Thursday, September 24, 2015

बिहार में भाजपा को ही फायदा नजर आ रह है

अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही देश के नेताओं व समाजसेवियों ने जाति प्रथा को खत्म करने का अथक प्रयास किया था। इसके लिए कई बार आंदोलन हुआ। आजादी के कुछ वर्ष बाद भी नेताओं ने इस प्रयास को आगे बढ़ाया। काफी हद तक इसमें सफलता भी मिली। लेकिन बाद के वर्षो में नेताओं ने सत्ता के लोभ में जाति की राजनीति करनी शुरू कर दी। अब तो जाति देखकर प्रत्याशियों को चुनाव में टिकट दिया जा रहा है। टिकट बंटवारे में प्रत्याशियों की योग्यता और पकड़ को नजरअंदाज किया जाता है। इससे स्थिति बिगड़ती जा रही है। जाति की राजनीति से देश विकास की ओर नहीं, बल्कि विनाश की ओर बढ़ रहा है। देश की आजादी के समय राजनीति में लोग राष्ट्र प्रेम व सेवा की भावना से आते थे। लेकिन अब सत्ता के लोभ में लोग राजनीति में आ रहे हैं। ऐसी राजनीति को देखकर मन में घृणा होती है।

पहले की राजनीति समाजसेवा के लिए पूर्ण रूप से समर्पित राजनीति थी, जबकि आज की राजनीति एक व्यवसाय बनकर रह गई है।चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी राष्ट्रीय भावना व लोक कल्याण से लवरेज होते थे। नेता अपनी सादगी, ईमानदारी, व नम्रता के कारण मतदाताओं के बीच अपने लगते थे। ये लोग साइकिल व पैदल चलकर मतदाताओं से संपर्क करते थे। टिन की कटिंग कर के चुनाव चिन्ह व प्रत्याशी का नाम अंकित करते थे। दीवारों पर खुद ब्रश से पेटिंग करते थे। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कार्यकर्ता घर से रोटी पानी  लेकर  वोट मांगने निकलते थे। गांव के लोग चाहे उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता दूसरे दल के साथ हो, लेकिन आदर सत्कार के लिए तत्पर रहते थे। कोई कटुता नहीं, कोई द्वेष नहीं।
परन्तु आज की राजनीती का अलग ही दरिष्य देखने को मिल रहा है आज राजनीती में पैसे और जात -पात  का बोलबाला है !हठी के दन्त खाने के और दिखने के और वाली कहावत आज लागु होती दिखाई दे रही है !भाजपा और ओबीसी एक दूसरे को  रोज पानी पी पी कर कोसते नहीं थकते !पर चुनाव में दोनों की मिली भगत साफ दिखाई दे रही है ! एम आई एम ने बिहार में अपने कैंडिडेट्स मुस्लिम बहुल खेतर में उतार दिए है जो मुस्लिम वोट बैंक को काट कर भाजपा को ही फायदा देते नजर आ रहे है !अमित शाह का चुनावी गणित यहाँ ठीक बैठता लग रहा है !
अब चर्चा कर लेते हैं बिहार के वोटर की मौजूदा सोच क्या कहती है। 
तीन या चार जातियों की तमन्ना किसी भी कीमत पर भाजपा को जीत दिलाने की है। मगर उनकी बिहार की आबादी में हिस्से दारी १५% से भी कम है। हाँ मगर लोजपा और माझी के साथ आजाने से एन डी ए घठबंधन का वोट शेयर काफी बढ़ा है जिसके कारण भाजपा सभी सीटों पर मुकाबले की सिथति में आ गयी है जिससे भाजपा को फायदा होने के आसार है !  जनता की पहली पसंद नितीश कुमार ही हैं और एक विशेष वर्ग को छोड़ कर कहीं भी एन्टीइनकेम्पेसी के पद्धचिन्ह दिखाई नहीं पड़े। नितीश के हिस्से की सीटों पर यादव १५% मुस्लिम १४% महादलित नितीश समर्थको को मिला कर सरकार बनाने के समीकरण बैठा रहे है !
 पिछले चुनाव में मुस्लिम दलित महादलित वोटो का नितीश एनडीए घटबन्धन और राजद के बीच बटवारा हो गया था। इसबार भी ये बटवारा जारी रहने की संभावना बन रही है ! 
आगे होने वाले बदलाव घटनाओ पर आधारित होंगे। अगर कोई बड़ी घटना नहीं घटी तो परिणाम ऐसे ही आने की संभावना है। 
आएये जानते है बिहार की लीडरशिप के बारे में 


