नई दिल्ली. पंजाब में सत्ता वापसी का सपना संजोए बैठा कांग्रेस आलाकमान अप्रत्याशित हार से पूरी तरह स्तब्ध है। वरिष्ठ नेताओं को यह मानने से कोई इंकार नहीं है कि पंजाब चुनाव में रणनीतिक स्तर पर बड़ी भूलें हुईं।
रणनीतिक मामलों में दस जनपथ के सबसे करीबी महासचिवों में से एक जनार्दन द्विवेदी ने स्वीकार किया कि जीत निश्चित मानकर कांग्रेस के लोग लापरवाह हो गए। जीत के लिए जितने प्रयास करने चाहिए थे, उतने नहीं हो पाए।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी भीपरिणामों से पूरी तरह निराश दिखे। पार्टी के भीतर बड़े स्तर पर बगावत, पीपीपी की मौजूदगी का गलत विश्लेषण, समय से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को नेता घोषित कर देने व 2007 चुनाव की तुलना में डेरा सच्च सौदा की मदद के कमतर असर को हार के प्रमुख कारणों में शुमार किया जा रहा है।
हार से सन्न पंजाब कांग्रेस के प्रभारी जीएस चाड़क ने कहा कि वे एक-एक सीट पर हार के कारणों के विश्लेषण में जुट गए हैं। वे अगले दो-तीन दिनों में इन कारणों की विस्तृत रपट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप देंगे। चाड़क ने कहा कि पार्टी चूंकि सामूहिक नेतृत्व के नाम पर चुनाव में उतरी थी लिहाजा हार की जिम्मेदारी भी सामूहिक है।
वे जर्नादन की उस बात से सहमत नजर नहीं आए कि चुनाव के दौरान पार्टी के स्तर पर लापरवाही हुई। उन्होंने कहा कि मीडिया पर कब्जे व धनबल के जरिए शिअद ने सत्ता में रहने का लाभ उठाते हुए पैसा बहाया और परिणामों को प्रभावित किया। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी जीएस चाड़क ने कहा कि कांग्रेस के बागियों को मैदान में उतार कर उन्हें आर्थिक मदद भी शिरोमणि अकाली दल ने दी।
कांग्रेस के काम नहीं आया डेरा फैक्टर
चंडीगढ़. डेरा सच्चा सौदा फैक्टर भी कांग्रेस के काम नहीं आया। मालवा बेल्ट में अकाली दल के 22, भाजपा का एक उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे। शुतराणा, समाना, घनौर, संगरूर, अमरगढ़, सुनाम, दिड़बा, बुढलाडा, मानसा, मौड़, बठिंडा रूरल, बठिंडा अर्बन, रामपुराफूल, कोटकपूरा, लंबी, बल्लुआणा, जलालाबाद, फिरोजपुर रूरल, जीरा, धर्मकोट, बाघापुराना और निहाल सिंहवाला शामिल हैं, जबकि फाजिल्का की एक सीट भाजपा के खाते में गई है। जहां कांग्रेस के उम्मीदवार डेरा प्रेमियों के चलते मात्र एक दर्जन सीटें ही ले पाए हैं। उनमें मोगा, फिरोजपुर सिटी, गुरुहरसहाय, अबोहर, गिद्दड़बाहा, जैतों, भुच्चो मंडी, तलवंडी साबो, सरदूलगढ़, लहरागागा, बरनाला, धूरी, पटियाला रूरल, सनौर और पटियाला जनरल शामिल हैं।
रणनीतिक मामलों में दस जनपथ के सबसे करीबी महासचिवों में से एक जनार्दन द्विवेदी ने स्वीकार किया कि जीत निश्चित मानकर कांग्रेस के लोग लापरवाह हो गए। जीत के लिए जितने प्रयास करने चाहिए थे, उतने नहीं हो पाए।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी भीपरिणामों से पूरी तरह निराश दिखे। पार्टी के भीतर बड़े स्तर पर बगावत, पीपीपी की मौजूदगी का गलत विश्लेषण, समय से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को नेता घोषित कर देने व 2007 चुनाव की तुलना में डेरा सच्च सौदा की मदद के कमतर असर को हार के प्रमुख कारणों में शुमार किया जा रहा है।
हार से सन्न पंजाब कांग्रेस के प्रभारी जीएस चाड़क ने कहा कि वे एक-एक सीट पर हार के कारणों के विश्लेषण में जुट गए हैं। वे अगले दो-तीन दिनों में इन कारणों की विस्तृत रपट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप देंगे। चाड़क ने कहा कि पार्टी चूंकि सामूहिक नेतृत्व के नाम पर चुनाव में उतरी थी लिहाजा हार की जिम्मेदारी भी सामूहिक है।
वे जर्नादन की उस बात से सहमत नजर नहीं आए कि चुनाव के दौरान पार्टी के स्तर पर लापरवाही हुई। उन्होंने कहा कि मीडिया पर कब्जे व धनबल के जरिए शिअद ने सत्ता में रहने का लाभ उठाते हुए पैसा बहाया और परिणामों को प्रभावित किया। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी जीएस चाड़क ने कहा कि कांग्रेस के बागियों को मैदान में उतार कर उन्हें आर्थिक मदद भी शिरोमणि अकाली दल ने दी।
कांग्रेस के काम नहीं आया डेरा फैक्टर
चंडीगढ़. डेरा सच्चा सौदा फैक्टर भी कांग्रेस के काम नहीं आया। मालवा बेल्ट में अकाली दल के 22, भाजपा का एक उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे। शुतराणा, समाना, घनौर, संगरूर, अमरगढ़, सुनाम, दिड़बा, बुढलाडा, मानसा, मौड़, बठिंडा रूरल, बठिंडा अर्बन, रामपुराफूल, कोटकपूरा, लंबी, बल्लुआणा, जलालाबाद, फिरोजपुर रूरल, जीरा, धर्मकोट, बाघापुराना और निहाल सिंहवाला शामिल हैं, जबकि फाजिल्का की एक सीट भाजपा के खाते में गई है। जहां कांग्रेस के उम्मीदवार डेरा प्रेमियों के चलते मात्र एक दर्जन सीटें ही ले पाए हैं। उनमें मोगा, फिरोजपुर सिटी, गुरुहरसहाय, अबोहर, गिद्दड़बाहा, जैतों, भुच्चो मंडी, तलवंडी साबो, सरदूलगढ़, लहरागागा, बरनाला, धूरी, पटियाला रूरल, सनौर और पटियाला जनरल शामिल हैं।