Monday, November 16, 2015

साबुनों में चर्बी के प्रयोग पर शिकंजा नहीं कसा तो करेंगे आंदोलन : अनिल बंसल नाणा


गोसेवा संघ पंजाब के महासचिव अनिल बंसल नाणा ने रविवार को बरनाला की अग्रवाल धर्मशाला में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि पंजाब में कई साबुन बनाने की फैक्ट्रियों में नहाने और कपड़े धोने के साबुन में पशु चर्बी खासकर गाय की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

नाणा ने कहा कि पूरे प्रदेश में पिछले दो माह में 16 ट्रक पशु और चर्बी के पकड़े गए हैं, जिनमें पशु और गाय की चर्बी पाए जाने का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि सभी के सैंपल लेकर टेस्ट के लिए भेजे जा चुके हैं और रिर्पोट आने का इंतजार है। 

उन्होंने बताया कि पंजाब में कुछ साबुन फैक्ट्रियों के मालिक भी लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। नाणा ने कहा कि वैसे तो साबुन में विशेष तेल का इस्तेमाल होता है जोकि विदेश से आता है और 300 रुपए प्रति लीटर की कीमत पर उपलब्ध होता है जबकि इस तेल के प्रयोग की जगह साबुन फैक्ट्रियों के मालिक पशु चर्बी का प्रयोग कर रहे हैं। नाणा ने कहा कि जानकारी के अनुसार जो कंपनी पशु चर्बी सप्लाई कर रही है उसका पंजाब में 55 करोड़ रुपए का व्यापार है। नाणा ने कहा कि इस संबंधी सीएम प्रकाश सिंह बादल से भी बात हो चुकी है और उन्होंने 16 नवंबर को मिलने का समय दिया है। सीएम को इस गौरख धंधे बारे अवगत कराया जाएगा। लुधियाना, जालंधर, राजपुरा, बठिंडा, अमृतसर, पटियाला जैसे शहरों में 50 के करीब ऐसी बड़ी साबुन फैक्ट्रियां हैं जो पशु चर्बी का इस्तेमाल करती हैं। इस मौके पर सचिव वकील चंद गोयल, गोरक्षा दल के वाइस प्रधान मोनू गोयल, सचिव मुनीश मिंटा, विकास जिंदल, सरफराज आदि मौजूद थे। 

Monday, November 9, 2015

बिहार में नितीश लालू ने मरी बाजी ,बीजेपी चारो खाने चिट

पटना. तमाम अटकलों और एग्जिट पोल्स को दरकिनार कर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज दी। विधानसभा की 243 सीटों में से महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की। आरजेडी को 80, जेडीयू को 71 और महागठबंधन की तीसरी पार्टी कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं। दूसरी ओर, एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा। दिवाली के ठीक पहले महागठबंधन की इस जीत ने भाजपा गठबंधन को तगड़ा झटका दिया। एनडीए को 58 सीटें हीं मिली।
महागठबंधन को क्लीन स्वीप, भाजपा को सिर्फ पांच
फर्स्ट फेज में पहला बड़ा मुद्दा रहा विशेष पैकेज। पीएम मोदी ने 6 रैलियां की। 36 सीटों तक पहुंचे। वहीं, महागठबंधन ने पैकेज की घोषणा के बहाने बिहारियों की बोली लगाने को मुद्दा बनाया। डीएनए विवाद भी उछाला। एनडीए का अति आत्मविश्वास पहले चरण में ही उसके लिए घातक साबित हुआ। 2010 के परिणाम के आधार पर कुल 49 में से सिर्फ 13 सीटें एनडीए के पाले में थीं। 34 सीटों पर जीत बरकरार रखने की चुनौती महागठबंधन के सामने थी। एनडीए इस मुगालते में रहा कि धुआंधार प्रचार और घटक दलों के कुछ दिग्गजों के चलते पुरानी सीटों के अलावा कम से कम 10 नई सीटें उसके खाते में आ जाएंगी। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस और हम के प्रदेश अध्यक्ष शकुनी चौधरी मैदान में थे। दोनों हारे।
दूसरा चरण : रिजर्वेशन जैसे मुद्दों ने महागठबंधन को दी बढ़त
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा का बयान क्या दिया, लालू-नीतीश को निर्णायक मुद्दा मिल गया। वहीं, भाजपा ने बीफ पर लालू वाले बयान पर घेरा। शैतान के जवाब में ब्रह्मपिशाच और राक्षस जैसे बयान आए। हम के जीतन राम मांझी, रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. अरुण कुमार और जहानाबाद के पूर्व सांसद डा. जगदीश शर्मा का प्रभाव क्षेत्र होने के बावजूद एनडीए को सफलता नहीं मिली। इनके दम पर सवर्णों के अलावा महादलित, चंद्रवंशी और कुशवाहा बिरादरी के वोटों का आसरा एनडीए को था, लेकिन यह समीकरण काम नहीं आया।
तीसरा चरण : दाल के मुद्दे पर महंगाई ने बीजेपी को दी पटखनी
दाल की बढ़ती कीमत को महागठबंधन ने मुद्दा बनाया। घर की मुर्गी दाल बराबर जैसे सियासी तीर चले। हरियाणा में दलित बच्चों की मौत पर केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के बयान का महागठबंधन ने अच्छे से फायदा उठाया। विधानसभा के पिछले चुनाव परिणाम को देखें तो इस फेज में महागठबंधन और एनडीए के बीच बराबरी की टक्कर हो सकती थी। कुल 50 में से 19 सीटें भाजपा के पास थी। जदयू की जीत 23 सीटें थीं। राजद का सात सीटों पर कब्जा था।
चौथा चरण : 56 में 26 लाकर भाजपा ने बचाई लाज
इस फेज में जिन इलाकों में चुनाव हुआ, वो एनडीए के आधार इलाकों में आता है। कुल 55 में से 26 सीटें भाजपा के पक्ष में थी। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, गोपालगंज और सीवान जिलों से एनडीए को पहले से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। यह नहीं हो सका। बेतिया में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी को हार का सामना करना पड़ा। फिर भी चंपारण में एनडीए की इज्जत कुछ हद तक बच पाई। थारुओं के बीच राज्य सरकार की नाराजगी का लाभ एनडीए को मिला। पूर्णमासी राम एवं वैद्यनाथ प्रसाद महतो जैसे दिग्गजों की हार से महागठबंधन को भी झटका।
पांचवां चरण : गाय और ओवैसी का भी नहीं मिला लाभ
मुस्लिम बहुल सीटों वाले इस दौर में भाजपा ने धार्मिक आरक्षण का मुद्दा उठाया। गाय का विवादित विज्ञापन छपवाया। ओवैसी भी मैदान में थे। लेकिन बीजेपी को सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण का कोई फायदा नहीं हुआ। 57 में से 23 सीटों पर भाजपा का कब्जा था। लोजपा के खाते में भी दो सीटें थीं। इस लिहाज से देखें तो अपनी 25 सिटिंग सीटों को बचाने के अलावा कुछ अधिक सीटों पर जीत हासिल करना एनडीए का लक्ष्य था। एनडीए ने बढ़े हुए वोट को एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर से जोड़कर अपने पक्ष में माना। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।बिहार में नितीश लालू ने मरी बाजी ,बीजेपी चारो खाने चिट 

