ऐसे लोगों की ओर से की जा रही कमाई पर तो कोई टैक्स है और ही इसका कोई हिसाब-किताब नजर रहा है। आए दिन अखबारों और अन्य मीडिया संसाधनों पर ऐसे लोगों का प्रचार आम है। सभी समस्याओं का हल कुछ ही घंटों में, घर बैठे ही रिजल्ट पाएं, हमारे किए जादू की कोई काट नहीं जैसे लुभावने और लोगों को गुमराह करने वाले इश्तिहार हर रोज देखने को मिलते हैं। काले इल्म के बादशाह, बंगाली जादू, कुछ ही घंटों में समाधान की गांरटी, खुला चैलेंज, गुरु, बाबा, मियां जी और कुछ इसी तरह के नाम दावों को लोगों के बीच बड़ी चतुराई से परोसा जाता है। एक बार जो इनका शिकार बन गया तो उसके शोषण का सिलसिला लंबा चलता है। एेसा नहीं कि प्रशासन और आम आदमी को इसकी खबर नहीं, लेकिन एक सरसरी नजर इन विज्ञापनों पर डाली जाती है और फिर हर कोई अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाता है। बुद्धिजीवी वर्ग और समाजसेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसे लोग समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं जो गैर कानूनी है। संविधान में ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के प्रावधान हैं।
स्कूल-कॉलेज स्तर पर चेतना पैदा की जाए...
पूर्वस्वास्थ्य मंत्री समाजसेविका प्रो. लक्ष्मीकांता चावला का कहना है कि समाज में अपनी जड़े जमा चुके इस तरह के अंधविश्वास को मात्र कानून से खत्म ही किया जा सकता। इसके लिए स्कूल कॉलेज स्तर पर स्टूडेंट्स में चेतना पैदा की जानी चाहिए। राष्ट्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से दिखाए जा रहे सिगरेट, शराब के नुकसान वाले विज्ञापनों की तरह अंधविश्वास विरोधी विज्ञापन भी दिखाये जाने चाहिए।
लोगों के सेंटिमेंट्स का उठाते हैं फायदा...
डॉक्टरी पेशे और समाजसेवा से जुड़े अदलक्खा हॉस्पिटल के डाॅ. एएल अदलक्खा कहते हैं कि समाज में ऐसी बातें किसी भी तरह से टालरेट करने योग्य नहीं हैं। हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और उन चीजों को दिल में रखे हुए हैं जो तर्क के आधार पर किसी भी तरह से खरी नहीं उतरती। समाज में ऐसे लोग अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं और जादू टोने के नाम पर लोगों के सेंटिमेंट्स को भुनाते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
ऐसे इश्तिहार गैर-कानूनी हैं...
तर्कशील सोसायटी पंजाब के अमृतसर जिले के इंचार्ज सुमीत सिंह का कहना है कि ड्रग्स मैजिक रेमिडीज ऑब्जेक्शनेबल एडवरटाइज एक्ट 1954 के तहत ऐसे इश्तहार गैर-कानूनी है। टीवी चैनल पर इस तरह की एडवरटाइजमेंट केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट 1994 के तहत बैन है। देश के संविधान की धारा 51 (एएच) के तहत हर नागरिक को अधिकार है कि वह जहां कही भी ऐसे कुछ हो रहा देखे, इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए प्रशासन से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि सोसायटी मांग करती है कि महाराष्ट्र की तर्ज पर पंजाब विधानसभा में भी अंधविश्वास विरोधी कानून लाया जाए।