Tuesday, February 21, 2012

सतपाल सत्ती बने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष


 

 
 
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शिमला. ऊना के विधायक सतपाल सत्ती प्रदेश भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उनके नाम को अपनी स्वीकृति दे दी है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता गणोश दत्त ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की तरफ से सतपाल सत्ती को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की पुष्टि की है।




प्रदेश भाजपा में चल रही उथल पुथल का खमियाजा निवर्तमान अध्यक्ष खीमीराम को भुगतना पड़ा। भाजपा से कुछ लोगों ने पार्टी छोड़कर हिलोपा का गठन कर लिया था। भाजपा को होने वाले नुकसान के लिए डैमेज कंट्रोल करने आई राष्ट्रीय महामंत्री जेपी नड्डा व सचिव श्याम जाजू की दो सदस्यीय टीम हिमाचल भेजी गई थी।



उन्होंने रविवार शाम अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंप दी थी। प्रदेश भाजपा में गठित तात्कालिक घटनाओं के दृष्टिगत निवर्तमान अध्यक्ष खीमी राम ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था जिसे भाजपा हाईकमान ने स्वीकार कर दिया।




युवा नेता सतपाल सत्ती को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष तैनात किया गया है। सत्ती दो बार प्रदेश विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले युवा नेता सतपाल सत्ती भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।



सत्ती इससे पूर्व कई कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे चुके हैं। सतपाल सत्ती प्रदेश भाजपा के 11वें अध्यक्ष होंगे। सतपाल सत्ती ने कहा कि हाईकमान ने उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे। सत्ता व संगठन में तालमेल बनाने का प्रयास करेंगे।



विद्यार्थी परिषद से प्रदेश अध्यक्ष तक 

सत्ती ने विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। 1990 से लेकर 1933 तक विद्यार्थी परिषद के राज्य सचिव रहे। इसके बाद 1994-97 तक विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव और और 8 साल तक पूर्ण सदस्य रहे। राज्य भाजयुमो अध्यक्ष रहने के बाद पार्टी राज्य कार्यकारिणी सदस्य भी रहे। 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ती पहली बार चुनकर और 2007 में लगातार दूसरा चुनाव जीता। 2009 में उन्हें सीपीएस बनाया गया।

जगराओं से जुड़े हैं डीएसपी हत्याकांड के तार

जगराओं/लुधियाना. तीन सप्ताह से डीएसपी बलराज सिंह गिल और उनकी महिला मित्र मोनिका कपिला के कातिलों की तलाश में दर-दर भटक रही लुधियाना पुलिस ने सोमवार को जगराओं में दबिश दी। लुधियाना सीआईए स्टाफ की पुलिस के तीन गाड़ियों में सवार करीब 15 सदस्यों ने शहर में सोमवार की सुबह पांच बजे ही छापेमारी शुरू कर दी। इस दौरान दो युवकों को पकड़ा गया है। 

छापेमारी को इतना गुप्त रखा गया कि पहले से जगराओं पुलिस को भी इसकी जानकारी नहीं थी। उधर, डीएसपी बलराज गिल हत्याकांड मामले में दिल्ली से आई क्राइम ब्रांच की स्पेशल टेक्निकल टीम ने लुधियाना में सोमवार से जांच का काम शुरू कर दिया है। टीम में एक आईपीएस अधिकारी सहित इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी हैं। छापेमारी के लिए आई टीम ने सबसे पहले डॉ. हरि सिंह के सामने स्थित मोहल्ला आत्म नगर में रेड की। यहां जिस घर में रेड की गई, वहां से कुछ हासिल नहीं हुआ। 

फिर पुलिस दल झांसी रानी चौक के पास मोहल्ला संत नगर पहुंचा। यहां से एक युवक को उठाया गया। युवक के परिवार को पुलिस दल के इंचार्ज ने अपना मोबाइल नंबर दिया और चलते बने। फिर पांच नंबर चुंगी कोठे खजूरा के पास भी रेड की गई। पुलिस यहां जिस नौजवान को उठाने आई थी वह नहीं मिला, परंतु पुलिस उस नौजवान के भाई को अपने साथ ले गई। जानकारी के मुताबिक जिन-जिन लोगों को पुलिस यहां से उठाकर ले गई है, उन लोगों के मोबाइल कनेक्शन उस केस से जुड़ रहे हैं। 

एडीसीपी सहित चार अधिकारियों को हरी झंडी 

डीएसपी मर्डर केस को सुलझाने के लिए चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलते ही एक एडीसीपी और तीन इंस्पेक्टरों को शहर में वापस लाया जा रहा है। अगले एकाध दिन में इन अधिकारियों के पदभार संभाल लेने की संभावना है। इनमें इंस्पेक्टर सुरिंदर मोहन, इंस्पेक्टर बलविंदर सिंह और इंस्पेक्टर प्रेम सिंह का नाम शामिल है। एडीसीपी के नाम का अभी खुलासा नहीं हो सका है।

स्थानीय पुलिस को नहीं थी जानकारी 

डीएसपी सिटी हरपाल सिंह ने कहा कि उनको इस रेड के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। बाद में उन्होंने पता कर बताया कि लुधियाना की सीआईए की पुलिस टीम आई थी और वह पूछताछ के लिए दो युवकों को साथ ले गई है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों नौजवानों को डीएसपी गिल हत्याकांड के सिलसिले में ही उठाया गया है। 

उधर, लुधियाना के सीआईए स्टाफ के ऑफिस में पहुंची टीम ने घटनास्थल से मिले सभी सबूतों का निरीक्षण करने के बाद टेक्निकल पहलूओं पर जांच की। इस दौरान वारदात से पहले और बाद में जुटाई गईं कॉल डिटेल और लोकेशनों को खंगाला गया। टीम के सदस्यों ने शहर के एक इलाके से मिले उन सीसीटीवी फुटेज पर भी फोकस रखा, जिनमें दोनों कारों को एक साथ जाते हुए देखा गया था। उनमें बैठे आरोपियों के चेहरों को पहचानने के लिए कसरत होती रही।

बुरे फंसे राहुल गांधी, कानपुर में केस दर्ज


कानपुर.कानपुर में अनुमति लिए बिना रोड शो करने के आरोप में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। राहुल के अलावा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष महेश दीक्षित और कुछ समर्थकों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए धारा 188, 283 और 290 के तहत कैंट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। कानपुर में पांचवें चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है ।

आरोप है कि राहुल गांधी ने २० किलोमीटर तक रोड शो करने की अनुमति ली थी लेकिन राहुल गांधी का काफिला उन इलाकों से भी गुजरा जहां की इजाजत प्रशासन से नहीं ली गई थी। काफिला उन रास्तों से भी गुजरा जहां महाशिवरात्रि की प्रशासनिक व्यवस्था के तहत धारा 144 लगाई गई थी। कानपुर पुलिस के डीआईजी राजेश राय ने बताया कि अब पुलिस इस मामले की जांच करेगी। उन्होंने कहा कि जब शहर में धारा 144 लागू होती है और जब कोई उसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ धारा 188 के तहत मामला दर्ज होता है। 

इसके अलावा धारा 283 और 290 में 'पब्लिक न्युसेंस' आता है, जिसके तहत आम लोगों की परेशानी का मामला होता है। उन्होंने कहा कि आचार संहिता का उल्लंघन इसी के तहत आता है। 

गौरतलब है कि इससे पहले भी रायबरेली में गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के रोड शो को भी जिलाअधिकारी ने रोक दिया था।
 
गौरतलब है कि राहुल गांधी के रोड शो के लिए  कानपुर प्रशासन से ४० किलोमीटर की अनुमति ली गई थी लेकिन रविवार देर रात राहुल के रोड शो का मार्ग घटाकर बीस किलोमीटर कर दिया गया था। लेकिन सोमवार को राहुल गांधी ने उस मार्ग पर ही रोड शो किया जिसकी अनुमति उन्होंने पहले ली थी जिसके कारण करीब चार घंटे अधिक समय तक उनका काफिला सड़कों पर रहा। जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ हरिओम ने दैनिक भास्कर डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि राहुल गांधी और आयोजकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
 
