Sunday, May 17, 2015

सरस्वती नदी को लेकर भूवैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

यमुनानगर: गांव मुगलवाली में सरस्वती नदी की खुदाई के दौरान करीब 5 फुट की खुदाई से ही निकली सरस्वती नदी की जलधारा पर भूवैज्ञानिकों ने बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। खुदाई के दौरान मिल रहे जल और अन्य नदियों के पानी को स्टोर करने के लिए जमीन के नीचे बहुत से सूखे प्राचीन जल मार्ग (पेलियो चैनल) भी मौजूद हैं। 

यह जलमार्ग बाढ़ की विभीषिका से बचा सकते हैं और यहां अथाह पानी एकत्र किया जा सकता है। एकत्र पानी प्रदेश की पेयजल और सिंचाई की समस्या को समाप्त कर सकता है। यह दावा हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर की रिपोर्ट में किया गया है। सेंटर प्रदेश सरकार को यह रिपोर्ट पहले ही सौंप चुका है। सेंटर ने हरियाणा प्रदेश में जमीन के नीचे मौजूद पेलियो चैनल (प्राचीन जल मार्ग) को खोजा वर्ष 2013 में तत्कालीन प्रदेश सरकार को इसकी रिपोर्ट सौंपी।

हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने माइक्रोवेव सेटेलाइट के माध्यम से इन चैनलों का पता लगाया था। सेटेलाइट में लगे सेंसर की मदद से जमीन के नीचे काफी गहराई में होने के बावजूद इन पेलियो चैनल को सेटेलाइट तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। ये पेलियो चैनल उत्तरी हरियाणा में बहुतायत में हैं। यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र और कैथल में ये चैनल काफी संख्या में हैं। वहीं दक्षिण हरियाणा में हिसार, जींद और सिरसा जिले में हैं। ये चैनल सरस्वती की सहायक नदियों के हैं। 

हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर के चीफ साइंटिस्ट डॉ. आर हुड्डा ने बताया कि हजारों वर्ष पूर्व सरस्वती और उसकी सहायक नदियां जमीन के नीचे काफी गहराई में चली गईं। ये चैनल इतने विशाल हैं कि इनमें अथाह पानी स्टोर हो सकता है। गौरतलब है कि सरस्वती नदी की जलधारा के साथ-साथ पत्थर व मिट्टी के बर्तनों के अवशेष भी निकल रहे हैं। 

गत गुरुवार को चंडीगढ़ से आए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक, पुरातत्व विद व सर्कल हैड जी.एन. श्रीवास्तव तथा उपाधीक्षक डा. अक्षित कौशिक ने सरस्वती नदी की धारा से निकले कुछ पत्थरों जिनमें विशेष रूप से मार्बल के पत्थर भी शामिल हैं तथा मिट्टी के बर्तनों के टुकड़ों को एकत्रित किया।

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