नाम:सुशील मोदी

सुशील मोदीः जेपी आंदोलन से पहचान और अब सोशल मीडिया के शहंशाह
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी जितना राजनीति में सक्रिय है उतना ही सोशल मीडिया में अपनी उपस्थिति बराबर बनाये हुए हैं। छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय सुशील कुमार मोदी 1971 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए हैं। 1973-1977 में मोदी पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री बने उसी वर्ष लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष और रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव चुने गये थे।
मोदी एवं आंदोलन सुशील कुमार मोदी छात्र जीवन से एक आंदोलनकारी छात्र रहे हैं। 1972 में मोदी पहली बार छात्र आंदोलन के दौरान 5 दिन जेल में रहे। जेपी आंदोलन एवं आपातकाल के दौरान 1974 में उनको 5 बार मीसा में गिरफ्तार किया गया। आपातकाल के 19 महीने की जेल यात्रा को मिलाकार मोदी 24 महीने जेल में रहे।
भाजपा में दायित्वः भारतीय जनता पार्टी में सुशील कुमार मोदी को कई दायित्व दिये गये। 1995 में मोदी भाजपा विधानमंडल के मुख्य सचेतक निर्वाचित हुए और उसी वर्ष उनको भाजपा ने राष्ट्रीय मंत्री भी बनाया। वर्ष 2004 में मोदी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और 2005 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। बिहार सरकार में मोदी वर्ष 2000 में संसदीय कार्य मंत्री बने और 2005 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2012 में मोदी दूसरी बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने। 2005 में मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री बने।
जीवन परिचय
जन्म: 5 जनवरी 1952 पिता: स्व मोती लाल मोदी माता: स्व रत्ना देवी पत्नी: प्रो डाॅ जेसी सुशील मोदी, प्राचार्य, वीमेन्स ट्रेनिंग कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय शिक्षा: पटना साइंस कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से स्नातक।