हरिओम के मतुबाकि महाशिवरात्रि के त्यौहार के चलते राहुल गांधी के रोड शो की दूरी घटाई गई थी। अनुमति में बदलाव करते हुए जिला प्रशासन ने रोड शो के लिए सुबह दस बजे से 12 बजे तक समय निर्धारित किया था और 20 किलोमीटर का मार्ग तय किया था। 
 
लेकिन रोड शो में पूरी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन किया गया और सुबह साढ़े दस बजे से शुरू हुआ रोड शो शाम करीब साढ़े तीन बजे समाप्त हुआ। यही नहीं रोड शो को निर्धारित मार्ग से आगे भी ले जाया गया।   
 

Friday, February 17, 2012

यूपी में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाए तो अच्‍छा: संघ

नई दिल्‍ली. उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चौथे चरण के मतदान (19 फरवरी) के लिए आज प्रचार का आखिरी दिन है। लेकिन भाजपा के लिए बुरे संकेत आ रहे हैं। पार्टी के नेता और संघ की ओर से आ रही टिप्‍पणियां भाजपा की हताशा-निराशा बढ़ाने वाली हैं। जहां पार्टी के एक वरिष्‍ठ नेता ने साफ कह दिया है कि उत्‍तर प्रदेश में सपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरेगी, वहीं संघ के नेता का कहना है कि भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाए तो ही अच्‍छा। 
उत्‍तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए उमा भारती सहित भाजपा के तमाम नेता दिन रात एक कर रहे हैं। लेकिन मध्‍य प्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर का कहना है कि उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी नंबर एक पर रहेगी। राज्‍य में चुनाव प्रचार कर लौटे गौर ने दैनिक भास्कर से कहा कि भाजपा 80 से 90 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रहेगी। भाजपा में वापसी के बाद पार्टी ने उमा को चरखारी से उम्मीदवार बनाकर मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है। मध्‍य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उत्‍तर प्रदेश में लगातार चुनावी दौरे कर रहे हैं। उनका भी दावा है कि उप्र में भाजपा सरकार बनाएगी। लेकिन गौर के बयान ने अलग ही माहौल बना दिया है।  
 
गौर ने बताया कि भाजपा की सीटों में तीस से लेकर चालीस तक का इजाफा होने के आसार हैं। लेकिन राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के प्रचारक कहते हैं, 'उमा का उत्‍तर प्रदेश लाया जाना भाजपा के दिग्गजों को संघ का संदेश है। अब दिग्गजों के इलाकों में सीटों की घट-बढ़ के आंकड़ों का इंतजार है, जो बेहतर हों तो अच्छा है। बदतर हों तो और भी अच्छा!'  
उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के मुद्दे के बूते भाजपा ने सरकारें बनाईं और धीरे-धीरे 50 सीटों पर जा सिमटी। मंदिर का मुद्दा मूल रूप से संघ का है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है, 'सीटें बढ़ें तो अच्छा है। बिल्कुल ही साफ हो जाएं तो बहुत ही अच्छा।' संघ का मानना है कि पार्टी से ज्यादा परिजनों को बढ़ाने में लगे रहे नेताओं के कारण ही दुर्गति हुई। लालजी टंडन ने लखनऊ से बेटे गोपाल को टिकट दिलाया। पूर्व अध्यक्ष रमापतिराम त्रिपाठी और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने भी बेटों को आगे किया। 
19 फरवरी को राज्‍य के 11 जिलों की 56 सीटों पर मतदान होगा। उसी दिन भाजपा नेता कलराज मिश्रा की राजनीतिक किस्‍मत का भी फैसला होगा, जो पूर्वी लखनऊ से उम्मीदवार हैं। ऐसे में भाजपा नेता और संघ की टिप्‍पणी पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। 

Sunday, February 12, 2012

पहली ही झलक में दीवाना बना देती है इस 'पुलिसवाली' की अदा



 
 
 
नई दिल्ली. बदलते वक़्त के साथ साथ हर शहर का मिजाज भी बदलता है. एक ज़माने में तक्षशिला और काशी, शिक्षा के महान केंद्र थे. आधुनिक भारत में वैसे तो तमाम ऐसे शहर हैं जो किसी खास तरह की शिक्षा के लिए जाने जाते हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस क्षेत्र में अपना ख़ास स्थान रखता है, क्योंकि देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा (सिविल सर्विसेस) की तैयारी के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण केंद्र के तौर पर उभरा है.
 
आज हम आपको इसी शहर में पढ़ी और यहीं से तैयारी कर 'भारतीय पुलिस सेवा'(IPS) में चयनित एक ऐसी अधिकारी से मिला रहे हैं जिन्होंने अपनी मेधा के बल पर न सिर्फ इस महत्वपूर्ण पद को प्राप्त किया है, बल्कि उनके चर्चा में आने का कारण उनका बेहद आकर्षक व्यक्तित्व भी है, जो किसी को भी उनकी ओर देखने को मजबूर कर देता है. 
 
दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्री राम कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स और दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉं ग्रेजुएट इस बाला की पहली ही झलक अपनी ओर खींचने का माद्दा रखती है.जी हां, बेहद आकर्षक कद-काठी वाली 'दीपिका गर्ग' वैसे तो मेरठ की रहने वाली हैं, लेकिन फिलहाल यह बाला कोई आम लड़की नहीं है, बल्कि ये हैं 'भारतीय पुलिस सेवा' के 2007 बैच की एक अधिकारी जो लखनऊ में सेवारत हैं.   
 
एक शहर जो फिलहाल क्राइम कैपिटल के नाम से ज्यादा जाना जाता है. वहां एक महिला को अपराधियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी मिलना निश्चित ही एक चुनौतीपूर्ण काम है. खाकी वर्दी के प्रति उनके ख़ास लगाव ने ही उन्हें इस पेशे की ओर आकर्षित किया. हालांकि उनका मानना है कि सबसे पहले वह एक पुलिसवाली हैं, उसके बाद महिला या पुरुष. पुलिस सेवा में रहते हुए उन्होंने कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया कि उनका लड़की होना इसमें कहीं से भी बाधक है. 

अखबार-चैनल चलाने वाली पीएसीएल, बीपीएन समेत कई चिटफंड कंपनियों के संचालक फरार


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पीएसीएल के निदेशक एस. भट्टाचार्या और मालिक गुरुवंत सिंह पर भी दो हजार रुपये का इनाम : हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी, जनता का पैसा लूट डाला इन कंपनियों ने : पर्ल्स की मदर कंपनी पीएसीएल और बीपीएन टाइम्स की मदर कंपनी बीपीएन एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड समेत कई कंपनियों के संचालक निशाने पर : पहले ये लोग जनता को बेवकूफ बनाकर पैसे जमा कराते हैं, फिर उस पैसे से अखबार चैनल खोलते हैं और उसके बाद दलाली करके अपनी कंपनी को प्रामाणिक बनाने का खेल करते हैं. पर मध्य प्रदेश में इन चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जो सरकारी अभियान चला हुआ है, उससे चिटफंड कंपनियों के मालिकों की नींद हराम हो चुकी है.

मध्य प्रदेश में चिटफंड कंपनियों के काले कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है. ग्वालियर-चंबल संभाग में कई कंपनियों के दफ्तर सील किए गए हैं और इन कंपनियों के संचालकों समेत 98 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. ये कम्पनियां लोगों को पैसे दोगुने करने का लालच देकर करोड़ों रुपए डकार चुकी हैं जबकि इनको आरबीआई से कोई लाइसेंस नहीं मिला है. प्रशासन के मुताबिक सिर्फ ग्वालियर में ही चिटफंड कंपनियां एक हजार करोड़ रुपये समेट चुकी हैं.

