Thursday, June 7, 2012

माइनिंग : सरकार को अरबों का फटका


माइनिंग : सरकार को अरबों का फटका


 
चंडीगढ़. नवांशहर का गांव रैलबरामद। यहां से महज 100 मीटर की दूरी से गुजरता है सतलुज दरिया। यहां नदी के जिस हिस्से से रेत निकाली जा रही है, वहां दरिया का बांध है। नियमों के अनुसार बांध को खनन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि यहां खनन किए जाने से बांध के कमजोर होने का खतरा बढ़ रहा है।



दरिया के आसपास रहने वाले लोग मानसून नजदीक आते देख सहमे हुए हैं। अगर डैम टूटा तो आसपास के कई गांव डूब जाएंगे। ग्रामीणों ने पिछले दिनों डीसी को इस बारे में ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।


ज्यादा उठाया जा रहा है रेत


माइनिंग विभाग द्वारा 2011 में जिला नवांशहर में अलग-अलग जगह से रेत खनन के लिए करीब सवा करोड़ रुपए की स्लिप जारी की थी। लेकिन यहां मंजूरी से कहीं ज्यादा रेत का खनन किया जा रहा है। सवाल उठता है कि विभाग ने खनन को देखते हुए क्या और स्लिपें जारी क्यों नहीं की।


जानकारी अनुसार माइनिंग विभाग द्वारा नदी में 5 हैक्टेयर जमीन से रेत निकालने की मंजूरी दी है, लेकिन संबंधित ठेकेदार मंजूरी से कई गुणा ज्यादा रेत निकाल रहा है। यहां से रोजाना करीब 300 ट्रक रेत निकाली जा रही है। राजनेताओं की शह पर विभाग के अधिकारी सब जानते हुए भी चुप बैठे हैं और अपनी-अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं।



जानकारी के अनुसार लुधियाना, रोपड़, पठानकोट, फिरोजपुर के अलावा कई जगहों पर नियमों की विपरीत माइनिंग की जा रही है। जिससे सरकारों को अरबों रुपए का चपत लग चुकी है। उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के अवैध खनन रोकने के दावे भी खोखले हो गए हैं।


राजस्व विभाग को नुकसान



नवांशहर जिले में करीब 12 जगह मंजूरी से ज्यादा रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। जमीन मालिक रेत निकालने वाले ठेकेदारों से खुद ही रुपए ले रहे हैं, जबकि नियमों के अनुसार यह राशि सरकार को जाती है और सरकार जमीन मालिक को उसका तीसरा हिस्सा देती है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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