बंटा समाज विघटित होने लगता है, इसलिए एक मजबूत देश और समाज के निर्माण के लिए जाति से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है।
इसके पूर्व सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत, जितेन्द्र महाराज, राजे रघुजी भोंसले और राजे मुधोजी भोंसले के हाथों पत्रकारिता, साहित्य, कला, संस्कृति, इतिहास और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विदर्भ की चुनिंदा प्रतिभाओं का विदर्भ गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
विदर्भ गौरव पुरस्कार से पुरस्कृत होने वाली प्रमुख हस्तियों में वरिष्ठ इतिहासकार एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अरबी फारसी शिलालेख शाखा के प्रमुख डॉ.जी.एस.ख्वाजा, पत्रकारिता के क्षेत्र में वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी, संगीत और कला के क्षेत्र में किशन शर्मा, सामाजिक कार्यों के लिए सिंधुताई सपकाल, फोटोग्राफी के लिए शेखर सोनी, क्रीड़ा क्षेत्र में सुखदेव धुर्वे, तुषार सूर्यवंशी, चेतन राऊत और सारिका हिरुडकर का नाम शामिल है।
मंच संचालन डॉ.विनोद जायसवाल और आभार प्रदर्शन किशनचंद लुल्ला ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में त्रिशरण सहारे, डॉ.सागर खादीवाला, भगवान लोणारे और श्रीपाद चितले का विशेष योगदान रहा