चंडीगढ़. पंजाब समेत पांच राज्यों की सत्ता किसके हाथ लगेगी, यह मंगलवार दोपहर तक तय हो जाएगा। पंजाब की बात करें तो ज्यादातर एग्जिट पोल कांग्रेस को सरकार बनाते दर्शा रहे हैं, लेकिन कांटे की टक्कर की बात से भी कोई नहीं मुकर रहा।
59 के मैजिक फिगर तक अगर कोई पार्टी नहीं पहुंची तो बागियों का कद तो बढ़ेगा ही, पार्टियों के सामने भी गंभीर सैद्धांतिक समस्याएं पैदा हो जाएंगी। जिन बागियों के जीतने की उम्मीद बनी हुई है, उन पर दोनों प्रमुख पार्टियों की नजरें हैं, ताकि यदि जरूरत पड़ी तो किसी भी कीमत पर उन्हें अपने पाले में शामिल किया जाए। बातचीत का दौर भी शुरू हो चुका है।
कांग्रेस, गठबंधन अपने-अपने दावों पर कायम
कांग्रेस निश्चित रूप से पूर्ण बहुमत लेकर आएगी। इसलिए किसी अन्य विधायक की सेवाएं लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- कैप्टन अमरिंदर सिंह
पंजाब की जनता ने अकाली-भाजपा सरकार के कामों को देखा है। हम सरकार अपने दम पर ही बनाएंगे।
- सुखबीर बादल
हमारे सहयोग के बिना कोई भी दल सरकार नहीं बना पाएगा। हम 22 सीटें जीतेंगे। एग्जिट पोल फेल रहेंगे।
- मनप्रीत बादल
किस पार्टी के सामने क्या विकल्प, क्या समीकरण
कांग्रेसः कांग्रेस यदि सत्ता की चाबी हासिल करने से एक-दो कदम पीछे रहती है, उसकी नैया बागियों के बिना पार नहीं लग सकती। डेराबस्सी, मुकेरियां, पठानकोट, कोटकपूरा, बल्लुआणा समेत 12 ऐसी ही सीटें हैं, जहां कांग्रेस के बागी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से यदि कोई जीतता है तो उसे पार्टी में लेना कांग्रेस के लिए एकमात्र विकल्प होगा।
शिअद-भाजपाः अकाली-भाजपा गठबंधन इस स्थिति में रहा कि वह सरकार बना सके तो यह उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। गठबंधन की नजर अपने बागियों के अलावा कांग्रेस के बागियों पर भी है। अकाली दल को बागियों से सौदेबाजी करने में दिक्कत कम आएगी, क्योंकि इसके लिए नेताओं को किसी आलाकमान से पूछने की जरूरत नहीं होगी।
पीपीपीः मनप्रीत की पार्टी को 4-5 सीटें मिलती दिखाई गई हैं। ऐसा होता है तो बड़ी पार्टियां पीपीपी की हालत उसी तरह की बनाना चाहेंगी, जैसी हरियाणा में कांग्रेस ने कुलदीप बिशनोई की पार्टी हजंका की बनाई है। पीपीपी के विधायक क्या मनप्रीत को छोड़कर दल बदलेंगे? यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है।