Monday, April 20, 2015

नेताजी' सुभाष चंद्र बोस की हत्या हुई या मृत्यु?

भारत की स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज का नेतृत्व करने वाले सुभाष चंद्र बोस की मौत एक रहस्य बनी हुई है। हाल में इस मुद्दे पर फिर राजनीतिक हलकों और बुद्धिजीवियों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।

आखिर 'नेताजी' सुभाष बोस किन परिस्थियों में गायब हुए या फिर उनकी मौत हुई? क्यों कई जाने-माने लोग उनकी मौत की खबर पर भरोसा नहीं कर रहे है?

जियाउद्दीन ने इंटेलिजेंस को चकमा दिया


अठारह जनवरी, 1941, रात एक बज कर पैंतीस मिनट पर 38/2, एलगिन रोड, कोलकाता पर एक जर्मन वांडरर कार आ कर रुकी।

कार का नंबर था बीएलए 7169, लंबी शेरवानी, ढीली सलवार और सोने की कमानी वाला चश्मा पहने बीमा एजेंट मोहम्मद जियाउद्दीन ने कार का पिछला दरवाजा खोला।

ड्राइवर की सीट पर उनके भतीजे बैठे हुए थे। उन्होंने जानबूझ कर अपने कमरे की लाइट बंद नहीं की। चंद घंटों में वो गहरी नींद में सोए कोलकाता की सीमा पार कर चंदरनागोर की तरफ बढ़ निकले।

वहां भी उन्होंने अपनी कार नहीं रोकी। वो धनबाद के पास गोमो स्टेशन पर रुके। उनींदी आंखों वाले एक कुली ने जियाउद्दीन का सामान उठाया।कोलकाता की तरफ से दिल्ली कालका मेल आती दिखाई दी। वो पहले दिल्ली उतरे। वहां से पेशावर होते हुए काबुल पहुंचे... वहाँ से बर्लिन... कुछ समय बाद पनडुब्बी का सफर तय कर जापान पहुंचे।

कई महीनों बाद उन्होंने रेडियो स्टेशन से अपने देशवासियों को संबोधित किया... 'आमी सुभाष बोलची।'

अपने घर में नजरबंद सुभाष चंद्र बोस बीमा एजेंट जियाउद्दीन के भेस में 14 खुफिया अधिकारियों की आखों में धूल झोंकते हुए न सिर्फ भारत से भागने में सफल रहे, बल्कि लगभग आधी दुनिया का चक्कर लगाते हुए जापान पहुंच गए।
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो चला था। जापान को आत्मसमर्पण किए हुए अभी तीन दिन हुए थे। 18 अगस्त 1945 को सुभाष बोस का विमान ईंधन लेने के लिए ताइपे हवाई अड्डे पर रुका था।

दोबारा उड़ान भरते ही एक जोर की आवाज सुनाई दी थी। बोस के साथ चल रहे उनके साथी कर्नल हबीबुररहमान को लगा था कि कहीं दुश्मन की विमानभेदी तोप का गोला तो उनके विमान को नहीं लगा है।

बाद में पता चला था कि विमान के इंजन का एक प्रोपेलर टूट गया था। विमान नाक के बल जमीन से आ टकराया था और हबीब की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था।जब उन्हें होश आया तो उन्होंने देखा कि विमान के पीछे का बाहर निकलने का रास्ता सामान से पूरी तरह रुका हुआ है और आगे के हिस्से में आग लगी हुई है। हबीब ने सुभाष बोस को आवाज दी थी, "आगे से निकलिए नेताजी।"

बाद में हबीब ने याद किया था कि जब विमान गिरा था तो नेताजी की खाकी वर्दी पेट्रोल से सराबोर हो गई थी। जब उन्होंने आग से घिरे दरवाजे से निकलने की कोशिश की तो उनके शरीर में आग लग गई थी। आग बुझाने के प्रयास में हबीब के हाथ भी बुरी तरह जल गए थे।
उन दोनों को अस्पताल ले जाया गया था। अगले छह घंटों तक नेता जी को कभी होश आता तो कभी वो बेहोशी में चले जाते। उसी हालत में उन्होंने आबिद हसन को आवाज दी थी।

"आबिद नहीं है साहब, मैं हूँ हबीब." उन्होंने लड़खड़ाती आवाज में हबीब से कहा था कि उनका अंत आ रहा है। भारत जा कर लोगों से कहो कि आजादी की लड़ाई जारी रखें।

उसी रात लगभग नौ बजे नेता जी ने अंतिम सांस ली थी। 20 अगस्त को नेता जी का अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के पच्चीस दिन बाद हबीबुररहमान नेता जी की अस्थियों को लेकर जापान पहुंचे।
1945 में ही अगस्त के आखिरी महीने में नेताजी की पत्नी एमिली अपने वियना के फ्लैट के रसोईघर में अपनी मां और बहन के साथ बैठी हुई ऊन के गोले बना रही थीं।

हमेशा की तरह वो रेडियो पर शाम का समाचार भी सुन रही थीं। तभी समाचार वाचक ने कहा कि भारत के 'देश द्रोही' सुभाषचंद्र बोस ताइपे में एक विमान दुर्घटना में मारे गए हैं।

