: पीएसीएल के निदेशक एस. भट्टाचार्या और मालिक गुरुवंत सिंह पर भी दो हजार रुपये का इनाम : हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी, जनता का पैसा लूट डाला इन कंपनियों ने : पर्ल्स की मदर कंपनी पीएसीएल और बीपीएन टाइम्स की मदर कंपनी बीपीएन एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड समेत कई कंपनियों के संचालक निशाने पर : पहले ये लोग जनता को बेवकूफ बनाकर पैसे जमा कराते हैं, फिर उस पैसे से अखबार चैनल खोलते हैं और उसके बाद दलाली करके अपनी कंपनी को प्रामाणिक बनाने का खेल करते हैं. पर मध्य प्रदेश में इन चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जो सरकारी अभियान चला हुआ है, उससे चिटफंड कंपनियों के मालिकों की नींद हराम हो चुकी है.
मध्य प्रदेश में चिटफंड कंपनियों के काले कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है. ग्वालियर-चंबल संभाग में कई कंपनियों के दफ्तर सील किए गए हैं और इन कंपनियों के संचालकों समेत 98 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. ये कम्पनियां लोगों को पैसे दोगुने करने का लालच देकर करोड़ों रुपए डकार चुकी हैं जबकि इनको आरबीआई से कोई लाइसेंस नहीं मिला है. प्रशासन के मुताबिक सिर्फ ग्वालियर में ही चिटफंड कंपनियां एक हजार करोड़ रुपये समेट चुकी हैं.
प्रशासन को 33 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ अब तक 13 हजार शिकायतें मिल चुकी हैं. इन लोगों का कुल 42 करोड़ से भी ज्यादा पैसा इन कंपनियों के पास जमा है. इन चिटफंड कंपनियों के शिकार लोगों की तादाद इतनी ज्यादा है कि प्रशासन को कलेक्ट्रेट में एक अलग काउंटर खोलना पड़ा है. प्रशासन ने 33 कंपनियों की लिस्ट जारी की है जिसमें लोगों को कारोबार नहीं करने की अपील की है. इन कंपनियों में दिल्ली की पीएसीएल के अलावा के एम जे और परिवार ग्रुप भी शामिल है. प्रशासन को शक है कि इन चिटफंड कंपनियों के मालिक विदेश भाग सकते हैं इसलिए इन लोगों के वीजा रद्द करने की भी कार्रवाई की जा सकती है. 33 कंपनियों की करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति और बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं. इस मामले में पीएसीएल के एस भट्टाचार्य, के एम जे के संतोषी लाल राठौर, परिवार ग्रुप के राकेश नरवरिया, सन इंडिया रियल स्टेट के इरशाद खान, बीपीएन एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड, सनसाइन इंफ्राटेक लिमिटेड समेत सभी 33 कंपनियों के संचालकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और रिजर्व बैंक अधिनियम की तमाम धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. ज्यादातर संचालक फरार हैं. पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए दो-दो हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है. कुछ चिटफंड कंपनियों ने जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में जिला प्रशासन की कार्रवाई को चुनौती दी है जिसकी अगली सुनवाई 6 जुलाई को है
घपले का खुलासा होने के बाद देशभर के छोटे-छोटे निवेशकों में हड़कंप है. चिटफंड कंपनियों में खून-पसीने की कमाई से बचाई रकम जमा करने वाले अपनी रकम डूबने के अंदेशे से इलाके के दफ्तरों में पहुंच रहे हैं. ऊना और प्रतापगढ़ में तो घोटाले की खबर के बाद भी पीएसीएल कंपनी में काम चल रहा है. प्रतापगढ़ में 2006 में पीएसीएल की ब्रांच खुली. हर महीने यहां करीब 8 करोड़ का कारोबार होता है. इस ब्रांच में 28 कर्मचारी हैं जबकि निवेशकों की तादाद करीब 5 लाख है. कंपनी की जालसाजी का खुलासा होने से निवेशकों के साथ ही ब्रांच में काम करने वाले कर्मचारी भी सकते में नजर आए. जानकारों के मुताबिक चिट फंड कंपनियों में फंसा आपका पैसा तभी वापस मिल पाएगा जब चिटफंड कंपनी के पास उतनी संपत्ति हो, ऐसा नहीं होने पर अपनी रकम डूबी समझिए.
