नई दिल्ली। बुधवार को बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है जिसके बाद से प्रदेश में अचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद सी वोटर-इंडिया टीवी सर्वे की रिपोर्ट ने बीजेपी में खलबली मचा दी है। सर्वे के मुताबिक बिहार में नेक टू नेक फाइट में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन एनडीए पर भारी पड़ रहा है। जीत के बारे में नहीं सोचते तो क्या सोचते हैं नीतीश कुमार? आईये जानते हैं इस सर्वे की खास बातें... सी वोटर-इंडिया टीवी सर्वे के मुताबिक महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने की संभावना है, मतलब कि बिहार में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस की सरकार बनेगी। इस सर्वे में एनडीए को नुकसान होता दिख रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महागठबंधन बिहार चुनाव में करीब 116 से 132 सीटें जीत सकता है। जबकि एलजेपी, रालोसपा और हम के गठबंधन को इस चुनाव में 94 -110 सीटें मिल सकती हैं। जबकि अन्य को भी 13 से 21 सीटों का फायदा मिल सकता है। सर्वे में नीतीश कुमार को ही सीएम पद के लिए बेस्ट कहा गया है। नीतीश कुमार को 53 प्रतिशत लोगों ने सीएम पद के लिए बिल्कुल सही कहा है। जबकि 18 प्रतिशत लोगों को लगता है कि बीजेपी नेता सुशील मोदी सीएम की गद्दी संभाल सकते हैं। तो 5 प्रतिशत जनता को लगता है कि सीएम की कुर्सी पर लालू यादव और शुत्रुघन सिन्हा बैठ सकते हैं। लालू-नीतीश और कांग्रेस के महागठबंधन को 43 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं तो वहीं एनडीए केवल 40 प्रतिशत पर ही सिमटती दिख रही है।
पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम जीत के बारे में नहीं सोचते हैं। अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार के दिमाग में इस चुनाव को लेकर बहुत कुछ चल रहा है। पढ़ें- नेपाल के रास्ते आ रहे नकली नोट, बांटे जायेंगे चुनाव में आचार संहिता लागू होने के बाद नीतीश ने अपने घर के बाहर आकर कहा कि सोचना अब मीडिया का काम है। हम देशवासियों के साथ दशहरा भी मनाएंगे और दीपावली भी। हमारा गठबंधन 243 सीटों पर मजबूत है। चुनाव प्रचार के लिए 38 दिन का समय मिला है। हम प्रचार में लग जाएंगे, काउंट डाउन तो मीडिया के लिए शुरू हो गया है। आपलोग "मीडिया" रोज-रोज पटाखा फोड़िए। नीतीश बोले पांच चरण के मतदान में प्रचार के लिए थोड़ा कम गैप कम है, इससे कुछ परेशानी हो सकती है। लेकिन बिहार के तमाम राजनीतिक दलों को इसका अनुभव है। चुनाव आयोग ने फैसला कर लिया है, हम उसका स्वागत करते हैं। अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार को सबसे बड़ा डर जातिगत आधार पर वोट देने वाले वोटरों का लग रहा है। वो सोच में हैं, कि अगर जीतन राम मांझी की वजह से अति पिछड़ा वर्ग और राम विलास पासवान की वजह से पिछड़ी जातियों के वोट भाजपा के खाते में चले गये, तो राजद से दोस्ती धरी की धरी रह जायेगी। पढ़ें- कब कहां होंगे मतदान भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि हम चुनाव के लिए बहुत पहले से तैयार थे। अगर चुनाव सिर्फ एक चरण में भी होता तो हम इसके लिए तैयार हैं। हम चुनाव की तैयारी एक साल से कर रहे हैं। हमारे सामने कोई भी पार्टी हो जितनी पार्टियों का महागंठबंधन हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सत्ताधारी दल साम-दाम-दंड-भेद से चुनाव जीतने की कोशिश करेगा। हम लोग सत्ता में नहीं हैं। हम लोगों की तैयारी पूरी हो चुकी है। सुशील कोदी बोले कि सीटों के बंटवारे को लेकर हमारी केंद्रीय नेतृत्व बातचीत कर रही है। बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सह प्रदेश प्रभारी व सांसद भूपेन्द्र यादव ने कहा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। जनता अब फैसला करेगी। जनता को जंगल राज का डर सता रहा है। हम बिहार के विकास और परिवर्तन के लिए वोट मांगेंगे। हमारी पार्टी विकास, विश्वास और पारदर्शिता के लिए काम करेगी। मोदी पर बढ़ा विश्वास भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही नीतीश के जाने और भाजपा के आने का एलान हो चुका है। बिहार की जनता देख रही है कि लालू यादव और नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को दिया क्या है। प्रधानमंत्री के पैकेज के एलान से लोगों का भरोसा बढ़ा है। एनडीए में शामिल सभी पार्टियां मिलकर लड़ेंगे।