एमिली की मां और बहन ने स्तब्ध हो कर उनकी ओर देखा। वो धीरे से उठीं और बगल के शयन कक्ष में चली गईं, जहां सुभाष बोस की ढ़ाई साल की बेटी अनीता गहरी नींद में सोई हुई थी।

सालों बाद एमिली ने याद किया कि वो बिस्तर के बगल में घुटने के बल बैठीं और 'सुबक-सुबक कर रोने लगीं।'
हालांकि सुभाष बोस के साथ उस विमान में सवार हबीबुररहमान ने पाकिस्तान से आकर शाहनवाज समिति के सामने गवाही दी कि नेता जी उस विमान दुर्घटना में मारे गए थे और उनके सामने ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

लेकिन भारत में बहुत बड़ा तबका ये मानता रहा कि सुभाष बोस उस विमान दुर्घटना में जीवित बच निकले थे और वहां से रूस चले गए थे।भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी कहते हैं कि विमान दुर्घटना के समय ताइवान जापानियों के कब्जे में था। उसके बाद उस पर अमरीकियों का कब्जा हो गया। दोनों देशों के पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि उस दिन वहां कोई विमान दुर्घटना हुई थी।

उन्होंने कहा, "1991 के सोवियत विघटन के बाद एक सोवियत स्कॉलर ने मुझे बताया था कि नेता जी तो ताइवान गए ही नहीं थे। वो साएगोन से सीधे मंचूरिया आए थे, जहां उन्हें हमने गिरफ्तार किया था। बाद में स्टालिन ने उन्हें साइबेरिया की यकूत्स्क जेल में भिजवा दिया था जहां 1953 में उनकी मौत हो गई थी।"स्वामी नेहरू के स्टोनोग्राफर श्याम लाल जैन की शाहनवाज जांच समिति के सामने दी गई गवाही का जिक्र भी करते हैं।

जैन ने आयोग के सामने कहा था कि 1946 में उन्हें एक रात नेहरू का संदेश मिला कि वो उनसे तुरंत मिलने आ जाएं। उनके निवास तीन मूर्ति पर नहीं बल्कि आसफ अली के यहां जो उस जमाने में दरियागंज में रहा करते थे।

जैन के अनुसार नेहरू ने उन्हें ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली के लिए एक पत्र डिक्टेट कराया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें स्टालिन से संदेश मिला है कि सुभाष बोस जीवित हैं और उनके कब्जे में हैं।

स्वामी के अनुसार स्टालिन बोस से इसलिए नाराज़ थे क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने उनके सबसे बड़े दुश्मन हिटलर से हाथ मिलाया था।सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बीबीसी को बताया कि इसका दूसरा बड़ा सबूत उन्हें तब मिला जब वो चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में मंत्री बने।

उन्होंने बताया, "हमारे पास जापान से अनुरोध आया कि रिंकोजी मंदिर में सुभाष बोस की जो अस्थियां रखी हैं, उनको आप ले लीजिए, लेकिन एक शर्त पर कि आप इसका डीएनए टेस्ट नहीं कराएंगे।"

स्वामी कहते हैं कि उन्हें पता चला था कि इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में नेता जी पर एक पूरी फाइल को अपने सामने फड़वाया (श्रेड करवाया) था, लेकिन इस बात की पुष्टि किसी और सूत्र से नहीं हो पाई है।सुभाष बोस की मौत पर 'इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप' नाम की किताब लिखने वाले अनुज धर कहते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से मांग की थी कि उन्हें वो दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं जिसमें सोवियत संघ में सुभाष बोस के होने की जांच की गई।

अनुज बताते हैं, "पीएमओ ने ये कह कर इसे देने से इंकार कर दिया कि इससे विदेशी ताकतों से हमारे संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।"

धर कहते हैं कि विदेशी संबंध तो एक बहाना है। असली भूचाल तो इस देश के अंदर ही आएगा।
नेता जी के प्रपौत्र और उन पर 'हिज मैजेस्टीज अपोनेंट' नाम की किताब लिखने वाले सौगत बोस भी कहते हैं कि विदेश से संबंध खराब होने की बात गले नहीं उतरती।

उनके अनुसार उन्होंने अपने शोध में पाया कि विंस्टन चर्चिल ने 1942 में सुभाष बोस की हत्या के आदेश दिए थे लेकिन इसका अर्थ ये नहीं हुआ कि इस मुद्दे पर भारत आज ब्रिटेन से अपने संबंध खराब कर ले।

स्वामी भी कहते हैं, "पहली बात सोवियत संघ अब है नहीं। उस जमाने में जनसंहार के जिम्मेदार माने गए स्टालिन पूरी दुनिया में बदनाम हो चुके हैं। पुतिन को इस बात की कोई परवाह नहीं होगी अगर स्टालिन पर सुभाष बोस को हटाने का दाग लगता है।"
सौगत बोस कहते हैं कि उन्हें ये जान कर बहुत आश्चर्य हुआ कि नेहरू के कार्यकाल में इंटेलिजेंस ब्यूरो उनके पिता, चाचा और सुभाष बोस की पत्नी एमिली की चिट्ठियाँ खोलता रहा, पढ़ता रहा और उसकी प्रतियाँ बनाता रहा।