नितीश कुमार -



जेपी आंदोलन से खड़े हुए नीतीश कुमार 
वर्ष 1974-1977 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की उपज रहे नीतीश कुमार उस समय समाजसेवी एवं राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। पटना के राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान से विद्युत अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) की शिक्षा के साथ ही नीतीश कुमार जेपी आंदोलन में कूद पड़े। वर्ष 1985 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये। इसके बाद 1987 में उन्हें युवा लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया।
1989 में बिहार जनता दल के सचिव बने और उसी साल लोकसभा चुनाव में लोकसभा सदस्य चुने गये थे। राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद 1990 में पहली बार नीतीश कुमार केन्द्रीय मंत्रीमंडल में बतौर कृषि राज्यमंत्री की हैसियत से शामिल हुए। वर्ष 2000 में नीतीश कुमार केवल सात दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने। सात दिन बाद उनको त्यागपत्र देना पड़ा। उसी साल वे फिर से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि मंत्री बने। मई 2001 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में नीतीश कुमार केन्द्रीय रेलमंत्री रहे।
2004 के लोकसभा चुनाव में बिहार की बाढ़ और नालंदा से चुनाव लड़े लेकिन बाढ से चुनाव हार गये। नंवबर 2005 में राष्ट्रीय जनता दल की बिहार में पंद्रह साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेकने में सफल हुए और मुख्यमंत्री बने। 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में अपने विकास कार्यों के आधार पर भारी बहुमत से गठबंधन को विजयी बनाया और पुन: मुख्यमंत्री बने। 2014 में लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। और 22 फरवरी 2015 को पुन मुख्यमंत्री बने। नीतीश कुमार से टिवटर के जरिये बात कर सकते हैं।
ट्विटर पर @NitishKumarJDU
जन्म तिथि: 1 मार्च 1951
जन्म स्थान: बख्तियापुर, जिला- पटना, राज्य- बिहार
पिता का नाम: स्वर्गीय श्री कविराज राम लखन सिंह
माता का नाम: श्रीमती परमेश्वरी देवी
शिक्षा: बीएससी अभियांत्रिकी, इंजीनियरिंग
राजनीतिक सफर 1985-89: सदस्य, बिहार विधान सभा 1986-87: सदस्य, याचिका समिति, बिहार विधान सभा 1987-88: अध्यक्ष, युवा लोक दल, बिहार 1987-89: सदस्य, सार्वजनिक उपक्रमों, बिहार विधान सभा पर समिति 1989: महासचिव, जनता दल, बिहार 1989: 9वीं लोकसभा में सांसद चुने गये 1989-16/7/1990: सदस्य, सदन समिति (इस्तीफा दे दिया) 4/1990-11/1990: संघ राज्य, कृषि एवं सहकारिता मंत्री आपरेशन 1991: लोकसभा सदस्य 1991-93: महासचिव, जनता दल 98-99: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंत्री, रेल 98-99 : केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंत्री, भूतल परिवहन (अतिरिक्त प्रभार) 2005 : मुख्यमंत्री, बिहार 22.02.2015 पुन: मुख्यमंत्री
नाम:लालू यादव
लालू प्रसाद यादवः वाकपटुता और जमीनी समझ से पाई सफलता
लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति का एक बड़ा नाम है। वैसे रेलमंत्री के तौर पर भी उनकी बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। 11 जून 1947 को बिहार के गोपालगंज जिले के फूलवरिया गांव में जन्मे लालू ने प्रारंभिक शिक्षा गोपालगंज से प्राप्‍त की। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना चले आए। पटना के बीएन कॉलेज से इन्‍होंने स्‍नातक तथा राजनीति शास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा पटना लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
लालू प्रसाद कॉलेज के समय से ही छात्र राजनीति से जुड़ने लगे। इसी दौरान वे जयप्रकाश नारायण आंदोलन का हिस्‍सा बने और जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, कर्पुरी ठाकुर तथा सतेन्‍द्र नारायण सिन्‍हा जैसे राजनेताओं से मिलकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से 6ठी लोकसभा के लिए चुन लिए गए।
लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार बिहार प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने तथा दूसरी बार 1995 में मुख्‍यमंत्री बने। 1997 में लालू प्रसाद जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बनाकर उसके अध्‍यक्ष बने। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने और रेलवे को काफी मुनाफा दिलवाया। 2009 में एक बार फिर वे लोकसभा के लिए चुन लिए गए। लालू प्रसाद 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं तथा 2004 में वे पहली बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। 2002 में छपरा संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में वे दूसरी बार लोकसभा सदस्‍य बने।
चारा घोटाले से राजनीतिक कॅरियर फंसा
लालू प्रसाद पर 9.50 बिलियन के चारा घोटाले का आरोप भी है, जो इन्‍होंने अपने बिहार के मुख्‍यमंत्री के शासनकाल में किया था। इसी सिलसिले में वे कई बार जेल भी जा चुके हैं। 3 अक्‍टूबर 2013 को रांची स्थित सीबीआई के विशेष अदालत ने 5 साल की सजा और 25 लाख का जुर्माने की सजा सुना दिया। कोर्ट ने लालू प्रसाद को चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 68 लाख रूपए को गबन करने का आरोप में दोषी पाया था।
बोलने की शैली के लिए मशहूर
लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं। इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्‍व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं। अपनी बात को कहने का लालू यादव का खास अदांज है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वायदा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं। इनकी रुचि खेलों तथा सामाजिक कार्यों में भी रही है। 2001 में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष भी रह चुके हैं और आज उनका बड़ा बेटा तेजप्रताप बिहार क्रिकेट रणजी टीम का सदस्‍य है।
नाम:जीतनराम मांझी
बिहार के 23वें मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी महादलित मुसहर समुदाय के पहले मुख्यमंत्री रहे। 20मई 2014 को जनता दल (यूनाइटेड) के नेता के रूप में मांझी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 20 फरवरी 2015 को पद से इस्तीफा दे दिया।
मांझी का जन्म 6 अक्तूबर 1944 को बिहार के गया जिले के खिजरसराय के महकार गांव में हुआ। उनके पिता रामजीत राम मांझी खेतिहर मजदूर थे। 1966 में मांझी ने गया महाविद्यालय से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। जीतन राम मांझी की पत्नी शान्ति देवी है और उनके दो बेटे और पांच बेटियां हैं। मांझी ने 1966 में टाइपिस्ट के रूप में नौकरी शुरू की और 1980 में नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा।
विधान सभा क्षेत्र: मखदुमपुर
शैक्षणिक योग्यता: बीए, मगध विश्वविद्यालय
कुल संपत्ति का विवरण: 18 लाख 14 हजार रुपए
फौजदारी मुकदमें: शून्य
राजनीतिक प्रवेशः जीतन राम मांझी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1980 में राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने फतेहपुर क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता। मांझी ने कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों बिन्देशवरी दुबे, सत्येन्द्र नारायण सिन्हा और जगन्नाथ मिश्रा के नेतृत्व में लगातार मंत्रिमंडल में राज्य के एक मंत्री के रूप में काम किया। 2008 में बिहार केबिनेट में चुने गये। मुख्यमंत्री बनने के 10 महीनों के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पद छोड़ने को कहा और ऐसा न करने पर उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया।
जदयू से मोहभंगः 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी अलग पार्टी राजनीतिक मोर्चे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बनाई।
सोशल मीडियाः जीतन राम मांझी भी फेसबुक जैसी सामाजिक मीडिया पर सक्रिय है।
नया समीकरणः 11 जून 2015 को जीतन राम मांझी ने भाजपा के साथ गठबंधन की घोषणा की।
पप्पू यादव
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पहली बार लोक सभा चुनाव 1991 में जीता, उसके बाद 1996, 1999 और 2004 में भी अलग अलग चुनाव क्षेत्रों से एसपी, एलजेपी और आरजेडी पार्टी से चुनाव जीते। यही नहीं पप्पू यादव 2015 के बेस्ट परफॉर्मिंग सासंद भी हैं।

