Monday, March 2, 2015

आप में कलह तेज, प्रशांत भूषण ने चिटी लिख केजरीवाल पर बोला हमला

 
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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) में आंतरिक कलह तेज हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी को लिखी चिटी में दिल्ली चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल के इर्द-गिर्द एक व्यक्ति केंदि&प्त8206;त अभियान चलाने का आरोप लगया, जो उसके सिद्धांतों के विपरीत है। भूषण ने कहा कि एक व्यक्ति केंदि&प्त8206;त प्रचार अभियान के कारण पार्टी अन्य पारंपरिक पार्टियों की तरह हो गई है। उन्होेने चिट्ठी में "स्वराज" की हिमायत की है।  इसमें प्रशांत भूषण ने कहा है कि पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र तो है, लेकिन स्वराज नहीं है। उन्होंने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाने के साथ पार्टी फंड की जांच के लिए एथिक्स कमेटी की मांग भी की है। भूषण ने अपने पत्र में राष्ट&प्त8207;ीय कार्यकारिणी और पीएसी की बैठकें नियमित तौर पर ना होने का आरोप लगाया है। प&प्त8206;शांत ने लिखा है, एक व्यक्ति केंदि&प्त8206;त प्रचार से हमारी पार्टी अन्य दूसरी पारंपरिक पार्टियों की तरह बनती जा रही है, जो एक व्यक्ति पर केंदि&प्त8206;त हैं। 
भिन्नता इतनी है जिसके बारे में हम दावा कर सकते हैं कि स्वराज का सिद्धांत उनके पास नहीं है। उन्होंने कहा है, एक व्यक्ति केंद्रित अभियान असरदार हो सकता है, लेकिन तब क्या अपने सिद्धांतों को उचित ठहराया जा सकता है। अगर हम सुप&प्त8206;ीमो नियंत्रित पार्टी से आगे जाना चाहते हैं, तो हमें इसमें सुधार पर सहमति बनानी होगी। राष्ट&प्त8207;ीय कार्यकारिणी की बैठक पिछले गुरूवार को हुई थी। इसके बाद संजय सिंह ने ट्वीट कर केजरीवाल के पक्ष में मोर्चा संभाल लिया है। संजय सिंह ने अपने ट्वीट में कहा है कि केजरीवाल को संयोजक पद से हटाने की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं की भावना का भी ख्याल रखें। इससे पहले रविवार की दोपहर आम आदमी पार्टी की राष्ट&प्त8207;ीय कार्यकारिणी में योगेंद्र यादव को पार्टी से हटाने की मांग उठी। पार्टी से योगेन्द्र यादव को हटाने की मांग को लेकर पार्टी फोरम में उनके खिलाफ पांच सबूत रखे गए हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले पार्टी के आतंरिक लोकपाल एडमिरल रामदास ने हाईकमान को चिटी लिखकर आम आदमी पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र का अभाव बताया। इसके साथ ही एडमिरल ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। एडमिरल ने अपने पत्र में सवाल उठाते हुए कहा है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री और पार्टी का संयोजक एक ही व्यक्ति क्यों है! पार्टी के लोकपाल ने अपने पत्र में पीएसी और एनएसी जैसी कमेटियों के पुनर्गठन की भी बात की है। एडमिरल ने कहा कि पार्टी नेताओं में आपसी विश्वास की कमी है। दिल्ली कैबिनेट में एक भी महिला के ना होने पर एडमिरल रामदास ने कहा कि पार्टी "बॉयज क्लब" बनकर रह गई है। गौरतलब है कि शनिवार को आम आदमी पार्टी संगठन में बडे बदलाव के संकेत मिले थे। इन संकेतों में पीएसी से योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को हटाए जाने की भी खबर आई थी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कई नेता योगेन्द्र यादव के तौर तरीकों से नाराज है। 26 फरवरी को हुई पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में इस मसले पर गरमागरम नोंकझोंक की खबर भी आई थी। हालांकि पार्टी ने इन खबरों को निराधार बताया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता में आए एक महीने भी नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले ही पार्टी को कुछ पुराने जख्मों की टीस कुरेदने लगी है। जीत के जश्न में जो सवाल दफन हो जाने चाहिए, वो सुरसा की तरह सामने खडे हो गए हैं।
