पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आज पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वह मोगा छेड़छाड़ मामले में बस स्टाफ के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट और राज्य में बस ऑपरेटरों के बारे में स्वामित्व के विवरण सहित जानकारी प्रदान करे।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति लीसा गिल ने पंजाब के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, परिवहन कंपनी ऑर्बिट एविएशन के मालिकों और राज्य के परिवहन आयुक्त को नोटिस जारी किए तथा 15 मई तक उनसे जवाब मांगा है। घटना से जुड़ी बस पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के रिश्तेदारों से संबंधित ऑर्बिट एविएशन कंपनी की है।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह बस के चालक, परिचालक और अन्य स्टाफ के बारे में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दे। इसने आम आदमी पार्टी के वकील आरएस बैंस और अन्य अधिवक्ता एचएस अरोड़ा से इस मामले पर अपनी अर्जियां वापस लेने को कहा तथा उन्हें अदालत मित्र नियुक्त कर दिया।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि वह पंजाब रोडवेज, पेप्सू आरटीसी बसों की संख्या और निजी ऑपरेटरों का ब्यौरा और प्रत्येक ऑपरेटर के स्वामित्व का विवरण दे। मोगा बस छेड़छाड़ मामले में अदालत ने इसे लिखे गए एक पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया था। इस घटना में बस से कथित तौर पर फेंकी गई एक लड़की की मौत हो गई थी। छेड़छाड़ का विरोध करने पर तेरह वर्षीय लड़की को उसकी मां के साथ बस से बाहर फेंक दिया गया था।
घटना से बड़े पैमाने पर रोष भड़क उठा था। बाद में उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने ऑर्बिट एविएशन की सभी बसों को सड़कों से वापस लेने का आदेश दिया था। वह इन बसों के सह मालिक हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया था कि बस स्टाफ को एक ऑरियंटेशन पाठ्यक्रम के लिए भेजा जाए।
पंजाब सरकार ने घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करने का फैसला किया था। विपक्ष ने हालांकि कदम पर सवाल उठाया। कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने कहा कि मामला चूंकि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, इसलिए कोई समानांतर जांच कराने की आवश्यकता नहीं थी।