उनका कहना है, "किसी व्यक्ति की निजता में सेंध लगाने का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिलता। और ये तब जब कि निजी तौर पर नेहरू मेरे पिता को बहुत मानते थे। जब भी वो दिल्ली जाते थे, उन्हें अपने यहां नाश्ते पर बुलाते थे। कमला नेहरू की अंत्येष्टि में खुद सुभाष चंद्र बोस मौजूद थे।"

सौगत बोस ने बताया, "नेता जी ने आजाद हिंद फौज की एक रेजिमेंट का नाम नेहरू के नाम पर रखा था और जब 1945 में बोस की कथित मौत की खबर आई थी तो नेहरू की आखों से आंसू बह निकले थे।"सवाल उठता है कि क्या सुभाष बोस के परिवार पर हो रही जासूसी की जानकारी नेहरू को व्यक्तिगत तौर पर थी।

भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ में विशेष सचिव के पद पर काम कर चुके सी बालाचंद्रन कहते हैं कि ये एक ऐसी परंपरा है जो आजाद भारत की खुफिया एजेंसियों ने ब्रिटेन से ग्रहण की है।

उन्होंने कहा, "1919 के बाद से ही ब्रिटिश सरकार के लिए कम्युनिस्ट आंदोलन एक चुनौती रहा है। उन्होंने शुरू से ही उन लोगों पर नजर रखना शुरू किया जिनका कहीं न कहीं सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध रहा है।"

बालाचंद्रन कहते हैं, "इसी सिलसिले में बोस की भी जासूसी शुरू की गई। एक इनसाइडर के तौर पर मैं बता सकता हूं कि खुफिया एजेंसियों में जो चीज एक बार शुरू हो जाती है, वो बहुत लंबे समय तक जारी रहती है।
लेकिन अनुज धर बालाचंद्रन के इस आकलन से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इस तरह की जासूसी नेहरू की जानकारी के बगैर नहीं हो सकती थी।

धर कहते हैं कि आईबी वाले कोई भी काम बिना अनुमति के नहीं करते। सुभाष बोस के बारे में उनका हर नोट आईबी के बड़े अफसर मलिक और काव तक पहुंचता था।

अनुज धर के मुताबिक, "मेरे पास ऐसे दस्तावेज हैं जिसमें नेहरू ने अपने हाथों से आईबी को चिट्ठी लिख कर निर्देश दिया है कि पता लगाओ कि बोस का पौत्र अमिय बोस जापान क्यों गया है और वहां क्या कर रहा है? क्या वो रेंकोजी मंदिर भी गया था?"भारतीय जनता पार्टी के नेता और जाने माने पत्रकार एमजे अकबर का मानना है कि इस पूरे प्रकरण से यही संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं नेहरू के मन में संदेह था कि बोस उस विमान दुर्घटना में नहीं मरे थे।

अकबर कहते हैं, "कॉमन सेंस कहता है वो अपने परिवार से ज़रूर संपर्क करते। शायद इसलिए नेहरू उनके पत्रों की निगरानी करवा रहे थे।"

किन परिस्थितियों में सुभाष बोस की मौत हुई और बीस वर्षों तक उनके परिवार पर क्यों नजर रखी गई, ये तो उनसे संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक होने के बाद ही पता चल पाएगा।

लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं उन्होंने इस कहावत को गलत साबित करने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूरज कभी अस्त नहीं होता और अपनी इस मुहिम में बहुत हद तक वो सफल भी रहे।

Wednesday, April 15, 2015

ਸੁਖਬੀਰ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਆਖਰ ਹੋਇਆ ਸਾਕਾਰ......... ਹੁਣ ਨਹੀਂ ਲੋੜ ਪਵੇਗੀ ਸੁਖਬੀਰ ਨੂੰ ਬੀਜੇਪੀ ਦੀਆਂ ਫੌੜੀਆਂ ਦੀ


ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ, 15 ਅਪ੍ਰੈਲ : ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਤੇ ਡਿਪਟੀ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਦਾ ਇਕ ਚਿਰੋਕਣਾ ਸੁਪਨਾ ਆਖਰਕਾਰ ਅੱਜ ਪੂਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ।
ਇਹ ਸੁਪਨਾ ਸੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਚ 59 ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਦੀ ਹਾਜ਼ਰੀ ਲਵਾਕੇ ਇਕੱਲਿਆਂ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਬਲਬੂਤੇ ਬਹੁਮਤ ਹਾਸਲ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਅੱਜ ਧੂਰੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਹਲਕੇ ਚ ਅਕਾਲੀ ਉਮੀਦਵਾਰ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਲੌਂਗੋਵਾਲ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਸੁਖਬੀਰ ਦਾ ਇਹ ਸੁਪਨਾ ਪੂਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਅੱਜ ਦੀ ਜਿੱਤ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਲਈ ਇਸ ਲਈ ਵੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਹੁਣ ਪਾਰਟੀ ਨੂੰ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਚ ਬਹੁਮਤ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਲਈ ਬੀਜੇਪੀ ਦੀਆਂ ਫੌੜੀਆਂ ਦੀ ਲੋੜ ਵੀ ਨਹੀਂ ਰਹੀ।
ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਵਾਗਡੋਰ ਸਾਂਭਣ ਉਪਰੰਤ ਹੀ ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਤਨਾਂ ਚ ਸਨ ਕਿ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਚ ਇਸ ਮੁਕਾਮ ਤੇ ਪੁਚਾਇਆ ਜਾਵੇ ਕਿ ਪਾਰਟੀ ਨੂੰ ਬਹੁਮਤ ਲਈ ਬੀਜੇਪੀ ਦੇ ਸਾਥ ਦੀ ਲੋੜ ਨਾ ਰਹੇ। ਸੁਖਬੀਰ 2008 ਚ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਬਣੇ ਸਨ ਤੇ 2009 ਚ ਸਿਧਾਂਤਕ ਤੌਰ ਤੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਬਣੇ ਸਨ। ਉਸੇ ਦਿਨ ਤੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹ ਯਤਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿਤੇ ਸਨ। ਇਥੇ ਇਹ ਵੀ ਦੱਸਣਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਾਲੀ 1997-2002 ਸਰਕਾਰ ਦੌਰਾਨ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਇਕੱਲਿਆਂ ਦੇ 78 ਵਿਧਾਇਕ ਸਨ ਤੇ ਉਹ ਆਪਣੇ ਬਲਬੂਤੇ ਸਰਕਾਰ ਬਣਾਉਣ ਸਮਰਥ ਸੀ ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਬੀਜੇਪੀ ਨੂੰ 18 ਵਿਧਾਇਕ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਵੀ ਸਰਕਾਰ ਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਪਰ ਹੁਣ ਹਲਾਤ ਬਦਲ ਗਏ ਸਨ।
ਪਿਛਲੇ ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਖਾਸ ਤੌਰ ਤੇ ਕੇਂਦਰ ਚ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਚ ਬੀਜੇਪੀ ਦੇ ਇਕੱਲਿਆਂ ਦੇ ਦਮ ਤੇ ਹੀ ਸਪਸ਼ਟ ਬਹੁਮਤ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਬੀਜੇਪੀ ਵਲੋਂ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੂੰ ਦਿਖਾਈਆਂ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਕਾਰਨ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅੰਦਰਖਾਤੇ ਕਾਫੀ ਚਿੰਤਤ ਸੀ। ਪੰਜਾਬ ਬੀਜੇਪੀ ਦੇ ਲੀਡਰਾਂ ਦੇ ਤੇਵਰ ਵੀ ਕੇਂਦਰ ਚ ਮੋਦੀ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਚ ਸਰਕਾਰ ਬਣਨ ਅਤੇ ਖਾਸ ਤੌਰ ਤੇ ਹਰਿਆਣਾ ਚ ਬੀਜੇਪੀ ਦੀ ਸਰਕਾਰ ਬਣਨ ਉਪਰੰਤ ਕਾਫੀ ਬਦਲ ਗਏ ਸਨ ਤੇ ਗਾਹੇ-ਬਗਾਹੇ ਅਕਾਲੀ ਸਰਕਾਰ ਵਿਰੋਧੀ ਬਿਆਨਬਾਜ਼ੀ ਵੀ ਇਸ ਦੇ ਲੀਡਰ ਕਰਨ ਲੱਗੇ ਸਨ। ਇਸ ਕਾਰਨ ਅਕਾਲੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਬਾਦਲ ਨੂੰ ਵੀ ਕਈ ਦਿੱਲੀ ਚ ਬੀਜੇਪੀ ਹਾਈਕਮਾਂਡ ਦੇ ਲੀਡਰਾਂ ਨਾਲ ਗੱਲ ਕਰਨੀ ਪਈ ਸੀ। ਪਰ ਫੇਰ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਬੀਜੇਪੀ ਲੀਡਰ ਅੰਦਰਖਾਤੇ ਆਪਣੀ ਮੁਹਿੰਮ ਚਲਾਏ ਹੋਏ ਸਨ। ਇਥੇ ਇਹ ਗੱਲ ਵੀ ਕਿਸੇ ਤੋਂ ਲੁਕੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ਕਿ ਬੀਜੇਪੀ ਅੰਦਰਖਾਤੇ 2017 ਦੀਆਂ ਚੋਣਾਂ ਇਕੱਲਿਆਂ ਲੜਨ ਦੇ ਮੂਡ ਚ ਆਪਣੀ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿਢੇ ਹੋਏ ਹੈ। ਅਜਿਹੇ ਚ ਅੱਜ ਧੂਰੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਜਿਥੇ ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਤੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੂੰ ਇਕ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਹੁਲਾਰਾ ਮਿਲੇਗਾ, ਉਥੇ ਬੀਜੇਪੀ ਦੇ ਮਨਸੂਬਿਆਂ ਨੂੰ ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਧੱਕਾ ਜ਼ਰੂਰ ਪੁੱਜੇਗਾ।
ਇਥੇ ਜ਼ਿਕਰਯੋਗ ਹੈ ਕਿ ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਨੇ ਲਗਾਤਾਰ ਸ਼ਹਿਰੀ ਵੋਟਰਾਂ ਨੂੰ ਕੇਂਦਰਤ ਕਰਦਿਆਂ ਆਪਣੀ ਮੁਹਿੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਲਗਾਤਾਰ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦਾ ਸ਼ਹਿਰੀ ਤੇ ਅਰਧ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਚ ਅਧਾਰ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਯਤਨਸ਼ੀਲ ਸਨ। ਇਸ ਨਾਲ ਬੀਜੇਪੀ ਦੇ ਸ਼ਹਿਰੀ ਅਧਾਰ ਨੂੰ ਵੀ ਕਾਫੀ ਹੱਦ ਤਕ ਸੰਨ੍ਹ ਲਾਉਣ ਚ ਉਹ ਸਫਲ ਰਹੇ ਹਨ। ਪਿਛਲੀਆਂ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਚੋਣਾਂ ਤੇ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨਾਂ ਚ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਜੇਤੂ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਇਸ ਦੀ ਗਵਾਹੀ ਭਰਦੀ ਹੈ।

