Sunday, July 6, 2014

पंजाब एवं हरियाणा चंडीगढ के उच्च न्यायालय के केन्द्रीय भर्ती एजेंसी क्लर्क के पद पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे है। इच्छुक व योग्य उम्मीदवार आवेदन कर सकते है।
पद का नाम : क्लर्क, जूनियर स्केल आशुलिपिक, स्टेनो टाइपिस्ट, चालक।
पदों की संख्या : कुल 119 पद।
वेतनमान : क्रम संख्या 2, 4 का वेतन-पीबी, रूपए, 5200-20200/- + ग्रेड रूपए, 2400/- सहित। क्रम संख्या 1, 3 का वेतन पीबी, रूपए, 5200-20200/- + ग्रेड पे. रूपए, 1900/- सहित।
शैक्षिक योग्यता... क्लर्क: बैचलर डिग्री या 10 वीं कक्षा में विषय के रूप में कंप्यूटर अनुप्रयोग और हिंदी या संस्कृत में डिग्री/डिप्लोमा होना चाहिए।
जूनियर स्केल स्टेनोग्राफर... बैचलर डिग्री या स्टेनो टाइपिस्ट के रूप में कंप्यूटर अनुप्रयोग और 1 वर्ष के अनुभव में समकक्ष योग्यता और डिग्री/डिप्लोमा होना आवश्यक है। स्टेनो टाइपिस्ट... बैचलर डिग्री या कंप्यूटर अनुप्रयोग में समकक्ष योग्यता और डिग्री/डिप्लोमा होना चाहिए।
चालक... हल्के मोटर वाहन और मध्यम यात्री मोटर वाहन और हल्के मोटर वाहन/मध्यम यात्री मोटर वाहन के लिए ड्राइविंग के 2 साल के अनुभव के लिए वैध ड्राइविंग लाइसेंस के साथ पारित कर 10 वीं होना चाहिए।
आयु सीमा... उम्मीदवार की आयु 26 जून 2014 की स्थिति के अनुसार सभी पदों के लिए 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आरक्षण वाले उम्मीदवारों को आयुसीमा में छुट देय हैं। अधिक जानकारी के लिए निचे दी गई वेबसाइट को देखे।www.recruitmenthighcourtchd.com

साईं बाबा पर विवाद पैंदा करना भी हिन्दू वोट बैंक को बाटने का इक छाड्यांतर हैं !

श्री  शंकराचार्य जी के साईं बाबा जी पर दिए गए विवादित ब्यान पऱ  होहल्ला जितना ज्यादा होगा  उतना है बीजेपी क़ो नूकसान ज्यादा होगा !
आज तक कांग्रेस हिन्दू वोट बैंक को काट कर सत्ता का सुख लेती  रही है ! अबकी बार पहली  बार  बीजेपी ने कांग्रेस का फार्मूला अडॉप्ट कर कांग्रेस वोट बैंक   को आम आदमी पार्टी  की मदद से विभाजीत किया है !
जयादातर उच्च अहुदो पर बिराजमान हिन्दु संत कही ना  कहीं  कांग्रेस के हिमायती ही रहे है !
साईं बाबा पर विवाद पैंदा करना भी हिन्दू वोट बैंक को बाटने का इक छाड्यांतर हैं !साईं  चाहे किसी भी मजहब के हों सवाल ये  होता हैं की आज जरुरत कया पडी थी ऐसा ववाद खारह करणे क़ी ,सिर्फ वोट बैंक के कारन ? ,क्यों  के साईं भगतो का इक बडा वोट बैंक है !अगर वो अलग हो गया तो बीजेपी का काफी नुक्सान हों  सकता है !
किसी को भी किसी की आस्था के साथ खिलवाड़ करने की हमारा सविंधान इजाजत नहीं   देता है  !  वोट  बैंक की खातिर आज साईं को  विवादित बना दिया, कल किसी और को विवादित कर दोगे ! मौजूदा समय में कितने लोग है जो खुद को अवतार या भगवन कहलाते है ! उनको कभी रोका है किसी ने !

साईं  चाहे किसी भी मजहब के हों उनको मानने वाले हिंदू धर्म के अनुयायी  है !  साईं भक्तो ने साईं के  मंदिर बनये हैं ना की मसजिद !  किसी भी साईं मंदिर में नमाज़  अदा नही की  जातीं !साईं को मानने वाले हिन्दू हैं !हिन्दू विदी द्वारा पुजा  क़ी  जाती  हैं ! ये सारा ड्रामा हिन्दू वोट बंक को बॉटने की सजिश हैं !इसलिए मेरी सभी देश वासिओ , साईं भक्तो ,हिदुओ से विनती  है के पोलिटिकल संतौ को पहचानो और किसी  राजनैतिक  छाड्यांतर में  ना आ कर हिन्दू  की गरीमा को पहचानो !आज जरुरत है हिन्दू वोट बैंक को इकठा रखने की !

