नई दिल्ली। एक चौंकाने वाली खबर सामने आयी है जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो रही है। नये अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में इस समय सबसे ज्यादा महिलाएं स्तन कैंसर की शिकार हो रही हैं और इसकी वजह से उनकी मौतों में इजाफा हो रहा है। कुछ समय पहले तक महिलाएं गर्भाशय के कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर की शिकार होती थीं लेकिन इस समय देश में ब्रेस्ट कैंसर के केस ज्यादा हो रहे हैं जो कि एक अच्छी खबर नहीं है।
एक अध्ययन 'द ग्लोबल बर्डन ऑफ कैंसर 2013' में प्रकाशित हुआ है.. जिसका आंकड़ा निम्नलिखित है.. 1.भारत में साल 2013 तक सर्वाइकल कैंसर से ज्यादा महिलाओं की मौत होती थी। 2.साल 2014 -15 के आंकड़े कहते हैं कि अब महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो रही हैं। 3.भारत में सन 1990 में 34,962 महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत हुई थी। 4.2013 में 40,985 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर और 47,587 महिलाएं स्तन कैंसर की शिकार हो रही हैं। 5.अध्ययन में कहा गया है कि ब्रेस्ट कैंसर में इजाफा महिलाओं कि बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण है। 6.अध्ययन में कहा गया है कि ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को 35-50 साल के बीच में अपने वजन पर ध्यान रखना चाहिए। 7. शराब और सिगरेट से भी दूर रहने को भी महिलाओं से कहा गया है।
बढ़ते कैंसर के रोगियों से पूरा विश्व इस समय परेशान है, कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी अमेरिका में हैं क्योंकि वहां के लोग रिजर्व फूड खाते हैं। वैसे तो कैंसर का हर प्रारूप तकलीफ देह होता है लेकिन गर्भाशय का कैंसर ऐसा रोग है जिसमें मरीज के बचने के चांसेज बहुत ज्यादा कम होते हैं, अगर मरीज को कैंसर का तुंरत पता नहीं चल पाता है तो उसका खामियाजा उसे अपनी जान देकर ही चुकाना पड़ता है। कैंसर का इलाज भी काफी दर्द भरा होता है।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जेनेटिक मटेरियल की खोज की है, जो कि कैंसर को कोशिकाओं को पहचान कर गर्भाशय से अलग कर देगा। अगर रोगी को फर्स्ट स्टेज में पता चल जायेगा तो बिना गर्भाशय को निकाले ही कैंसर को बाहर किया जा सकता है।शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 296 गर्भाशय कैंसरों से एकत्र किए गए एमआरएनए और 1,839 नार्मल टिशूज को एकत्र किया था। संकेत और लक्षण अक्सर गर्भाशय कैंसर के बारे में लोगों को काफी देर से पता चलता है। महिलाएं अक्सर इन लक्षणों को देखकर अनदेखा कर देती हैं। सामान्य तौर पर इस रोग से ग्रसित महिलाओं की उम्र 45 के पार होती है। इस उम्र में महिलाओं को मोनोपार्ज होने शुरू हो जाते हैं। इसलिए जब रक्त-स्राव ज्यादा होने लगता है तो उन्हें भ्रम होने लगता है कि मासिक धर्म के जाने के दिन है जिसके कारण उन्हें दर्द और रक्त-स्राव हो रहा है और यहीं वो गलती कर जाती हैं, इसलिए अगर इस तरह की किसी भी समस्या से आप ग्रसित हों तो तुरंत अपनी डॉक्टर से संपर्क करें। वैसे WHO के मुताबिक पिछले पांच सालों में 30-40 के बीच की महिलाओं में यह रोग देखा गया है। गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का उपाय आम तौर पर डॉक्टरों के पास बायोप्सी करने के आलवा कोई चारा नहीं होता है इसलिए गर्भाशय रिमूव करने के बाद महिलाएं संतान को जन्म नहीं दे सकती हैं।
लेकिन अब एक राहत की खबर आ रही है। भारत के एक महान संत स्वामी चिन्मयनन्द जी महाराज ने दावा किया है के भारत में प्राचीन काल से कैसर जैसी नामुराद बीमारी से निजात पाने के लिए हजारो वर्षो की शोद से कुश पेड़ ,पोदे और जड़ी बूटियों की सहायता से कैंसर को जड़ से मिटाया जा सकता है ! स्वामी जी ने देश विदेश में लाखो लोगो को कैंसर से छुटकारा दिलाने का दावा भी किया है !