Monday, April 13, 2015

जंलियावाला बाग़ काण्ड में शहीद हुए समस्त शहीदों को आज पुण्यतिथि पर सादर नमन।

जंलियावाला बाग़ काण्ड में
शहीद हुए समस्त शहीदों को
आज पुण्यतिथि पर सादर नमन।
बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफ़ुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे। करीब 5,000 लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठे थे। ब्रिटिश सरकार के कई अधिकारियों को यह 1857 के गदर की पुनरावृत्ति जैसी परिस्थिति लग रही थी जिसे न होने देने के लिए और कुचलने के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार थे।
जब पंडित बिशन दास  भागोवालिअा  बाग में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर अंग्रेजो  की गुलामी से छुटकारा पाने के लिए आवाम को लामबंद कर  रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। सैनिकों ने बाग को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं। १० मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं। जलियांवाला बाग उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। वहां तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया।
इस घटना के प्रतिघात स्वरूप सरदार उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर को गोली चला के मार डाला। उन्हें 31 जुलाई 1940 को फाँसी पर चढ़ा दिया गया। शहीद उधम सिंह जी को सादर नमन 

Saturday, April 11, 2015

मंदिरों के खजाने के द्वार सरकार की तरफ मोडना चाहते हैं मोदी

    

 मंदिरों के खजाने के द्वार सरकार की तरफ मोडना चाहते हैं मोदी news modi wants temple treasure gates open for government treasury
नई दिल्ली। केंद्र सरकार मई महीने में एक ऎसी योजना लाने जा रही है कि जिसके बाद अकूत संपत्तिवाले मंदिरों के खजानों के द्वार देश के खजाने (बैंकों) की ओर खुल सकते हैं। मोदी सरकार का मकसद इस इस योजना के जरिए मंदिरों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगी कि वे आगे बढकर अपना सोना बैंक में जमा करें और बदले में ब्याज कमाएं। सरकार उस सोने को पिघला कर सुनारों को ब्याज पर देगी और सुनार उस सोने का इस्तेमाल आभूषण बनाने में करेंगे।

गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बडा सोने का उपभोक्ता है। यहां के प्राचीन मंदिरों के पास आभूषण, सोने के सिक्के और ईंटों की शक्ल में बेशुमार स्वर्ण के रूप में दौलत जमा है। इस अकूत दौलत को मंदिरों के तहखानों में लोगों की नजर से बचा कर बडी हिफाजत के साथ सुरक्षित रखा गया है। ये तहखाने ज्यादातर उतने ही पुराने हैं, जितने पुराने कि मंदिर स्वयं हैं। कुछ एक मंदिरों में तो आपको आधुनिक तहखाने भी मिलेंगे। मुंबई का करीब 200 साल पुराना सिद्धिविनायक मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। भक्तों के चढावे से मिले 158 किलो सोने के भंडार से भरा यह मंदिर दिन-रात सुरक्षा घेरे में रहता है। इस सोने की कीमत लगभग 67 मिलियन डॉलर (417) करोड रूपये के करीब आंकी गई है। सुरक्षा व्यवस्था ऎसी कि खजाने से भरे इस मंदिर के तहखाने के इर्द-गिर्द परिंदा भी पर नहीं मार सकता। कुछ साल पहले केरल के पkनाभ स्वामी मंदिर के खजाने की जानकारी आम हुई थी। गुप्त तहखाने के अंदर बंद इस मंदिर के खजाने की कीमत 20 बिलियन डॉलर से भी अधिक मानी जाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिरों के ऎसे ही खजानों तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं। भारत में मंदिरों के पास सुरक्षित सोने की कुल मात्रा तकरीबन 3000 टन आंकी गई है। यह केंटकी के फोर्ट नॉक्स में सुरक्षित अमेरिकी सरकार के कुल सोने के भंडार से भी दो-तिहाई गुना ज्यादा है। मोदी चाहते हैं कि मंदिरों के इस सोने के भंडार का इस्तेमाल भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबे समय से हावी व्यापारिक असंतुलन को दूर करने में किया जाए। सोने के लिए भारतीय आवाम का जुनून जगजाहिर है। भारत में सोने का प्राकृतिक भंडार नहीं पाया जाता है। ऎसे में हमें विदेश से सोने का आयात करना पडता है।
इस प्रस्तावित योजना से सबसे बडा फायदा यह होगा कि भारत का सोने का आयात काफी कम हो जाएगा।

