चंडीगढ़ । एक ताकतवर राजनीतिक घराने की बहू और बेटी, उपमुख्यमंत्री की पत्नी, एक विधायक की बहन और खुद सांसद। इनके सामाजिक संस्था के कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा आते हैं और इन्हें मोटिवेट करते हैं। इस छोटे से इंट्रोडक्शन से ही इनके ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मगर इनके काम करने का अंदाज बिलकुल अलग है। चेहरे की शालीनता और बात करने का अंदाज किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने में काफी है। गरीबों और खास तौर पर गरीब, कमजोर महिलाओं के विकास के लिए इनके विजन काबिले तारीफ हैं।
राजनीति में ज्यादा दिन नहीं होने के बाद भी संसद में उठाए गए इनके मुद्दे सबको आकर्षित करते हैं क्योंकि वो होते ही इतने संवेदनशील हैं। संसद के अपने पहले भाषण में ही जब इन्होंने 1984 के सिख दंगे जैसे गंभीर मुद्दे को उठाया तो बस लोग इन्हें सुनते ही रह गएं।
अब आप समझ गए होंगे की हम किसकी बात कर रहे हैं।जिन्होंने लड़किओं के लिए एक अलग मुकाम बनाया है नन्ही छा प्रोग्राम चला कर पंजाब में भरून हत्या को समाप्त करने के कगार पैर ला दिया है जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की बहू और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी सांसद हरसिमरत कौर बादल के बारे में।
हरसिमरत कौर का जन्म दिल्ली में हुआ था। 25 जुलाई 1966 को जन्मीं हरसिमरत के भाई बिक्रम सिंह मजीठा भी अकाली दल के विधायक हैं। इनका परिवार पंजाब में मजीठिया परिवार के नाम से जाना जाता है, जो कि वहां की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान रखता है।
2009 में राजनीति में प्रवेश करने वालीं हरसिमरत की शादी नवंबर 1991 में सुखबीर सिंह बादल से हुई और उनके नाम के साथ जुड़ गया बादल। पंजाब के दो ताकतवर राजनीतिक घराने बादल और मजीठिया, आपस में रिश्तेदार हो गए हैं।
47 साल की हरसिमरत कौर बादल टेक्सटाइल विषय से ग्रेजुएट हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की यह बहू आज दो बेटियों और एक बेटे की मां है।
हरसिमरत के बेटे को फुटबाल से बहुत लगाव है। वह कहती हैं कि जब मुझे अपने बेटे से बात करनी होती है तो मुझे यह पता होना चाहिए कि मैचेस्टर यूनाइटेड इस समय किस स्थिति में है।साथ ही कौन सी टीम का परफॉर्मेंस इस समय कैसा हैं।
वैसे खेलों के प्रोत्साहन के लिए हरसिमरत के पति भी हमेशा आगे रहते हैं। 2011 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का आयोजन करके सुखबीर ने कबड्डी को नया जीवन दिया। जो आज देश के सबसे बड़े आयोजन में से एक है।
हरसिमरत कहती हैं कि कहती हैं कि इसमें आई 20 टीमों में से 8 टीम महिलाओं की थीं, लेकिन पुरुषों के लिए जहां इनाम की रकम 2 करोड़ रु. थी वहीं महिलाओं के लिए 50,000 रुपए रखा गया। इस भेदभाव पर सुखबीर से उन्होंने बहस भी की।
इनके हस्तक्षेप के बाद इसमें महिलाओं की टीम को भी विशेष स्थान मिलने लगा। आज इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान, श्रीलंका जैसी मजबूत टीमे शामिल होती हैं।
हरसिमरत बेटियों को बचाने का अभियान भी चला रही हैं। उनके इस अभियान का नाम 'नन्हीं' चाह है। वह बेटियों के पढ़ाई-लिखाई और उन्हें बेहतर माहौल मिले इसके लिए भी काफी काम करती रहती हैं। इसके साथ ही वह लोकसभा की कई कमेटियों की सदस्य भी हैं। इनके इस अभियान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी इनकी तारीफ कर चुके हैं।
उनकी सहेलियों में देश के ताकतवर घरानों की बहूएं और बेटियां शामिल हैं। प्रिया दत्त, कनिमोझी, डिंपल यादव, सुप्रिया सुले और अगाथा संगामा जैसी ताकतवर घराने और खुद राजनीति में एक मजबूत
ओहदा रखने वाली ये महिलाएं उनके खास दोस्तों मे शामिल हैं।
मशअलाह हरसिमरत कौर बादल ने बदल परिवार के साथ साथ पंजाबिओं का सर भी फखर से उच्चा कर दिया है
वाहेगुरु इस काबिल औरत को लम्बी उम्र दे !