रोजाना ताली बजाओ कैंसर को दूर भगाओ ! 09050760954
परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज हमेशा देश वासिओ को ऐसी बाटे बताते रहते है जिससे उनका जीवन नोरोग और सवस्थ बना रहे !आज भी स्वामी चिन्मयानन्द जी के श्री मुख से जो निकला वो आपसे शेयर कर रहा हु ! उमीद है के आप इस का भरपूर फायदा उठायेगे !परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने बताया के हिन्दू सनातन धर्म में आरती अथवा कीर्तन करते समय तालियां बजाई जाती है,
क्योंकि हम अक्सर ही यह देखते है कि जब भी आरती अथवा कीर्तन होता है तो, उसमें सभी लोग तालियां जरुर बजाते है और हमेशा जोर जोर से तालिया बजाने पर जोर दिया जाता है !लेकिन, हम में से अधिकाँश लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि आखिर यह तालियां बजाई क्यों जाती है इसीलिए हम से अधिकाँश लोग बिना कुछ जाने समझे ही तालियां बजाया करते हैं क्योंकि हम अपने बचपन से ही अपने बजुर्गो को ऐसा करते देखते रहे हैं! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी कहा के आपको हैरानी होगी कि आरती अथवा कीर्तन में ताली बजाने की प्रथा बहुत पुरानी है और श्रीमद्भागवत के अनुसार कीर्तन में ताली की प्रथा श्री प्रह्लाद जी ने शुरू की थी क्योंकि, जब वे भगवान का भजन करते थे तो, जोर-जोर से नाम संकीर्तन भी करते थे तथा, साथ-साथ ताली भी बजाते थे और हमारी आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जिस प्रकार व्यक्ति अपने बगल में कोई वस्तु छिपा ले और यदि दोनों हाथ ऊपर करे तो वह वस्तु नीचे गिर जायेगी ठीक उसी प्रकार जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर ताली बजाते है शरीर के नकारतमक ऊर्जा जिसे हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखा है, नीचे गिर जाती हैं अर्थात नष्ट होने लगती है परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के कहा तो यहाँ तक जाता है कि जब हम संकीर्तन या कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाते है तो हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पन होती है जिसमे काफी शक्ति होती है और हरिनाम संकीर्तन से हमारे हाथो की रेखाएं तक बदल जाती है! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के यदि हम आध्यात्मिकता की बात को थोड़ी देर के छोड़ भी दें तो भी आज एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार मनुष्य को हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं जिनको दबाने पर सम्बंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है और, यह जानकार आप सभी को बेहद ख़ुशी मिश्रित आश्चर्य होगा कि इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे सरल तरीका होता है ताली !
परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के असल में ताली तीन प्रकार से बजायी जाती है:- सबसे पहले ताली में बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस प्रकार मारा जाता है कि दबाव पूरा हो और आवाज अच्छी आए! इस प्रकार की ताली से फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे, छोटी आंत व बड़ी आंत के रोग ठीक हो सकते है इस प्रकार की ताली कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस लेने में तकलीफ जैसे रोगों में भी लाभ पहुंचाती है तथा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते हैं और इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने लगता है जिससे शरीर ने पौष्टिक ऊर्जा उत्पन होती है ,और कैंसर जैसी नामुराद बीमारी भी ठीक हो जाती है ! इस प्रकार की ताली को तब तक बजाना चाहिए जब तक कि हथेली लाल न हो जाए !
परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के दूसरी तरह की ताली है थप्पी ताली !
इस तरह की ताली में दोनों हाथों के अंगूठा-अंगूठे से कनिष्का-कनिष्का से तर्जनी-तर्जनी से यानी कि सभी अंगुलियां अपने समानांतर दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हो, हथेली-हथेली पर पड़ती हो ,इस प्रकार की ताली की आवाज बहुत तेज व दूर तक जाती है और इस प्रकार की ताली कान, आंख, कंधे, मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव डालती है! इस ताली का सर्वाधिक लाभ फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क, स्पोगोलाइसिस, आंखों की कमजोरी में पहुंचता है ! एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस ताली को भी तब तक बजाया जाए जब तक कि हथेली लाल न हो जाए ! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के तीसरी तरह की ताली है ग्रिपरमप ताली -इस प्रकार की ताली में सिर्फ हथेली को हथेली पर ही इस प्रकार मारा जाता है कि वह क्रॉस का रूप धारण कर ले. इस ताली से कोई विशेष रोग में लाभ तो नहीं मिलता है, लेकिन यह ताली उत्तेजना बढ़ाने का कार्य करती है!
इस ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते हैं तथा, यह ताली सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय करने में मदद करती है! यदि इस ताली को तेज व लम्बा बजाया जाता है तो शरीर में पसीना आने लगता है जिससे कि शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं| परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के ताली से न सिर्फ रोगों से रक्षा होती है, बल्कि कई कैंसर जैसे असादया रोगों का इलाज भी हो जाता है!
जिस तरह कोई ताला खोलने के लिए चाबी की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह कई रोगों को दूर करने में यह ताली ना सिर्फ चाभी का ही काम नहीं करती हैबल्कि, कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे "मास्टर चाबी" भी कहा जा सकता है| परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए जा सकते है एवं, स्वास्थ्य की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है ! ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है और, यदि प्रतिदिन यदि नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाएं तो, फिर किसी हठयोग या आसनों की जरूरत नहीं होती ह ! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के अंत में इतना ही कहूँगा कि हम हिन्दुओं को गर्व करना चाहिए कि जो बातें हम आज के आधुनिकतम तकनीक के बाद भी ठीक से समझ नहीं पाते हैं! एक्यूप्रेशर के प्रभाव एवं दुष्प्रभावों को हमारे पूर्वज ऋषि-मुनि हजारों-लाखों लाख पहले ही जान गए थे! परन्तु चूँकि हर किसी को बारी-बारी शारीरिक संरचना की इतनी गूढ़ बातें समझानी संभव नहीं थी, इसलिए, हमारे पूर्वजों ने इसे एक परंपरा का रूप दे दिया ताकि उनके आगे आने वाली जनरेशन सदियों तक उनके इन अमूल्य खोज का लाभ उठाते रहें!