प्रशासन को 33 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ अब तक 13 हजार शिकायतें मिल चुकी हैं. इन लोगों का कुल 42 करोड़ से भी ज्यादा पैसा इन कंपनियों के पास जमा है. इन चिटफंड कंपनियों के शिकार लोगों की तादाद इतनी ज्यादा है कि प्रशासन को कलेक्ट्रेट में एक अलग काउंटर खोलना पड़ा है. प्रशासन ने 33 कंपनियों की लिस्ट जारी की है जिसमें लोगों को कारोबार नहीं करने की अपील की है. इन कंपनियों में दिल्ली की पीएसीएल के अलावा के एम जे और परिवार ग्रुप भी शामिल है. प्रशासन को शक है कि इन चिटफंड कंपनियों के मालिक विदेश भाग सकते हैं इसलिए इन लोगों के वीजा रद्द करने की भी कार्रवाई की जा सकती है. 33 कंपनियों की करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति और बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं. इस मामले में पीएसीएल के एस भट्टाचार्य, के एम जे के संतोषी लाल राठौर, परिवार ग्रुप के राकेश नरवरिया, सन इंडिया रियल स्टेट के इरशाद खान, बीपीएन एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड, सनसाइन इंफ्राटेक लिमिटेड समेत सभी 33 कंपनियों के संचालकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और रिजर्व बैंक अधिनियम की तमाम धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. ज्यादातर संचालक फरार हैं. पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए दो-दो हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है. कुछ चिटफंड कंपनियों ने जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में जिला प्रशासन की कार्रवाई को चुनौती दी है जिसकी अगली सुनवाई 6 जुलाई को है

घपले का खुलासा होने के बाद देशभर के छोटे-छोटे निवेशकों में हड़कंप है. चिटफंड कंपनियों में खून-पसीने की कमाई से बचाई रकम जमा करने वाले अपनी रकम डूबने के अंदेशे से इलाके के दफ्तरों में पहुंच रहे हैं. ऊना और प्रतापगढ़ में तो घोटाले की खबर के बाद भी पीएसीएल कंपनी में काम चल रहा है. प्रतापगढ़ में 2006 में पीएसीएल की ब्रांच खुली. हर महीने यहां करीब 8 करोड़ का कारोबार होता है. इस ब्रांच में 28 कर्मचारी हैं जबकि निवेशकों की तादाद करीब 5 लाख है. कंपनी की जालसाजी का खुलासा होने से निवेशकों के साथ ही ब्रांच में काम करने वाले कर्मचारी भी सकते में नजर आए. जानकारों के मुताबिक चिट फंड कंपनियों में फंसा आपका पैसा तभी वापस मिल पाएगा जब चिटफंड कंपनी के पास उतनी संपत्ति हो, ऐसा नहीं होने पर अपनी रकम डूबी समझिए.

उधर, ग्वालियर में रहने वाले रामबाबू पेशे से मोटर मैकेनिक हैं पर आजकल बहुत परेशान हैं. रामबाबू ने ज़िन्दगी भर बचत कर खुद का मकान बनाने का सपना संजोया था. ‘पीएसीएल कम्पनी’ में लगभग 80 हजार रुपए जमा कर दिए. लेकिन चिटफंड कंपनियों पर छाए काले बादलों में रामबाबू का सपना धुंधला गया है. ऐसा ही कुछ हाल अभिषेक का है जिन्होंने पैसा दोगुना करने के चक्कर में चिटफंड कंपनियों में अपनी जमा पूंजी फंसा दी. 

ग्वालियर के कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने मप्र लोक विकास फायनेंस लिमिटेड, समृद्धि जीवन फूड्स इंडिया लि. गरिमा रियल इस्टेट एंड अलाइड, सक्षम डेयरी एंड अलाइड लिमिटेड, ग्रीन फिगर्स एग्रो लैंड मैंटिनेंस एक्स लिमिटेड, रायल सन मार्केर्टिंग एंड इंश्योरेंस सर्विसेज, स्थायी लॉर्क लैंड डवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड, आधुनिक हाउसिंग डवलपमेंट प्रा., जीवन सुरभि डेयरी एंड एलाइड, परिवार डेयरी एंड अलाइड लि., जेएसव्ही डवलपर्स इंडिया लि., केएमजे लैंड डवलपर्स लि. इंडिया रियल एस्टेट, मधुर रियल एस्टेट एंड अलाइड, बीपीएन रीयल एस्टेट एंड एलाइड, प्रवचन डेयरी एंड एलाइड लि. अनोल सहारा मार्के¨टग इंडिया लि., केबीसीएल प्रायवेट लि., जीएन लैंड डवलपर्स, किम यूचर विजन, पीएसीएल इंडिया लि सहित कई कंपनियों के दफ्तरों को बंद करके उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जा रही है. अब पुलिस ने भी अपनी ओर से कदम उठाते हुए इन सभी कंपनियों के मालिकों के खिलाफ दो-दो हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया है. इस कार्रवाई के दायरे में पीएसीएल जैसी बड़ी कंपनी के मालिक व निदेशक भी आ गए हैं. ग्वालियर पुलिस की ओर से पीएसीएल कंपनी के निदेशक एस. भंट्टाचार्य के अलावा मालिक गुरुवंत सिंह के साथ दूसरे लोगों पर भी दो-दो हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. जिला प्रशासन व पुलिस ने इनके ऊपर मप्र निक्षेपक अधिनियम 2000 व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.

भाजपा की परेशानी : मन में राम और मोबाइल में नंगी छोरी


लगता है इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। खासतौर पर कर्नाटक राज्य उसके लिए लगातार फजीहत का सबब बना हुआ है। भाजपा नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के घोटालों में घिरने से हुई बदनामी से अभी पीछा छुड़ा भी नहीं पाया था, अब एक फिर नया मामला भारी शर्मींदगी का कारण बन रहा है। दरअसल, कर्नाटक में भाजपा सरकार के तीन मंत्री मोबाइल में अश्लील क्लिपिंग देखते पकड़े गए हैं। यह मामला ऐसे वक्त सामने आया है जबकि उत्तर प्रदेश का चुनावी माहौल अपने शबाब पर है। कर्नाटक में विधानसभा का सत्र के दौरान तीन मंत्रिगण मोबाइल में पोर्न वीडियो देखने में मशगूल थे। इनमें सहकारिता मंत्री लक्ष्मण साबदी, विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी मंत्री कृष्णा पालेमर और महिला एवं बाल विकास मंत्री सीसी पाटिल शामिल हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। लिहाजा भाजपा हाईकमान ने कथित तौर पर अश्लील क्लिपिंग देखने वाले मंत्रियों के इस्तीफे मांगने में देर नहीं की। 

आप जरा इन महानुभाव मंत्रियों का जबर्दस्त काम्बिनेशन देखिए। एक सहकारिता दूसरा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और तीसरा महिला एवं बाल विकास मंत्री। ये तीनों महानुभाव सामूहिक रूप से विज्ञान की सौगात मोबाइल पर महिला की अश्लील क्लिपिंग का लुत्फ उठा रहे थे। खास बात ये है कि यह तब हुआ जबकि कर्नाटक विधानसभा का सत्र चल रहा था। हो सकता है कि इन साहेबानों ने सोचा हो कि बेतमलब की बहस में सर खपाने की बजाय मन को बहला लिया जाए। वैसे क्या अच्छा नहीं होता कि ये मंत्रिगण रामायण की कोई क्लिपिंग देख रहे होते। अगर ये विधानसभा कार्यवाही के दौरान पकड़ लिए जाते और खबर बन भी जाती। तो शायद भाजपा के लिए थोड़ी राहत की बात हो सकती थी। पार्टी चुनावों में कह सकती थी कि देखो हमारे मंत्रियों की मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम में कितनी आस्था है।

