जगराओं/लुधियाना. तीन सप्ताह से डीएसपी बलराज सिंह गिल और उनकी महिला मित्र मोनिका कपिला के कातिलों की तलाश में दर-दर भटक रही लुधियाना पुलिस ने सोमवार को जगराओं में दबिश दी। लुधियाना सीआईए स्टाफ की पुलिस के तीन गाड़ियों में सवार करीब 15 सदस्यों ने शहर में सोमवार की सुबह पांच बजे ही छापेमारी शुरू कर दी। इस दौरान दो युवकों को पकड़ा गया है।
छापेमारी को इतना गुप्त रखा गया कि पहले से जगराओं पुलिस को भी इसकी जानकारी नहीं थी। उधर, डीएसपी बलराज गिल हत्याकांड मामले में दिल्ली से आई क्राइम ब्रांच की स्पेशल टेक्निकल टीम ने लुधियाना में सोमवार से जांच का काम शुरू कर दिया है। टीम में एक आईपीएस अधिकारी सहित इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी हैं। छापेमारी के लिए आई टीम ने सबसे पहले डॉ. हरि सिंह के सामने स्थित मोहल्ला आत्म नगर में रेड की। यहां जिस घर में रेड की गई, वहां से कुछ हासिल नहीं हुआ।
फिर पुलिस दल झांसी रानी चौक के पास मोहल्ला संत नगर पहुंचा। यहां से एक युवक को उठाया गया। युवक के परिवार को पुलिस दल के इंचार्ज ने अपना मोबाइल नंबर दिया और चलते बने। फिर पांच नंबर चुंगी कोठे खजूरा के पास भी रेड की गई। पुलिस यहां जिस नौजवान को उठाने आई थी वह नहीं मिला, परंतु पुलिस उस नौजवान के भाई को अपने साथ ले गई। जानकारी के मुताबिक जिन-जिन लोगों को पुलिस यहां से उठाकर ले गई है, उन लोगों के मोबाइल कनेक्शन उस केस से जुड़ रहे हैं।
एडीसीपी सहित चार अधिकारियों को हरी झंडी
डीएसपी मर्डर केस को सुलझाने के लिए चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलते ही एक एडीसीपी और तीन इंस्पेक्टरों को शहर में वापस लाया जा रहा है। अगले एकाध दिन में इन अधिकारियों के पदभार संभाल लेने की संभावना है। इनमें इंस्पेक्टर सुरिंदर मोहन, इंस्पेक्टर बलविंदर सिंह और इंस्पेक्टर प्रेम सिंह का नाम शामिल है। एडीसीपी के नाम का अभी खुलासा नहीं हो सका है।
स्थानीय पुलिस को नहीं थी जानकारी
डीएसपी सिटी हरपाल सिंह ने कहा कि उनको इस रेड के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। बाद में उन्होंने पता कर बताया कि लुधियाना की सीआईए की पुलिस टीम आई थी और वह पूछताछ के लिए दो युवकों को साथ ले गई है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों नौजवानों को डीएसपी गिल हत्याकांड के सिलसिले में ही उठाया गया है।
उधर, लुधियाना के सीआईए स्टाफ के ऑफिस में पहुंची टीम ने घटनास्थल से मिले सभी सबूतों का निरीक्षण करने के बाद टेक्निकल पहलूओं पर जांच की। इस दौरान वारदात से पहले और बाद में जुटाई गईं कॉल डिटेल और लोकेशनों को खंगाला गया। टीम के सदस्यों ने शहर के एक इलाके से मिले उन सीसीटीवी फुटेज पर भी फोकस रखा, जिनमें दोनों कारों को एक साथ जाते हुए देखा गया था। उनमें बैठे आरोपियों के चेहरों को पहचानने के लिए कसरत होती रही।
छापेमारी को इतना गुप्त रखा गया कि पहले से जगराओं पुलिस को भी इसकी जानकारी नहीं थी। उधर, डीएसपी बलराज गिल हत्याकांड मामले में दिल्ली से आई क्राइम ब्रांच की स्पेशल टेक्निकल टीम ने लुधियाना में सोमवार से जांच का काम शुरू कर दिया है। टीम में एक आईपीएस अधिकारी सहित इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी हैं। छापेमारी के लिए आई टीम ने सबसे पहले डॉ. हरि सिंह के सामने स्थित मोहल्ला आत्म नगर में रेड की। यहां जिस घर में रेड की गई, वहां से कुछ हासिल नहीं हुआ।
फिर पुलिस दल झांसी रानी चौक के पास मोहल्ला संत नगर पहुंचा। यहां से एक युवक को उठाया गया। युवक के परिवार को पुलिस दल के इंचार्ज ने अपना मोबाइल नंबर दिया और चलते बने। फिर पांच नंबर चुंगी कोठे खजूरा के पास भी रेड की गई। पुलिस यहां जिस नौजवान को उठाने आई थी वह नहीं मिला, परंतु पुलिस उस नौजवान के भाई को अपने साथ ले गई। जानकारी के मुताबिक जिन-जिन लोगों को पुलिस यहां से उठाकर ले गई है, उन लोगों के मोबाइल कनेक्शन उस केस से जुड़ रहे हैं।
एडीसीपी सहित चार अधिकारियों को हरी झंडी
डीएसपी मर्डर केस को सुलझाने के लिए चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलते ही एक एडीसीपी और तीन इंस्पेक्टरों को शहर में वापस लाया जा रहा है। अगले एकाध दिन में इन अधिकारियों के पदभार संभाल लेने की संभावना है। इनमें इंस्पेक्टर सुरिंदर मोहन, इंस्पेक्टर बलविंदर सिंह और इंस्पेक्टर प्रेम सिंह का नाम शामिल है। एडीसीपी के नाम का अभी खुलासा नहीं हो सका है।
स्थानीय पुलिस को नहीं थी जानकारी
डीएसपी सिटी हरपाल सिंह ने कहा कि उनको इस रेड के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। बाद में उन्होंने पता कर बताया कि लुधियाना की सीआईए की पुलिस टीम आई थी और वह पूछताछ के लिए दो युवकों को साथ ले गई है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों नौजवानों को डीएसपी गिल हत्याकांड के सिलसिले में ही उठाया गया है।
उधर, लुधियाना के सीआईए स्टाफ के ऑफिस में पहुंची टीम ने घटनास्थल से मिले सभी सबूतों का निरीक्षण करने के बाद टेक्निकल पहलूओं पर जांच की। इस दौरान वारदात से पहले और बाद में जुटाई गईं कॉल डिटेल और लोकेशनों को खंगाला गया। टीम के सदस्यों ने शहर के एक इलाके से मिले उन सीसीटीवी फुटेज पर भी फोकस रखा, जिनमें दोनों कारों को एक साथ जाते हुए देखा गया था। उनमें बैठे आरोपियों के चेहरों को पहचानने के लिए कसरत होती रही।