विधानसभा चुनाव को पांच चरणों में पूरा करने की घोषणा हो चुकी है। इस महासंग्राम में भाजपा नीत राजग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू, लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने जा रही है। राज्य विधानसभा चुनाव के परिणाम का राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक परिदश्य पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
लालू भी मुलायम को मनाने में हो चुके हैं विफल भाजपा के लिये क्यों महत्वपूर्ण भाजपा के लिए यह चुनाव जीतना बेहद महत्वपूर्ण है, अगर वह नरेन्द्र मोदी सरकार के पक्ष में राजनीतिक बयार को गति देना चाहती है और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय और भूमि विधेयक पर कदम पीछे खींचने और जीएसटी, आदि की वजह से लगे दाग मिटाना चाहती है तो यह चुनाव जीतना बेहद जरूरी है। अगर यह चुनाव हारी, तो केंद्र के लिये आगे चलकर मुश्किल हो सकती है।
भाजपा अगर बिहार में हारे तो भाजपा के लिये 2017 में उत्तर प्रदेश जीतना और भी कठिन हो जायेगा। जदयू का जादू राज्य में जदयू 10 साल से सत्ता में है और इस दौरान नीतीश कुमार के हाथों में काफी समय तक राज्य की बागडोर रही। कुमार की पार्टी का इस बार लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन है। नीतीश भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठजोड़ तोड़कर जून 2013 में राजग से अलग हो गए थे। इनके लिये सबसे बड़ी चुनौती महागठबंधन की एकता है। अगर इस गठबंधन में दरार आयी, तो यह ताश के पत्तों के किले की तरह ध्वस्त हो जायेगा।
नीतीश अगर हारे तो नीतीश कुमार का करियर भी खत्म होने की कगार पर पहुंच जायेगा। पासवान को नहीं पड़ेगा फर्क पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में भाजपा का रामविलास पासवान की लोजपा और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठजोड़ था और भाजपा नीत गठबंधन ने उस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। इस चुनाव में पासवान को ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। जितनी सीटें आयेंगी, उतने प्लस प्वाइंट उनके खाते में केंद्र में जुड़ेंगे।
पासवान को सिर्फ इस बात का टेंशन है कि अगर जाति समीकरण इस बार नहीं चले तो बिहार में उनकी पार्टी की पैठ कम हो सकती है। आचार संहिता लागू मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने आदर्श आचार संहित तत्काल प्रभाव से लागू कर दी है। बिहार में कुल 243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो जाएगा। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, मतदान का प्रथम चरण 12 अक्टूबर, दूसरा चरण 16 अक्टूबर, तीसरा चरण 28 अक्टूबर, चौथा चरण एक नवंबर, जबकि पांचवां और अंतिम चरण पांच नवंबर को संपन्न होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार चुनाव की घोषणा करते हुए बताया कि बिहार में कुल 6.68 करोड़ मतदाता हैं, और इस बार यही मतदाता बिहार में आने वाले समय में कौन मुख्या मंत्री का पद संभालेगा यह निर्णय 8 नवंबर को सबके सामने होगा।
पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम जीत के बारे में नहीं सोचते हैं। अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार के दिमाग में इस चुनाव को लेकर बहुत कुछ चल रहा है। पढ़ें- नेपाल के रास्ते आ रहे नकली नोट, बांटे जायेंगे चुनाव में आचार संहिता लागू होने के बाद नीतीश ने अपने घर के बाहर आकर कहा कि सोचना अब मीडिया का काम है। हम देशवासियों के साथ दशहरा भी मनाएंगे और दीपावली भी। हमारा गठबंधन 243 सीटों पर मजबूत है। चुनाव प्रचार के लिए 38 दिन का समय मिला है। हम प्रचार में लग जाएंगे, काउंट डाउन तो मीडिया के लिए शुरू हो गया है। आपलोग "मीडिया" रोज-रोज पटाखा फोड़िए। नीतीश बोले पांच चरण के मतदान में प्रचार के लिए थोड़ा कम गैप कम है, इससे कुछ परेशानी हो सकती है। लेकिन बिहार के तमाम राजनीतिक दलों को इसका अनुभव है। चुनाव आयोग ने फैसला कर लिया है, हम उसका स्वागत करते हैं। अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार को सबसे बड़ा डर जातिगत आधार पर वोट देने वाले वोटरों का लग रहा है। वो सोच में हैं, कि अगर जीतन राम मांझी की वजह से अति पिछड़ा वर्ग और राम विलास पासवान की वजह से पिछड़ी जातियों के वोट भाजपा के खाते में चले गये, तो राजद से दोस्ती धरी की धरी रह जायेगी। पढ़ें- कब कहां होंगे मतदान भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि हम चुनाव के लिए बहुत पहले से तैयार थे। अगर चुनाव सिर्फ एक चरण में भी होता तो हम इसके लिए तैयार हैं। हम चुनाव की तैयारी एक साल से कर रहे हैं। हमारे सामने कोई भी पार्टी हो जितनी पार्टियों का महागंठबंधन हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सत्ताधारी दल साम-दाम-दंड-भेद से चुनाव जीतने की कोशिश करेगा। हम लोग सत्ता में नहीं हैं। हम लोगों की तैयारी पूरी हो चुकी है। सुशील कोदी बोले कि सीटों के बंटवारे को लेकर हमारी केंद्रीय नेतृत्व बातचीत कर रही है। बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सह प्रदेश प्रभारी व सांसद भूपेन्द्र यादव ने कहा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। जनता अब फैसला करेगी। जनता को जंगल राज का डर सता रहा है। हम बिहार के विकास और परिवर्तन के लिए वोट मांगेंगे। हमारी पार्टी विकास, विश्वास और पारदर्शिता के लिए काम करेगी। मोदी पर बढ़ा विश्वास भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही नीतीश के जाने और भाजपा के आने का एलान हो चुका है। बिहार की जनता देख रही है कि लालू यादव और नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को दिया क्या है। प्रधानमंत्री के पैकेज के एलान से लोगों का भरोसा बढ़ा है। एनडीए में शामिल सभी पार्टियां मिलकर लड़ेंगे।
विधानसभा चुनाव को पांच चरणों में पूरा करने की घोषणा हो चुकी है। इस महासंग्राम में भाजपा नीत राजग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू, लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने जा रही है। राज्य विधानसभा चुनाव के परिणाम का राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक परिदश्य पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
लालू भी मुलायम को मनाने में हो चुके हैं विफल भाजपा के लिये क्यों महत्वपूर्ण भाजपा के लिए यह चुनाव जीतना बेहद महत्वपूर्ण है, अगर वह नरेन्द्र मोदी सरकार के पक्ष में राजनीतिक बयार को गति देना चाहती है और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय और भूमि विधेयक पर कदम पीछे खींचने और जीएसटी, आदि की वजह से लगे दाग मिटाना चाहती है तो यह चुनाव जीतना बेहद जरूरी है। अगर यह चुनाव हारी, तो केंद्र के लिये आगे चलकर मुश्किल हो सकती है।
भाजपा अगर बिहार में हारे तो भाजपा के लिये 2017 में उत्तर प्रदेश जीतना और भी कठिन हो जायेगा। जदयू का जादू राज्य में जदयू 10 साल से सत्ता में है और इस दौरान नीतीश कुमार के हाथों में काफी समय तक राज्य की बागडोर रही। कुमार की पार्टी का इस बार लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन है। नीतीश भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठजोड़ तोड़कर जून 2013 में राजग से अलग हो गए थे। इनके लिये सबसे बड़ी चुनौती महागठबंधन की एकता है। अगर इस गठबंधन में दरार आयी, तो यह ताश के पत्तों के किले की तरह ध्वस्त हो जायेगा।
नीतीश अगर हारे तो नीतीश कुमार का करियर भी खत्म होने की कगार पर पहुंच जायेगा। पासवान को नहीं पड़ेगा फर्क पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में भाजपा का रामविलास पासवान की लोजपा और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठजोड़ था और भाजपा नीत गठबंधन ने उस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। इस चुनाव में पासवान को ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। जितनी सीटें आयेंगी, उतने प्लस प्वाइंट उनके खाते में केंद्र में जुड़ेंगे।
पासवान को सिर्फ इस बात का टेंशन है कि अगर जाति समीकरण इस बार नहीं चले तो बिहार में उनकी पार्टी की पैठ कम हो सकती है। आचार संहिता लागू मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने आदर्श आचार संहित तत्काल प्रभाव से लागू कर दी है। बिहार में कुल 243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो जाएगा। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, मतदान का प्रथम चरण 12 अक्टूबर, दूसरा चरण 16 अक्टूबर, तीसरा चरण 28 अक्टूबर, चौथा चरण एक नवंबर, जबकि पांचवां और अंतिम चरण पांच नवंबर को संपन्न होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार चुनाव की घोषणा करते हुए बताया कि बिहार में कुल 6.68 करोड़ मतदाता हैं, और इस बार यही मतदाता बिहार में आने वाले समय में कौन मुख्या मंत्री का पद संभालेगा यह निर्णय 8 नवंबर को सबके सामने होगा।