गौरतलब है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश के चुनावों के मद्देनजर अपने घोषणा पत्र में फिर अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कही है। पार्टी 90 के दशक से लगातार राम का नाम बेचती आ रही है। लेकिन लगता है कि उसके नुमांइदे राम का नाम सुनते और सुनाते उब चुके हैं। तभी उन्होंने फुर्सत के लम्हों में अपने मोबाइल में पोर्न विडियो देखना ज्यादा बेहतर समझा होगा। खैर ये हर आम आदमी की तरह वे भी अपनी इच्छा पूरी करने के लिए स्वतंत्र हैं। वैसे अश्लील क्लिपिंग देखना इतनी बड़ी बात नहीं है कि उसका बतंगड़ बना दिया जाए। बात सिर्फ श्री राम का नाम भुनाते वाली भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों के मर्यादाहीन व्यवहार की है। जो लोकतंत्र के मंदिर रूपी विधानसभा के अनुष्ठान यानि सत्र के दौरान पोर्न वीडियो देखने में मशगूल नजर आए। अगर वो इस नेक काम को अपने घर, बेडरूम या फिर कहीं और करते तो उसमें किसी को आपत्ति नहीं होती। हम बचपन से ही बड़ों से मन में राम बगल में छूरी नामक कहावत सुनते आए हैं। लेकिन कर्नाटक में भाजपा के इन तीन शूरमाओं ने एक नई कहावत को जन्म दे दिया है, वो है मन में राम और मोबाइल में छोरी।

खैर अब छोडों इस बात को मंत्रियों को जो अच्छा लगा उन्होंने वो किया। मुझे आशंका है कि कहीं अन्ना हजारे की टीम इस बात को अपनी डायरी में नोट न कर लिया हो। कोई ताज्जुब नहीं है कि टीम अन्ना भविष्य में अपने मंच से नेताओं पर एक नयी फब्ती कसती नजर आए। ऐसे नेताओं की सर्वोच्चता क्यों स्वीकार की जाए, जो विधानसभा में बैठकर मोबाइल में अश्लील क्लिपिंग देखते हो?

ब्‍लैकमेलिंग के आरोप में एक चैनल के चार पत्रकार गिरफ्तार



जानकारी के अनुसार अंदरून गेट हकीमा निवासी विजय कुमार ने पुलिस को बताया कि वह इलाके में डिपो चलाते हैं। वह डिपो पर लोगों को किरोसिन का तेल व अन्य सामान बांट रहे थे। इसी दौरान वहां पर चार युवक आए और कैमरे के साथ रिकार्डिग करने लगे। पूछने पर युवकों ने खुद को एक टीवी चैनल का पत्रकार बताया। इन पत्रकारों ने कहा कि उनका स्टिंग आपरेशन किया गया है। अगर वह स्टिंग आपरेशन को टीवी पर चलने से रोकना चाहते हैं तो उन्हें पचास हजार रुपये दें। वह घबरा गए और पच्चीस हजार रुपये दे दिए। इसके बाद उन्होंने अपने साथियों को इसके बारे में बताया। देखते ही देखते इलाका निवासी एकत्रित हो गए। लोगों ने पत्रकारों को घेर लिया। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। एसीपी सेंट्रल नवीन सिंगला और एसएचओ गेट हकीमा सुशील कुमार मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मौके से बिक्रम सिंह, धर्मवीर सिंह निवासी गली मंदिर वाली बटाला रोड, अमनदीप सिंह निवासी गांव माहल और सम्मी निवासी गली गिलवाली गेट को काबू कर लिया। आरोपियों से एक इंडिका कार, कैमरा, टीवी चैनल का माइक, आई कार्ड, मोबाइल फोन और डिपो होल्डर से लिए गए पच्चीस हजार रुपये बरामद किए गए। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ थाना गेट हकीमा में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है।
पूछताछ के दौरान सामने आया कि आरोपी खुद को जिला फूड सप्लाई विभाग द्वारा बनाई गई स्पेशल टीम के सदस्य बता कर डिपो होल्डरों को ब्लैकमेल करते थे। पुलिस ने जब इस संबंध में जिला फूड सप्लाई अधिकारी आरके सिंगला से बात की तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई भी टीम नहीं बनाई गई है। यह बात भी सामने आई कि आरोपियों ने कुछ दिन पहले थाना गेट हकीमा के निकट अमन एवेन्यू के डिपो होल्डर से भी इसी तरह हजारों रुपये की राशि ऐंठी थी। बंगला बस्ती के डिपो होल्डर सन्नी को इसी तरह ब्लैकमेल करके आरोपी रुपये मांग रहे थे। आरोपियों की कार में से डिपो होल्डर सन्नी को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। सन्नी ने पुलिस को बताया कि उससे रुपये का प्रबंध नहीं हो पाया था, इसलिए वह आरोपियों से कुछ मोहलत मांगने के लिए आया था। पूछताछ के बाद उसे रिहा कर दिया गया। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। हालांकि पत्रकारिता के नाम पर ब्‍लैकमेलिंग करते पकड़े जाने पर पत्रकार जगत में हड़कम्‍प मचा हुआ है।

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SGPC Secretary can’t file SLP in SC as per Justice Liberhan’s Judgement says Dr.Ranu






( PUNJ)The SGPC Secretary Dalmegh Singh has filed a SLP in the Supreme Court challenging the judgment dated 20/12/2011 of the Punjab & Haryana High Court where the Hon’ble full bench headed by Justice Surya kant has quashed the notification dated 8/10/2003 by which the Sehajdhari Sikhs were debarred from their voting right. The National President of the Sehajdhari Sikh Party Dr.P.S.Ranu stated in a press statement  that the Secretary of the SGPC is not a valid authority to file the SLP in Sehajdhari case because the SGPC is a body corporate and all body corporates can only speak through resolutions as it is upheld in the Punjab & Haryana High Court in a Judgement of Justice Liberhan in case of “ Sadhu v/s Gram Panchayat of Village Akalian:- Pleading-Suit against Corporate body-Corporates are not living persons and can speak only through resolutions. In absence of a resolution authorising a particular person to act or to conduct or to defend case, that act or deed shall be deemed to be without any authority and the act or result of the case cannot be binding on the corporate body.”
  
He said that in light of the interim order dated 3/8/2011 of the Punjab & Haryana High Court and the  directions dated 16/9/2011 of the Hon’ble Supreme Court the elections of the newly elected Board SGPC has been set aside and the Board constituted by the Govt. of India vide notification dated 17/12/2011 has become no-nest and is a nullity in the eyes of law as on today. Also after 30/11/2011 the term of the President of the SGPC has expired and no new office bearer has been elected even after the notification dated 17/12/2011 by which the new Board was constituted by the Union Govt.. He added that as per section 54 of the Sikh Gurudwara Act 1925 its mandatory to hold the first meeting not later than one month from the date of notification constituting the Board and even that has lapsed on 16.1.2012, and now the House is no more. In light of all these facts the SGPC house recently elected is at nullity then how can the SGPC Secretary Delmegh Singh take an independent decision to file the SLP in the Supreme Court on behalf of the SGPC in the absence of SGPC General House or Executive Committee or the President.

It is mentionable here that the said notification dated 8/10/2003 debarring the Sehajdhari Sikhs from voting in the SGPC was challenged by Sehajdhari Sikh Federation. Now the newly elected Board was constituted by the Government of India Ministry of Home Affairs vide Gazette notification No.2354  dated 17.12.2011. It has been specifically mentioned in a note on the copy of the notiifcation that the Constitution of the Board is subject to the judgment of the Punjab & Haryana High Court in CWP no.17771 /03 of the Sehajdhari Sikh Federation V/S UOI and others.

The Sehajdharis have also filed a Caveat in the Hon’ble Supreme Court of India so that they may be heard before passing any interim order in any appeal against the Orders dated 20/12/2011 of the Hon’ble Full bench of Punjab & Haryana High Court but till today no notice has been received by their Advocates said Dr.Ranu. It is learnt that the SGPC has filed an SLP with dairy No. 4446 of 2012 on 6/2/2012 but is not yet listed due to certain objections.

