20 July 2012
सहयोगी पार्टी एनसीपी की नाराजगी के चलते यूपीए पर छाया संकट टलता दिख रहा है। एनसीपी ने ने ‘यू-टर्न’ लेते हुए साफ कर दिया कि उनकी पार्टी यूपीए का अहम हिस्सा है। एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने सोनिया से शरद पवार की मुलाकात के बाद हुई पार्टी की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान प्रफुल्ल पटेल ने पवार की मांगें माने जाने और सरकार में नंबर 2 की कुर्सी न मिलने पर नाराज होने से जुड़ी खबरों पर कहा कि शरद पवार की तरफ से प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी पर बेजवह के कयास लगाए जा रहे हैं। चिट्ठी मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने पवार से बात की थी।
मीडिया में पवार को नंबर 2 कुर्सी न दिए जाने पर पटेल ने कहा, ‘पवार बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं। वे ऐसी बातों से ऊपर हैं। हमारे पास कभी भी बहुत ज़्यादा संख्या (सांसदों की) नहीं रही। लेकिन शरद पवार का राजनीतिक कद इनता बड़ा है कि वे अपने आप ही सरकार के बड़े नेता हैं।’
पटेल के मुताबिक, ‘बीते 8 सालों से एनसीपी यूपीए का अहम घटक दल रहा है। यूपीए सरकार के स्तंभ के तौर पर एनसीपी ने काम किया है। कांग्रेस और एनसीपी की तरफ से कुछ राजनीतिक मुद्दे समय-समय पर उठते रहे हैं। यूपीए अपने अंतिम दो वर्षों में प्रवेश कर चुकी है। राजनैतिक दल के तौर पर एनसीपी और गठबंधन के तौर पर यूपीए को आम चुनावों के लिए कमर कस लेनी चाहिए। सरकार को ज़्यादा निर्णायक, मुद्दों को लेकर कमिटमेंट दिखाना होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में यूपीए चुनौतियों का सामना करेगी। गठबंधन और सरकार के कामकाज को लेकर पवार के मन में कुछ बातें थीं, जिन पर चर्चा की गई।’
इससे पहले खबर आई थी कि सहयोगी पार्टी एनसीपी कांग्रेस से नाराज है। खबर थी कि एनसीपी सुप्रीमो और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और उनकी ही पार्टी के एक अन्य केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने सरकार से नाराज़गी दिखाते हुए कल देर रात प्रधानमंत्री के पास अपना इस्तीफा भेज दिया। यह भी कहा जा रहा था कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गईं तो सरकार के साथ कांग्रेस का गठबंधन भी तोड़ सकते हैं। बताया जाता है कि शरद पवार ने प्रधानमंत्री के पास दो चिट्ठियां भेजी थीं। एक में उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा था, जबकि दूसरे में उन्होंने यूपीए में गठबंधन धर्म का पालन नहीं किए जाने की बात कही है। लेकिन एनसीपी ने इस्तीफे की बात से इनकार किया है।
मीडिया में पवार को नंबर 2 कुर्सी न दिए जाने पर पटेल ने कहा, ‘पवार बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं। वे ऐसी बातों से ऊपर हैं। हमारे पास कभी भी बहुत ज़्यादा संख्या (सांसदों की) नहीं रही। लेकिन शरद पवार का राजनीतिक कद इनता बड़ा है कि वे अपने आप ही सरकार के बड़े नेता हैं।’
पटेल के मुताबिक, ‘बीते 8 सालों से एनसीपी यूपीए का अहम घटक दल रहा है। यूपीए सरकार के स्तंभ के तौर पर एनसीपी ने काम किया है। कांग्रेस और एनसीपी की तरफ से कुछ राजनीतिक मुद्दे समय-समय पर उठते रहे हैं। यूपीए अपने अंतिम दो वर्षों में प्रवेश कर चुकी है। राजनैतिक दल के तौर पर एनसीपी और गठबंधन के तौर पर यूपीए को आम चुनावों के लिए कमर कस लेनी चाहिए। सरकार को ज़्यादा निर्णायक, मुद्दों को लेकर कमिटमेंट दिखाना होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में यूपीए चुनौतियों का सामना करेगी। गठबंधन और सरकार के कामकाज को लेकर पवार के मन में कुछ बातें थीं, जिन पर चर्चा की गई।’
इससे पहले खबर आई थी कि सहयोगी पार्टी एनसीपी कांग्रेस से नाराज है। खबर थी कि एनसीपी सुप्रीमो और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और उनकी ही पार्टी के एक अन्य केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने सरकार से नाराज़गी दिखाते हुए कल देर रात प्रधानमंत्री के पास अपना इस्तीफा भेज दिया। यह भी कहा जा रहा था कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गईं तो सरकार के साथ कांग्रेस का गठबंधन भी तोड़ सकते हैं। बताया जाता है कि शरद पवार ने प्रधानमंत्री के पास दो चिट्ठियां भेजी थीं। एक में उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा था, जबकि दूसरे में उन्होंने यूपीए में गठबंधन धर्म का पालन नहीं किए जाने की बात कही है। लेकिन एनसीपी ने इस्तीफे की बात से इनकार किया है।