हत्याकांड में बने थे आरोपी
फरवरी 2008 में मार्क्सवादी कमयूनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या के आरोप में निचली आदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। उस दौरान 2009 में पप्पू यादव पर आम चुनाव लड़ने से रोक लग गई थी। 2014 के आम चुनावों में पप्पू यादव ने शरद यादव को हराया था।

कैश फॉर वोट मामला
नवंबर 2013 में रिलीज हुई आत्मकथा द्रोहकाल का पाथिक में पप्पू यादव ने 2001 में पूर्व वित्तीय मंत्री यशवंत सिंहा ने उनके पार्टी के तीन सांसदों को एनडीए में शामिल होने के लिए पैसे दिए थे। उन्होंने दावा कर लिखा कि 2008 में ट्रस्ट वोट के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों ने सांसदों के समर्थन के लिए 40 करोड़ देने का वादा किया था।
 रानीतिक पार्टिया -
जीवन परिचय
जन्म: 24 दिसंबर, 1967
पत्नी: रंजीत रंजन, कांग्रेस नेता है और सुपौल से सांसद हैं।
संतान: एक बेटा, एक बेटी
शिक्षा: बी.एन मंडल विश्वविद्यालय, बीए राजनीति विज्ञान और इगनू से आप्दा प्रबंधन और मानवाधिकार में डिप्लोमा