आम आदमी पार्टी के अंदरूनी झगडे की आग किस कदर भडक चुकी है, इसका सबूत है वीपी हाउस का कमरा नंबर-514, रविवार दोपहर को जब पूरी दिल्ली बेमौसम की बारिश से सराबोर हो रही थी और दिल्ली वाले अपने घरों में सिमटे हुए थे उस वक्त इन बंद दरवाजों के भीतर आम आदमी पार्टी का डैमेज कंट्रोल चल रहा था। प्रो. आनंद कुमार, प्रशांत भूषण और पंकज गुप्ता के सामने कई सवाल मुंह बाए खडे थे। बडा सवाल यही था कि पार्टी के भीतर असंतोष से कैसे निपटा जाए। दिल्ली की सत्ता तो हाथों में आ गई, लेकिन एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर आप के कामकाज को लेकर तरह-तरह के अंदेशे और चिंताएं सामने आने लगी हैं। सवालों की एक बडी सी फेहरिस्त पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदॉस की ओर से भी जारी हो चुकी है। प्रशांत भूषण रविवार तो बीच बैठक से ही बाहर निकल आए और बैठक को अनौपचारिक भी बता दिया लेकिन खबर यही है कि जिन नेताओं को लेकर पार्टी में खलबली मची है उनमें एक प्रशांत भूषण और दूसरे पार्टी के बुद्धिजीवी चेहरे योगेंद्र यादव हैं। इस वक्त आम आदमी पार्टी में भडके झगडे का यह आलम है कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण दोनों की पीएससी की सदस्यता ज्यादातर सदस्यों को खटकने लगी है। 26 फरवरी को राष्ट&प्त8207;ीय कार्यकारिणी की बैठक में योगेंद्र यादव की मौजूदगी में ही उन पर तीखे सवाल उठे।
सरकार बनने के बाद पार्टी के ज्यादातर नेताओं को योगेंद्र यादव के अतीत के कई कदम खटकने लगे हैं। इन नेताओं का आरोप है कि योगेंद्र यादव ने हरियाणा इकाई को परेशान किया। दूसरा केजरीवाल के खिलाफ गलत खबरें चलवाईं और तीसरा यह कि दिल्ली चुनाव से पहले केजरीवाल को धमकी दी। चौथा, पार्टी छोडने की धमकी देकर अपनी शतेंü मनवाते रहे और पांचवां यह कि पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला गिराने का काम करते रहे। ये महज आरोप हैं, कितना सच और कितना ठोस हैं, ये तय करना मुश्किल है, लेकिन जहां तक पीएसी में बदलाव का सवाल है, तो इस पर पार्टी नेता कैमरे के सामने अलग-अलग राय दे रहे हैं। हालांकि नाराजगी सिर्फ योगेंद्र यादव या प्रशांत भूषण को लेकर ही नहीं है, पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास ने पार्टी पर केजरीवाल के वर्चस्व पर भी सवाल उठा दिया है। गौरतलब है कि दिल्ली में ऎतिहासिक जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने ऎसा बयान दे दिया था कि पार्टी के कई नेता सकते में आ गए। उन नेताओं में से एक योगेंद्र यादव भी हैं, क्योंकि दिल्ली के दायरे से एक नई-नवेली पार्टी को बाहर ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना के समर्थक वह भी थे। अब योगेंद्र यादव पार्टी के भीतर निशाने पर हैं, तो सवाल ये भी उठ रहा है कि खुद अरविंद केजरीवाल क्या चाहते हैं। सवाल सिर्फ योगेंद्र यादव या प्रशांत भूषण पर ही नहीं उठ रहे, सवालों की जद में पूरी पार्टी है, कामकाज का उसका तौर-तरीका है। पार्टी के लोकपाल के सदस्य एडमिरल रामदॉस ने केजरीवाल को लंबी-चौडी चिटी लिखकर एक तरह से आईना दिखा दिया है। एडमिरल रामदास ने चंद गंभीर और खलबली मचाने वाले सवाल उछाले हैं।

रामदास के सवाल - 
1. पार्टी का राष्ट&प्त8207;ीय संयोजक क्यों नहीं!
2. पार्टी में क्यों नहीं सह-संयोजक बनाया जाए!
3. पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र क्यों नहीं!
4. कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा!
5. मंत्रिमंडल में एक भी महिला क्यों नहीं!
6. पार्टी के भीतर अविश्वास का माहौल क्यों!
7. पीएसी-कार्यकारिणी का पुनर्गठन क्यों नहीं!
आम आदमी पार्टी के अंदरखाने असंतोष तो लंबे अरसे से था लेकिन रामदॉस की चिटी सार्वजनिक होते ही अंदरूनी हकीकत भी सामने आ गई है। आम आदमी पार्टी के बडे चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ-साफ दिखने लगी हैं। वैसे खबर यह भी है कि खुद केजरीवाल ने संयोजक पद की जिम्मेदारी से मुक्ति मांगी है।
यह कहा है कि वह मुख्यमंत्री की भूमिका पर ही पूरी ताकत और पूरा तजुर्बा लगाना चाहते हैं। लेकिन पार्टी तैयार नहीं है, क्योंकि यह सच तो सबको मालूम है कि आम आदमी पार्टी का मतलब सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल है।

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