उधर, ग्वालियर में रहने वाले रामबाबू पेशे से मोटर मैकेनिक हैं पर आजकल बहुत परेशान हैं. रामबाबू ने ज़िन्दगी भर बचत कर खुद का मकान बनाने का सपना संजोया था. ‘पीएसीएल कम्पनी’ में लगभग 80 हजार रुपए जमा कर दिए. लेकिन चिटफंड कंपनियों पर छाए काले बादलों में रामबाबू का सपना धुंधला गया है. ऐसा ही कुछ हाल अभिषेक का है जिन्होंने पैसा दोगुना करने के चक्कर में चिटफंड कंपनियों में अपनी जमा पूंजी फंसा दी.
ग्वालियर के कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने मप्र लोक विकास फायनेंस लिमिटेड, समृद्धि जीवन फूड्स इंडिया लि. गरिमा रियल इस्टेट एंड अलाइड, सक्षम डेयरी एंड अलाइड लिमिटेड, ग्रीन फिगर्स एग्रो लैंड मैंटिनेंस एक्स लिमिटेड, रायल सन मार्केर्टिंग एंड इंश्योरेंस सर्विसेज, स्थायी लॉर्क लैंड डवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड, आधुनिक हाउसिंग डवलपमेंट प्रा., जीवन सुरभि डेयरी एंड एलाइड, परिवार डेयरी एंड अलाइड लि., जेएसव्ही डवलपर्स इंडिया लि., केएमजे लैंड डवलपर्स लि. इंडिया रियल एस्टेट, मधुर रियल एस्टेट एंड अलाइड, बीपीएन रीयल एस्टेट एंड एलाइड, प्रवचन डेयरी एंड एलाइड लि. अनोल सहारा मार्के¨टग इंडिया लि., केबीसीएल प्रायवेट लि., जीएन लैंड डवलपर्स, किम यूचर विजन, पीएसीएल इंडिया लि सहित कई कंपनियों के दफ्तरों को बंद करके उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जा रही है. अब पुलिस ने भी अपनी ओर से कदम उठाते हुए इन सभी कंपनियों के मालिकों के खिलाफ दो-दो हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया है. इस कार्रवाई के दायरे में पीएसीएल जैसी बड़ी कंपनी के मालिक व निदेशक भी आ गए हैं. ग्वालियर पुलिस की ओर से पीएसीएल कंपनी के निदेशक एस. भंट्टाचार्य के अलावा मालिक गुरुवंत सिंह के साथ दूसरे लोगों पर भी दो-दो हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. जिला प्रशासन व पुलिस ने इनके ऊपर मप्र निक्षेपक अधिनियम 2000 व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.
प्रशासन को 33 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ अब तक 13 हजार शिकायतें मिल चुकी हैं. इन लोगों का कुल 42 करोड़ से भी ज्यादा पैसा इन कंपनियों के पास जमा है. इन चिटफंड कंपनियों के शिकार लोगों की तादाद इतनी ज्यादा है कि प्रशासन को कलेक्ट्रेट में एक अलग काउंटर खोलना पड़ा है. प्रशासन ने 33 कंपनियों की लिस्ट जारी की है जिसमें लोगों को कारोबार नहीं करने की अपील की है. इन कंपनियों में दिल्ली की पीएसीएल के अलावा के एम जे और परिवार ग्रुप भी शामिल है. प्रशासन को शक है कि इन चिटफंड कंपनियों के मालिक विदेश भाग सकते हैं इसलिए इन लोगों के वीजा रद्द करने की भी कार्रवाई की जा सकती है. 33 कंपनियों की करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति और बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं. इस मामले में पीएसीएल के एस भट्टाचार्य, के एम जे के संतोषी लाल राठौर, परिवार ग्रुप के राकेश नरवरिया, सन इंडिया रियल स्टेट के इरशाद खान, बीपीएन एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड, सनसाइन इंफ्राटेक लिमिटेड समेत सभी 33 कंपनियों के संचालकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और रिजर्व बैंक अधिनियम की तमाम धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. ज्यादातर संचालक फरार हैं. पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए दो-दो हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है. कुछ चिटफंड कंपनियों ने जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में जिला प्रशासन की कार्रवाई को चुनौती दी है जिसकी अगली सुनवाई 6 जुलाई को है