नाम:भाजपा
भारतीय जनता पार्टी का उदय 1980 में हुआ। इससे पहले 1977 से 1979 तक इसे जनता पार्टी और उससे भी पहले 1951 से 1977 तक भारतीय जन संघ के नाम से जाना जाता रहा था। भाजपा को हिंदुत्व की अवधारणा पर चलने के कारण राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ या आरएसएस की राजनीतिक इकाई भी कहा जाता है।
भारतीय जनता पार्टी का इतिहास तीन हिस्सों में बांटा हैः
भारतीय जन संघ
इसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में की। पार्टी को पहले आम चुनाव में कोई ख़ास सफलता नहीं मिली लेकिन इसे पहचान जरूर मिली। भारतीय जन संघ ने शुरू से ही कश्मीर की एकता, गौ रक्षा, ज़मींदारी प्रथा और परमिट-लाइसेंस-कोटा राज ख़त्म करने जैसे मुद्दों पर ज़ोर दिया। 1975 में आपातकाल के दौरान दूसरी विपक्षी पार्टियों की तरह जन संघ के भी हज़ारों कार्यकर्ता और नेता जेल गए।
जनता पार्टी
1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस की हार हुई। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और भारतीय जन संघ के अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री और लालकृष्ण आडवाणी को सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया। लेकिन आपसी गुटबाज़ी और लड़ाई की वजह से ये सरकार 30 महीनों में ही गिर गई।
भारतीय जनता पार्टी
1980 के चुनावों में विभाजित जनता पार्टी की हार हुई। भारतीय जन संघ जनता पार्टी से अलग हुआ और इसने अपना नाम बदल कर भारतीय जनता पार्टी रख लिया। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी इसके अध्यक्ष बने। भाजपा ने बोफ़ोर्स तोप सौदे को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को घेरा। 1989 के चुनावों में भाजपा ने विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल से सीटों का तालमेल किया। इन चुनावों में भाजपा ने लोकसभा में अपने सदस्यों की संख्या 1984 में दो से बढ़ाकर 89 तक पहुंचाई। विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार को भाजपा ने बाहर से बिना शर्त समर्थन दिया। बाद में पार्टी नेताओं ने अपने इस फ़ैसले को अनुचित भी ठहराया।
चुनाव चिह्न्: कमल
बिहार के प्रमुख नेता: सुशील कुमार मोदी, नंद किशोर यादव, मंगल पाण्डेय, रवि शंकर प्रसाद, सीपी ठाकुर, राधा मोहन सिंह, भोला सिंह, अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, गोपाल नारायण सिंह, शाहनवाज हुसैन।
बिहार से भाजपा सांसद :  सतीश कुमार दूबे- वाल्मिकी  नगर, नित्यानंद राय- उजियारपुर, ओम प्रकाश यादव- सीवान, रामा देवी-शिवहर, छेदी पासवान- सासाराम, राजीव प्रताप रूडी- सारण, राधा मोहन सिंह- पूर्वी चंपारण, शत्रुघ्न सिन्हा-पटना साहिब, रामकृपाल यादव- पाटलिपुत्र, डॉ. संजय जायसवाल पश्चिम चंपारण, गिरिराज सिंह- नवादा, अजय निषाद- मुजफ्फरपुर, जर्नादन सिंह सिग्रीवाल- महराजगंज, हुकुमदेव नारायण यादव- मधुबनी, विरेंद्र कुमार चौधरी-झंझारपुर, जनक राम-गोपालगंज, हरि मांङी-गया, कीर्ति आजाद-दरभंगा, अश्विनी कुमार चौबे-बक्सर, भोला सिंह-बेगूसराय, सुशील कुमार सिंह-औरंगाबाद, राजकुमार सिंह-आरा।
राज्यसभा सांसद : धर्मेद्र प्रधान, रविशंकर प्रसाद, आरके सिन्हा और सीपी ठाकुर
बिहार भाजपा अध्यक्ष- मंगल पांडेय
विधानमंडल के नेता-सुशील कुमार मोदी।
संदन में प्रतिपक्ष के नेता- नंदकिशोर यादव
राज्य प्रभारी: भूपेंद्र यादव, पता-4, मीणा बाग, मौलाना आजाद रोड, नई दिल्ली-110001
चुनाव प्रभारी-अनंत कुमार
संपर्कः भाजपा प्रदेश कार्यालय, वीरचंद पटेल पथ