गौरतलब है कि मार्च 2013 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में सोने के आयात का प्रतिशत भारत के कुल व्यापार घाटे का 28 फीसदी था। भारत का सालाना स्वर्ण आयात 800 से 1000 टन है। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना के कामयाब हो जाने की स्थिति में कुल स्वर्ण आयात एक-तिहाई तक कम हो जाएगा। सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र मुरारी राणे ने कहा, हमें सरकार की ऎसी किसी योजना का हिस्सा बनकर अपना सोना राष्ट्रीय बैंकों में जमा करने में खुशी होगी। हम सिर्फ यह तसल्ली करना चाहेंगे कि योजना कितनी लाभदायक और सुरक्षित है। हम चाहते हैं कि सरकार 5 फीसदी की दर से ब्याज दरों का प्रावधान रखे। हालांकि, काफी भक्त इस योजना के प्रारूप से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि ईश्वर को चढाए गए उनके भेंट को पिघलाने का ख्याल सही नहीं है। मुंबई के एक सोना व्यापारी ने बताया कि उनके पिता ने सिद्धिविनायक मंदिर में अब तक तकरीबन 200 किलो सोने का चढावा दिया है।

उनका कहना है कि श्रद्धा के चढावे पर मंदिरों का ब्याज लेना पाप होगा। 52 वर्षीय इस व्यापारी का कहना है कि भक्त ईश्वर के लिए भेंट देते हैं, न कि मंदिर ट्रस्ट के लिए। इस योजना के साथ ही मोदी सरकार इसी से मिलती-जुलती एक और योजना पर काम कर रही है। मोदी चाहते हैं कि भारतीय परिवार भी गहने और अन्य सामान की शक्ल में सुरक्षित अपना सोना बैंकों में रखवाएं। एक अनुमान के अनुसार, सिर्फ भारतीय घरों में 17000 टन से ज्यादा होने की उम्मीद है। हालांकि यह भी सच है कि भारतीयों को ऎसी किसी योजना के लिए राजी करवाना टेढी खीर है। परिवार में सोने की परंपरा कई वंशों से चली आने का रिवाज है, जहां पिछली पीढियां सोने के रूप में वंश परंपरा अगली पीढी को सौंपती हैं। कुल मिलाकर सोना उनकी कई पीढियों की थाती समझा जाता है। भारत में सोने के लिए जुनून का आलम यह है कि बैंकिंग संस्थाओं के इस दौर में भी तकरीबन 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के लिए अब भी सोना ही निवेश और बचत का आधार है। सोने की खरीद मनोवैज्ञानिक तौर पर उनके लिए आर्थिक सुरक्षा का भरोसा है। इसी योजना से मिलती-जुलती एक योजना 1999 में भी लागू की गई थी, लेकिन वह योजना इसलिए सफल नहीं हो पाई क्योंकि सरकार की तरफ से बैंकों को जिस ब्याज दर की पेशकश की गई थी वह मंदिरों की उम्मीद से काफी कम थी। उस योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक 0.75 से 1 प्रतिशत का ब्याज देता है। उस योजना के तहत अब तक कुल 15 टन सोना ही बैंकों में जमा किया गया है।

मंदिरों का कहना है कि वे उम्मीद करते हैं कि नई योजना में आकर्षक ब्याज दरों का प्रावधान किया जाएगा। सरकार ब्याज दरों का खुलासा तभी करेगी जब आधिकारिक तौर पर इस योजना का ऎलान किया जाएगा।

उम्र 19 साल, दिखती है दो साल की.

बेंगलुरु की 19 वर्षीय गिरिजा श्रीनिवास की 19 वर्ष है, लेकिन उनका वजन मात्र 12 मिलो है और वह किसी दो साल की बच्ची की तरह से दिखती हैं। डेली मेल में मेडलीन डेवीज लिखती हैं कि गिरिजा की लंबाई मात्र ढाई फुट की है। वास्तव में वे एक दुर्लभ बीमारी कंजेनिटल एजनिसिस से पीड़ित हैं। इसी बीमारी के कारण उनका शरीर नहीं बढ़ सका और उनका शरीर एक बच्चे के शरीर में सिमट कर रह गया है।  
 
गिरिजा की शारीरिक हालत इस तरह की है कि वे न तो स्वयं खा सकती हैं, ना ही सिर हिला सकती हैं और केवल लेटी रहती हैं। उनकी मां उनकी किसी छोटे बच्चे की तरह से देखभाल करती हैं। ना वे बैठ पाती हैं और न ही कोई चीज उठा पाती हैं। पर वे एक चित्रकार के तौर पर काम करती हैं और अपने परिवार की आर्थिक तौर पर मदद करती हैं। वे इसलिए बैठ नहीं पाती हैं क्योंकि उनका सिर बड़ा है, जिसके कारण शरीर का संतुलन नहीं बन पाता है। वे कॉफी कप के अलावा और कोई चीज नहीं उठा सकती हैं। 
 
