मुख्य चुनाव आयुक्त कुरेशी साहब ने अपने एक बयान में कहा है कि चैनलों के एक्जिट पोल लोगों का मनोरंजन करते हैं। कुरेशी साहब की बात से मैं पुरी तरह सहमत नहीं हूं। कुरेशी साहब की नौकरी की मजबूरी हो सकती है। शायद इस लिए वह खुल कर नहीं कह पा रहे। सच तो यह है कि यह एक्जिट पोल मनोरंजन का नहीं खीझ का सबब हैं। कितना भी घटिया हो मनोरंजन ऐसा तो नहीं होता। यह एक्जिट पोल तो लोकतंत्र ही नहीं जनता का भी घोर अपमान है। लेकिन चूंकि इन चैनलों की जवाबदेही सिर्फ़ अपने मालिकों और व्यवसाय के ही प्रति होती है, टी.आर.पी के प्रति होती है सो यह कुछ भी, कभी भी कह कर देते हैं। कभी दुनिया का अंत कर देते हैं तो कभी आंखों देखा अपराध परोस देते हैं, तो कभी भूत-प्रेत। सरकार यही चाहती है कि जनता ऐसे ही हवाई किलों में उडती रहे। सो किसिम-किसिम की नौटंकी चला रहे हैं ये चैनल वाले।
न्यूज़ तो इन के पास है नहीं,कायदे की नौटंकी भी नहीं सो अनाप शनाप दिखा रहे हैं। लाफ़्टर चैलेंज हो या एक्जिट पोल इन के लिए सब बराबर है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या कोई अल्ट्रा साउंड मशीन है इन चैनलों के पास? जो स्ट्रांग रुम में रखी मशीनों का अल्ट्रा साऊंड कर लाए हैं?
यह प्रक्रिया हर्गिज पारदर्शी नहीं है। यह एक्जिट पोल सिर्फ़ और सिर्फ़ भ्रम है, कुछ और नहीं। बार-बार एक्जिट पोल की पोल खुल चुकी है, कल फिर खुलेगी। किसी दुकान पर जैसे कोई मिलावटी सामान मिलता है और हम यह जानते हैं फिर भी कोई विकल्प न होने के कारण उस दुकान पर जाते ही हैं। यही हाल इन चैनलों वाली दुकानों का है। इन का कोई विकल्प नहीं है फ़िलहाल। सो यह जहर पीने को जनता अभिशप्त है। यह
एक्जिट पोल निश्चित रुप से लोकतंत्र के लिए धीमा जहर बनते जा रहे हैं। लोकतंत्र की हत्या को अगर रोकना है तो यह एक्जिट पोल की दुकान पूरी तरह बंद करना होगा चुनाव आयोग को। एक बात मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप से अगर पूछा जाए कि आप किस को वोट दे कर आ रहे हैं? तो क्या आप बता देंगे? कतई नहीं। फिर यह एक्जिट पोल किस आधार या किस सपने या किस गणित के तहत बताया जाता है? यह वैसा ही भरोसा है जैसे आप किसी स्त्री के साथ बिना संभोग के ही दावा करते फिरें कि मैं ने तो एक रात में दस बार संभोग किया। यह हकीकत भला उस स्त्री के अलावा कोई और भी बता सकता है क्या? वोटर नाम के असंगठित नागरिक वास्तव में उसी स्त्री की हैसियत में है। असल में यह एक्जिट पोल वोटरों के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ सामूहिक बलात्कार ही है,कुछ और नहीं।