झूठे केस में पुरुषों को फंसा रही हैं महिलाएं, अदालतें भी चिंतित
नई दिल्ली सबसे घिनौना अपराध होता है दुष्कर्म का और उतना ही घिनौना होता है इस तरह के अपराध का आरोप। इस तरह के अपराध का आरोप लगने पर व्यक्ति की सारी मान प्रतिष्ठा तो नष्ट होती ही है, साथ में उसकी जिंदगी नारकीय भी हो जाती है। करावल नगर का इब्राहिम खान पर दुष्कर्म का आरोप लगा था और यह आरोप भी और किसी ने नहीं, बल्कि उसकी सगी बेटी ने उस पर लगाया था। संगीन आरोप थे कि इब्राहिम ने बेटी से दुष्कर्म किया, जिससे वह गर्भवती हो गई। इस आरोप के कारण इब्राहिम का सामाजिक बहिष्कार हुआ। वह जेल गया। वहां पर भी कैदियों ने उसे पीटा। सात साल जेल में रहने के बाद साबित हुआ कि उसकी बेटी ने उस पर झूठा मुकदमा महज इसलिए दर्ज कराया था कि वह उसके द्वारा किए जा रहे देह व्यापार में बाधक था। बेटी को जो बच्चा पैदा हुआ था, वह भी उसका नहीं था। अदालत ने इब्राहिम को बेगुनाह साबित कर छोड़ तो दिया, मगर तब तक उसकी पूरी दुनिया तबाह हो चुकी थी। इस तरह के मामलों में इब्राहिम अकेला नहीं, बल्कि राजधानी में दर्जनों इब्राहिम ऐसे हैं, जो दुष्कर्म व छेड़छाड़ के झूठे मुकदमों का खामियाजा भुगत चुके हैं।
पिछले एक साल में राजधानी में झूठे मुकदमों का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। इस संबंध में दिल्ली की कई जिला अदालतें व दिल्ली हाईकोर्ट भी अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। राजधानी की जिला अदालतों में लंबित दुष्कर्म व छेड़छाड़ के मामलों पर नजर डाली जाए तो पता लगता है कि पिछले कुछ समय में महिलाओं द्वारा कानून को अपने लाभ के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। मसलन अगर प्रेमी शादी से इन्कार कर दे तो उस पर दुष्कर्म का मुकदमा और पड़ोसी से झगड़ा हो तो उस पर छेड़छाड़ का आरोप। जब विवाद शांत हो जाता है तो महिलाएं अदालतों में अपने बयानों से ही पलट जाती हैं। झूठे आपराधिक मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए कानून भी है, मगर पिछले एक साल के दौरान ऐसी किसी भी महिला या युवती के खिलाफ अदालत या पुलिस की ओर से कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है, जिसने झूठा मुकदमा दर्ज कराने का अपराध किया हो।
दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले छह माह के दौरान दुष्कर्म के 13 मामलों में दर्ज एफआइआर रद करने के लिए याचिका दायर की गई। जिनमें बताया गया कि शिकायतकर्ता ने आरोपी के द्वारा शादी से इन्कार के बाद मुकदमा दर्ज कराया था और अब उनकी शादी हो चुकी है। इसलिए मुकदमा खारिज किया जाए।
झूठा मुकदमा दर्ज कराने के संबंध में यह है कानून
अगर कोई भी महिला या व्यक्ति किसी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराता है तो उसके खिलाफ पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 193 व 197 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाता है। यह मुकदमा पुलिस खुद से या अदालत के आदेश पर भी दर्ज कर सकती है। इस अपराध में सात साल कैद व जुर्माना की सजा का प्रावधान है। -अधिवक्ता मनीष भदौरिया, दिल्ली।
असफल प्रेम में अधिक केस दर्ज
आज के समय में दुष्कर्म के अपराध को लेकर बनाए गए कानून का सबसे अधिक दुरुपयोग युवतियों द्वारा किया जा रहा है। विशेष तौर पर लिव-इन में रहने वाली युवतियों या प्रेम-प्रसंग में असफल होने वाली युवतियों को जब उनका प्रेमी या साथी विवाह से इन्कार कर देता है तो वे अपने प्रेमी के खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज करा देती है। दिल्ली में ऐसे मामले बहुतायत मात्रा में दर्ज हो रहे हैं।
-अधिवक्ता राजीव जय, चेयरमैन, कोआर्डिनेशन काउंसिल ऑफ ऑल बार एसोसिएशन।
पुलिस जानबूझ कर नहीं करती मामला दजर्
झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों पर मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार पुलिस के पास है। मगर, पुलिस जानबूझ कर इस अपराध के संबंध में मुकदमा दर्ज नहीं करती। पुलिसिया कार्रवाई और एक नए मुकदमे की जांच व उसे उसके अंजाम तक पहुंचाने की दौड़-धूप से बचने के लिए पुलिस ऐसे मामलों में आरोपियों को अभयदान दे देती है, जोकि कानूनन गलत है। पिछले एक साल में पुलिस ने एक भी महिला के खिलाफ ऐसा मुकदमा दर्ज नहीं किया है, जिसने दुष्कर्म या छेड़छाड़ का झूठा केस दर्ज कराया हो।
-अधिवक्ता केडी भारद्वाज, पूर्व मुख्य लोक अभियोजक दिल्ली ।