वे हड्‍डियों की इसी बीमारी के साथ पैदा हुई थी और तभी डॉक्टरों ने उनके माता-पिता की बता दिया था कि उनका शरीर अधिक नहीं बढ़ेगा। डॉक्टरों ने भी उनके माता-पिता को चेतावनी दे रखी है कि अगर वे तेजी से अपनी गर्दन घुमाने की कोशिश करेंगी तो उनकी गर्दन की हड्डी में फ्रेक्चर हो सकता है। उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होती है। पर वे ड्राइंग और पेंटिंग का काम अपने आप कर सकती हैं। प्रतिमाह उनकी पांच-छह पेंटिंग्स बिक जाती हैं जिससे आठ हजार से दस हजार रुपए तक की आय हो जाती है।  
 
उनकी मां नंदाबाई का कहना है कि बेटी की ऐसी हालत देखकर उन्हें बहुत दुख होता है। दुख की एक बात यह है कि परिवार आर्थिक तौर पर कमजोर है। ‍गिरिजा के पिता टेलर हैं और प्रतिमाह 15 हजार रुपए कमाते हैं। परिवार चाहकर भी गिरिजा का इलाज नहीं करवा पाता है लेकिन गिरिजा में आत्मनिर्भर बनने की ललक है और वह चाहती है कि उसे एक अच्छी कलाकार के तौर पर याद रखा जाए।

बाप भाई और चाचा करते थे रेप, मां कहती अपने तो हैं

 

 बाप भाई और चाचा करते थे रेप, मां कहती अपने तो हैं

पच्छिम बंगाल के जलपाईगुडी जिले में एक बेहद ही शर्मनाक घटना सामने आई है।  एक कलियुगी पिता ने अपनी ही बेटी को हवस का शिकार बना डाला। 

इसका  खुलासा तब हुआ जब बेटी दूसरी बार गर्भवती हो गई।  16 वर्षीय लड़की का आरोप है कि उसके पिता ने दो साल तक किया। इसका  विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की गई। आखिरकार लड़की ने हिम्मत जुटाते  हुए अपनी शिक्षिका और स्कूल प्राचार्या को जानकारी दी, इसके बाद पुलिस में  मामला दर्ज कराया गया।
  
लड़की का आरोप है कि उसके साथ पिता ही नहीं सगे चाचा और भाई ने भी रेप  किया है। यह सिलसिला पिछले 2 वर्षों से जारी है। आरोप है कि जब इसकी  जानकारी उसने अपनी मां को दी थी तो उसने मदद करना तो दूर उल्टे यह कह  दिया कि वे तुम्हारे पापा, चाचा और भाई है, इसलिए इस मामले को किसी के  सामने उजागर नहीं करना, वरना बहुत पछताओगी। इधर पुलिस ने मामला दर्ज  करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि मां की तलाश में  पुलिस जुटी हुई है। वह पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद से घर से गायब हो  गई।

Thursday, April 9, 2015

कैप्टन पानी के गंभीर मुद्दों पर लोगों को गुमराह न करें: सुखबीर

धूरी - शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कांग्रेसी नेता कै. अमरेंद्र सिंह को कहा कि वे पानी के मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह न करें। वे धूरी से अकाली-भाजपा के उम्मीदवार गोबिंद सिंह लौंगोवाल के हक में प्रचार करें।

उन्होंने कहा कि कैप्टन नहरी पानी के वितरण के संवेदनशील मुद्दे पर झूठ बोलकर राजनीतिक लाभ न लें। उन्होंने कैप्टन को बेमतलब की बातें करने की बजाय असल मुद्दों पर बात करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह किसी से छुपा नहीं है कि कैप्टन की कांग्रेसी उम्मीदवार के हक में प्रचार में रुचि नहीं है। 

उन्होंने कहा कि यह भी दुर्भाग्य है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा जिस बरनाला परिवार की हिमायत की जा रही है उसी के सदस्य सुरजीत सिंह बरनाला ने अपने कार्यकाल दौरान पंजाब में सतलुज-यमुना ङ्क्षलक नहर की खुदाई करवाई थी।

इस दौरान सीनियर अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा व महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल ने पूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला पर हमला बोलते हुए कहा कि बरनाला सिख पंथ के सबसे बड़े गद्दार हैं।

बाजवा का अरविंद खन्ना पर हमला, किया बड़ा खुलासा

संगरूर: संगरूर में राज्य कांग्रेस के प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ने अकालियों और अरविंद खन्ना में हुए समझौते का खुलासा किया है। 
उन्होंने कहा कि अरविंद खन्ना एक व्यापारी आदमी है और उसने 2016 में अकाली दल से राज्यसभा मैंबर बनने के बदले में हुए समझौते के चलते अपने विधायक पद से इस्तीफ़ा दिया है। 
 