समरण रहे की परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने विशव को कैंसर मुक्त करने का लक्ष्य लिया हुआ है स्वामी जी कहते है के रोजाना ताली बजाओ कैंसर को दूर भगाओ !
परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज हमेशा देश वासिओ को ऐसी बाटे बताते रहते है जिससे उनका जीवन नोरोग और सवस्थ बना रहे !आज भी स्वामी चिन्मयानन्द जी के श्री मुख से जो निकला वो आपसे शेयर कर रहा हु ! उमीद है के आप इस का भरपूर फायदा उठायेगे !परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने बताया के हिन्दू सनातन धर्म में आरती अथवा कीर्तन करते समय तालियां बजाई जाती है,
क्योंकि हम अक्सर ही यह देखते है कि जब भी आरती अथवा कीर्तन होता है तो, उसमें सभी लोग तालियां जरुर बजाते है और हमेशा जोर जोर से तालिया बजाने पर जोर दिया जाता है !लेकिन, हम में से अधिकाँश लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि आखिर यह तालियां बजाई क्यों जाती है इसीलिए हम से अधिकाँश लोग बिना कुछ जाने समझे ही तालियां बजाया करते हैं क्योंकि हम अपने बचपन से ही अपने बजुर्गो को ऐसा करते देखते रहे हैं! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी कहा के आपको हैरानी होगी कि आरती अथवा कीर्तन में ताली बजाने की प्रथा बहुत पुरानी है और श्रीमद्भागवत के अनुसार कीर्तन में ताली की प्रथा श्री प्रह्लाद जी ने शुरू की थी क्योंकि, जब वे भगवान का भजन करते थे तो, जोर-जोर से नाम संकीर्तन भी करते थे तथा, साथ-साथ ताली भी बजाते थे और हमारी आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जिस प्रकार व्यक्ति अपने बगल में कोई वस्तु छिपा ले और यदि दोनों हाथ ऊपर करे तो वह वस्तु नीचे गिर जायेगी ठीक उसी प्रकार जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर ताली बजाते है शरीर के नकारतमक ऊर्जा जिसे हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखा है, नीचे गिर जाती हैं अर्थात नष्ट होने लगती है परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के कहा तो यहाँ तक जाता है कि जब हम संकीर्तन या कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाते है तो हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पन होती है जिसमे काफी शक्ति होती है और हरिनाम संकीर्तन से हमारे हाथो की रेखाएं तक बदल जाती है! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के यदि हम आध्यात्मिकता की बात को थोड़ी देर के छोड़ भी दें तो भी आज एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार मनुष्य को हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं जिनको दबाने पर सम्बंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है और, यह जानकार आप सभी को बेहद ख़ुशी मिश्रित आश्चर्य होगा कि इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे सरल तरीका होता है ताली !
परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के असल में ताली तीन प्रकार से बजायी जाती है:- सबसे पहले ताली में बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस प्रकार मारा जाता है कि दबाव पूरा हो और आवाज अच्छी आए! इस प्रकार की ताली से फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे, छोटी आंत व बड़ी आंत के रोग ठीक हो सकते है इस प्रकार की ताली कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस लेने में तकलीफ जैसे रोगों में भी लाभ पहुंचाती है तथा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते हैं और इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने लगता है जिससे शरीर ने पौष्टिक ऊर्जा उत्पन होती है ,और कैंसर जैसी नामुराद बीमारी भी ठीक हो जाती है ! इस प्रकार की ताली को तब तक बजाना चाहिए जब तक कि हथेली लाल न हो जाए !
परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के दूसरी तरह की ताली है थप्पी ताली !
इस तरह की ताली में दोनों हाथों के अंगूठा-अंगूठे से कनिष्का-कनिष्का से तर्जनी-तर्जनी से यानी कि सभी अंगुलियां अपने समानांतर दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हो, हथेली-हथेली पर पड़ती हो ,इस प्रकार की ताली की आवाज बहुत तेज व दूर तक जाती है और इस प्रकार की ताली कान, आंख, कंधे, मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव डालती है! इस ताली का सर्वाधिक लाभ फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क, स्पोगोलाइसिस, आंखों की कमजोरी में पहुंचता है ! एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस ताली को भी तब तक बजाया जाए जब तक कि हथेली लाल न हो जाए ! परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के तीसरी तरह की ताली है ग्रिपरमप ताली -इस प्रकार की ताली में सिर्फ हथेली को हथेली पर ही इस प्रकार मारा जाता है कि वह क्रॉस का रूप धारण कर ले. इस ताली से कोई विशेष रोग में लाभ तो नहीं मिलता है, लेकिन यह ताली उत्तेजना बढ़ाने का कार्य करती है!
इस ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते हैं तथा, यह ताली सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय करने में मदद करती है! यदि इस ताली को तेज व लम्बा बजाया जाता है तो शरीर में पसीना आने लगता है जिससे कि शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं| परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा के ताली से न सिर्फ रोगों से रक्षा होती है, बल्कि कई कैंसर जैसे असादया रोगों का इलाज भी हो जाता है!
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समरण रहे की परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने विशव को कैंसर मुक्त करने का लक्ष्य लिया हुआ है स्वामी जी कहते है के रोजाना ताली बजाओ कैंसर को दूर भगाओ !