घपले का खुलासा होने के बाद देशभर के छोटे-छोटे निवेशकों में हड़कंप है. चिटफंड कंपनियों में खून-पसीने की कमाई से बचाई रकम जमा करने वाले अपनी रकम डूबने के अंदेशे से इलाके के दफ्तरों में पहुंच रहे हैं. ऊना और प्रतापगढ़ में तो घोटाले की खबर के बाद भी पीएसीएल कंपनी में काम चल रहा है. प्रतापगढ़ में 2006 में पीएसीएल की ब्रांच खुली. हर महीने यहां करीब 8 करोड़ का कारोबार होता है. इस ब्रांच में 28 कर्मचारी हैं जबकि निवेशकों की तादाद करीब 5 लाख है. कंपनी की जालसाजी का खुलासा होने से निवेशकों के साथ ही ब्रांच में काम करने वाले कर्मचारी भी सकते में नजर आए. जानकारों के मुताबिक चिट फंड कंपनियों में फंसा आपका पैसा तभी वापस मिल पाएगा जब चिटफंड कंपनी के पास उतनी संपत्ति हो, ऐसा नहीं होने पर अपनी रकम डूबी समझिए.
उधर, ग्वालियर में रहने वाले रामबाबू पेशे से मोटर मैकेनिक हैं पर आजकल बहुत परेशान हैं. रामबाबू ने ज़िन्दगी भर बचत कर खुद का मकान बनाने का सपना संजोया था. ‘पीएसीएल कम्पनी’ में लगभग 80 हजार रुपए जमा कर दिए. लेकिन चिटफंड कंपनियों पर छाए काले बादलों में रामबाबू का सपना धुंधला गया है. ऐसा ही कुछ हाल अभिषेक का है जिन्होंने पैसा दोगुना करने के चक्कर में चिटफंड कंपनियों में अपनी जमा पूंजी फंसा दी.
ग्वालियर के कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने मप्र लोक विकास फायनेंस लिमिटेड, समृद्धि जीवन फूड्स इंडिया लि. गरिमा रियल इस्टेट एंड अलाइड, सक्षम डेयरी एंड अलाइड लिमिटेड, ग्रीन फिगर्स एग्रो लैंड मैंटिनेंस एक्स लिमिटेड, रायल सन मार्केर्टिंग एंड इंश्योरेंस सर्विसेज, स्थायी लॉर्क लैंड डवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड, आधुनिक हाउसिंग डवलपमेंट प्रा., जीवन सुरभि डेयरी एंड एलाइड, परिवार डेयरी एंड अलाइड लि., जेएसव्ही डवलपर्स इंडिया लि., केएमजे लैंड डवलपर्स लि. इंडिया रियल एस्टेट, मधुर रियल एस्टेट एंड अलाइड, बीपीएन रीयल एस्टेट एंड एलाइड, प्रवचन डेयरी एंड एलाइड लि. अनोल सहारा मार्के¨टग इंडिया लि., केबीसीएल प्रायवेट लि., जीएन लैंड डवलपर्स, किम यूचर विजन, पीएसीएल इंडिया लि सहित कई कंपनियों के दफ्तरों को बंद करके उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जा रही है. अब पुलिस ने भी अपनी ओर से कदम उठाते हुए इन सभी कंपनियों के मालिकों के खिलाफ दो-दो हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया है. इस कार्रवाई के दायरे में पीएसीएल जैसी बड़ी कंपनी के मालिक व निदेशक भी आ गए हैं. ग्वालियर पुलिस की ओर से पीएसीएल कंपनी के निदेशक एस. भंट्टाचार्य के अलावा मालिक गुरुवंत सिंह के साथ दूसरे लोगों पर भी दो-दो हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. जिला प्रशासन व पुलिस ने इनके ऊपर मप्र निक्षेपक अधिनियम 2000 व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.