Tuesday, November 3, 2015

विदेश भेजने के नाम पर सैकड़ों युवकों से करोड़ों रुपए ठग कर कंपनी भागी

अमृतसर। विदेश भेजने के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए इकट्ठे कर मर्चेंट ला ओवरसीज नाम की कंपनी दफ्तर को ताला लगाकर फरार हो गई। इस कंपनी का दफ्तर कोर्ट रोड स्थित दीप काम्प्लैक्स में है, जहां पर अब ताला लगा हुआ है। कंपनी के सभी फोन नंबर भी डिसकनेक्ट कर दिए गए हैं। सोमवार को राज्य के विभिन्न जिलों से आए सौ से ज्यादा युवकों ने अपनी लिखित शिकायत पुलिस कमिश्नर जतिंदर सिंह औलख को दी है। इन युवकों का कहना है कि इस इमीग्रेशन कंपनी ने अलग-अलग देशों में भेजने और वहां पर काम करवाने का विश्वास दिलवाया। बदले में किसी से 2 लाख रुपए तो किसी से 5 लाख रुपए लिए हैं, लेकिन किसी भी युवक को विदेश नहीं भेजा।

पुलिस कमिश्नर दफ्तर पहुंचे लुधियाना निवासी जसबीर सिंह, मनप्रीत सिंह निवासी तरनतारन, भूपिंदर सिंह निवासी अजनाला रोड, अंकुश शर्मा, इकबाल सिंह निवासी इस्लामाबाद, राजदीप सिंह निवासी नाभा, सुखविंदर सिंह निवासी पठानकोट सहित 100 से ज्यादा युवकों ने बताया कि उक्त कंपनी विभिन्न अखबारों में लगातार इश्तिहार दे रही थी। इनमें लिखा होता था कि न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, कैनेडा, दुबई, यूके आदि देशों में जाने और वहां पर नौकरी करने के लिए संपर्क करें। इसके साथ ही उक्त सभी देशों में पीआर दिलवाने का भी भरोसा दिलवाया जाता था। कंपनी के दफ्तर का पता 27-28 दुकान नंबर दीप काॅम्प्लैक्स कोर्ट रोड बताया गया था। इश्तिहार पढ़कर उन लोगों ने यहां पर फोन कर संपर्क किया तो आगे से कहा गया कि दफ्तर में विजिट करें। उन लोगों ने दफ्तर में विजिट की। वहां पर तैनात स्टाफ ने उन्हें विभिन्न देशों में भेजने और पक्का काम दिलवाने का विश्वास दिलवाया। विभिन्न देशों के लिए अलग-अलग फीस बताई गई। इस उनसे रुपए ले लिए। आरोपियों ने अपना बैंक अकाउंट नंबर 50200014037085 दिया। इसमें कि पैसे ट्रांसफर करवाने के लिए कहा गया। उन सभी ने इस खाते में पैसे जमा करवा दिए। उनके पासपोर्ट सारे ओरिजनल दस्तावेज भी अपने पास रख लिए। करीब दो महीने बाद भी उन्हें विदेश भेजा गया। वह फोन पर संपर्क करते तो आगे से जवाब मिलता कि फाइल भेजी हुई है। 31 अक्टूबर को वे सभी कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो पता लगा कि आरोपी यहां ताला लगाकर फरार हो गए हैं।

पुलिस कमिश्नर जतिंदर सिंह औलख ने कहा कि मामले की जांच शुरू करवा दी है। कंपनी को कौन लोग चला रहे थे। इसका पता लगाकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इमिग्रेशन कंपनी खोलने से पहले विदेश मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन करवानी पड़ती है। इसलिए वेरिफाई कर लें कि जिस कंपनी को आप पैसे देने जा रहे हैं कि वह मंत्रालय में रजिस्टर्ड हो। बिना किसी पुख्ता जांच के कोई पैसा दिया जाए। इसके अलावा इमीग्रेशन वाले अखबारों में इश्तिहार देकर लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। इसमें पुलिस की भी जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह के इश्तिहार देने वाले लोगों की प्रॉपर स्कैनिंग करवाई जाए।

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