नाम:जनता दल यूनाइटेड

पार्टी को लोगों के बीच जदयू के नाम से जानी जाती है। यह भारत की क्षेत्रीय पार्टी है। पार्टी का दबदबा मुख्यतः बिहार के अलावा झारखंड में है। लोकसभा सीट के लिहाज से यह पांचवीं बड़ी पार्टी है। 545 सीटों वाली लोकसभा में इसके 20 सांसद हैं।
जबकि राज्यसभा में आठ सीट इस पार्टी के पास हैं। इस पार्टी के संस्थापक शरद यादव हैं। इस पार्टी की जड़ें मुख्यतः जनता पार्टी से जुड़ी हैं। जनता पार्टी का निर्माण इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस विरोधी पार्टी के तौर पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने किया था। 1999 में जनता पार्टी जनता दल के रूप में टूट गई। जद सेक्यूलर का निर्माण एचडी देवेगौड़ा ने किया। अक्टूबर 2003 में लेाकजनशक्ति पार्टी और समता पार्टी मिलकर बन गया जनता दल यूनाइटेड। जार्ज फर्नांडिज और शरद यादव ने मिलकर जदयू बना लिया।
जदयू इस समय बिहार की सबसे बड़ी और प्रमुख पार्टी है। वर्तमान में सरकार में रहते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। बिहार में वैसे तो पिछले चुनाव और इस लोकसभा चुनाव से पहले तक ये पार्टी एनडीए की घटक दल थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर जदयू ने एनडीए छोड़ दिया था। ताजा घटनाक्रम में अब बिहार में जदयू, लालू की जनता दल और कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पिछले चुनाव तक नीतीश के लिए लालू यादव उनके प्रमुख विपक्षी हुआ करते थे।
चुनाव निशानः जनता दल यूनाइटेड का चुनाव निशान तीर का निशान है। असल में यह चुनाव निशान विभाजन से पूर्व के जनता दल का था। बाद में समता पार्टी से विलय के बाद पार्टी ने चुनाव निशान हरी पट्टियों के बीच तीर को चुना।
पार्टी के प्रमुख नेताः
जयदू के प्रमुख नेताओं की सूची निम्नलिखित हैः
शरद यादव, अध्यक्षः वह पार्टी के अध्यक्ष हैं।
साथ ही 15वीं लोकसभा में मधेपुरा संसदीय सीट से सांसद भी हैं। उन्हें संसद में अपनी उत्कृष्ट भूमिका के लिए 2012 का सर्वश्रेष्ठ सांसद अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
केसी त्यागी, महासचिवः वह राज्यसभा से सांसद हैं। इसके अलावा इन पर जदयू के प्रवक्ता पद की भी जिम्मेदारी है।
शिवानंद तिवारीः राज्यसभा में जदयू के प्रतिनिधि के तौर पर सांसद हैं। इसके अलावा वह पार्टी महासचिव और प्रवक्ता भी हैं। यह लालू की राजद को छोड़कर पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं में से हैं।
नीतीश कुमारः वर्तमान विधानसभा में सदन के नेता और मुख्यमंत्री हैं।
इसके अतिरिक्त जावेद राजा (महासचिव), भीम सिंह (महासचिव), मौलाना गुलाम रसूल बालियावी (महासचिव), अफाक अहमद खान राष्ट्रीय सचिव, वीरेंद्र सिंह भिदुरी, राष्ट्रीय सचिव और राजीव कुमार जायसवाल राष्ट्रीय सचिव।