Saturday, February 11, 2012


ôz½îäÆ Õî¶àÆ ç¶ ÃÕµåð 鱧 ðêðÆî Õ½ðà ÇòµÚ ÃÇÔÜèÅðÆ îÅîñ¶ 鱧 Ú°é¯åÆ ç¶ä çÅ ÁèÆÕÅð ÇÕÃ é¶ ÇçµåÅ Üç¯ ôz¯îäÆ Õî¶àÆ ÔÆ î¯Ü±ç éÔÆ- ìÅìÅ à¶Õ ÇÃ§Ø èé½ñÅ
 ôz¯îäÆ Õî¶àÆ ç¶ ÕÅðÜÕÅðäÆ î˺ìð ìÅìÅ à¶Õ ÇÃ§Ø èé¯ñÅ Áå¶ À°ÔéÅ ç¶ ÃÅæÆ î˺ìðÅ é¶ Ãź޶ å¯ð å¶ ÇÂÕ êzËà ÇìÁÅé ðÅÔÆ ÇÕÔÅ ÇÕ ÃÇÔÜèÅðÆ ÇõÖÅ ç¶ ò¯à ÁèÆÕÅð Ãì§èÆ ê§ÜÅì Áå¶ ÔðÆÁÅäÅ ÔÅÂÆÕ¯ðà ç¶ ëËÃñ¶ ÇîåÆ 20/12/2011 鱧 ðêðÆî Õ½ðà ÇòµÚ Ú°é¯åÆ ç¶ä ìÅð¶ éÅ åź éòÆ Ú°äÆ ôz½îäÆ Õî¶àÆ é¶ Áå¶ éź ÔÆ ê°ðÅäÆ ôz¯îäÆ Õî¶àÆ é¶ Áܶ åµÕ Õ¯ÂÆ îåÅ êÅÂÆÁÅ Ô,Ë Áå¶ éÅ ÔÆ Õ¯ÂÆ ÕÅðÜÕÅðéÆ çÆ îÆàÆº× Ô¯ÂÆ Ô,Ë ÇÕÀ° ÇÕ ÔÅÂÆÕ¯ðà ç¶ ëËÃñ¶ ÇîåÆ 3/8/2011 Áå¶ Ã°êðÆî Õ¯ðà ç¶ Ô°Õî ÇîåÆ 16/9/2011 ç¶ Áé°ÃÅð ÇÂÔ ÔÅñ ÔÆ ÇòµÚ Ú°äÆ îܱçÅ ôz¯îäÆ Õî¶àÆ çÅ ÔÅÀ°Ã ÔÆ Öåî Ô¯ Ú°ÕÅ ÔË Áå¶ íÅðå ÃðÕÅð ç¶ é¯àÆÇëÕ¶ôé ÇîåÆ 17/12/2011 ÇÜà ðÅÔÆ ÇÂà éò¶ 򡊦 ì¯ðâ ôz½îäÆ Õî¶àÆ çÅ ×áé Ô¯ÂÆÁÅ ÃÆ, À°Ô òÆ îÅäï¯× ÔÅÂÆ Õ¯ðà ç¶ ëËÃñ¶ ÇîåÆ 20/12/2011 å¯ ìÅç ðµç î§ÇéÁÅ ÜźçÅ ÔË ÇÕÀ° ÇÕ 17 ççìð 2011 ç¶ íÅðå ÃðÕÅð ç¶ ×÷à é¯àÆëÆÕ¶ôé é§:-2354 ÇòµÚ ÇñÖÆÁź Ô¯ÂÆÁÅ ÔË ÇÕ ÇÂÔ ì¯ðâ ÃÇÔÜèÅðÆ ÇÃµÖ ëËâð¶ôé çÆ Çðµà ÃÆ.âìñ±.êÆ. 鱧 17771 /2003 ç¶ îÅäï¯× ÔÅÂÆÕ¯ðà ç¶ ëËÃñ¶ å¶ ÇéðèÅðå ðÔ¶×Å Áå¶ Ô°ä ìÅç ÇòµÚ 20/12/2011 鱧 îÅäï¯× ÔÅÂÆÕ¯ðà ç¶ ëËÃñ¶ éÅñ ÃÇÔÜèÅðÆ ÇõÖź çÅ ò¯à ÁèÆÕÅð Öåî Õðä òÅñÅ 8.10.2003 òÅñÅ é¯àÆëÆÕ¶ôé îÅäï¯× ÔÅÂÆÕ¯ðà òñ¯º ðµç Õð ÇçµåÅ Ç×ÁÅ ÔË ÇÜà ÕÅðä ðêðÆî Õ¯ðà çÆ ÔçÅÇÂå ÇîåÆ 16.9.2011 Áé°ÃÅð ôz¯îäÆ Õî¶àÆ çÅ éòÅ Ú°ÇäÁÅ ì¯ðâ Öåî Ô¯ Ç×ÁÅ ÔË¢ÇîåÆ 30/11/2011 å¯ ìÅç Ãz¯îäÆ Õî¶àÆ ç¶ êzèÅé çÅ ÕÅÜÕÅñ òÆ ÃîÅêå Ô¯ ÜźçÅ ÔË Áå¶ Ô°ä ÇÂà ôz½îäÆ Õî¶àÆ çÅ Õ¯ÂÆ òÅðà ÔÆ éÔÆ ÔË åź ÇÂà ÃÕµåð Ççñî¶Ø ÇÃ§Ø é±§ ðêðÆî Õ¯ðà ÇòµÚ նà çÅÇÂð Õðä ç¶ ÁèÆÕÅð ÇÕÃ é¶ Ççµå¶ Ôé? ðêðÆî Õ¯ðà ÇòµÚ îÇԺ׶ òÕÆñ Õðä çÅ ÖðÚÅ ÇÕà çÆ êzòÅé×Æ éÅñ ÕÆåÅ ÜÅ ÇðÔÅ ÔË? ÇÂÔéÅ ÃÅð¶ ÃòÅñÅ éÅñ ÁµÜ ôz¯îäÆ Õî¶àÆ ÕÅé±éÆ å¯ð å¶ ÇØð Ú°ÕÆ ÔË ÇÕÀ° ÇÕ ÃÇÜèÅðÆ ÇõÖÅ ç¶ ò¯à ÁèÆÕÅð 鱧 ñË ÇÕ ê§ÜÅì Áå¶ ÔðÆÁÅäÅ ÔÅÂÆÕ¯ðà é¶ êÇÔñÅ ÔÆ ÃÇÔÜèÅðÆ ÇõÖÅ ç¶ ÔµÕ ÇòµÚ ëËÃñÅ ç¶ ÇçµåÅ ÔË¢
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SGPC SECRETARY HAS NO POWER TO FILE SLP IN SC AS THE BOARD IS DEFUNCT SAYS SGPC EXECUTIVE MEMBER BABA TEK SINGH DHANAULA




