लगता है इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। खासतौर पर कर्नाटक राज्य उसके लिए लगातार फजीहत का सबब बना हुआ है। भाजपा नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के घोटालों में घिरने से हुई बदनामी से अभी पीछा छुड़ा भी नहीं पाया था, अब एक फिर नया मामला भारी शर्मींदगी का कारण बन रहा है। दरअसल, कर्नाटक में भाजपा सरकार के तीन मंत्री मोबाइल में अश्लील क्लिपिंग देखते पकड़े गए हैं। यह मामला ऐसे वक्त सामने आया है जबकि उत्तर प्रदेश का चुनावी माहौल अपने शबाब पर है। कर्नाटक में विधानसभा का सत्र के दौरान तीन मंत्रिगण मोबाइल में पोर्न वीडियो देखने में मशगूल थे। इनमें सहकारिता मंत्री लक्ष्मण साबदी, विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी मंत्री कृष्णा पालेमर और महिला एवं बाल विकास मंत्री सीसी पाटिल शामिल हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। लिहाजा भाजपा हाईकमान ने कथित तौर पर अश्लील क्लिपिंग देखने वाले मंत्रियों के इस्तीफे मांगने में देर नहीं की।
आप जरा इन महानुभाव मंत्रियों का जबर्दस्त काम्बिनेशन देखिए। एक सहकारिता दूसरा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और तीसरा महिला एवं बाल विकास मंत्री। ये तीनों महानुभाव सामूहिक रूप से विज्ञान की सौगात मोबाइल पर महिला की अश्लील क्लिपिंग का लुत्फ उठा रहे थे। खास बात ये है कि यह तब हुआ जबकि कर्नाटक विधानसभा का सत्र चल रहा था। हो सकता है कि इन साहेबानों ने सोचा हो कि बेतमलब की बहस में सर खपाने की बजाय मन को बहला लिया जाए। वैसे क्या अच्छा नहीं होता कि ये मंत्रिगण रामायण की कोई क्लिपिंग देख रहे होते। अगर ये विधानसभा कार्यवाही के दौरान पकड़ लिए जाते और खबर बन भी जाती। तो शायद भाजपा के लिए थोड़ी राहत की बात हो सकती थी। पार्टी चुनावों में कह सकती थी कि देखो हमारे मंत्रियों की मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम में कितनी आस्था है।
गौरतलब है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश के चुनावों के मद्देनजर अपने घोषणा पत्र में फिर अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कही है। पार्टी 90 के दशक से लगातार राम का नाम बेचती आ रही है। लेकिन लगता है कि उसके नुमांइदे राम का नाम सुनते और सुनाते उब चुके हैं। तभी उन्होंने फुर्सत के लम्हों में अपने मोबाइल में पोर्न विडियो देखना ज्यादा बेहतर समझा होगा। खैर ये हर आम आदमी की तरह वे भी अपनी इच्छा पूरी करने के लिए स्वतंत्र हैं। वैसे अश्लील क्लिपिंग देखना इतनी बड़ी बात नहीं है कि उसका बतंगड़ बना दिया जाए। बात सिर्फ श्री राम का नाम भुनाते वाली भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों के मर्यादाहीन व्यवहार की है। जो लोकतंत्र के मंदिर रूपी विधानसभा के अनुष्ठान यानि सत्र के दौरान पोर्न वीडियो देखने में मशगूल नजर आए। अगर वो इस नेक काम को अपने घर, बेडरूम या फिर कहीं और करते तो उसमें किसी को आपत्ति नहीं होती। हम बचपन से ही बड़ों से मन में राम बगल में छूरी नामक कहावत सुनते आए हैं। लेकिन कर्नाटक में भाजपा के इन तीन शूरमाओं ने एक नई कहावत को जन्म दे दिया है, वो है मन में राम और मोबाइल में छोरी।
खैर अब छोडों इस बात को मंत्रियों को जो अच्छा लगा उन्होंने वो किया। मुझे आशंका है कि कहीं अन्ना हजारे की टीम इस बात को अपनी डायरी में नोट न कर लिया हो। कोई ताज्जुब नहीं है कि टीम अन्ना भविष्य में अपने मंच से नेताओं पर एक नयी फब्ती कसती नजर आए। ऐसे नेताओं की सर्वोच्चता क्यों स्वीकार की जाए, जो विधानसभा में बैठकर मोबाइल में अश्लील क्लिपिंग देखते हो?
आप जरा इन महानुभाव मंत्रियों का जबर्दस्त काम्बिनेशन देखिए। एक सहकारिता दूसरा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और तीसरा महिला एवं बाल विकास मंत्री। ये तीनों महानुभाव सामूहिक रूप से विज्ञान की सौगात मोबाइल पर महिला की अश्लील क्लिपिंग का लुत्फ उठा रहे थे। खास बात ये है कि यह तब हुआ जबकि कर्नाटक विधानसभा का सत्र चल रहा था। हो सकता है कि इन साहेबानों ने सोचा हो कि बेतमलब की बहस में सर खपाने की बजाय मन को बहला लिया जाए। वैसे क्या अच्छा नहीं होता कि ये मंत्रिगण रामायण की कोई क्लिपिंग देख रहे होते। अगर ये विधानसभा कार्यवाही के दौरान पकड़ लिए जाते और खबर बन भी जाती। तो शायद भाजपा के लिए थोड़ी राहत की बात हो सकती थी। पार्टी चुनावों में कह सकती थी कि देखो हमारे मंत्रियों की मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम में कितनी आस्था है।
गौरतलब है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश के चुनावों के मद्देनजर अपने घोषणा पत्र में फिर अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कही है। पार्टी 90 के दशक से लगातार राम का नाम बेचती आ रही है। लेकिन लगता है कि उसके नुमांइदे राम का नाम सुनते और सुनाते उब चुके हैं। तभी उन्होंने फुर्सत के लम्हों में अपने मोबाइल में पोर्न विडियो देखना ज्यादा बेहतर समझा होगा। खैर ये हर आम आदमी की तरह वे भी अपनी इच्छा पूरी करने के लिए स्वतंत्र हैं। वैसे अश्लील क्लिपिंग देखना इतनी बड़ी बात नहीं है कि उसका बतंगड़ बना दिया जाए। बात सिर्फ श्री राम का नाम भुनाते वाली भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों के मर्यादाहीन व्यवहार की है। जो लोकतंत्र के मंदिर रूपी विधानसभा के अनुष्ठान यानि सत्र के दौरान पोर्न वीडियो देखने में मशगूल नजर आए। अगर वो इस नेक काम को अपने घर, बेडरूम या फिर कहीं और करते तो उसमें किसी को आपत्ति नहीं होती। हम बचपन से ही बड़ों से मन में राम बगल में छूरी नामक कहावत सुनते आए हैं। लेकिन कर्नाटक में भाजपा के इन तीन शूरमाओं ने एक नई कहावत को जन्म दे दिया है, वो है मन में राम और मोबाइल में छोरी।
खैर अब छोडों इस बात को मंत्रियों को जो अच्छा लगा उन्होंने वो किया। मुझे आशंका है कि कहीं अन्ना हजारे की टीम इस बात को अपनी डायरी में नोट न कर लिया हो। कोई ताज्जुब नहीं है कि टीम अन्ना भविष्य में अपने मंच से नेताओं पर एक नयी फब्ती कसती नजर आए। ऐसे नेताओं की सर्वोच्चता क्यों स्वीकार की जाए, जो विधानसभा में बैठकर मोबाइल में अश्लील क्लिपिंग देखते हो?