नाम:लोजपा
यह भारत की खासतौर पर बिहार की शीर्ष स्थानीय पार्टी है। पार्टी का जनाधार निचली जाति और दलित समुदाय के बीच है। इस पार्टी की स्थापना सन 2000 में वरिष्ठ राजनेता राम विलास पासवान ने किया था। उस समय बहुत कम लोगों को साथ लेकर उन्होंने पार्टी का शुरू किया था। पार्टी का लक्ष्य गरीब और निचले तबके को जोड़ना था। तभी पार्टी का नाम रखा गया लोक जनशक्ति पार्टी।
कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन में पार्टी ने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है। 2004 लोकसभा चुनाव में गठबंधन के साथ पार्टी ने चार सीटों पर कब्जा किया। इसके बाद विधानसभा चुनाव में भी पासवान 29 सीटों को समेटने में कामयाब रहे।
चुनाव चिह्नः चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी को चुनाव निशान के तौर पर बंगला निर्धारित किया है।
पार्टी के बड़े नेताः
रामविलास पासवानः राष्ट्रीय अध्यक्ष, वह राज्यसभा से सांसद भी हैं। 2004 लोकसभा में वह सरकार में शामिल थे। उन्हें यूपीए सरकार में रसायन मंत्री और स्टील मंत्रालय दिया गया था।
राम चंद्र पासवानः राष्ट्रीय उपाध्यक्ष। 14वीं लोकसभा में बिहार के रोसेरा संसदीय क्षेत्र से सांसद थे।
इसके अलावा अब्दुल खालिक, सूर्य नारायण यादव, एके बाजपेई, सूरज भान, अहमद अशफाक करीम, माहेश्वर सिंह, पी चंद्रगेसान, काली प्रसाद पांडे, कुमार सर्वजित आदि बड़े नेता हैं।



नाम:कांग्रेस
आजादी के बाद से सबसे ज्यादा रहा शासन बिहार में कांग्रेस का शासन आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा से ही है। राज्य में बिना गठबंधन के ही छह बार कांग्रेस ने सत्ता चलाई है। पार्टी के लिहाज से यही एक पार्टी है जिसने सबसे ज्यादा समय तक बिहार में शासन चलाया। अगर बात गठजोड़ से सरकार चलाने की करें तो बिहार में आजादी के बाद से दसवीं लोकसभा तक लगातार कांग्रेस का ही अधिपत्य रहा।
बिहार में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की स्थापना तो आजादी के पहले ही 1921 में हुई थी। बिहार प्रदेश कांग्रेस ने पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से लेकर बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्णा सिन्हा और जगन्नाथ मिश्रा, बिंदेश्वरी दुबे, सीताराम केसरी, सदानंद सिंह जैसे बड़े नाम और चेहरे दिए हैं। पटना स्थित सदाकत आश्रम से न सिर्फ बिहार की राजनीति चलती है बल्कि एक समय में आजादी की लड़ाई और केंद्र की राजनीति भी यहीं से हुआ करती थी।
सोशल मीडियाः फेसबुक पर बिहार कांग्रेस का कोई पेज नहीं। लेकिन बिहार कांग्रेस अध्यक्ष से आप कनेक्ट हो सकते हैं।https://www.facebook.com/bihar.pcc
बडे़ चेहरे जो हैं पार्टी की ताकत

अशोक चौधरी, अध्यक्ष बिहार कांग्रेस सीपी जोशी, महासचिव, बीपीसीसी वर्तमान में सांसदः किशनगंज से मोहम्मद असरारुल हक सुपौल से रंजीत रंजन 2010 विधानसभा के विधायक कहलगांव से सदानंद सिंह कस्बा से मोहम्मद अफाक आलम बहादुरगंज से मोहम्मद तौसिफ आलम किशनगंज से मोहम्मद जवाएद

नाम:सीपीआई(एम)
चुनाव चिन्ह - हासिया, हथौड़ा और तारा
पार्टी का उद्देश्य - किसान, मजदूर और गरीबों के वाजिब हक के लिए संघर्ष करना
स्टेट सेक्रेटरी - अवधेश कुमार 
सचिव मंडल के प्रमुख सदस्यों के नाम : सर्वोदय शर्मा, अरुण कुमार मिश्र, अजय कुमार, गणेश शंकर सिंह, रामाश्रय सिंह, ललन चौधरी, विजयकांत ठाकुर (केंद्रीय कमेटी के सदस्य)
संपर्क - सीपीआई(एम), जमाल रोड, पोस्ट ऑफिस के नजदीक, पटना-80001
फैक्स - 0612-2203325
वेबसाइट :www.cpim.org
ई-मेल : cpimbihar@gmail.com
वर्तमान विधानसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या- शून्य

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