 ( Punj )The Executive Member of the SGPC Baba Tek Singh Dhanaula and his associates issued a press statement reacting to the version of Sh.Avtar Singh Makkar that the SGPC has filed a SLP in the Supreme Court challenging the judgment dated 20/12/2011 of the Punjab & Haryana High Court where the Hon’ble full bench headed by Justice Surya kant has quashed the notification dated 8/10/2003 by which the Sehajdhari Sikhs were debarred from their voting right. He said that as per the interim order dated 3/8/2011 of the Punjab & Haryana High Court and the  directions dated 16/9/2011 of the Hon’ble Supreme Court the elections of the newly elected Board SGPC has been set aside and the Board constituted by the Govt. of India vide notification dated 17/12/2011 has become no-nest and is a nullity in the eyes of law as on today. Also after 30/11/2011 the term of the President of the SGPC has expired and no new office bearer has been elected even after the notification dated 17/12/2011 by which the new Board was constituted by the Union Govt.. He added that as per section 54 of the Sikh Gurudwara Act 1925 its mandatory to hold the first meeting not later than one month from the date of notification constituting the Board and even that has lapsed on 16.1.2012, and now the House is no more. In light of all these facts the SGPC house recently elected is at nullity then how can the SGPC Secretary Delmegh Singh take an independent decision to file the SLP in the Supreme Court on behalf of the SGPC in the absence of SGPC General House or Executive Committee or the President. He raised questions that with whose permission he has engaged the senior counsels in the Supreme Court and where from the money is being given to bear all the legal expenses on behalf of the SGPC?
It is mentionable here that the said notification dated 8/10/2003 debarring the Sehajdhari Sikhs from voting in the SGPC was challenged by Dr.P.S.Ranu National President of Sehajdhari Sikh Federation. Now the newly elected Board was constituted by the Government of India Ministry of Home Affairs vide Gazette notification No.2354  dated 17.12.2011. It has been specifically mentioned in a note on the copy of the notiifcation that the Constitution of the Board is subject to the judgment of the Punjab & Haryana High Court in CWP no.17771 /03 of the Sehajdhari Sikh Federation V/S UOI and others.
The Sehajdharis have also filed a Caveat in the Hon’ble Supreme Court of India so that they may be heard before passing any interim order in any appeal against the Orders dated 20/12/2011 of the Hon’ble Full bench of Punjab & Haryana High Court but till today no notice has been received by their Advocates said Dr.Ranu from Delhi who was persuing his caveat. It is learnt that the SGPC has filed an SLP with dairy No. 4446 of 2012 on 6/2/2012 but is not yet listed due to some objections.




Thursday, February 9, 2012

  ਫੁੱਫੜਾਂ ਦਾ ਕਿਹਾ ਕੌਣ ਮੌੜੂ !
                      
ਬਠਿੰਡਾ : ਮਾਲਵਾ ਪੱਟੀ ਵਿੱਚ ਉਮੀਦਵਾਰ 'ਫੁੱਫੜਾਂ' ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਵੱਲੋਂ ਆਪੋ ਆਪਣੀ ਜਿੱਤ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵੋਟਰਾਂ 'ਤੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦਾ ਦਬਾਅ ਪਵਾਇਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਨੇ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਅਤੇ ਫੁੱਫੜਾਂ ਦੀ ਸ਼ਨਾਖਤ ਕਰਕੇ ਸੂਚੀਆਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਫੁੱਫੜਾਂ ਤੋਂ ਆਖਰੀ ਹੰਭਲਾ ਵੋਟਾਂ ਪੈਣ ਤੋਂ ਹਫ਼ਤਾ ਪਹਿਲਾਂ ਮਰਵਾਇਆ ਜਾਣਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਫੁੱਫੜਾਂ ਦੀ ਕਾਫੀ ਕਦਰ ਵੱਧ ਗਈ ਹੈ। ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੇ ਵਾਹਨ ਭੇਜੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਜੋ ਫੁੱਫੜ ਨੂੰ ਲਿਆ ਕੇ ਵੋਟਾਂ ਵਾਸਤੇ ਅਖਵਾਇਆ ਜਾ ਸਕੇ। ਹਲਕਾ ਭੁੱਚੋ ਤੋਂ ਅਕਾਲੀ ਉਮੀਦਵਾਰ ਪ੍ਰੀਤਮ ਸਿੰਘ ਕੋਟਭਾਈ ਦੀ ਟੀਮ ਵੱਲੋਂ ਫੁੱਫੜਾਂ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਦੀ ਸ਼ਨਾਖਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵੋਟਾਂ ਵਾਸਤੇ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕੇ। ਟੀਮ ਦੇ ਆਗੂ ਮੈਂਬਰ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਸਰਕਲ ਜਥੇਦਾਰ ਗੁਰਲਾਭ ਸਿੰਘ ਢੇਲਵਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਅਤੇ ਫੁੱਫੜਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦੀਆਂ ਸੂਚੀਆਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਜੋ ਚੋਣ ਜਿੱਤਣ ਲਈ ਕੋਈ ਕਸਰ ਬਾਕੀ ਨਾ ਛੱਡੀ ਜਾ ਸਕੇ। ਸ੍ਰੀ ਢੇਲਵਾਂ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਵੋਟਾਂ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਫੁੱਫੜਾਂ ਦਾ ਮਾਣ ਤਾਣ ਕਾਫੀ ਵੱਧ ਗਿਆ ਹੈ।
           ਹਲਕੇ ਤੋਂ ਕਾਂਗਰਸੀ ਉਮੀਦਵਾਰ ਅਜਾਇਬ ਸਿੰਘ ਭੱਟੀ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵੱਲੋਂ ਕੋਈ ਸੂਚੀ ਵਗੈਰਾ ਤਾਂ ਤਿਆਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਇਹ ਡਿਊਟੀ ਨਿਭਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਤੋਂ ਫੋਨ ਵੀ ਕਰਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਸੂਤਰ ਦੱਸਦੇ ਹਨ ਕਿ ਬਹੁਤੇ ਫੁੱਫੜ ਤਾਂ ਆਪਣੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਨਿੱਤ ਫੋਨ ਖੜਕਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਬਠਿੰਡਾ ਹਲਕੇ ਤੋਂ ਕਾਂਗਰਸੀ ਉਮੀਦਵਾਰ ਹਰਮਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਜੱਸੀ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਚੋਣ ਪ੍ਰਚਾਰ ਤਹਿਤ ਖਾਸ ਵੋਟਰਾਂ ਦੀ ਹਮਾਇਤ ਲੈਣ ਵਾਸਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਅਤੇ ਫੁੱਫੜਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਚੋਣ ਮੁਹਿੰਮ ਟੀਮ ਵੱਲੋਂ ਫੁੱਫੜਾਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਖਾਸ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ੇਤਦਾਰ ਬਠਿੰਡਾ ਸ਼ਹਿਰੀ ਹਲਕੇ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਹ ਚੋਣਾਂ ਤੋਂ ਹਫਤਾ ਪਹਿਲਾਂ ਫੁੱਫੜਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਲੈਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨਗੇ। ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਨੁਸਾਰ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਦੇ ਹਲਕੇ ਲੰਬੀ ਵਿੱਚ ਤਾਂ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਤਿਆਰ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਫੁੱਫੜਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਵੀ ਤਿਆਰ ਹੋਈ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਲੰਬੀ ਹਲਕੇ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।
         ਕਮਿਊਨਿਸਟ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਕੱਤਰ ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਜੋਗਾ ਇਸ ਮਾਮਲੇ ਵਿੱਚ ਵੱਖਰੀ ਰਾਏ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਖਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਲਈ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦੇ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਪੈ ਰਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਏਜੰਡੇ ਦੇ ਆਧਾਰ 'ਤੇ ਵੋਟਾਂ ਲਈ ਅਪੀਲ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਖਿਆ ਕਿ ਅੱਜ ਦੇ ਜ਼ਮਾਨੇ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਅਤੇ ਫੁੱਫੜਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਰਿਹਾ ਕਿਉਂਕਿ ਲੋਕ ਸਿਆਸੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਕਾਫੀ ਚੇਤੰਨ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਖਿਆ ਕਿ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹੁਣ ਕਾਫੀ ਘਟਿਆ ਹੈ। ਹਲਕਾ ਰਾਮਪੁਰਾ ਫੂਲ ਤੋਂ ਕਾਂਗਰਸੀ ਉਮੀਦਵਾਰ ਗੁਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ਕਾਂਗੜ ਦੀ ਟੀਮ ਵੱਲੋਂ ਵੀ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਦੀਆਂ ਸੂਚੀਆਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਟੀਮ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੇ ਹਲਕੇ ਦੇ ਖਾਸ ਵੋਟਰਾਂ ਨੂੰੰ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਤੋਂ ਫੋਨ ਵੀ ਕਰਵਾਏ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਪੀਪਲਜ਼ ਪਾਰਟੀ ਆਫ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਵੱਲੋਂ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਦੀ ਮਦਦ ਲਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਪੀਪਲਜ਼ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਕੋਟਕਪੂਰਾ ਤੋਂ ਉਮੀਦਵਾਰ ਪ੍ਰਦੀਪ ਸਿੰਘ ਸਿਵੀਆਂ ਦੀ ਹਮਾਇਤ ਵਿੱਚ ਪਰਵਾਸੀ ਭਾਰਤੀ ਕਾਫੀ ਜ਼ੋਰ ਲਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਪਰਵਾਸੀ ਭਾਰਤੀ ਅਤੇ ਪਿੰਡ ਰਾਈਆ ਦੇ ਵਸਨੀਕ ਕਮਲਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਧੂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸ ਵੱਲੋਂ ਪੀਪਲਜ਼ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੀ ਹਮਾਇਤ ਵਿੱਚ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਵੋਟਰਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਦੇਸ਼ ਰਹਿੰਦੇ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਤੋਂ ਫੋਨ ਕਰਵਾਏ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਸੂਤਰਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੇ ਫੁੱਫੜ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਵੀ ਚੋਣ ਪ੍ਰਚਾਰ ਵਿੱਚ ਮੋਹਰੀ ਬਣੇ ਹੋਏ ਹਨ।
     ਕਿਤਾਬਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ
                          