बाजवा ने आगे बोलते हुए कहा कि अरविंद खन्ना को पार्टी में से 6 साल के लिए निकाल दिया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य कांग्रेस प्रधान प्रताप सिंह बाजवा संगरूर में एक समागम में शिरकत करन पहुंचे हुए थे। 

धूरी में करेंगे अकालियों का सफायाः कैप्टन

धूरी: अमृतसर से कांग्रेस के एम.पी. व पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने धूरी की कमान संभाल ली है। कैप्टन एक बार फिर अपने ही अंदाज में प्रचार कर रहे हैं। 
 
कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कांग्रेस में चल रही गुटबाजी पर सफाई देते हुए कहा कि राज्य कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। कैप्टन ने आगे बोलते हुए कहा कि चुनाव प्रचार कर रहे नेताओं को गैर-जिम्मेदार बयानों से परहेज करना चाहिए। 
 
कैप्टन ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने धूरी के साथ भेदभाव किया है। उन्होंने कहा कि धूरी में इस बार अकालियों का सफाया किया जाएगा।

Thursday, April 2, 2015

जिसके ह्रदय मे गरीबो के लिये दर्द, वही गरीबी दूर कर सकता है:- तरूण चुग कांग्रेस द्वारा गरीबी हटाओ के नारो से गरीबो को छला गया है:9 चुग


भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मन्त्री श्री तरूण चुग ने 4यान जारी कर कहा कि आजादी के बाद ६० साल से अधिक कांग्रेस स8ाा मे रही लेकिन गरीबो के लिए कुछ नही किया। देश से गरीबी दूर नही हुई, अगर दूर हुई है तो काग्रेंस के नेताओ की गरीबी दूर हुई और उनके आस9पास के घन्ना सेठो की गरीबी दूर हुई है। श्री चुग ने कहा कि गरीबी वही दूर कर सकता है जिसके ह्रदय मे गरीबो के लिये दर्द हो, गरीबी वही दूर कर सकता है जिसने खुद गरीबी देखी हो। देश की जनता ने ऐसे ही व्य1ित को प्रधानमंत्री बनाया है जो चाय बेचते9बेचते इस पद तक पहुंचा है और खुद गरीबी देखी है, इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी गरीबों के प्रतिनिधि है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे भाजपा सरकार गरीबों और पिछड़ों के हित मे काम करती है। आजादी के ६६ साल बाद भी ४० प्रतिशत परिवार ऐसे थे जिनके पास बैंक खाता नही था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे भाजपा ने दस माह के भीतर गरीब परिवारों के १३ करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलवाकर गरीबों के घरो की मु2यधारा मे लाने का काम किया है। श्री चुग ने कहा कि जो कार्य कांग्रेस के शासनकाल मे नही हुआ वो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार ने कई नई योजनाओ की शुरूआत कर उसे पुरा करने का मार्ग प्रशस्त किया है। आने वाले समय मे  देश मे २४ घंटे बिजली आपूर्ति के लिए दीनदयाल उपाध्याय बिजली योजना शुरू की है। इसके अलावा पढ़े लिखे युवाओ को रोजगार दिलाने, कौशल विकास के माध्यम से युवाओ की आय बढ़ाने, गांवो, कस्बों और शहरो मे स्वच्छता रखने और किसानो के खेतो तक पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना जैसे कार्यक्रम मोदी सरकार ने शुरू किये है। चुग ने कहा कि काग्रेंस के कार्यकाल मे हुए भ्रष्टाचार के कारण काग्रेंसी नेता २जी स्पै1ट्रम और कोयला घोटाले मे अरबों9खरबों रूपये खा गये। मोदी सरकार ने गरीबों के हित मे स्पै1ट्रम और कोयला की नीलामी का फैसला किया। अभी तक तीस प्रतिशत ही नीलामी हुई है और तीन लाख करोड़ रूपये से अधिक रूपये सरकारी खजाने मे आ गये है। श्री चुग ने कहा कि मोदी सरकार ने मुद्रा बैंक की स्थापना की घोषणा कर एक बड़ा काम किया है। आज बड़े9बड़े उद्योगों को तो असानी से लोन मिल जाता है लेकिन गरीबो को कोई लोन नही देता। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मुद्रा बैंक योजना शुरू की है जिसके तह्त कोई भी गरीब व्य1ित पांच हजार रूपये से पांच करोड़ रूपये तक का लोन ले सकता है। जो व्य1ित छोटा सा ठेला चलाता है उसे भी लोन मिलेगा और जो रि1शा चलाता है उसे भी लोन मिलेगा। अगर किसी गरीब युवा को दुकान खोलनी है तो उसे भी पांच लाख रूपये लोन मिलेगा। श्री चुग ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मां गंगा को अविरल और शुद्ध बनाने का काम भी शुरू किया है। वह ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्होने जनता से मिले उपहारों की नीलामी करवा कर ४२ करोड़ रूपये नमामि गंगे कार्यक्रम मे देने का अविस्मरणीय कार्य किया है।

Uploads by drrakeshpunj

Popular Posts

Search This Blog

Popular Posts

followers

style="border:0px;" alt="web tracker"/>