Wednesday, July 2, 2014

झूठे केस में पुरुषों को फंसा रही हैं महिलाएं, अदालतें भी चिंतित

झूठे केस में पुरुषों को फंसा रही हैं महिलाएं, अदालतें भी चिंतित

 
झूठे केस में पुरुषों को फंसा रही हैं महिलाएं, अदालतें भी चिंतित
नई दिल्ली     सबसे घिनौना अपराध होता है दुष्कर्म का और उतना ही घिनौना होता है इस तरह के अपराध का आरोप। इस तरह के अपराध का आरोप लगने पर व्यक्ति की सारी मान प्रतिष्ठा तो नष्ट होती ही है, साथ में उसकी जिंदगी नारकीय भी हो जाती है। करावल नगर का इब्राहिम खान पर दुष्कर्म का आरोप लगा था और यह आरोप भी और किसी ने नहीं, बल्कि उसकी सगी बेटी ने उस पर लगाया था। संगीन आरोप थे कि इब्राहिम ने बेटी से दुष्कर्म किया, जिससे वह गर्भवती हो गई। इस आरोप के कारण इब्राहिम का सामाजिक बहिष्कार हुआ। वह जेल गया। वहां पर भी कैदियों ने उसे पीटा। सात साल जेल में रहने के बाद साबित हुआ कि उसकी बेटी ने उस पर झूठा मुकदमा महज इसलिए दर्ज कराया था कि वह उसके द्वारा किए जा रहे देह व्यापार में बाधक था। बेटी को जो बच्चा पैदा हुआ था, वह भी उसका नहीं था। अदालत ने इब्राहिम को बेगुनाह साबित कर छोड़ तो दिया, मगर तब तक उसकी पूरी दुनिया तबाह हो चुकी थी। इस तरह के मामलों में इब्राहिम अकेला नहीं, बल्कि राजधानी में दर्जनों इब्राहिम ऐसे हैं, जो दुष्कर्म व छेड़छाड़ के झूठे मुकदमों का खामियाजा भुगत चुके हैं।
पिछले एक साल में राजधानी में झूठे मुकदमों का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। इस संबंध में दिल्ली की कई जिला अदालतें व दिल्ली हाईकोर्ट भी अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। राजधानी की जिला अदालतों में लंबित दुष्कर्म व छेड़छाड़ के मामलों पर नजर डाली जाए तो पता लगता है कि पिछले कुछ समय में महिलाओं द्वारा कानून को अपने लाभ के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। मसलन अगर प्रेमी शादी से इन्कार कर दे तो उस पर दुष्कर्म का मुकदमा और पड़ोसी से झगड़ा हो तो उस पर छेड़छाड़ का आरोप। जब विवाद शांत हो जाता है तो महिलाएं अदालतों में अपने बयानों से ही पलट जाती हैं। झूठे आपराधिक मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए कानून भी है, मगर पिछले एक साल के दौरान ऐसी किसी भी महिला या युवती के खिलाफ अदालत या पुलिस की ओर से कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है, जिसने झूठा मुकदमा दर्ज कराने का अपराध किया हो।
दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले छह माह के दौरान दुष्कर्म के 13 मामलों में दर्ज एफआइआर रद करने के लिए याचिका दायर की गई। जिनमें बताया गया कि शिकायतकर्ता ने आरोपी के द्वारा शादी से इन्कार के बाद मुकदमा दर्ज कराया था और अब उनकी शादी हो चुकी है। इसलिए मुकदमा खारिज किया जाए।
झूठा मुकदमा दर्ज कराने के संबंध में यह है कानून
अगर कोई भी महिला या व्यक्ति किसी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराता है तो उसके खिलाफ पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 193 व 197 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाता है। यह मुकदमा पुलिस खुद से या अदालत के आदेश पर भी दर्ज कर सकती है। इस अपराध में सात साल कैद व जुर्माना की सजा का प्रावधान है। -अधिवक्ता मनीष भदौरिया, दिल्ली।
असफल प्रेम में अधिक केस दर्ज
आज के समय में दुष्कर्म के अपराध को लेकर बनाए गए कानून का सबसे अधिक दुरुपयोग युवतियों द्वारा किया जा रहा है। विशेष तौर पर लिव-इन में रहने वाली युवतियों या प्रेम-प्रसंग में असफल होने वाली युवतियों को जब उनका प्रेमी या साथी विवाह से इन्कार कर देता है तो वे अपने प्रेमी के खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज करा देती है। दिल्ली में ऐसे मामले बहुतायत मात्रा में दर्ज हो रहे हैं।
-अधिवक्ता राजीव जय, चेयरमैन, कोआर्डिनेशन काउंसिल ऑफ ऑल बार एसोसिएशन।
पुलिस जानबूझ कर नहीं करती मामला दजर्
झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों पर मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार पुलिस के पास है। मगर, पुलिस जानबूझ कर इस अपराध के संबंध में मुकदमा दर्ज नहीं करती। पुलिसिया कार्रवाई और एक नए मुकदमे की जांच व उसे उसके अंजाम तक पहुंचाने की दौड़-धूप से बचने के लिए पुलिस ऐसे मामलों में आरोपियों को अभयदान दे देती है, जोकि कानूनन गलत है। पिछले एक साल में पुलिस ने एक भी महिला के खिलाफ ऐसा मुकदमा दर्ज नहीं किया है, जिसने दुष्कर्म या छेड़छाड़ का झूठा केस दर्ज कराया हो।
-अधिवक्ता केडी भारद्वाज, पूर्व मुख्य लोक अभियोजक दिल्ली ।

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