मानव जीवन की सफलता के लिए 3 शक्तियों के विकास की आवश्यकता है-मानसिक, आत्मिक, शारीरिक । इन 3 शक्तियों के विकास के लिए विचारकों ने भिन्न-भिन्न उपाय बताये हैं Iएक कहावत है ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मष्तिष्क निवास करता है’ I खेलकूद से व्यक्तित्व का विकास होता है I खेल शरीर को हष्ट पुष्ट बनाने का सुन्दर साधन है I खेल स्फूर्ति, ताजगी और गतिशीलता के अस्त्र हैं I जीवन मैं स्वास्थ्य का विशेष महत्व है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेलों का अपना महत्व है I ‘खेल के मैदान मैं केवल स्वास्थ्य ही नहीं बनता, वरन मनुष्य बनता है’ I खेल खिलाडी की आत्मा है और खेल की भावना इस आत्मा का श्रृंगार है I खेल की भावना खिलाडी को पारस्परिक सहयोग, संगठन, अनुशासन और सहनशीलता की शिक्षा देती है Iजब खिलाडी खेल के मैदान मैं खेलता है तो उसका रोम-रोम पुलकित हो उठता है I खेल में भाषा के नाम पर भेदभाव नहीं होते, पंजाबी हो या बंगाली सभी मिलकर खेलते हैं I राजाओं के समय भी तरह तरह के खेल होते थे और उनको सरंक्षण प्राप्त था ये कहना है बरनाला सुब जेल के जेलर स कुलवंत सिंह का !
जेलर स कुलवंत सिंह जो के एक्स आर्मी मैन है की खेलो में विशेष रूचि है और जब से वो बरनाला जेल के जेलर बन कर आये है तब से ये रूचि उनकी जेल में कैदियों में भी देखने को मिल रही है !स कुलवंत सिंह जी रोजाना अपने कैदियों के साथ योगा एक्सरसाइज और कई तरह की गेम्स बी खेलते है !बरनाला जेल के कैदियों के भी खेलने का काफी उत्साह देखने को मिला !
सजा तो आखिर सजा ही है पर अगर जेलर स कुलवंत सिंह की सोच के साथ कैदियों के साथ बर्ताव करे तो वो दिन दूर नहीं जब जेल से सजा खत्म करने के बाद बाहर आकर व्यक्ति एक नए और अच्छे समाज की सरचना करने में मोहरी होंगे !