एक अध्ययन 'द ग्लोबल बर्डन ऑफ कैंसर 2013' में प्रकाशित हुआ है.. जिसका आंकड़ा निम्नलिखित है.. 1.भारत में साल 2013 तक सर्वाइकल कैंसर से ज्यादा महिलाओं की मौत होती थी। 2.साल 2014 -15 के आंकड़े कहते हैं कि अब महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो रही हैं। 3.भारत में सन 1990 में 34,962 महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत हुई थी। 4.2013 में 40,985 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर और 47,587 महिलाएं स्तन कैंसर की शिकार हो रही हैं। 5.अध्ययन में कहा गया है कि ब्रेस्ट कैंसर में इजाफा महिलाओं कि बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण है। 6.अध्ययन में कहा गया है कि ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को 35-50 साल के बीच में अपने वजन पर ध्यान रखना चाहिए। 7. शराब और सिगरेट से भी दूर रहने को भी महिलाओं से कहा गया है।
बढ़ते कैंसर के रोगियों से पूरा विश्व इस समय परेशान है, कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी अमेरिका में हैं क्योंकि वहां के लोग रिजर्व फूड खाते हैं। वैसे तो कैंसर का हर प्रारूप तकलीफ देह होता है लेकिन गर्भाशय का कैंसर ऐसा रोग है जिसमें मरीज के बचने के चांसेज बहुत ज्यादा कम होते हैं, अगर मरीज को कैंसर का तुंरत पता नहीं चल पाता है तो उसका खामियाजा उसे अपनी जान देकर ही चुकाना पड़ता है। कैंसर का इलाज भी काफी दर्द भरा होता है।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जेनेटिक मटेरियल की खोज की है, जो कि कैंसर को कोशिकाओं को पहचान कर गर्भाशय से अलग कर देगा। अगर रोगी को फर्स्ट स्टेज में पता चल जायेगा तो बिना गर्भाशय को निकाले ही कैंसर को बाहर किया जा सकता है।शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 296 गर्भाशय कैंसरों से एकत्र किए गए एमआरएनए और 1,839 नार्मल टिशूज को एकत्र किया था। संकेत और लक्षण अक्सर गर्भाशय कैंसर के बारे में लोगों को काफी देर से पता चलता है। महिलाएं अक्सर इन लक्षणों को देखकर अनदेखा कर देती हैं। सामान्य तौर पर इस रोग से ग्रसित महिलाओं की उम्र 45 के पार होती है। इस उम्र में महिलाओं को मोनोपार्ज होने शुरू हो जाते हैं। इसलिए जब रक्त-स्राव ज्यादा होने लगता है तो उन्हें भ्रम होने लगता है कि मासिक धर्म के जाने के दिन है जिसके कारण उन्हें दर्द और रक्त-स्राव हो रहा है और यहीं वो गलती कर जाती हैं, इसलिए अगर इस तरह की किसी भी समस्या से आप ग्रसित हों तो तुरंत अपनी डॉक्टर से संपर्क करें। वैसे WHO के मुताबिक पिछले पांच सालों में 30-40 के बीच की महिलाओं में यह रोग देखा गया है। गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का उपाय आम तौर पर डॉक्टरों के पास बायोप्सी करने के आलवा कोई चारा नहीं होता है इसलिए गर्भाशय रिमूव करने के बाद महिलाएं संतान को जन्म नहीं दे सकती हैं।
लेकिन अब एक राहत की खबर आ रही है। भारत के एक महान संत स्वामी चिन्मयनन्द जी महाराज ने दावा किया है के भारत में प्राचीन काल से कैसर जैसी नामुराद बीमारी से निजात पाने के लिए हजारो वर्षो की शोद से कुश पेड़ ,पोदे और जड़ी बूटियों की सहायता से कैंसर को जड़ से मिटाया जा सकता है ! स्वामी जी ने देश विदेश में लाखो लोगो को कैंसर से छुटकारा दिलाने का दावा भी किया है !