मंदीकी मार और घाटा पड़ने के कारण मालवा काॅटन मिल को ताला लग गया है। मिल के बंद होने से उसमें काम कर रहे सैकड़ों मुलाजिम भी बेरोजगार हो गए है। मिल अधिकारियों का कहना है कि घाटा पड़ने के कारण ही मिल को बंद किया जा रहा है।
बता दें कि कंपनी अधिकारियों ने गत 26 अगस्त को मिल के मुलाजिमों को 30 अगस्त से मिल को बंद किए जाने की जानकारी दी थी। अचानक तालाबंदी की घोषणा से मिल मुलाजिमों में हड़कंप मच गया और उन्होंने अपना बकाया वेतन मांगा, लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया था। रोष प्रदर्शन करने के बाद अधिकारियों ने वर्करों को तो उनका मेहनताना दे दिया, लेकिन मिल के मुलाजिम अभी भी वेतन ना मिलने पर काॅटन मिल के बाहर चक्कर लगा रहे हैं।
1978-79में लगी थी मिल : बतातेचलें कि यह मिल रायकोट रोड पर 58 एकड़ में साल 1978-79 में लगी थी। फैक्ट्री में छह यूनिट लगे थे, जोकि धीरे-धीरे एक-एक कर बंद होते चले गए।
रविवार को मिल पूरी तरह से बंद हो गई है। पता चला है कि इस मिल पर विभिन्न बैंकों का अरबों रुपए का बकाया है। कुछ माह पहले एक बैंक की ओर से फैक्ट्री के बाहर नोटिस भी लगाया था, जिसके बाद मैनेजमेंट ने मिल को बंद करने का फैसला लिया।
मुलाजिमोंको सता रही भविष्य की चिंता : मालवाकॉटन मिल में करीब 350 मुलाजिम और स्टाफ वर्कर काम कर रहे थे। मुलाजिम परमजीत सिंह, रंजन श्रीवास्तव, एमएस रावत, आरके चौधरी, गुरसेवक सिंह, जय नारायण, रामपाल, जसवंत सिंह, भगवान सिंह, दर्शन लाल, मनोज कुमार, गिरीश गिरी, बंसराज, जस्सी कौर, नैना कुमारी, मिठून सिंह, बलजीत सिंह, अमरजीत सिंह, पूजा, पुष्पा देवी ने बताया कि उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है।
कंपनीकाफी कर्जे में है, इसलिए लगा रहे हैं ताला : कंपनीके लुधियाना के सीनियर अधिकारी अनिल जैन, र| प्रकाश शर्मा और आरके चौधरी ने कहा कि मंदी की मार के कारण कंपनी पर करोड़ों रुपए का कर्जा है, जिस कारण काफी दिक्कत रही थी।
सभी मुलाजिमों का पिछला बकाया रहता है वह जरूर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुलाजिम काम करने का इच्छुक है तो वह माछीवाड़ा स्थित उनकी दूसरी यूनिट में काम कर सकता है।
बता दें कि कंपनी अधिकारियों ने गत 26 अगस्त को मिल के मुलाजिमों को 30 अगस्त से मिल को बंद किए जाने की जानकारी दी थी। अचानक तालाबंदी की घोषणा से मिल मुलाजिमों में हड़कंप मच गया और उन्होंने अपना बकाया वेतन मांगा, लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया था। रोष प्रदर्शन करने के बाद अधिकारियों ने वर्करों को तो उनका मेहनताना दे दिया, लेकिन मिल के मुलाजिम अभी भी वेतन ना मिलने पर काॅटन मिल के बाहर चक्कर लगा रहे हैं।
1978-79में लगी थी मिल : बतातेचलें कि यह मिल रायकोट रोड पर 58 एकड़ में साल 1978-79 में लगी थी। फैक्ट्री में छह यूनिट लगे थे, जोकि धीरे-धीरे एक-एक कर बंद होते चले गए।
रविवार को मिल पूरी तरह से बंद हो गई है। पता चला है कि इस मिल पर विभिन्न बैंकों का अरबों रुपए का बकाया है। कुछ माह पहले एक बैंक की ओर से फैक्ट्री के बाहर नोटिस भी लगाया था, जिसके बाद मैनेजमेंट ने मिल को बंद करने का फैसला लिया।
मुलाजिमोंको सता रही भविष्य की चिंता : मालवाकॉटन मिल में करीब 350 मुलाजिम और स्टाफ वर्कर काम कर रहे थे। मुलाजिम परमजीत सिंह, रंजन श्रीवास्तव, एमएस रावत, आरके चौधरी, गुरसेवक सिंह, जय नारायण, रामपाल, जसवंत सिंह, भगवान सिंह, दर्शन लाल, मनोज कुमार, गिरीश गिरी, बंसराज, जस्सी कौर, नैना कुमारी, मिठून सिंह, बलजीत सिंह, अमरजीत सिंह, पूजा, पुष्पा देवी ने बताया कि उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है।
कंपनीकाफी कर्जे में है, इसलिए लगा रहे हैं ताला : कंपनीके लुधियाना के सीनियर अधिकारी अनिल जैन, र| प्रकाश शर्मा और आरके चौधरी ने कहा कि मंदी की मार के कारण कंपनी पर करोड़ों रुपए का कर्जा है, जिस कारण काफी दिक्कत रही थी।
सभी मुलाजिमों का पिछला बकाया रहता है वह जरूर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुलाजिम काम करने का इच्छुक है तो वह माछीवाड़ा स्थित उनकी दूसरी यूनिट में काम कर सकता है।