ਬਠਿੰਡਾ : ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਹੁਣ ਕਿਤਾਬਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਭੱਜਣ ਲੱਗੇ ਹਨ। ਹਾਲ ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਦਾ ਵੀ ਇਹੋ ਹੈ। ਲੰਘੇ 40 ਵਰਿ•ਆਂ 'ਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀਆਂ 'ਚ ਕਿਤਾਬਾਂ ਪੜ•ਨ ਦੀ ਰੁਚੀ ਘਟੀ ਹੈ। ਮੌਜੂਦਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਲੰਘੇ ਚਾਰ ਵਰਿ•ਆਂ 'ਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਇੱਕ ਵੀ ਕਿਤਾਬ ਨਹੀਂ ਲਈ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਕਿ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਸਾਲ 1977 'ਚ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਹੁੰਦਿਆਂ ਇਸੇ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ 23 ਕਿਤਾਬਾਂ ਇਸੂ ਕਰਾਈਆਂ ਸਨ। ਸਿਆਸਤ 'ਚ ਉਲਝੇ ਨੇਤਾ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੇ ਸ਼ੌਕ 'ਚ ਫਸ ਨਹੀਂ ਸਕੇ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦੀ ਕੁਰਸੀ ਸਾਲ 1997 'ਚ ਸੰਭਾਲੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਦੋਂ ਪੰਜ ਵਰਿ•ਆਂ 'ਚ ਉਨ•ਾਂ ਵਲੋਂ ਸਿਰਫ਼ ਪੰਜ ਕਿਤਾਬਾਂ ਲਈਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ। ਮੌਜੂਦਾ ਹਕੂਮਤੀ ਵਰਿ•ਆਂ 'ਚ ਉਨ•ਾਂ ਇੱਕ ਵੀ ਕਿਤਾਬ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਨਹੀਂ ਲਈ ਹੈ। ਉਂਝ ਨੇਤਾਵਾਂ 'ਚ ਲੱਖ ਸਿਆਸੀ ਵਖਰੇਵੇਂ ਹੋਣ ਪ੍ਰੰਤੂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾ ਪੜ•ਨ ਦੇ ਮਾਮਲੇ 'ਚ ਇਨ•ਾਂ ਦੀ ਇੱਕੋ ਸੁਰ ਬਣਨ ਲੱਗੀ ਹੈ। ਏਦਾ ਹੀ ਉਪ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਸੁਖਬੀਰ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ ਦੂਰ ਹੀ ਰਹੇ ਹਨ। ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਨਿੱਜੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦੀ ਚਰਚਾ ਤਾਂ ਕਾਫੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪ੍ਰੰਤੂ ਉਨ•ਾਂ ਨੇ ਵੀ ਸਰਕਾਰੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ ਕੋਈ ਕਿਤਾਬ ਨਹੀਂ ਲਈ ਹੈ। ਵਿਰੋਧੀ ਧਿਰ ਦੀ ਨੇਤਾ ਬੀਬੀ ਰਜਿੰਦਰ ਕੌਰ ਭੱਠਲ ਵੀ ਇਸ ਮਾਮਲੇ 'ਚ ਪਿਛੇ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਉਸ ਨੇ ਵੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ ਕੋਈ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਈ ਹੈ। ਬੀਬੀ ਭੱਠਲ ਨੇ ਬਤੌਰ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਹੁੰਦਿਆਂ ਇੱਕ ਵੀ ਕਿਤਾਬ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਨਹੀਂ ਲਈ ਸੀ। ਮਗਰੋਂ ਉਨ•ਾਂ ਨੇ ਸਿਰਫ਼ ਇੱਕ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਕਰਾਈ ਸੀ।
            ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਪੰਜਾਬ ਵਲੋਂ ਜੋ ਸੂਚਨਾ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਤਹਿਤ ਤੱਥ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ,ਉਨ•ਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਮੌਜੂਦਾ ਵਜ਼ਾਰਤ ਦੇ  ਅੱਧੀ ਦਰਜਨ ਵਜ਼ੀਰ ਵੀ ਹਨ ਜਿਨ•ਾਂ ਨੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਪੜ•ਨ ਤੋਂ ਪਾਸਾ ਹੀ ਵੱਟੀ ਰੱਖਿਆ ਹੈ। ਇਨ•ਾਂ ਵਜ਼ੀਰਾਂ ਨੇ ਵਜ਼ਾਰਤ ਦੇ ਲੰਘੇ ਚਾਰ ਵਰਿ•ਆਂ ਦੌਰਾਨ ਇੱਕ ਵੀ ਕਿਤਾਬ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਈ ਹੈ। ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ ਭਾਜਪਾ ਦੇ ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਨੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾ ਇਸੂ ਕਰਾਉਣ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਵਿੱਚ ਵੀ ਆਪਣਾ ਗਠਜੋੜ ਨਿਭਾਇਆ ਹੈ। ਕਾਂਗਰਸੀ ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਨੇ ਵੀ ਇਨ•ਾਂ ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਦੇ ਪੈਰ 'ਚ ਪੈ ਧਰਿਆ ਹੈ। ਦੱਸਦੇ ਹਨ ਜੋ ਪੁਰਾਣੇ ਵਿਧਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਸਨ,ਉਹ ਕਿਤਾਬਾਂ ਚੋਂ ਹੀ ਰਾਹ ਲੱਭਦੇ ਸਨ। ਕੈਬਨਿਟ ਵਜ਼ੀਰ ਸੁੱਚਾ ਸਿੰਘ ਲੰਗਾਹ, ਭਾਜਪਾ ਨੇਤਾ ਤੇ ਵਜ਼ੀਰ ਤੀਕਸ਼ਣ ਸੂਦ,ਵਜ਼ੀਰ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬ੍ਰਹਮਪੁਰਾ,ਵਜ਼ੀਰ ਪਰਮਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਢੀਂਡਸਾ,ਵਜ਼ੀਰ ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਕੋਹਾੜ ਅਤੇ ਜਨਮੇਜਾ ਸਿੰਘ ਸੇਖੋਂ ਵਲੋਂ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ ਚਾਰ ਵਰਿ•ਆਂ ਦੌਰਾਨ ਕੋਈ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਈ ਹੈ। ਮਹਿਲਾ ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਚੋਂ ਮੁੱਖ ਸੰਸਦੀ ਸਕੱਤਰ ਮਹਿੰਦਰ ਕੌਰ ਜੋਸ਼,ਰਾਜਵਿੰਦਰ ਕੌਰ ਭੁੱਲਰ,ਰਾਜਬੰਸ ਕੌਰ ਅਤੇ ਰਜ਼ੀਆ ਸੁਲਤਾਨਾ ਨੇ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਕੋਈ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਈ ਹੈ। ਪੰਜਾਬ ਦੇ 117 ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਚੋਂ ਏਦਾ ਦੇ 71 ਵਿਧਾਇਕ ਹਨ ਜਿਨ•ਾਂ ਨੇ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਕਰਾਉਣ ਲਈ ਕਦੇ ਅਸੈਂਬਲੀ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦਾ ਮੂੰਹ ਨਹੀਂ ਦੇਖਿਆ ਹੈ।
            ਵੇਰਵਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਸਾਲ 1997-2002 ਦੀ ਅਕਾਲੀ ਹਕੂਮਤ ਦੌਰਾਨ 62 ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਨੇ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦਾ ਮੂੰਹ ਨਹੀਂ ਦੇਖਿਆ ਸੀ ਜਦੋਂ ਕਿ ਸਾਲ 2002-2007 ਦੀ ਕਾਂਗਰਸੀ ਹਕੂਮਤ ਦੌਰਾਨ 64 ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਨੇ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਕੋਈ ਕਿਤਾਬ ਨਹੀਂ ਲਈ ਸੀ। ਹੁਣ ਮੌਜੂਦਾ ਅਕਾਲੀ ਵਜ਼ਾਰਤ 'ਚ ਇਹ ਗਿਣਤੀ ਵੱਧ ਕੇ 71 ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਦੀ ਹੋ ਗਈ ਹੈ ਜੋ ਕਦੇ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਨਹੀਂ ਗਏ ਹਨ। ਦਿਲਚਸਪ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨ ਸਾਲ 2002-2007 ਦੌਰਾਨ ਵਿਧਾਇਕ ਤੇਜ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਣੇ, ਉਨ•ਾਂ ਨੇ ਉਦੋਂ ਇੱਕ ਵੀ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਈ। ਉਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਲ 1997-2002 ਦੌਰਾਨ          ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨ ਗਿਰਧਾਰਾ ਸਿੰਘ ਬਣੇ ,ਉਨ•ਾਂ ਨੇ ਵੀ ਖੁਦ ਕੋਈ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਈ ਸੀ। ਇਵੇਂ ਹੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਜੋ ਵਿਧਾਇਕ ਮੈਂਬਰ ਬਣਦੇ ਹਨ,ਉਹ ਖੁਦ ਵੀ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਹੀਂ ਲੈਂਦੇ ਹਨ। ਜਿਆਦਾ ਪੜੇ ਲਿਖੇ ਵਿਧਾਇਕ ਵੀ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾਲ ਸਾਂਝ ਪਾਉਣ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਰਹੇ ਹਨ। ਦੂਸਰੀ ਤਰਫ਼ ਉਹ ਵਿਧਾਇਕ ਵੀ ਹਨ ਜਿਨ•ਾਂ ਨੂੰ ਪੜ•ਨ ਲਿਖਣ ਦਾ ਕਾਫੀ ਸ਼ੌਕ ਹੈ ਜਿਨ•ਾਂ ਨੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਲੈਣ 'ਚ ਸਭ ਪਿਛਾਂਹ ਛੱਡ ਦਿੱਤੇ ਹਨ। ਸਾਲ 1997-2002 ਦੀ ਵਜ਼ਾਰਤ ਵਾਲੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ 84 ਕਿਤਾਬਾਂ ਵਿਧਾਇਕ ਚਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਟਵਾਲ ਨੇ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਲਈਆਂ ਸਨ ਜਦੋਂ ਕਿ ਸਾਲ 2002-2007 ਦੀ ਹਕੂਮਤ ਦੌਰਾਨ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵਿਧਾਇਕ ਬਲਵੀਰ ਸਿੰਘ ਬਾਠ ਨੇ 39 ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਇਸੂ ਕਰਾਈਆਂ ਸਨ। ਮੌਜੂਦਾ ਵਜ਼ਾਰਤ ਦੌਰਾਨ ਵਿਧਾਇਕ ਗੁਰਦੀਪ ਸਿੰਘ ਭੈਣੀ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਜਿਆਦਾ 122 ਕਿਤਾਬਾਂ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਚੋਂ ਲਈਆਂ ਹਨ।
                  ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀਆਂ ਦਾ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾਲ ਮੋਹ
         ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦਾ ਨਾਮ           ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ ਲਈਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ
1. ਗਿਆਨੀ ਜੈਲ ਸਿੰਘ   (1972-1977)  :  9 ਕਿਤਾਬਾਂ
2. ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ (1977-1980)  : 23 ਕਿਤਾਬਾਂ
3  ਦਰਬਾਰਾ  ਸਿੰਘ     (1980-1983)  : 10 ਕਿਤਾਬਾਂ
4  ਸੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਰਨਾਲਾ (1985-1987)  :  9 ਕਿਤਾਬਾਂ
5  ਬੇਅੰਤ ਸਿੰਘ           (1992-1995)  : 10 ਕਿਤਾਬਾਂ
6  ਹਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਬਰਾੜ   (1995-1996)  : 01 ਕਿਤਾਬ
7 ਰਜਿੰਦਰ ਕੌਰ ਭੱਠਲ    (1996-1997)  : ਜ਼ੀਰੋ ਕਿਤਾਬ
8 ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ    (1997-2002)  : 5 ਕਿਤਾਬਾਂ
9  ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (2002-2007)  : 11 ਕਿਤਾਬਾਂ
10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ  (2007-2011)  :  ਜ਼ੀਰੋ ਕਿਤਾਬ
                                                     ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦੇ ਨਿਯਮ ਕੀ ਹਨ 
ਪੰਜਾਬ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦੇ ਨਿਯਮਾਂ ਮੁਤਾਬਿਕ ਹਰ ਵਿਧਾਇਕ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪਾਸ ਬੁੱਕ ਇਸੂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜੋ ਲਾਇਬਰੇਰੀਅਨ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਇੱਕ ਵਿਧਾਇਕ ਇੱਕੋ ਵੇਲੇ ਤਿੰਨ ਕਿਤਾਬਾਂ ਇਸੂ ਕਰਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਨਾ ਮੋੜਨ ਦੀ ਸੂਰਤ ਵਿੱਚ ਅਗਲੀ ਕਿਤਾਬ ਇਸੂ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ। ਇੱਕ ਕਿਤਾਬ 30 ਦਿਨਾਂ ਲਈ ਇਸੂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਕਿਤਾਬ ਗੁਆਚ ਜਾਣ ਦੀ ਸੂਰਤ ਵਿੱਚ ਵਿਧਾਇਕ ਨੂੰ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੇ ਅਸਲੀ ਮੁੱਲ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ 25 ਫੀਸਦੀ ਵਾਧੂ ਚਾਰਜ ਦੇਣੇ ਪੈਂਦੇ ਹਨ। ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਸਕੱਤਰੇਤ 'ਚ ਵਿਧਾਇਕਾਂ ਦੀ ਸਹੂਲਤ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਬਣਾਈ ਹੋਈ ਹੈ ਜਿਸ 'ਤੇ ਸਲਾਨਾ ਲੱਖਾਂ ਰੁਪਏ ਖਰਚੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਲੰਘੇ 15 ਵਰਿ•ਆਂ 'ਚ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦਾ ਖਰਚ 51 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਦੇ ਕਰੀਬ ਹੈ। ਇੱਥੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਬਕਾਇਦਾ ਇੱਕ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਕਮੇਟੀ ਵੀ ਬਣਾਈ ਹੋਈ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਮਸ਼ਵਰੇ ਨਾਲ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੀ ਖਰੀਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਜੋ ਭੱਤੇ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ,ਉਹ ਵੱਖਰੇ ਹਨ। 
      

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